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EDITOR EDITOR EDITOR EDITOR - - - - PUBLISHER PUBLISHER PUBLISHER PUBLISHER : : : : Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Limka Book Record Limka Book Record Limka Book Record Limka Book Record VASUDHA VASUDHA VASUDHA VASUDHA A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI ON ON ON ON Year 15, Issue 60 Year 15, Issue 60 Year 15, Issue 60 Year 15, Issue 60 Oct. Oct. Oct. Oct.-Dec., 2018 Dec., 2018 Dec., 2018 Dec., 2018 kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka vsu2a vsu2a vsu2a vsu2a sMpadn v p/kaxn sMpadn v p/kaxn sMpadn v p/kaxn sMpadn v p/kaxn MkW MkW MkW MkW- Sneh #akur Sneh #akur Sneh #akur Sneh #akur wart ke ra*3 wart ke ra*3 wart ke ra*3 wart ke ra*3^ ^ ^ ^ pit μara purS¡t pit μara purS¡t pit μara purS¡t pit μara purS¡t ilMka buk irka ilMka buk irka ilMka buk irka ilMka buk irka$ $ $ $ DR ho DR ho DR ho DR hoLDr LDr LDr LDr v8R ÉÍ - A.k ÎÈ, AK3Ubr - idsMbr ÊÈÉÐ

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Year 15 Issue 60Year 15 Issue 60Year 15 Issue 60Year 15 Issue 60

OctOctOctOct----Dec 2018Dec 2018Dec 2018Dec 2018

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अतहीन

पदमशरी डॉ शयाम स ह शशश

अत -

एक शिराट शिशवदशशन का

अत -

ददककाली दररयो का

अत -

अह क शपराशमडो का

अत -

भगोल क इशतहा का

अत -

इशतहा क इशतहा का

अत -

एटमी शिनाश का

अत -

दक ी अनत का

अत -

अत क अत का

ोचता ह -

कया चमच कोई अत होता ह

15 60 2018 1

डॉ (पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

समपादकीय २ गगा वसधा पाणडय ५

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र राजि बादल ८

मिाकशव नीरज सिील िमाा १५

शिनदी और िम उमि मिता १६

फ़दल म बसाओ लशलता िमाा १८

शिनदी क ितर

सतता समपशतत और ससथाए डॉ परभाकर माचव २०

भागभरी कमल कपर २४

कया ज़ररत ि सिारो की डॉ अलका गोयल २६

कछ सपनो क मर जान स

जीव निी मरा करता ि सदीप सजन २७

छटटी ओम परकाि शमशर २९

आज फ़िर स डॉ िररवि राय बचचन ३३

ितर म ि भारत की सासकशतक

अखणडता और शवरासत डॉ अपाण जन lsquoअशवचलrsquo ३४

शिनदी पर मकतक मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo ३६

कोख डॉ समशत दब ३७

दो पर सशमतरा कजरीवाल ४१

नीरज क कावय म मानववाद शगररराज िरण अगरवाल ४२

फ़दल कोमल िोता ि ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo ४४

अतिीन पदमशरी डॉ शयाम ससि lsquoिशिrsquo १ अ

डॉ सनि ठाकर का रचना ससार ४४ अ

16 Revlis Crescent Toronto Ontario M1V-1E9 Canada TEL 416-291-9534

Annual subscription$2500

By Mail $3500 International Mail $4000

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15 60 2018 2

कारवा गज़र गया गबार दखत रि ndash नीरज जी का पारथाव िरीर िमार बीच निी रिा पर वो अपन

कावय दवारा सदव िी िमार मधय म रिग िमारी हदय-तशतरयो को व अपन गीतो स सदा िी झकत करत रिग

इसम सदि की तशनक भी गजाइि निी ि भारत म उनस शमलन उनको सनन का सौभागय तो परापत हआ िी

था पर मर आनद का तब रठकाना न रिा जब अपन इस कनडा आवास म भी दो बार टोराटो म उनक

साशिदधधय का सौभागय परापत हआ और तो और यि मरी बहत बड़ी खि-फ़कसमती ि फ़क सन २०१२ म उनिोन

मरी २ पसतक ldquoआज का समाजrdquo व ldquoसचतन क धागो म ककयी ndash सदभा शरीमदवालमीकीय रामायणrdquo का

लोकापाण भी फ़कया

ईशवर स पराथाना ि फ़क व डॉ गोपालदास नीरज जी की आतमा को िाशत परदान कर एव िम सब जीवन-

पयत उनक कावय का जिा एक ओर आनद उठाए रसासवादन कर विी उसस शिकषा भी परापत करत रि

मिाकशव गीतकार पदम भषण शवभशषत नीरज जी को ठाकर सािब व मरी ओर स एव समसत वसधा पररवार

की ओर स सादर शवनमर शरदाजशल अरपात करती ह

ldquoशिनदी सटरrdquo शजसकी सरशकषका िोन का सौभागय मझ परापत ि क ससथापक एव मौडसलगआ लरनग

पराइवट शलशमटड क शनदिक शरी रशव कमार एव उनक सियोशगयो न भाषा स जड़ लोगो क शलए एक रशिक

शवकशसत फ़कया ि जो लखन की अिशदयो को कम करन म सिायक शसद िोगा इस रशिक का यफ़द उशचत ढग

स परयोग फ़कया जाए तो फ़कसी आलख क शलखन स लकर उसक समपादन म जो समय लगता ि उस कम स कम

आधा फ़कया जा सकता ि साथ िी परोजकट परबधन म भी तजी स सधार लाया जा सकता ि पररणामत समय

की बचत क साथ िी साथ िम अपनी शवधा म शवकास लात ि और अतत अपनी आमदनी भी दगनी कर सकत

ि शवसतत जानकारी ित शवशडयो की य कशड़या अतयत लाभदायी शसद िोगी - httpsyoutubeMIk_VyRNzZc

एव httpsyoutube1xXrk4xCWOA

वसधा क परम शितषी पवा सासद राजभाषा की ससदीय सशमशत क पवा उपाधयकष तथा आधर परदि

शिनदी अकादमी क अधयकष पदमभषण शपरय डॉ लकषमी परासाद यालागडडा जी न दि की सवााशधक पराचीन शिनदी

ससथा शजसकी सथापना मिातमा गाधी जी क दवारा वषा १९१८ म चि म हई थी क ितमानोतसव वषा २०१८

क सवापरथम कायाकरम ldquoितमानोतसव वयाखयान शरखलाrdquo का िभारमभ करत हए अपन उदघाटन भाषण म किा फ़क

सभा क दवारा फ़दए गए इस मितवपणा अवसर क शलए व बहत गौरव अनभव करत ि कयोफ़क उनिोन बचपन म

िी सभा की परारशमभक परीकषाए पास की ि शिनदी क शवकास क शलए सभा क परचारको और कायाकतााओ को

समबोशधत करत हए उनि बधाई दी और उनका आहवान करत हए जयिकर परसाद की कशवता lsquoबढ चलो बढ

चलोrsquo का नारा फ़दया और शिनदी को राषटर की एकता और अखणडता क शलए आवशयक बताया इस अवसर पर

उनिोन ldquoराषटरीय आतमशनभारता और शिनदीrdquo शवषय पर अपना शवदवततापणा परथम वयाखयान भी फ़दया

परशतभािाली शिनदी ससकशत कमी कशव उदघोषक पतरकार परकािक शरी उमि मिता भारत स कछ

समय ित टोराणटो पधार और उनिोन न कवल अपना मलयवान समय ठाकर सािब व िमार साथ वयतीत कर

अनक मितवपणा शवषयो पर चचााए की वरन साथ िी अपनी अमलय पसतक उपिारसवरप द िम और भी

कताथा फ़कया उनक सनशिल साशिधय पसतक एव उनकी शववकपणा मीमासा समालोचना ित उनका िारदाक

धनयवाद एव आभार

ससकत और शिनदी की शवदषी मद-भाशषणी शरीमती लशलला िमाा जो भारत सरकार क मिानगर

टलीिोन म शिनदी शवभाग क सिायक शनदिक पद स सवा-शनवतत हई ि आजकल टोराणटो आई हई ि और मरा

यि सौभागय ि फ़क अपन इस आवास-काल म व शनरनतर मर समपका म ि

15 60 2018 3

यि मरा परम सौभागय ि फ़क मर उपनयास ldquoककयी चतना-शिखाrdquo शजस मपर साशितय अकादमी क

अशखल भारतीय वीरससि दव परसकार स सममशनत फ़कया गया ि क चतथा ससकरण का लोकापाण गर-परणामा

क पावन-पनीत फ़दवस पर मरी आदरणीय एव शपरय अममा कणााटक की अममा मा मातशवरी दवी क कर-कमलो

दवारा समपि हआ

अभी-अभी जञात हआ ि फ़क ओजसवी कशव पतरकार परखर वकता नता परधानमतरी जननायक मा

भारती क गणी सपत ओजसवी तजसवी यिसवी वयशकततव क धनी यग-परष आदरणीय एव शपरय भारत-रतन

अटल शबिारी बाजपयी जी िमार बीच निी रि कछ समय स असवसथ चलत उनक िरीर न पणात शवराम ित

अनत िाशत का मागा अपना शलया ि जिा एक ओर उनकी िात हई मौशखक वाणी अब कवल यतरो क माधयम

स गशजत रिकर िम आनफ़दत करती रिगी विी उनकी लखनी दवारा रशचत साशितय सदा-सवादा िमारा एव आग

आन वाली पीफ़ियो का मागादिान करता रिगा आज समशत म उमड़-घमड़ रिा ि सवय की बचकानी िरक़तो

वाला बचपन और अटल जी की सनशिल िालीनता की समशतया दशय-पटल पर उभर आया बचपन का एक दशय

- जब म छोटी-सी थी माननीय शरी लाडली मोिन शनगम शजनि म दादा क समबोधन स समबोशधत करती थी क

आवास पर जो िमार घर क शबलकल सामन िी था उनस छपाकर कयोफ़क िम सब बचच शजसम लाड़ली दादा क

छोट भाई-बिन भी सशममशलत थ लाड़ली दादा स डरत थ अटल जी क कत का शनचला छोर पकड़ उस खीच-

खीच कर म उनस अपनी बात मनवा िी लती थी और व भी खल-खल म िमारी बातो को सिषा सवीकार कर

लत थ बचपन क अपन उनिी शपरय समवदनिील सदभावी अटल जी को अपनी ओर स ठाकर सािब की ओर स

एव समसत वसधा पररवार की ओर स उनिी की कशवता सादर शवनमर शरदाजशल क रप म अरपात करत हए

उनकी ldquoआशधयो म जलाय ि बझत दीयrdquo पशकत स पररणा ल आगामी आन वाली दीपावली पर उनक सदिो का

नव-दीप जला िम उनक पावन-पनीत सािसी पथ पर अगरसर िोत रि दीपावली की इनिी िभकामनाओ

सशित

ससनह सनह ठाकर ldquoठन गई ठन गई मौत स ठन गई

जझन का मरा कोई इरादा न था

मोड़ पर शमलग इसका वादा न था

रासता रोक कर वि खड़ी िो गई

य लगा सज़दगी स बड़ी िो गई

मौत की उमर कया दो पल भी निी

सज़दगी शसलशसला आजकल की निी

म जी भर शजया म मन स मर

लौट कर आऊगा मौत स कय डर

त दब पाव चोरी-शछप स न आ

सामन वार कर फ़िर मझ आज़मा

मौत स बिबर सज़दगी का सफ़र

15 60 2018 4

िाम िर सरमई रात विी का सवर

बात ऐसी निी फ़क कोई गम िी निी

ददा अपन पराए कछ कम भी निी

पयार इतना परायो स मझको शमला

न अपनो स बाकी ि कोई शगला

िर चनौती स दो िाथ मन फ़कय

आशधयो म जलाय ि बझत दीय

आज झकझोरता तज तफ़ान ि

नाव भवरो की बािो म मिमान ि

पार पान का कायम मगर िौसला

दख तफ़ान का तवर तरी तन गई

मौत स ठन गई मौत स ठन गईrdquo

नीरज जी क दो यादगार शचतर - ldquoआज का समाजrdquo व ldquoसचतन क धागो म ककयी ndash सदभा शरीमदवालमीकीय

रामायणrdquo का लोकापाण -

15 60 2018 5

गगा

वसधा पाणडय

(बीए ततीय वषा बनारस शिनद शवशवशवदयालय)

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

गगा की किानी सनो

गगा की ज़बानी सनो -

गोमख स म बिती ह

शिमालय की म बटी ह

ऋशषकि िररदवार बनारस की शपरय सिली ह

तमको कया बतलाऊ म

कब स चलती आई ह म

भोलनाथ की जटा म समाई ह म

दशकषण सागर क भरत पतर मर दिान को आय ि

सगर-पतरो को शराप स भगीरथी न उबारा ि

माता कौसलया क आिीवााद म भी मरा िी सिारा ि -

मा कौसलया न किा सीता स

जब लशग गग जमन जल धारा

अचल रि यिी वाक तमिारा

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

पकारती ि गगा

िड़पपा तो रिा निी पर म आज भी बिती ह

यग-यग स बिती आई ह -

मौयो को मन दखा ि

अिोक चाणकय और चदरगपत क िौयो को मन दखा ि

मगलो स लकर अगरजो तक क जलमो को दखा ि

अपन पतरो को िासी पर चित मन दखा ि

उनक लह को मन अपन अचल म समटा ि

इशतिास को बनत दखा ि

इशतिास को शमटत दखा ि

कर कठोर हदय म फ़िर भी बिती िी चली आई ह -

चलत चलत चलत चलत

15 60 2018 6

सदी इककीस म चली आई ह

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

अब गगा की किानी सनो

वसधा की ज़बानी सनो

मरी गगा मया अब भी गोमख स िी बिती ि

अि जल और वसन

सब कछ वो िम दती ि

बशलया पटना या िो बकसर

बगाल म वि बिती ि

िररदवार ऋशषकि शबिार म आज भी पजी जाती ि

पर कया वि आज भी वसी ि जसी बद न दखी थी

िमारी गगा मया जो कल-कल छल-छल बिती थी

मली िोकर सख चकी ि

मया न तो िमको बस अमत-जल शपलाया ि

िमन मया को कड़-कचर का िर बनाया ि

किा गई वि गगा कािी म जो बिती थी

सगम की वि शनमाल गगा शजस राम न छआ था

कबीर रदास और रामाननद का यि जिा पर िला था

गोमख स गगा-सागर तक िषय-शयामला धरती की माता ि गगा

रठ गई ि मा िमस िम छोड़ कर जा रिी ि

सोचो एक बार तो सोचो कया मा क शबन रि पाओग

गगा अकली निी शमटगी

ससकशत भी शमट जाएगी

कला भगोल साशितय इशतिास सब कछ िी खो जाएगा

शिनद मशसलम शसकख ईसाई क रगो का रग उड़ जाएगा

जब गगा िी शमट जाएगी

राम-कषण शमट जाएग

अिोक शवसमत िो जाएग

शबशसमलला की ििनाई की गज गम िो जाएगी

मगल पाड की िौया गाथाए शमटटी म शमल जाएगी

लकषमी बाई न रि जाएगी

जननी जनमभशम को सवारती ि गगा

15 60 2018 7

गगा कि रिी ि -

lsquolsquoम जा रिी ह

म शसफ़ा lsquoमrsquo निी

म इशतिास ह म भगोल ह म ससकशत ह म ससकार ह

म जा रिी ह

तमन मरी बहत सवा की पजा की

मझ मा किा

पर अब तम बड़ िो गए िो

अब िायद मा भार लग रिी ि

मा जा रिी ि

म तलसीदास का भशकत-परवाि लकर जा रिी ह

म वीरगाथाए लकर जा रिी ह

म जन-जन की आरती लकर जा रिी ह

म परणामा का दीपक लकर जा रिी ह

मर तट क आकाि दवीप म अब मत ढढना अपन परखो का रासता

म आजीशवका लकर जा रिी ह

म जाना निी चािती

पर तमन मजबर फ़कया ि

अत म जा रिी ह

म इशतिास लकर जा रिी ह

म भारत लकर जा रिी हrsquorsquo

इशतिास क पि िट जाएग

भगोल म लपट छा जाएगी

एक भकमप आएगा

कयोफ़क

कराि रिी ि गगा

जा रिी ि गगा

15 60 2018 8

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र

(नीरज जी को शरदाजशल क रप म अरपात ndash समपादक)

राजि बादल

क़रीब सौ साल पिल का सिदसतान उततरपरदि म अलीगि और उसक आसपास अगरजो भारत छोड़ो

क नार सनाई द रि थ चार जनवरी उिीस सौ पचचीस को अलीगि क पड़ोसी शजल इटावा क परावली गाव म

गोपालदास सकसना न पिली बार दशनया को दखा छि बरस क थ तो शपता िमिा क शलए छोड़कर चल गए

तब स शछयानव साल की उमर तक गीतो क राजकमार को अिसोस रिा फ़क शपता की एक तसवीर तक निी थी

उस दौर म िोटो उतरवाना अमीरो का िौक़ था शपता घर चलात या तसवीर उतरवात कया आप उस ददा को

समझ सकत ि फ़क फ़दल फ़दमाग म शपता की छशव दखना चािता ि मगर वो इतनी धधली ि फ़क कछ फ़दखाई

निी दता गरीबी न बचपन की ितया कर दी थी इटावा क बाद एटा म सकली पिाई बालक गोपालदास रोज

कई फ़कलोमीटर पदल चलता शमटटी क घर म कई बार लालटन की रौिनी भी नसीब न िोती ििा जी दया

कर क पाच रपए िर मिीन भजत और पर पररवार का उसम पट भर जाता एक दो रपए गोपालदास भी कमा

लता बचपन क इस ददा का अिसास िद पार कर गया तो भाव और सर बन क जबान स िट पड़ा अचछा

शलखत और मीठा गात मासटर जी कित दखो सिगल गा रिा ि लफ़कन उनिी मासटर जी न एक बार शसिा एक

नबर स िल कर फ़दया गरीबी क कारण िीस माि थी िल िोन पर िीस भरनी पड़ती घर स किा गया

पिाई छोड़ दो गोपालदास पहच मासटर जी क पास बोल नबर बिा दो वरना मरी पिाई छट जाएगी फ़िर तो

मासटर जी न गोपाल की आख खोल दी वो नसीित दी जो आज तक याद ि मासटर जी की शझड़की काम आई

िाई सकल िसटा शडवीज़न म पास फ़कया उमर सतरि बरस नौकरी फ़दलली म खादय शवभाग म टाइशपसट वतन

सड़सठ रपए मिीन चालीस रपए मा को भजत बाकी म अपना खचा कई बार तो भख िी सोना पड़ता

वस नीरज और गीतो का ररशता दस-गयारि बरस की उमर म िी बन गया था इन गीतो की फ़दल को

छ लन वाली मीठी-मीठी धन िटािट तयार कर दना उनक शलए बाए िाथ का काम था पर जब नवी ककषा म

पित थ तो कशवताओ और गीतो स लोगो को सममोशित करन लग थ घर की िालत अचछी निी थी इसशलए

पढाई क बाद िी नौकरी मजबरी बन गई लफ़कन गोरी सरकार को नीरज क गीतो म बगावत की ब आन

लगी सवाशभमानी नीरज न नौकरी का जआ उतार ि का इसक बाद सार दि न नीरज क गीतो की गगा बित

दखी िररविराय बचचन की कशवताओ न कशवता क ससकार डाल नीरज का पिला कशव सममलन था - एटा म

य उिीस सौ इकतालीस की बात ि वो सकल म पित थ अपन ज़मान क चोटी क साशितयकार और कशव

सोिनलाल शदववदी एक कशव सममलन की अधयकषता करन आए थ उिीस सौ बयालीस म फ़दलली क पिाड़गज

म उनि दोबारा मौका शमला पिली िी कशवता पर इरिाद इरिाद क सवर गजन लग वो कशवता नीरज न तीन

बार सनाई और इनाम शमला-पाच रपय कशव सममलन की सदारत कर रि थ अपन ज़मान क जान मान िायर-

शजगर मरादाबादी नीरज न शजगर सािब क पर छए तो उनिोन गल स लगा शलया बोल उमरदराज़ िो इस

लड़क की कया पढता ि जस नगमा गजता ि इसक बाद तो कशव सममलनो म नीरज की धम मच गई उन

फ़दनो उनका नाम था भावक इटावी

15 60 2018 9

इसी दौर म उनका समपका कराशतकाररयो स हआ और वो आजादी क आनदोलन म कद पड़ यमना क

बीिड़ो म कराशतकाररयो क साथ िशथयार चलाना सीखा उिीस सौ बयालीस क अगरजो भारत छोड़ो

आनदोलन क दौरान नीरज जल म डाल फ़दए गए शजला कलकटर न धमकाया-मािी मागोग तो छोड़ फ़दए

जाओग सात सौ नौजवानो म स साि छि सौ न मािी माग ली शजनिोन मािी स इनकार फ़कया उनम नीरज

भी थ ऐस िी एक सममलन म उनि लोकशपरय िायर ििीज़ जालधरी न सना ििीज़ सािब अगरजी हकमत की

नौकरी बजा रि थ और सरकारी नीशतयो का परचार करत थ उनि लगा नीरज का अदाज़ लोगो तक सदि

पहचान का ज़ररया बन जाएगा उनिोन नीरज को नौकरी का नयौता भजा पगार एक सौ बीस रपए तय की

गई पसा तो अचछा था लफ़कन वो नीरज का सोच निी खरीद पाए और नीरज न नौकरी को लात मार दी वो

शवदरोि गा रि थ नीरज भागकर कानपर आ गए एक शनजी कमपनी म नौकरी शमली और साथ म पढाई की

छट भी बारिवी पास की इसी दरमयान दि आज़ाद िो गया नीरज को सरकारी नौकरी शमल गई मगर वो

िरान थ सरकारी मिकमो म भरषटाचार दखकर आशखरकार १९५६ म उनिोन य नौकरी भी छोड़ दी कानपर म

शबताए फ़दन नीरज की शज़नदगी का िानदार दौर ि कानपर की याद म उनिोन शलखा -

कानपर आि आज तरी याद आई

कछ और मरी रात हई जाती ि

आख पिल भी बहत रोई थी तर शलए

अब लगता ि फ़क बरसात हई जाती ि

कानपर आज दख जो त अपन बट को

अपन नीरज की जगि लाि उसकी पाएगा

ससता इतना यिा मन खद को बचा ि

मझको मिशलस भी खरीद तो सिम जाएगा

नीरज क गीत इन फ़दनो पर दि म लोगो पर जाद कर रि थ पर उनकी आमदनी स फ़कसी तरि

पररवार का पट पल रिा था पस की तगी स जझत 1954 म उनिोन अपना कोशिनर गीत रचा यि गीत

उनिोन रशडयो पर सनाया था यि गीत था - कारवा गज़र गया गबार दखत रि इस गीत न धम मचा दी

गली-गली म यि लोगो की ज़बान पर था गीत फ़िलमशनमााता चदरिखर को ऐसा भाया फ़क उनिोन इस क दर म

म रखकर फ़िलम नई उमर की नई िसल बना डाली फ़िलम क बाकी गीत भी शजजा की कलम स िी शनकल थ

सार क सार शित और फ़दल को छन वाल इसी गीत न उनकी नौकरी भी अलीगि कॉलज म लगाई तभी स

नीरज अलीगि क और अलीगि उनका िो गया आलम यि था फ़क नीरज को फ़फ़लमी दशनया स बार-बार बलावा

आन लगा नीरज मायानगरी की चकाचौध स दर रिना चाित थ लफ़कन ममबई उनक सवागत म पलक शबछाए

थी मायानगरी म करोड़ो लोग कामयाबी का सपना पालत ि और सारी उमर सघषा करत रित ि वासतव म

फ़फ़लमी दशनया क लोगो स नीरज का वासता तो उिीस सौ शतरपन म िी िो गया था राजकपर क शपता

मगलआज़म पथवीराजकपर अपनी नाटक कमपनी क साथ कानपर आए थ

नीरज क नाम स तब भी लोग कशव सममलनो म उमड़त थ पथवीराज कपर न तीन घट नीरज को सना

और फ़फ़लमो म आन की दावत दी नीरज न उस िसी म उड़ा फ़दया उन फ़दनो वो बलफ़दयो पर थ फ़िलमो -

15 60 2018 10

इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

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उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

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आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

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भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

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मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

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ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

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सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

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छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

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lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

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अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

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दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

अतहीन

पदमशरी डॉ शयाम स ह शशश

अत -

एक शिराट शिशवदशशन का

अत -

ददककाली दररयो का

अत -

अह क शपराशमडो का

अत -

भगोल क इशतहा का

अत -

इशतहा क इशतहा का

अत -

एटमी शिनाश का

अत -

दक ी अनत का

अत -

अत क अत का

ोचता ह -

कया चमच कोई अत होता ह

15 60 2018 1

डॉ (पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

समपादकीय २ गगा वसधा पाणडय ५

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र राजि बादल ८

मिाकशव नीरज सिील िमाा १५

शिनदी और िम उमि मिता १६

फ़दल म बसाओ लशलता िमाा १८

शिनदी क ितर

सतता समपशतत और ससथाए डॉ परभाकर माचव २०

भागभरी कमल कपर २४

कया ज़ररत ि सिारो की डॉ अलका गोयल २६

कछ सपनो क मर जान स

जीव निी मरा करता ि सदीप सजन २७

छटटी ओम परकाि शमशर २९

आज फ़िर स डॉ िररवि राय बचचन ३३

ितर म ि भारत की सासकशतक

अखणडता और शवरासत डॉ अपाण जन lsquoअशवचलrsquo ३४

शिनदी पर मकतक मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo ३६

कोख डॉ समशत दब ३७

दो पर सशमतरा कजरीवाल ४१

नीरज क कावय म मानववाद शगररराज िरण अगरवाल ४२

फ़दल कोमल िोता ि ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo ४४

अतिीन पदमशरी डॉ शयाम ससि lsquoिशिrsquo १ अ

डॉ सनि ठाकर का रचना ससार ४४ अ

16 Revlis Crescent Toronto Ontario M1V-1E9 Canada TEL 416-291-9534

Annual subscription$2500

By Mail $3500 International Mail $4000

Website httpwwwVasudha1webscom kavitakoshorgvasudhapatrika

e-mail drsnehthakoregmailcom

15 60 2018 2

कारवा गज़र गया गबार दखत रि ndash नीरज जी का पारथाव िरीर िमार बीच निी रिा पर वो अपन

कावय दवारा सदव िी िमार मधय म रिग िमारी हदय-तशतरयो को व अपन गीतो स सदा िी झकत करत रिग

इसम सदि की तशनक भी गजाइि निी ि भारत म उनस शमलन उनको सनन का सौभागय तो परापत हआ िी

था पर मर आनद का तब रठकाना न रिा जब अपन इस कनडा आवास म भी दो बार टोराटो म उनक

साशिदधधय का सौभागय परापत हआ और तो और यि मरी बहत बड़ी खि-फ़कसमती ि फ़क सन २०१२ म उनिोन

मरी २ पसतक ldquoआज का समाजrdquo व ldquoसचतन क धागो म ककयी ndash सदभा शरीमदवालमीकीय रामायणrdquo का

लोकापाण भी फ़कया

ईशवर स पराथाना ि फ़क व डॉ गोपालदास नीरज जी की आतमा को िाशत परदान कर एव िम सब जीवन-

पयत उनक कावय का जिा एक ओर आनद उठाए रसासवादन कर विी उसस शिकषा भी परापत करत रि

मिाकशव गीतकार पदम भषण शवभशषत नीरज जी को ठाकर सािब व मरी ओर स एव समसत वसधा पररवार

की ओर स सादर शवनमर शरदाजशल अरपात करती ह

ldquoशिनदी सटरrdquo शजसकी सरशकषका िोन का सौभागय मझ परापत ि क ससथापक एव मौडसलगआ लरनग

पराइवट शलशमटड क शनदिक शरी रशव कमार एव उनक सियोशगयो न भाषा स जड़ लोगो क शलए एक रशिक

शवकशसत फ़कया ि जो लखन की अिशदयो को कम करन म सिायक शसद िोगा इस रशिक का यफ़द उशचत ढग

स परयोग फ़कया जाए तो फ़कसी आलख क शलखन स लकर उसक समपादन म जो समय लगता ि उस कम स कम

आधा फ़कया जा सकता ि साथ िी परोजकट परबधन म भी तजी स सधार लाया जा सकता ि पररणामत समय

की बचत क साथ िी साथ िम अपनी शवधा म शवकास लात ि और अतत अपनी आमदनी भी दगनी कर सकत

ि शवसतत जानकारी ित शवशडयो की य कशड़या अतयत लाभदायी शसद िोगी - httpsyoutubeMIk_VyRNzZc

एव httpsyoutube1xXrk4xCWOA

वसधा क परम शितषी पवा सासद राजभाषा की ससदीय सशमशत क पवा उपाधयकष तथा आधर परदि

शिनदी अकादमी क अधयकष पदमभषण शपरय डॉ लकषमी परासाद यालागडडा जी न दि की सवााशधक पराचीन शिनदी

ससथा शजसकी सथापना मिातमा गाधी जी क दवारा वषा १९१८ म चि म हई थी क ितमानोतसव वषा २०१८

क सवापरथम कायाकरम ldquoितमानोतसव वयाखयान शरखलाrdquo का िभारमभ करत हए अपन उदघाटन भाषण म किा फ़क

सभा क दवारा फ़दए गए इस मितवपणा अवसर क शलए व बहत गौरव अनभव करत ि कयोफ़क उनिोन बचपन म

िी सभा की परारशमभक परीकषाए पास की ि शिनदी क शवकास क शलए सभा क परचारको और कायाकतााओ को

समबोशधत करत हए उनि बधाई दी और उनका आहवान करत हए जयिकर परसाद की कशवता lsquoबढ चलो बढ

चलोrsquo का नारा फ़दया और शिनदी को राषटर की एकता और अखणडता क शलए आवशयक बताया इस अवसर पर

उनिोन ldquoराषटरीय आतमशनभारता और शिनदीrdquo शवषय पर अपना शवदवततापणा परथम वयाखयान भी फ़दया

परशतभािाली शिनदी ससकशत कमी कशव उदघोषक पतरकार परकािक शरी उमि मिता भारत स कछ

समय ित टोराणटो पधार और उनिोन न कवल अपना मलयवान समय ठाकर सािब व िमार साथ वयतीत कर

अनक मितवपणा शवषयो पर चचााए की वरन साथ िी अपनी अमलय पसतक उपिारसवरप द िम और भी

कताथा फ़कया उनक सनशिल साशिधय पसतक एव उनकी शववकपणा मीमासा समालोचना ित उनका िारदाक

धनयवाद एव आभार

ससकत और शिनदी की शवदषी मद-भाशषणी शरीमती लशलला िमाा जो भारत सरकार क मिानगर

टलीिोन म शिनदी शवभाग क सिायक शनदिक पद स सवा-शनवतत हई ि आजकल टोराणटो आई हई ि और मरा

यि सौभागय ि फ़क अपन इस आवास-काल म व शनरनतर मर समपका म ि

15 60 2018 3

यि मरा परम सौभागय ि फ़क मर उपनयास ldquoककयी चतना-शिखाrdquo शजस मपर साशितय अकादमी क

अशखल भारतीय वीरससि दव परसकार स सममशनत फ़कया गया ि क चतथा ससकरण का लोकापाण गर-परणामा

क पावन-पनीत फ़दवस पर मरी आदरणीय एव शपरय अममा कणााटक की अममा मा मातशवरी दवी क कर-कमलो

दवारा समपि हआ

अभी-अभी जञात हआ ि फ़क ओजसवी कशव पतरकार परखर वकता नता परधानमतरी जननायक मा

भारती क गणी सपत ओजसवी तजसवी यिसवी वयशकततव क धनी यग-परष आदरणीय एव शपरय भारत-रतन

अटल शबिारी बाजपयी जी िमार बीच निी रि कछ समय स असवसथ चलत उनक िरीर न पणात शवराम ित

अनत िाशत का मागा अपना शलया ि जिा एक ओर उनकी िात हई मौशखक वाणी अब कवल यतरो क माधयम

स गशजत रिकर िम आनफ़दत करती रिगी विी उनकी लखनी दवारा रशचत साशितय सदा-सवादा िमारा एव आग

आन वाली पीफ़ियो का मागादिान करता रिगा आज समशत म उमड़-घमड़ रिा ि सवय की बचकानी िरक़तो

वाला बचपन और अटल जी की सनशिल िालीनता की समशतया दशय-पटल पर उभर आया बचपन का एक दशय

- जब म छोटी-सी थी माननीय शरी लाडली मोिन शनगम शजनि म दादा क समबोधन स समबोशधत करती थी क

आवास पर जो िमार घर क शबलकल सामन िी था उनस छपाकर कयोफ़क िम सब बचच शजसम लाड़ली दादा क

छोट भाई-बिन भी सशममशलत थ लाड़ली दादा स डरत थ अटल जी क कत का शनचला छोर पकड़ उस खीच-

खीच कर म उनस अपनी बात मनवा िी लती थी और व भी खल-खल म िमारी बातो को सिषा सवीकार कर

लत थ बचपन क अपन उनिी शपरय समवदनिील सदभावी अटल जी को अपनी ओर स ठाकर सािब की ओर स

एव समसत वसधा पररवार की ओर स उनिी की कशवता सादर शवनमर शरदाजशल क रप म अरपात करत हए

उनकी ldquoआशधयो म जलाय ि बझत दीयrdquo पशकत स पररणा ल आगामी आन वाली दीपावली पर उनक सदिो का

नव-दीप जला िम उनक पावन-पनीत सािसी पथ पर अगरसर िोत रि दीपावली की इनिी िभकामनाओ

सशित

ससनह सनह ठाकर ldquoठन गई ठन गई मौत स ठन गई

जझन का मरा कोई इरादा न था

मोड़ पर शमलग इसका वादा न था

रासता रोक कर वि खड़ी िो गई

य लगा सज़दगी स बड़ी िो गई

मौत की उमर कया दो पल भी निी

सज़दगी शसलशसला आजकल की निी

म जी भर शजया म मन स मर

लौट कर आऊगा मौत स कय डर

त दब पाव चोरी-शछप स न आ

सामन वार कर फ़िर मझ आज़मा

मौत स बिबर सज़दगी का सफ़र

15 60 2018 4

िाम िर सरमई रात विी का सवर

बात ऐसी निी फ़क कोई गम िी निी

ददा अपन पराए कछ कम भी निी

पयार इतना परायो स मझको शमला

न अपनो स बाकी ि कोई शगला

िर चनौती स दो िाथ मन फ़कय

आशधयो म जलाय ि बझत दीय

आज झकझोरता तज तफ़ान ि

नाव भवरो की बािो म मिमान ि

पार पान का कायम मगर िौसला

दख तफ़ान का तवर तरी तन गई

मौत स ठन गई मौत स ठन गईrdquo

नीरज जी क दो यादगार शचतर - ldquoआज का समाजrdquo व ldquoसचतन क धागो म ककयी ndash सदभा शरीमदवालमीकीय

रामायणrdquo का लोकापाण -

15 60 2018 5

गगा

वसधा पाणडय

(बीए ततीय वषा बनारस शिनद शवशवशवदयालय)

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

गगा की किानी सनो

गगा की ज़बानी सनो -

गोमख स म बिती ह

शिमालय की म बटी ह

ऋशषकि िररदवार बनारस की शपरय सिली ह

तमको कया बतलाऊ म

कब स चलती आई ह म

भोलनाथ की जटा म समाई ह म

दशकषण सागर क भरत पतर मर दिान को आय ि

सगर-पतरो को शराप स भगीरथी न उबारा ि

माता कौसलया क आिीवााद म भी मरा िी सिारा ि -

मा कौसलया न किा सीता स

जब लशग गग जमन जल धारा

अचल रि यिी वाक तमिारा

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

पकारती ि गगा

िड़पपा तो रिा निी पर म आज भी बिती ह

यग-यग स बिती आई ह -

मौयो को मन दखा ि

अिोक चाणकय और चदरगपत क िौयो को मन दखा ि

मगलो स लकर अगरजो तक क जलमो को दखा ि

अपन पतरो को िासी पर चित मन दखा ि

उनक लह को मन अपन अचल म समटा ि

इशतिास को बनत दखा ि

इशतिास को शमटत दखा ि

कर कठोर हदय म फ़िर भी बिती िी चली आई ह -

चलत चलत चलत चलत

15 60 2018 6

सदी इककीस म चली आई ह

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

अब गगा की किानी सनो

वसधा की ज़बानी सनो

मरी गगा मया अब भी गोमख स िी बिती ि

अि जल और वसन

सब कछ वो िम दती ि

बशलया पटना या िो बकसर

बगाल म वि बिती ि

िररदवार ऋशषकि शबिार म आज भी पजी जाती ि

पर कया वि आज भी वसी ि जसी बद न दखी थी

िमारी गगा मया जो कल-कल छल-छल बिती थी

मली िोकर सख चकी ि

मया न तो िमको बस अमत-जल शपलाया ि

िमन मया को कड़-कचर का िर बनाया ि

किा गई वि गगा कािी म जो बिती थी

सगम की वि शनमाल गगा शजस राम न छआ था

कबीर रदास और रामाननद का यि जिा पर िला था

गोमख स गगा-सागर तक िषय-शयामला धरती की माता ि गगा

रठ गई ि मा िमस िम छोड़ कर जा रिी ि

सोचो एक बार तो सोचो कया मा क शबन रि पाओग

गगा अकली निी शमटगी

ससकशत भी शमट जाएगी

कला भगोल साशितय इशतिास सब कछ िी खो जाएगा

शिनद मशसलम शसकख ईसाई क रगो का रग उड़ जाएगा

जब गगा िी शमट जाएगी

राम-कषण शमट जाएग

अिोक शवसमत िो जाएग

शबशसमलला की ििनाई की गज गम िो जाएगी

मगल पाड की िौया गाथाए शमटटी म शमल जाएगी

लकषमी बाई न रि जाएगी

जननी जनमभशम को सवारती ि गगा

15 60 2018 7

गगा कि रिी ि -

lsquolsquoम जा रिी ह

म शसफ़ा lsquoमrsquo निी

म इशतिास ह म भगोल ह म ससकशत ह म ससकार ह

म जा रिी ह

तमन मरी बहत सवा की पजा की

मझ मा किा

पर अब तम बड़ िो गए िो

अब िायद मा भार लग रिी ि

मा जा रिी ि

म तलसीदास का भशकत-परवाि लकर जा रिी ह

म वीरगाथाए लकर जा रिी ह

म जन-जन की आरती लकर जा रिी ह

म परणामा का दीपक लकर जा रिी ह

मर तट क आकाि दवीप म अब मत ढढना अपन परखो का रासता

म आजीशवका लकर जा रिी ह

म जाना निी चािती

पर तमन मजबर फ़कया ि

अत म जा रिी ह

म इशतिास लकर जा रिी ह

म भारत लकर जा रिी हrsquorsquo

इशतिास क पि िट जाएग

भगोल म लपट छा जाएगी

एक भकमप आएगा

कयोफ़क

कराि रिी ि गगा

जा रिी ि गगा

15 60 2018 8

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र

(नीरज जी को शरदाजशल क रप म अरपात ndash समपादक)

राजि बादल

क़रीब सौ साल पिल का सिदसतान उततरपरदि म अलीगि और उसक आसपास अगरजो भारत छोड़ो

क नार सनाई द रि थ चार जनवरी उिीस सौ पचचीस को अलीगि क पड़ोसी शजल इटावा क परावली गाव म

गोपालदास सकसना न पिली बार दशनया को दखा छि बरस क थ तो शपता िमिा क शलए छोड़कर चल गए

तब स शछयानव साल की उमर तक गीतो क राजकमार को अिसोस रिा फ़क शपता की एक तसवीर तक निी थी

उस दौर म िोटो उतरवाना अमीरो का िौक़ था शपता घर चलात या तसवीर उतरवात कया आप उस ददा को

समझ सकत ि फ़क फ़दल फ़दमाग म शपता की छशव दखना चािता ि मगर वो इतनी धधली ि फ़क कछ फ़दखाई

निी दता गरीबी न बचपन की ितया कर दी थी इटावा क बाद एटा म सकली पिाई बालक गोपालदास रोज

कई फ़कलोमीटर पदल चलता शमटटी क घर म कई बार लालटन की रौिनी भी नसीब न िोती ििा जी दया

कर क पाच रपए िर मिीन भजत और पर पररवार का उसम पट भर जाता एक दो रपए गोपालदास भी कमा

लता बचपन क इस ददा का अिसास िद पार कर गया तो भाव और सर बन क जबान स िट पड़ा अचछा

शलखत और मीठा गात मासटर जी कित दखो सिगल गा रिा ि लफ़कन उनिी मासटर जी न एक बार शसिा एक

नबर स िल कर फ़दया गरीबी क कारण िीस माि थी िल िोन पर िीस भरनी पड़ती घर स किा गया

पिाई छोड़ दो गोपालदास पहच मासटर जी क पास बोल नबर बिा दो वरना मरी पिाई छट जाएगी फ़िर तो

मासटर जी न गोपाल की आख खोल दी वो नसीित दी जो आज तक याद ि मासटर जी की शझड़की काम आई

िाई सकल िसटा शडवीज़न म पास फ़कया उमर सतरि बरस नौकरी फ़दलली म खादय शवभाग म टाइशपसट वतन

सड़सठ रपए मिीन चालीस रपए मा को भजत बाकी म अपना खचा कई बार तो भख िी सोना पड़ता

वस नीरज और गीतो का ररशता दस-गयारि बरस की उमर म िी बन गया था इन गीतो की फ़दल को

छ लन वाली मीठी-मीठी धन िटािट तयार कर दना उनक शलए बाए िाथ का काम था पर जब नवी ककषा म

पित थ तो कशवताओ और गीतो स लोगो को सममोशित करन लग थ घर की िालत अचछी निी थी इसशलए

पढाई क बाद िी नौकरी मजबरी बन गई लफ़कन गोरी सरकार को नीरज क गीतो म बगावत की ब आन

लगी सवाशभमानी नीरज न नौकरी का जआ उतार ि का इसक बाद सार दि न नीरज क गीतो की गगा बित

दखी िररविराय बचचन की कशवताओ न कशवता क ससकार डाल नीरज का पिला कशव सममलन था - एटा म

य उिीस सौ इकतालीस की बात ि वो सकल म पित थ अपन ज़मान क चोटी क साशितयकार और कशव

सोिनलाल शदववदी एक कशव सममलन की अधयकषता करन आए थ उिीस सौ बयालीस म फ़दलली क पिाड़गज

म उनि दोबारा मौका शमला पिली िी कशवता पर इरिाद इरिाद क सवर गजन लग वो कशवता नीरज न तीन

बार सनाई और इनाम शमला-पाच रपय कशव सममलन की सदारत कर रि थ अपन ज़मान क जान मान िायर-

शजगर मरादाबादी नीरज न शजगर सािब क पर छए तो उनिोन गल स लगा शलया बोल उमरदराज़ िो इस

लड़क की कया पढता ि जस नगमा गजता ि इसक बाद तो कशव सममलनो म नीरज की धम मच गई उन

फ़दनो उनका नाम था भावक इटावी

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इसी दौर म उनका समपका कराशतकाररयो स हआ और वो आजादी क आनदोलन म कद पड़ यमना क

बीिड़ो म कराशतकाररयो क साथ िशथयार चलाना सीखा उिीस सौ बयालीस क अगरजो भारत छोड़ो

आनदोलन क दौरान नीरज जल म डाल फ़दए गए शजला कलकटर न धमकाया-मािी मागोग तो छोड़ फ़दए

जाओग सात सौ नौजवानो म स साि छि सौ न मािी माग ली शजनिोन मािी स इनकार फ़कया उनम नीरज

भी थ ऐस िी एक सममलन म उनि लोकशपरय िायर ििीज़ जालधरी न सना ििीज़ सािब अगरजी हकमत की

नौकरी बजा रि थ और सरकारी नीशतयो का परचार करत थ उनि लगा नीरज का अदाज़ लोगो तक सदि

पहचान का ज़ररया बन जाएगा उनिोन नीरज को नौकरी का नयौता भजा पगार एक सौ बीस रपए तय की

गई पसा तो अचछा था लफ़कन वो नीरज का सोच निी खरीद पाए और नीरज न नौकरी को लात मार दी वो

शवदरोि गा रि थ नीरज भागकर कानपर आ गए एक शनजी कमपनी म नौकरी शमली और साथ म पढाई की

छट भी बारिवी पास की इसी दरमयान दि आज़ाद िो गया नीरज को सरकारी नौकरी शमल गई मगर वो

िरान थ सरकारी मिकमो म भरषटाचार दखकर आशखरकार १९५६ म उनिोन य नौकरी भी छोड़ दी कानपर म

शबताए फ़दन नीरज की शज़नदगी का िानदार दौर ि कानपर की याद म उनिोन शलखा -

कानपर आि आज तरी याद आई

कछ और मरी रात हई जाती ि

आख पिल भी बहत रोई थी तर शलए

अब लगता ि फ़क बरसात हई जाती ि

कानपर आज दख जो त अपन बट को

अपन नीरज की जगि लाि उसकी पाएगा

ससता इतना यिा मन खद को बचा ि

मझको मिशलस भी खरीद तो सिम जाएगा

नीरज क गीत इन फ़दनो पर दि म लोगो पर जाद कर रि थ पर उनकी आमदनी स फ़कसी तरि

पररवार का पट पल रिा था पस की तगी स जझत 1954 म उनिोन अपना कोशिनर गीत रचा यि गीत

उनिोन रशडयो पर सनाया था यि गीत था - कारवा गज़र गया गबार दखत रि इस गीत न धम मचा दी

गली-गली म यि लोगो की ज़बान पर था गीत फ़िलमशनमााता चदरिखर को ऐसा भाया फ़क उनिोन इस क दर म

म रखकर फ़िलम नई उमर की नई िसल बना डाली फ़िलम क बाकी गीत भी शजजा की कलम स िी शनकल थ

सार क सार शित और फ़दल को छन वाल इसी गीत न उनकी नौकरी भी अलीगि कॉलज म लगाई तभी स

नीरज अलीगि क और अलीगि उनका िो गया आलम यि था फ़क नीरज को फ़फ़लमी दशनया स बार-बार बलावा

आन लगा नीरज मायानगरी की चकाचौध स दर रिना चाित थ लफ़कन ममबई उनक सवागत म पलक शबछाए

थी मायानगरी म करोड़ो लोग कामयाबी का सपना पालत ि और सारी उमर सघषा करत रित ि वासतव म

फ़फ़लमी दशनया क लोगो स नीरज का वासता तो उिीस सौ शतरपन म िी िो गया था राजकपर क शपता

मगलआज़म पथवीराजकपर अपनी नाटक कमपनी क साथ कानपर आए थ

नीरज क नाम स तब भी लोग कशव सममलनो म उमड़त थ पथवीराज कपर न तीन घट नीरज को सना

और फ़फ़लमो म आन की दावत दी नीरज न उस िसी म उड़ा फ़दया उन फ़दनो वो बलफ़दयो पर थ फ़िलमो -

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इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

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उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

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आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

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भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

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पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

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मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

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शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

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फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

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१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

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नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 1

डॉ (पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

समपादकीय २ गगा वसधा पाणडय ५

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र राजि बादल ८

मिाकशव नीरज सिील िमाा १५

शिनदी और िम उमि मिता १६

फ़दल म बसाओ लशलता िमाा १८

शिनदी क ितर

सतता समपशतत और ससथाए डॉ परभाकर माचव २०

भागभरी कमल कपर २४

कया ज़ररत ि सिारो की डॉ अलका गोयल २६

कछ सपनो क मर जान स

जीव निी मरा करता ि सदीप सजन २७

छटटी ओम परकाि शमशर २९

आज फ़िर स डॉ िररवि राय बचचन ३३

ितर म ि भारत की सासकशतक

अखणडता और शवरासत डॉ अपाण जन lsquoअशवचलrsquo ३४

शिनदी पर मकतक मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo ३६

कोख डॉ समशत दब ३७

दो पर सशमतरा कजरीवाल ४१

नीरज क कावय म मानववाद शगररराज िरण अगरवाल ४२

फ़दल कोमल िोता ि ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo ४४

अतिीन पदमशरी डॉ शयाम ससि lsquoिशिrsquo १ अ

डॉ सनि ठाकर का रचना ससार ४४ अ

16 Revlis Crescent Toronto Ontario M1V-1E9 Canada TEL 416-291-9534

Annual subscription$2500

By Mail $3500 International Mail $4000

Website httpwwwVasudha1webscom kavitakoshorgvasudhapatrika

e-mail drsnehthakoregmailcom

15 60 2018 2

कारवा गज़र गया गबार दखत रि ndash नीरज जी का पारथाव िरीर िमार बीच निी रिा पर वो अपन

कावय दवारा सदव िी िमार मधय म रिग िमारी हदय-तशतरयो को व अपन गीतो स सदा िी झकत करत रिग

इसम सदि की तशनक भी गजाइि निी ि भारत म उनस शमलन उनको सनन का सौभागय तो परापत हआ िी

था पर मर आनद का तब रठकाना न रिा जब अपन इस कनडा आवास म भी दो बार टोराटो म उनक

साशिदधधय का सौभागय परापत हआ और तो और यि मरी बहत बड़ी खि-फ़कसमती ि फ़क सन २०१२ म उनिोन

मरी २ पसतक ldquoआज का समाजrdquo व ldquoसचतन क धागो म ककयी ndash सदभा शरीमदवालमीकीय रामायणrdquo का

लोकापाण भी फ़कया

ईशवर स पराथाना ि फ़क व डॉ गोपालदास नीरज जी की आतमा को िाशत परदान कर एव िम सब जीवन-

पयत उनक कावय का जिा एक ओर आनद उठाए रसासवादन कर विी उसस शिकषा भी परापत करत रि

मिाकशव गीतकार पदम भषण शवभशषत नीरज जी को ठाकर सािब व मरी ओर स एव समसत वसधा पररवार

की ओर स सादर शवनमर शरदाजशल अरपात करती ह

ldquoशिनदी सटरrdquo शजसकी सरशकषका िोन का सौभागय मझ परापत ि क ससथापक एव मौडसलगआ लरनग

पराइवट शलशमटड क शनदिक शरी रशव कमार एव उनक सियोशगयो न भाषा स जड़ लोगो क शलए एक रशिक

शवकशसत फ़कया ि जो लखन की अिशदयो को कम करन म सिायक शसद िोगा इस रशिक का यफ़द उशचत ढग

स परयोग फ़कया जाए तो फ़कसी आलख क शलखन स लकर उसक समपादन म जो समय लगता ि उस कम स कम

आधा फ़कया जा सकता ि साथ िी परोजकट परबधन म भी तजी स सधार लाया जा सकता ि पररणामत समय

की बचत क साथ िी साथ िम अपनी शवधा म शवकास लात ि और अतत अपनी आमदनी भी दगनी कर सकत

ि शवसतत जानकारी ित शवशडयो की य कशड़या अतयत लाभदायी शसद िोगी - httpsyoutubeMIk_VyRNzZc

एव httpsyoutube1xXrk4xCWOA

वसधा क परम शितषी पवा सासद राजभाषा की ससदीय सशमशत क पवा उपाधयकष तथा आधर परदि

शिनदी अकादमी क अधयकष पदमभषण शपरय डॉ लकषमी परासाद यालागडडा जी न दि की सवााशधक पराचीन शिनदी

ससथा शजसकी सथापना मिातमा गाधी जी क दवारा वषा १९१८ म चि म हई थी क ितमानोतसव वषा २०१८

क सवापरथम कायाकरम ldquoितमानोतसव वयाखयान शरखलाrdquo का िभारमभ करत हए अपन उदघाटन भाषण म किा फ़क

सभा क दवारा फ़दए गए इस मितवपणा अवसर क शलए व बहत गौरव अनभव करत ि कयोफ़क उनिोन बचपन म

िी सभा की परारशमभक परीकषाए पास की ि शिनदी क शवकास क शलए सभा क परचारको और कायाकतााओ को

समबोशधत करत हए उनि बधाई दी और उनका आहवान करत हए जयिकर परसाद की कशवता lsquoबढ चलो बढ

चलोrsquo का नारा फ़दया और शिनदी को राषटर की एकता और अखणडता क शलए आवशयक बताया इस अवसर पर

उनिोन ldquoराषटरीय आतमशनभारता और शिनदीrdquo शवषय पर अपना शवदवततापणा परथम वयाखयान भी फ़दया

परशतभािाली शिनदी ससकशत कमी कशव उदघोषक पतरकार परकािक शरी उमि मिता भारत स कछ

समय ित टोराणटो पधार और उनिोन न कवल अपना मलयवान समय ठाकर सािब व िमार साथ वयतीत कर

अनक मितवपणा शवषयो पर चचााए की वरन साथ िी अपनी अमलय पसतक उपिारसवरप द िम और भी

कताथा फ़कया उनक सनशिल साशिधय पसतक एव उनकी शववकपणा मीमासा समालोचना ित उनका िारदाक

धनयवाद एव आभार

ससकत और शिनदी की शवदषी मद-भाशषणी शरीमती लशलला िमाा जो भारत सरकार क मिानगर

टलीिोन म शिनदी शवभाग क सिायक शनदिक पद स सवा-शनवतत हई ि आजकल टोराणटो आई हई ि और मरा

यि सौभागय ि फ़क अपन इस आवास-काल म व शनरनतर मर समपका म ि

15 60 2018 3

यि मरा परम सौभागय ि फ़क मर उपनयास ldquoककयी चतना-शिखाrdquo शजस मपर साशितय अकादमी क

अशखल भारतीय वीरससि दव परसकार स सममशनत फ़कया गया ि क चतथा ससकरण का लोकापाण गर-परणामा

क पावन-पनीत फ़दवस पर मरी आदरणीय एव शपरय अममा कणााटक की अममा मा मातशवरी दवी क कर-कमलो

दवारा समपि हआ

अभी-अभी जञात हआ ि फ़क ओजसवी कशव पतरकार परखर वकता नता परधानमतरी जननायक मा

भारती क गणी सपत ओजसवी तजसवी यिसवी वयशकततव क धनी यग-परष आदरणीय एव शपरय भारत-रतन

अटल शबिारी बाजपयी जी िमार बीच निी रि कछ समय स असवसथ चलत उनक िरीर न पणात शवराम ित

अनत िाशत का मागा अपना शलया ि जिा एक ओर उनकी िात हई मौशखक वाणी अब कवल यतरो क माधयम

स गशजत रिकर िम आनफ़दत करती रिगी विी उनकी लखनी दवारा रशचत साशितय सदा-सवादा िमारा एव आग

आन वाली पीफ़ियो का मागादिान करता रिगा आज समशत म उमड़-घमड़ रिा ि सवय की बचकानी िरक़तो

वाला बचपन और अटल जी की सनशिल िालीनता की समशतया दशय-पटल पर उभर आया बचपन का एक दशय

- जब म छोटी-सी थी माननीय शरी लाडली मोिन शनगम शजनि म दादा क समबोधन स समबोशधत करती थी क

आवास पर जो िमार घर क शबलकल सामन िी था उनस छपाकर कयोफ़क िम सब बचच शजसम लाड़ली दादा क

छोट भाई-बिन भी सशममशलत थ लाड़ली दादा स डरत थ अटल जी क कत का शनचला छोर पकड़ उस खीच-

खीच कर म उनस अपनी बात मनवा िी लती थी और व भी खल-खल म िमारी बातो को सिषा सवीकार कर

लत थ बचपन क अपन उनिी शपरय समवदनिील सदभावी अटल जी को अपनी ओर स ठाकर सािब की ओर स

एव समसत वसधा पररवार की ओर स उनिी की कशवता सादर शवनमर शरदाजशल क रप म अरपात करत हए

उनकी ldquoआशधयो म जलाय ि बझत दीयrdquo पशकत स पररणा ल आगामी आन वाली दीपावली पर उनक सदिो का

नव-दीप जला िम उनक पावन-पनीत सािसी पथ पर अगरसर िोत रि दीपावली की इनिी िभकामनाओ

सशित

ससनह सनह ठाकर ldquoठन गई ठन गई मौत स ठन गई

जझन का मरा कोई इरादा न था

मोड़ पर शमलग इसका वादा न था

रासता रोक कर वि खड़ी िो गई

य लगा सज़दगी स बड़ी िो गई

मौत की उमर कया दो पल भी निी

सज़दगी शसलशसला आजकल की निी

म जी भर शजया म मन स मर

लौट कर आऊगा मौत स कय डर

त दब पाव चोरी-शछप स न आ

सामन वार कर फ़िर मझ आज़मा

मौत स बिबर सज़दगी का सफ़र

15 60 2018 4

िाम िर सरमई रात विी का सवर

बात ऐसी निी फ़क कोई गम िी निी

ददा अपन पराए कछ कम भी निी

पयार इतना परायो स मझको शमला

न अपनो स बाकी ि कोई शगला

िर चनौती स दो िाथ मन फ़कय

आशधयो म जलाय ि बझत दीय

आज झकझोरता तज तफ़ान ि

नाव भवरो की बािो म मिमान ि

पार पान का कायम मगर िौसला

दख तफ़ान का तवर तरी तन गई

मौत स ठन गई मौत स ठन गईrdquo

नीरज जी क दो यादगार शचतर - ldquoआज का समाजrdquo व ldquoसचतन क धागो म ककयी ndash सदभा शरीमदवालमीकीय

रामायणrdquo का लोकापाण -

15 60 2018 5

गगा

वसधा पाणडय

(बीए ततीय वषा बनारस शिनद शवशवशवदयालय)

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

गगा की किानी सनो

गगा की ज़बानी सनो -

गोमख स म बिती ह

शिमालय की म बटी ह

ऋशषकि िररदवार बनारस की शपरय सिली ह

तमको कया बतलाऊ म

कब स चलती आई ह म

भोलनाथ की जटा म समाई ह म

दशकषण सागर क भरत पतर मर दिान को आय ि

सगर-पतरो को शराप स भगीरथी न उबारा ि

माता कौसलया क आिीवााद म भी मरा िी सिारा ि -

मा कौसलया न किा सीता स

जब लशग गग जमन जल धारा

अचल रि यिी वाक तमिारा

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

पकारती ि गगा

िड़पपा तो रिा निी पर म आज भी बिती ह

यग-यग स बिती आई ह -

मौयो को मन दखा ि

अिोक चाणकय और चदरगपत क िौयो को मन दखा ि

मगलो स लकर अगरजो तक क जलमो को दखा ि

अपन पतरो को िासी पर चित मन दखा ि

उनक लह को मन अपन अचल म समटा ि

इशतिास को बनत दखा ि

इशतिास को शमटत दखा ि

कर कठोर हदय म फ़िर भी बिती िी चली आई ह -

चलत चलत चलत चलत

15 60 2018 6

सदी इककीस म चली आई ह

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

अब गगा की किानी सनो

वसधा की ज़बानी सनो

मरी गगा मया अब भी गोमख स िी बिती ि

अि जल और वसन

सब कछ वो िम दती ि

बशलया पटना या िो बकसर

बगाल म वि बिती ि

िररदवार ऋशषकि शबिार म आज भी पजी जाती ि

पर कया वि आज भी वसी ि जसी बद न दखी थी

िमारी गगा मया जो कल-कल छल-छल बिती थी

मली िोकर सख चकी ि

मया न तो िमको बस अमत-जल शपलाया ि

िमन मया को कड़-कचर का िर बनाया ि

किा गई वि गगा कािी म जो बिती थी

सगम की वि शनमाल गगा शजस राम न छआ था

कबीर रदास और रामाननद का यि जिा पर िला था

गोमख स गगा-सागर तक िषय-शयामला धरती की माता ि गगा

रठ गई ि मा िमस िम छोड़ कर जा रिी ि

सोचो एक बार तो सोचो कया मा क शबन रि पाओग

गगा अकली निी शमटगी

ससकशत भी शमट जाएगी

कला भगोल साशितय इशतिास सब कछ िी खो जाएगा

शिनद मशसलम शसकख ईसाई क रगो का रग उड़ जाएगा

जब गगा िी शमट जाएगी

राम-कषण शमट जाएग

अिोक शवसमत िो जाएग

शबशसमलला की ििनाई की गज गम िो जाएगी

मगल पाड की िौया गाथाए शमटटी म शमल जाएगी

लकषमी बाई न रि जाएगी

जननी जनमभशम को सवारती ि गगा

15 60 2018 7

गगा कि रिी ि -

lsquolsquoम जा रिी ह

म शसफ़ा lsquoमrsquo निी

म इशतिास ह म भगोल ह म ससकशत ह म ससकार ह

म जा रिी ह

तमन मरी बहत सवा की पजा की

मझ मा किा

पर अब तम बड़ िो गए िो

अब िायद मा भार लग रिी ि

मा जा रिी ि

म तलसीदास का भशकत-परवाि लकर जा रिी ह

म वीरगाथाए लकर जा रिी ह

म जन-जन की आरती लकर जा रिी ह

म परणामा का दीपक लकर जा रिी ह

मर तट क आकाि दवीप म अब मत ढढना अपन परखो का रासता

म आजीशवका लकर जा रिी ह

म जाना निी चािती

पर तमन मजबर फ़कया ि

अत म जा रिी ह

म इशतिास लकर जा रिी ह

म भारत लकर जा रिी हrsquorsquo

इशतिास क पि िट जाएग

भगोल म लपट छा जाएगी

एक भकमप आएगा

कयोफ़क

कराि रिी ि गगा

जा रिी ि गगा

15 60 2018 8

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र

(नीरज जी को शरदाजशल क रप म अरपात ndash समपादक)

राजि बादल

क़रीब सौ साल पिल का सिदसतान उततरपरदि म अलीगि और उसक आसपास अगरजो भारत छोड़ो

क नार सनाई द रि थ चार जनवरी उिीस सौ पचचीस को अलीगि क पड़ोसी शजल इटावा क परावली गाव म

गोपालदास सकसना न पिली बार दशनया को दखा छि बरस क थ तो शपता िमिा क शलए छोड़कर चल गए

तब स शछयानव साल की उमर तक गीतो क राजकमार को अिसोस रिा फ़क शपता की एक तसवीर तक निी थी

उस दौर म िोटो उतरवाना अमीरो का िौक़ था शपता घर चलात या तसवीर उतरवात कया आप उस ददा को

समझ सकत ि फ़क फ़दल फ़दमाग म शपता की छशव दखना चािता ि मगर वो इतनी धधली ि फ़क कछ फ़दखाई

निी दता गरीबी न बचपन की ितया कर दी थी इटावा क बाद एटा म सकली पिाई बालक गोपालदास रोज

कई फ़कलोमीटर पदल चलता शमटटी क घर म कई बार लालटन की रौिनी भी नसीब न िोती ििा जी दया

कर क पाच रपए िर मिीन भजत और पर पररवार का उसम पट भर जाता एक दो रपए गोपालदास भी कमा

लता बचपन क इस ददा का अिसास िद पार कर गया तो भाव और सर बन क जबान स िट पड़ा अचछा

शलखत और मीठा गात मासटर जी कित दखो सिगल गा रिा ि लफ़कन उनिी मासटर जी न एक बार शसिा एक

नबर स िल कर फ़दया गरीबी क कारण िीस माि थी िल िोन पर िीस भरनी पड़ती घर स किा गया

पिाई छोड़ दो गोपालदास पहच मासटर जी क पास बोल नबर बिा दो वरना मरी पिाई छट जाएगी फ़िर तो

मासटर जी न गोपाल की आख खोल दी वो नसीित दी जो आज तक याद ि मासटर जी की शझड़की काम आई

िाई सकल िसटा शडवीज़न म पास फ़कया उमर सतरि बरस नौकरी फ़दलली म खादय शवभाग म टाइशपसट वतन

सड़सठ रपए मिीन चालीस रपए मा को भजत बाकी म अपना खचा कई बार तो भख िी सोना पड़ता

वस नीरज और गीतो का ररशता दस-गयारि बरस की उमर म िी बन गया था इन गीतो की फ़दल को

छ लन वाली मीठी-मीठी धन िटािट तयार कर दना उनक शलए बाए िाथ का काम था पर जब नवी ककषा म

पित थ तो कशवताओ और गीतो स लोगो को सममोशित करन लग थ घर की िालत अचछी निी थी इसशलए

पढाई क बाद िी नौकरी मजबरी बन गई लफ़कन गोरी सरकार को नीरज क गीतो म बगावत की ब आन

लगी सवाशभमानी नीरज न नौकरी का जआ उतार ि का इसक बाद सार दि न नीरज क गीतो की गगा बित

दखी िररविराय बचचन की कशवताओ न कशवता क ससकार डाल नीरज का पिला कशव सममलन था - एटा म

य उिीस सौ इकतालीस की बात ि वो सकल म पित थ अपन ज़मान क चोटी क साशितयकार और कशव

सोिनलाल शदववदी एक कशव सममलन की अधयकषता करन आए थ उिीस सौ बयालीस म फ़दलली क पिाड़गज

म उनि दोबारा मौका शमला पिली िी कशवता पर इरिाद इरिाद क सवर गजन लग वो कशवता नीरज न तीन

बार सनाई और इनाम शमला-पाच रपय कशव सममलन की सदारत कर रि थ अपन ज़मान क जान मान िायर-

शजगर मरादाबादी नीरज न शजगर सािब क पर छए तो उनिोन गल स लगा शलया बोल उमरदराज़ िो इस

लड़क की कया पढता ि जस नगमा गजता ि इसक बाद तो कशव सममलनो म नीरज की धम मच गई उन

फ़दनो उनका नाम था भावक इटावी

15 60 2018 9

इसी दौर म उनका समपका कराशतकाररयो स हआ और वो आजादी क आनदोलन म कद पड़ यमना क

बीिड़ो म कराशतकाररयो क साथ िशथयार चलाना सीखा उिीस सौ बयालीस क अगरजो भारत छोड़ो

आनदोलन क दौरान नीरज जल म डाल फ़दए गए शजला कलकटर न धमकाया-मािी मागोग तो छोड़ फ़दए

जाओग सात सौ नौजवानो म स साि छि सौ न मािी माग ली शजनिोन मािी स इनकार फ़कया उनम नीरज

भी थ ऐस िी एक सममलन म उनि लोकशपरय िायर ििीज़ जालधरी न सना ििीज़ सािब अगरजी हकमत की

नौकरी बजा रि थ और सरकारी नीशतयो का परचार करत थ उनि लगा नीरज का अदाज़ लोगो तक सदि

पहचान का ज़ररया बन जाएगा उनिोन नीरज को नौकरी का नयौता भजा पगार एक सौ बीस रपए तय की

गई पसा तो अचछा था लफ़कन वो नीरज का सोच निी खरीद पाए और नीरज न नौकरी को लात मार दी वो

शवदरोि गा रि थ नीरज भागकर कानपर आ गए एक शनजी कमपनी म नौकरी शमली और साथ म पढाई की

छट भी बारिवी पास की इसी दरमयान दि आज़ाद िो गया नीरज को सरकारी नौकरी शमल गई मगर वो

िरान थ सरकारी मिकमो म भरषटाचार दखकर आशखरकार १९५६ म उनिोन य नौकरी भी छोड़ दी कानपर म

शबताए फ़दन नीरज की शज़नदगी का िानदार दौर ि कानपर की याद म उनिोन शलखा -

कानपर आि आज तरी याद आई

कछ और मरी रात हई जाती ि

आख पिल भी बहत रोई थी तर शलए

अब लगता ि फ़क बरसात हई जाती ि

कानपर आज दख जो त अपन बट को

अपन नीरज की जगि लाि उसकी पाएगा

ससता इतना यिा मन खद को बचा ि

मझको मिशलस भी खरीद तो सिम जाएगा

नीरज क गीत इन फ़दनो पर दि म लोगो पर जाद कर रि थ पर उनकी आमदनी स फ़कसी तरि

पररवार का पट पल रिा था पस की तगी स जझत 1954 म उनिोन अपना कोशिनर गीत रचा यि गीत

उनिोन रशडयो पर सनाया था यि गीत था - कारवा गज़र गया गबार दखत रि इस गीत न धम मचा दी

गली-गली म यि लोगो की ज़बान पर था गीत फ़िलमशनमााता चदरिखर को ऐसा भाया फ़क उनिोन इस क दर म

म रखकर फ़िलम नई उमर की नई िसल बना डाली फ़िलम क बाकी गीत भी शजजा की कलम स िी शनकल थ

सार क सार शित और फ़दल को छन वाल इसी गीत न उनकी नौकरी भी अलीगि कॉलज म लगाई तभी स

नीरज अलीगि क और अलीगि उनका िो गया आलम यि था फ़क नीरज को फ़फ़लमी दशनया स बार-बार बलावा

आन लगा नीरज मायानगरी की चकाचौध स दर रिना चाित थ लफ़कन ममबई उनक सवागत म पलक शबछाए

थी मायानगरी म करोड़ो लोग कामयाबी का सपना पालत ि और सारी उमर सघषा करत रित ि वासतव म

फ़फ़लमी दशनया क लोगो स नीरज का वासता तो उिीस सौ शतरपन म िी िो गया था राजकपर क शपता

मगलआज़म पथवीराजकपर अपनी नाटक कमपनी क साथ कानपर आए थ

नीरज क नाम स तब भी लोग कशव सममलनो म उमड़त थ पथवीराज कपर न तीन घट नीरज को सना

और फ़फ़लमो म आन की दावत दी नीरज न उस िसी म उड़ा फ़दया उन फ़दनो वो बलफ़दयो पर थ फ़िलमो -

15 60 2018 10

इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

15 60 2018 11

उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

15 60 2018 12

आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

15 60 2018 13

भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 2

कारवा गज़र गया गबार दखत रि ndash नीरज जी का पारथाव िरीर िमार बीच निी रिा पर वो अपन

कावय दवारा सदव िी िमार मधय म रिग िमारी हदय-तशतरयो को व अपन गीतो स सदा िी झकत करत रिग

इसम सदि की तशनक भी गजाइि निी ि भारत म उनस शमलन उनको सनन का सौभागय तो परापत हआ िी

था पर मर आनद का तब रठकाना न रिा जब अपन इस कनडा आवास म भी दो बार टोराटो म उनक

साशिदधधय का सौभागय परापत हआ और तो और यि मरी बहत बड़ी खि-फ़कसमती ि फ़क सन २०१२ म उनिोन

मरी २ पसतक ldquoआज का समाजrdquo व ldquoसचतन क धागो म ककयी ndash सदभा शरीमदवालमीकीय रामायणrdquo का

लोकापाण भी फ़कया

ईशवर स पराथाना ि फ़क व डॉ गोपालदास नीरज जी की आतमा को िाशत परदान कर एव िम सब जीवन-

पयत उनक कावय का जिा एक ओर आनद उठाए रसासवादन कर विी उसस शिकषा भी परापत करत रि

मिाकशव गीतकार पदम भषण शवभशषत नीरज जी को ठाकर सािब व मरी ओर स एव समसत वसधा पररवार

की ओर स सादर शवनमर शरदाजशल अरपात करती ह

ldquoशिनदी सटरrdquo शजसकी सरशकषका िोन का सौभागय मझ परापत ि क ससथापक एव मौडसलगआ लरनग

पराइवट शलशमटड क शनदिक शरी रशव कमार एव उनक सियोशगयो न भाषा स जड़ लोगो क शलए एक रशिक

शवकशसत फ़कया ि जो लखन की अिशदयो को कम करन म सिायक शसद िोगा इस रशिक का यफ़द उशचत ढग

स परयोग फ़कया जाए तो फ़कसी आलख क शलखन स लकर उसक समपादन म जो समय लगता ि उस कम स कम

आधा फ़कया जा सकता ि साथ िी परोजकट परबधन म भी तजी स सधार लाया जा सकता ि पररणामत समय

की बचत क साथ िी साथ िम अपनी शवधा म शवकास लात ि और अतत अपनी आमदनी भी दगनी कर सकत

ि शवसतत जानकारी ित शवशडयो की य कशड़या अतयत लाभदायी शसद िोगी - httpsyoutubeMIk_VyRNzZc

एव httpsyoutube1xXrk4xCWOA

वसधा क परम शितषी पवा सासद राजभाषा की ससदीय सशमशत क पवा उपाधयकष तथा आधर परदि

शिनदी अकादमी क अधयकष पदमभषण शपरय डॉ लकषमी परासाद यालागडडा जी न दि की सवााशधक पराचीन शिनदी

ससथा शजसकी सथापना मिातमा गाधी जी क दवारा वषा १९१८ म चि म हई थी क ितमानोतसव वषा २०१८

क सवापरथम कायाकरम ldquoितमानोतसव वयाखयान शरखलाrdquo का िभारमभ करत हए अपन उदघाटन भाषण म किा फ़क

सभा क दवारा फ़दए गए इस मितवपणा अवसर क शलए व बहत गौरव अनभव करत ि कयोफ़क उनिोन बचपन म

िी सभा की परारशमभक परीकषाए पास की ि शिनदी क शवकास क शलए सभा क परचारको और कायाकतााओ को

समबोशधत करत हए उनि बधाई दी और उनका आहवान करत हए जयिकर परसाद की कशवता lsquoबढ चलो बढ

चलोrsquo का नारा फ़दया और शिनदी को राषटर की एकता और अखणडता क शलए आवशयक बताया इस अवसर पर

उनिोन ldquoराषटरीय आतमशनभारता और शिनदीrdquo शवषय पर अपना शवदवततापणा परथम वयाखयान भी फ़दया

परशतभािाली शिनदी ससकशत कमी कशव उदघोषक पतरकार परकािक शरी उमि मिता भारत स कछ

समय ित टोराणटो पधार और उनिोन न कवल अपना मलयवान समय ठाकर सािब व िमार साथ वयतीत कर

अनक मितवपणा शवषयो पर चचााए की वरन साथ िी अपनी अमलय पसतक उपिारसवरप द िम और भी

कताथा फ़कया उनक सनशिल साशिधय पसतक एव उनकी शववकपणा मीमासा समालोचना ित उनका िारदाक

धनयवाद एव आभार

ससकत और शिनदी की शवदषी मद-भाशषणी शरीमती लशलला िमाा जो भारत सरकार क मिानगर

टलीिोन म शिनदी शवभाग क सिायक शनदिक पद स सवा-शनवतत हई ि आजकल टोराणटो आई हई ि और मरा

यि सौभागय ि फ़क अपन इस आवास-काल म व शनरनतर मर समपका म ि

15 60 2018 3

यि मरा परम सौभागय ि फ़क मर उपनयास ldquoककयी चतना-शिखाrdquo शजस मपर साशितय अकादमी क

अशखल भारतीय वीरससि दव परसकार स सममशनत फ़कया गया ि क चतथा ससकरण का लोकापाण गर-परणामा

क पावन-पनीत फ़दवस पर मरी आदरणीय एव शपरय अममा कणााटक की अममा मा मातशवरी दवी क कर-कमलो

दवारा समपि हआ

अभी-अभी जञात हआ ि फ़क ओजसवी कशव पतरकार परखर वकता नता परधानमतरी जननायक मा

भारती क गणी सपत ओजसवी तजसवी यिसवी वयशकततव क धनी यग-परष आदरणीय एव शपरय भारत-रतन

अटल शबिारी बाजपयी जी िमार बीच निी रि कछ समय स असवसथ चलत उनक िरीर न पणात शवराम ित

अनत िाशत का मागा अपना शलया ि जिा एक ओर उनकी िात हई मौशखक वाणी अब कवल यतरो क माधयम

स गशजत रिकर िम आनफ़दत करती रिगी विी उनकी लखनी दवारा रशचत साशितय सदा-सवादा िमारा एव आग

आन वाली पीफ़ियो का मागादिान करता रिगा आज समशत म उमड़-घमड़ रिा ि सवय की बचकानी िरक़तो

वाला बचपन और अटल जी की सनशिल िालीनता की समशतया दशय-पटल पर उभर आया बचपन का एक दशय

- जब म छोटी-सी थी माननीय शरी लाडली मोिन शनगम शजनि म दादा क समबोधन स समबोशधत करती थी क

आवास पर जो िमार घर क शबलकल सामन िी था उनस छपाकर कयोफ़क िम सब बचच शजसम लाड़ली दादा क

छोट भाई-बिन भी सशममशलत थ लाड़ली दादा स डरत थ अटल जी क कत का शनचला छोर पकड़ उस खीच-

खीच कर म उनस अपनी बात मनवा िी लती थी और व भी खल-खल म िमारी बातो को सिषा सवीकार कर

लत थ बचपन क अपन उनिी शपरय समवदनिील सदभावी अटल जी को अपनी ओर स ठाकर सािब की ओर स

एव समसत वसधा पररवार की ओर स उनिी की कशवता सादर शवनमर शरदाजशल क रप म अरपात करत हए

उनकी ldquoआशधयो म जलाय ि बझत दीयrdquo पशकत स पररणा ल आगामी आन वाली दीपावली पर उनक सदिो का

नव-दीप जला िम उनक पावन-पनीत सािसी पथ पर अगरसर िोत रि दीपावली की इनिी िभकामनाओ

सशित

ससनह सनह ठाकर ldquoठन गई ठन गई मौत स ठन गई

जझन का मरा कोई इरादा न था

मोड़ पर शमलग इसका वादा न था

रासता रोक कर वि खड़ी िो गई

य लगा सज़दगी स बड़ी िो गई

मौत की उमर कया दो पल भी निी

सज़दगी शसलशसला आजकल की निी

म जी भर शजया म मन स मर

लौट कर आऊगा मौत स कय डर

त दब पाव चोरी-शछप स न आ

सामन वार कर फ़िर मझ आज़मा

मौत स बिबर सज़दगी का सफ़र

15 60 2018 4

िाम िर सरमई रात विी का सवर

बात ऐसी निी फ़क कोई गम िी निी

ददा अपन पराए कछ कम भी निी

पयार इतना परायो स मझको शमला

न अपनो स बाकी ि कोई शगला

िर चनौती स दो िाथ मन फ़कय

आशधयो म जलाय ि बझत दीय

आज झकझोरता तज तफ़ान ि

नाव भवरो की बािो म मिमान ि

पार पान का कायम मगर िौसला

दख तफ़ान का तवर तरी तन गई

मौत स ठन गई मौत स ठन गईrdquo

नीरज जी क दो यादगार शचतर - ldquoआज का समाजrdquo व ldquoसचतन क धागो म ककयी ndash सदभा शरीमदवालमीकीय

रामायणrdquo का लोकापाण -

15 60 2018 5

गगा

वसधा पाणडय

(बीए ततीय वषा बनारस शिनद शवशवशवदयालय)

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

गगा की किानी सनो

गगा की ज़बानी सनो -

गोमख स म बिती ह

शिमालय की म बटी ह

ऋशषकि िररदवार बनारस की शपरय सिली ह

तमको कया बतलाऊ म

कब स चलती आई ह म

भोलनाथ की जटा म समाई ह म

दशकषण सागर क भरत पतर मर दिान को आय ि

सगर-पतरो को शराप स भगीरथी न उबारा ि

माता कौसलया क आिीवााद म भी मरा िी सिारा ि -

मा कौसलया न किा सीता स

जब लशग गग जमन जल धारा

अचल रि यिी वाक तमिारा

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

पकारती ि गगा

िड़पपा तो रिा निी पर म आज भी बिती ह

यग-यग स बिती आई ह -

मौयो को मन दखा ि

अिोक चाणकय और चदरगपत क िौयो को मन दखा ि

मगलो स लकर अगरजो तक क जलमो को दखा ि

अपन पतरो को िासी पर चित मन दखा ि

उनक लह को मन अपन अचल म समटा ि

इशतिास को बनत दखा ि

इशतिास को शमटत दखा ि

कर कठोर हदय म फ़िर भी बिती िी चली आई ह -

चलत चलत चलत चलत

15 60 2018 6

सदी इककीस म चली आई ह

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

अब गगा की किानी सनो

वसधा की ज़बानी सनो

मरी गगा मया अब भी गोमख स िी बिती ि

अि जल और वसन

सब कछ वो िम दती ि

बशलया पटना या िो बकसर

बगाल म वि बिती ि

िररदवार ऋशषकि शबिार म आज भी पजी जाती ि

पर कया वि आज भी वसी ि जसी बद न दखी थी

िमारी गगा मया जो कल-कल छल-छल बिती थी

मली िोकर सख चकी ि

मया न तो िमको बस अमत-जल शपलाया ि

िमन मया को कड़-कचर का िर बनाया ि

किा गई वि गगा कािी म जो बिती थी

सगम की वि शनमाल गगा शजस राम न छआ था

कबीर रदास और रामाननद का यि जिा पर िला था

गोमख स गगा-सागर तक िषय-शयामला धरती की माता ि गगा

रठ गई ि मा िमस िम छोड़ कर जा रिी ि

सोचो एक बार तो सोचो कया मा क शबन रि पाओग

गगा अकली निी शमटगी

ससकशत भी शमट जाएगी

कला भगोल साशितय इशतिास सब कछ िी खो जाएगा

शिनद मशसलम शसकख ईसाई क रगो का रग उड़ जाएगा

जब गगा िी शमट जाएगी

राम-कषण शमट जाएग

अिोक शवसमत िो जाएग

शबशसमलला की ििनाई की गज गम िो जाएगी

मगल पाड की िौया गाथाए शमटटी म शमल जाएगी

लकषमी बाई न रि जाएगी

जननी जनमभशम को सवारती ि गगा

15 60 2018 7

गगा कि रिी ि -

lsquolsquoम जा रिी ह

म शसफ़ा lsquoमrsquo निी

म इशतिास ह म भगोल ह म ससकशत ह म ससकार ह

म जा रिी ह

तमन मरी बहत सवा की पजा की

मझ मा किा

पर अब तम बड़ िो गए िो

अब िायद मा भार लग रिी ि

मा जा रिी ि

म तलसीदास का भशकत-परवाि लकर जा रिी ह

म वीरगाथाए लकर जा रिी ह

म जन-जन की आरती लकर जा रिी ह

म परणामा का दीपक लकर जा रिी ह

मर तट क आकाि दवीप म अब मत ढढना अपन परखो का रासता

म आजीशवका लकर जा रिी ह

म जाना निी चािती

पर तमन मजबर फ़कया ि

अत म जा रिी ह

म इशतिास लकर जा रिी ह

म भारत लकर जा रिी हrsquorsquo

इशतिास क पि िट जाएग

भगोल म लपट छा जाएगी

एक भकमप आएगा

कयोफ़क

कराि रिी ि गगा

जा रिी ि गगा

15 60 2018 8

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र

(नीरज जी को शरदाजशल क रप म अरपात ndash समपादक)

राजि बादल

क़रीब सौ साल पिल का सिदसतान उततरपरदि म अलीगि और उसक आसपास अगरजो भारत छोड़ो

क नार सनाई द रि थ चार जनवरी उिीस सौ पचचीस को अलीगि क पड़ोसी शजल इटावा क परावली गाव म

गोपालदास सकसना न पिली बार दशनया को दखा छि बरस क थ तो शपता िमिा क शलए छोड़कर चल गए

तब स शछयानव साल की उमर तक गीतो क राजकमार को अिसोस रिा फ़क शपता की एक तसवीर तक निी थी

उस दौर म िोटो उतरवाना अमीरो का िौक़ था शपता घर चलात या तसवीर उतरवात कया आप उस ददा को

समझ सकत ि फ़क फ़दल फ़दमाग म शपता की छशव दखना चािता ि मगर वो इतनी धधली ि फ़क कछ फ़दखाई

निी दता गरीबी न बचपन की ितया कर दी थी इटावा क बाद एटा म सकली पिाई बालक गोपालदास रोज

कई फ़कलोमीटर पदल चलता शमटटी क घर म कई बार लालटन की रौिनी भी नसीब न िोती ििा जी दया

कर क पाच रपए िर मिीन भजत और पर पररवार का उसम पट भर जाता एक दो रपए गोपालदास भी कमा

लता बचपन क इस ददा का अिसास िद पार कर गया तो भाव और सर बन क जबान स िट पड़ा अचछा

शलखत और मीठा गात मासटर जी कित दखो सिगल गा रिा ि लफ़कन उनिी मासटर जी न एक बार शसिा एक

नबर स िल कर फ़दया गरीबी क कारण िीस माि थी िल िोन पर िीस भरनी पड़ती घर स किा गया

पिाई छोड़ दो गोपालदास पहच मासटर जी क पास बोल नबर बिा दो वरना मरी पिाई छट जाएगी फ़िर तो

मासटर जी न गोपाल की आख खोल दी वो नसीित दी जो आज तक याद ि मासटर जी की शझड़की काम आई

िाई सकल िसटा शडवीज़न म पास फ़कया उमर सतरि बरस नौकरी फ़दलली म खादय शवभाग म टाइशपसट वतन

सड़सठ रपए मिीन चालीस रपए मा को भजत बाकी म अपना खचा कई बार तो भख िी सोना पड़ता

वस नीरज और गीतो का ररशता दस-गयारि बरस की उमर म िी बन गया था इन गीतो की फ़दल को

छ लन वाली मीठी-मीठी धन िटािट तयार कर दना उनक शलए बाए िाथ का काम था पर जब नवी ककषा म

पित थ तो कशवताओ और गीतो स लोगो को सममोशित करन लग थ घर की िालत अचछी निी थी इसशलए

पढाई क बाद िी नौकरी मजबरी बन गई लफ़कन गोरी सरकार को नीरज क गीतो म बगावत की ब आन

लगी सवाशभमानी नीरज न नौकरी का जआ उतार ि का इसक बाद सार दि न नीरज क गीतो की गगा बित

दखी िररविराय बचचन की कशवताओ न कशवता क ससकार डाल नीरज का पिला कशव सममलन था - एटा म

य उिीस सौ इकतालीस की बात ि वो सकल म पित थ अपन ज़मान क चोटी क साशितयकार और कशव

सोिनलाल शदववदी एक कशव सममलन की अधयकषता करन आए थ उिीस सौ बयालीस म फ़दलली क पिाड़गज

म उनि दोबारा मौका शमला पिली िी कशवता पर इरिाद इरिाद क सवर गजन लग वो कशवता नीरज न तीन

बार सनाई और इनाम शमला-पाच रपय कशव सममलन की सदारत कर रि थ अपन ज़मान क जान मान िायर-

शजगर मरादाबादी नीरज न शजगर सािब क पर छए तो उनिोन गल स लगा शलया बोल उमरदराज़ िो इस

लड़क की कया पढता ि जस नगमा गजता ि इसक बाद तो कशव सममलनो म नीरज की धम मच गई उन

फ़दनो उनका नाम था भावक इटावी

15 60 2018 9

इसी दौर म उनका समपका कराशतकाररयो स हआ और वो आजादी क आनदोलन म कद पड़ यमना क

बीिड़ो म कराशतकाररयो क साथ िशथयार चलाना सीखा उिीस सौ बयालीस क अगरजो भारत छोड़ो

आनदोलन क दौरान नीरज जल म डाल फ़दए गए शजला कलकटर न धमकाया-मािी मागोग तो छोड़ फ़दए

जाओग सात सौ नौजवानो म स साि छि सौ न मािी माग ली शजनिोन मािी स इनकार फ़कया उनम नीरज

भी थ ऐस िी एक सममलन म उनि लोकशपरय िायर ििीज़ जालधरी न सना ििीज़ सािब अगरजी हकमत की

नौकरी बजा रि थ और सरकारी नीशतयो का परचार करत थ उनि लगा नीरज का अदाज़ लोगो तक सदि

पहचान का ज़ररया बन जाएगा उनिोन नीरज को नौकरी का नयौता भजा पगार एक सौ बीस रपए तय की

गई पसा तो अचछा था लफ़कन वो नीरज का सोच निी खरीद पाए और नीरज न नौकरी को लात मार दी वो

शवदरोि गा रि थ नीरज भागकर कानपर आ गए एक शनजी कमपनी म नौकरी शमली और साथ म पढाई की

छट भी बारिवी पास की इसी दरमयान दि आज़ाद िो गया नीरज को सरकारी नौकरी शमल गई मगर वो

िरान थ सरकारी मिकमो म भरषटाचार दखकर आशखरकार १९५६ म उनिोन य नौकरी भी छोड़ दी कानपर म

शबताए फ़दन नीरज की शज़नदगी का िानदार दौर ि कानपर की याद म उनिोन शलखा -

कानपर आि आज तरी याद आई

कछ और मरी रात हई जाती ि

आख पिल भी बहत रोई थी तर शलए

अब लगता ि फ़क बरसात हई जाती ि

कानपर आज दख जो त अपन बट को

अपन नीरज की जगि लाि उसकी पाएगा

ससता इतना यिा मन खद को बचा ि

मझको मिशलस भी खरीद तो सिम जाएगा

नीरज क गीत इन फ़दनो पर दि म लोगो पर जाद कर रि थ पर उनकी आमदनी स फ़कसी तरि

पररवार का पट पल रिा था पस की तगी स जझत 1954 म उनिोन अपना कोशिनर गीत रचा यि गीत

उनिोन रशडयो पर सनाया था यि गीत था - कारवा गज़र गया गबार दखत रि इस गीत न धम मचा दी

गली-गली म यि लोगो की ज़बान पर था गीत फ़िलमशनमााता चदरिखर को ऐसा भाया फ़क उनिोन इस क दर म

म रखकर फ़िलम नई उमर की नई िसल बना डाली फ़िलम क बाकी गीत भी शजजा की कलम स िी शनकल थ

सार क सार शित और फ़दल को छन वाल इसी गीत न उनकी नौकरी भी अलीगि कॉलज म लगाई तभी स

नीरज अलीगि क और अलीगि उनका िो गया आलम यि था फ़क नीरज को फ़फ़लमी दशनया स बार-बार बलावा

आन लगा नीरज मायानगरी की चकाचौध स दर रिना चाित थ लफ़कन ममबई उनक सवागत म पलक शबछाए

थी मायानगरी म करोड़ो लोग कामयाबी का सपना पालत ि और सारी उमर सघषा करत रित ि वासतव म

फ़फ़लमी दशनया क लोगो स नीरज का वासता तो उिीस सौ शतरपन म िी िो गया था राजकपर क शपता

मगलआज़म पथवीराजकपर अपनी नाटक कमपनी क साथ कानपर आए थ

नीरज क नाम स तब भी लोग कशव सममलनो म उमड़त थ पथवीराज कपर न तीन घट नीरज को सना

और फ़फ़लमो म आन की दावत दी नीरज न उस िसी म उड़ा फ़दया उन फ़दनो वो बलफ़दयो पर थ फ़िलमो -

15 60 2018 10

इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

15 60 2018 11

उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

15 60 2018 12

आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

15 60 2018 13

भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

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पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

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मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

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शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

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क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

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अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

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दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 3

यि मरा परम सौभागय ि फ़क मर उपनयास ldquoककयी चतना-शिखाrdquo शजस मपर साशितय अकादमी क

अशखल भारतीय वीरससि दव परसकार स सममशनत फ़कया गया ि क चतथा ससकरण का लोकापाण गर-परणामा

क पावन-पनीत फ़दवस पर मरी आदरणीय एव शपरय अममा कणााटक की अममा मा मातशवरी दवी क कर-कमलो

दवारा समपि हआ

अभी-अभी जञात हआ ि फ़क ओजसवी कशव पतरकार परखर वकता नता परधानमतरी जननायक मा

भारती क गणी सपत ओजसवी तजसवी यिसवी वयशकततव क धनी यग-परष आदरणीय एव शपरय भारत-रतन

अटल शबिारी बाजपयी जी िमार बीच निी रि कछ समय स असवसथ चलत उनक िरीर न पणात शवराम ित

अनत िाशत का मागा अपना शलया ि जिा एक ओर उनकी िात हई मौशखक वाणी अब कवल यतरो क माधयम

स गशजत रिकर िम आनफ़दत करती रिगी विी उनकी लखनी दवारा रशचत साशितय सदा-सवादा िमारा एव आग

आन वाली पीफ़ियो का मागादिान करता रिगा आज समशत म उमड़-घमड़ रिा ि सवय की बचकानी िरक़तो

वाला बचपन और अटल जी की सनशिल िालीनता की समशतया दशय-पटल पर उभर आया बचपन का एक दशय

- जब म छोटी-सी थी माननीय शरी लाडली मोिन शनगम शजनि म दादा क समबोधन स समबोशधत करती थी क

आवास पर जो िमार घर क शबलकल सामन िी था उनस छपाकर कयोफ़क िम सब बचच शजसम लाड़ली दादा क

छोट भाई-बिन भी सशममशलत थ लाड़ली दादा स डरत थ अटल जी क कत का शनचला छोर पकड़ उस खीच-

खीच कर म उनस अपनी बात मनवा िी लती थी और व भी खल-खल म िमारी बातो को सिषा सवीकार कर

लत थ बचपन क अपन उनिी शपरय समवदनिील सदभावी अटल जी को अपनी ओर स ठाकर सािब की ओर स

एव समसत वसधा पररवार की ओर स उनिी की कशवता सादर शवनमर शरदाजशल क रप म अरपात करत हए

उनकी ldquoआशधयो म जलाय ि बझत दीयrdquo पशकत स पररणा ल आगामी आन वाली दीपावली पर उनक सदिो का

नव-दीप जला िम उनक पावन-पनीत सािसी पथ पर अगरसर िोत रि दीपावली की इनिी िभकामनाओ

सशित

ससनह सनह ठाकर ldquoठन गई ठन गई मौत स ठन गई

जझन का मरा कोई इरादा न था

मोड़ पर शमलग इसका वादा न था

रासता रोक कर वि खड़ी िो गई

य लगा सज़दगी स बड़ी िो गई

मौत की उमर कया दो पल भी निी

सज़दगी शसलशसला आजकल की निी

म जी भर शजया म मन स मर

लौट कर आऊगा मौत स कय डर

त दब पाव चोरी-शछप स न आ

सामन वार कर फ़िर मझ आज़मा

मौत स बिबर सज़दगी का सफ़र

15 60 2018 4

िाम िर सरमई रात विी का सवर

बात ऐसी निी फ़क कोई गम िी निी

ददा अपन पराए कछ कम भी निी

पयार इतना परायो स मझको शमला

न अपनो स बाकी ि कोई शगला

िर चनौती स दो िाथ मन फ़कय

आशधयो म जलाय ि बझत दीय

आज झकझोरता तज तफ़ान ि

नाव भवरो की बािो म मिमान ि

पार पान का कायम मगर िौसला

दख तफ़ान का तवर तरी तन गई

मौत स ठन गई मौत स ठन गईrdquo

नीरज जी क दो यादगार शचतर - ldquoआज का समाजrdquo व ldquoसचतन क धागो म ककयी ndash सदभा शरीमदवालमीकीय

रामायणrdquo का लोकापाण -

15 60 2018 5

गगा

वसधा पाणडय

(बीए ततीय वषा बनारस शिनद शवशवशवदयालय)

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

गगा की किानी सनो

गगा की ज़बानी सनो -

गोमख स म बिती ह

शिमालय की म बटी ह

ऋशषकि िररदवार बनारस की शपरय सिली ह

तमको कया बतलाऊ म

कब स चलती आई ह म

भोलनाथ की जटा म समाई ह म

दशकषण सागर क भरत पतर मर दिान को आय ि

सगर-पतरो को शराप स भगीरथी न उबारा ि

माता कौसलया क आिीवााद म भी मरा िी सिारा ि -

मा कौसलया न किा सीता स

जब लशग गग जमन जल धारा

अचल रि यिी वाक तमिारा

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

पकारती ि गगा

िड़पपा तो रिा निी पर म आज भी बिती ह

यग-यग स बिती आई ह -

मौयो को मन दखा ि

अिोक चाणकय और चदरगपत क िौयो को मन दखा ि

मगलो स लकर अगरजो तक क जलमो को दखा ि

अपन पतरो को िासी पर चित मन दखा ि

उनक लह को मन अपन अचल म समटा ि

इशतिास को बनत दखा ि

इशतिास को शमटत दखा ि

कर कठोर हदय म फ़िर भी बिती िी चली आई ह -

चलत चलत चलत चलत

15 60 2018 6

सदी इककीस म चली आई ह

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

अब गगा की किानी सनो

वसधा की ज़बानी सनो

मरी गगा मया अब भी गोमख स िी बिती ि

अि जल और वसन

सब कछ वो िम दती ि

बशलया पटना या िो बकसर

बगाल म वि बिती ि

िररदवार ऋशषकि शबिार म आज भी पजी जाती ि

पर कया वि आज भी वसी ि जसी बद न दखी थी

िमारी गगा मया जो कल-कल छल-छल बिती थी

मली िोकर सख चकी ि

मया न तो िमको बस अमत-जल शपलाया ि

िमन मया को कड़-कचर का िर बनाया ि

किा गई वि गगा कािी म जो बिती थी

सगम की वि शनमाल गगा शजस राम न छआ था

कबीर रदास और रामाननद का यि जिा पर िला था

गोमख स गगा-सागर तक िषय-शयामला धरती की माता ि गगा

रठ गई ि मा िमस िम छोड़ कर जा रिी ि

सोचो एक बार तो सोचो कया मा क शबन रि पाओग

गगा अकली निी शमटगी

ससकशत भी शमट जाएगी

कला भगोल साशितय इशतिास सब कछ िी खो जाएगा

शिनद मशसलम शसकख ईसाई क रगो का रग उड़ जाएगा

जब गगा िी शमट जाएगी

राम-कषण शमट जाएग

अिोक शवसमत िो जाएग

शबशसमलला की ििनाई की गज गम िो जाएगी

मगल पाड की िौया गाथाए शमटटी म शमल जाएगी

लकषमी बाई न रि जाएगी

जननी जनमभशम को सवारती ि गगा

15 60 2018 7

गगा कि रिी ि -

lsquolsquoम जा रिी ह

म शसफ़ा lsquoमrsquo निी

म इशतिास ह म भगोल ह म ससकशत ह म ससकार ह

म जा रिी ह

तमन मरी बहत सवा की पजा की

मझ मा किा

पर अब तम बड़ िो गए िो

अब िायद मा भार लग रिी ि

मा जा रिी ि

म तलसीदास का भशकत-परवाि लकर जा रिी ह

म वीरगाथाए लकर जा रिी ह

म जन-जन की आरती लकर जा रिी ह

म परणामा का दीपक लकर जा रिी ह

मर तट क आकाि दवीप म अब मत ढढना अपन परखो का रासता

म आजीशवका लकर जा रिी ह

म जाना निी चािती

पर तमन मजबर फ़कया ि

अत म जा रिी ह

म इशतिास लकर जा रिी ह

म भारत लकर जा रिी हrsquorsquo

इशतिास क पि िट जाएग

भगोल म लपट छा जाएगी

एक भकमप आएगा

कयोफ़क

कराि रिी ि गगा

जा रिी ि गगा

15 60 2018 8

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र

(नीरज जी को शरदाजशल क रप म अरपात ndash समपादक)

राजि बादल

क़रीब सौ साल पिल का सिदसतान उततरपरदि म अलीगि और उसक आसपास अगरजो भारत छोड़ो

क नार सनाई द रि थ चार जनवरी उिीस सौ पचचीस को अलीगि क पड़ोसी शजल इटावा क परावली गाव म

गोपालदास सकसना न पिली बार दशनया को दखा छि बरस क थ तो शपता िमिा क शलए छोड़कर चल गए

तब स शछयानव साल की उमर तक गीतो क राजकमार को अिसोस रिा फ़क शपता की एक तसवीर तक निी थी

उस दौर म िोटो उतरवाना अमीरो का िौक़ था शपता घर चलात या तसवीर उतरवात कया आप उस ददा को

समझ सकत ि फ़क फ़दल फ़दमाग म शपता की छशव दखना चािता ि मगर वो इतनी धधली ि फ़क कछ फ़दखाई

निी दता गरीबी न बचपन की ितया कर दी थी इटावा क बाद एटा म सकली पिाई बालक गोपालदास रोज

कई फ़कलोमीटर पदल चलता शमटटी क घर म कई बार लालटन की रौिनी भी नसीब न िोती ििा जी दया

कर क पाच रपए िर मिीन भजत और पर पररवार का उसम पट भर जाता एक दो रपए गोपालदास भी कमा

लता बचपन क इस ददा का अिसास िद पार कर गया तो भाव और सर बन क जबान स िट पड़ा अचछा

शलखत और मीठा गात मासटर जी कित दखो सिगल गा रिा ि लफ़कन उनिी मासटर जी न एक बार शसिा एक

नबर स िल कर फ़दया गरीबी क कारण िीस माि थी िल िोन पर िीस भरनी पड़ती घर स किा गया

पिाई छोड़ दो गोपालदास पहच मासटर जी क पास बोल नबर बिा दो वरना मरी पिाई छट जाएगी फ़िर तो

मासटर जी न गोपाल की आख खोल दी वो नसीित दी जो आज तक याद ि मासटर जी की शझड़की काम आई

िाई सकल िसटा शडवीज़न म पास फ़कया उमर सतरि बरस नौकरी फ़दलली म खादय शवभाग म टाइशपसट वतन

सड़सठ रपए मिीन चालीस रपए मा को भजत बाकी म अपना खचा कई बार तो भख िी सोना पड़ता

वस नीरज और गीतो का ररशता दस-गयारि बरस की उमर म िी बन गया था इन गीतो की फ़दल को

छ लन वाली मीठी-मीठी धन िटािट तयार कर दना उनक शलए बाए िाथ का काम था पर जब नवी ककषा म

पित थ तो कशवताओ और गीतो स लोगो को सममोशित करन लग थ घर की िालत अचछी निी थी इसशलए

पढाई क बाद िी नौकरी मजबरी बन गई लफ़कन गोरी सरकार को नीरज क गीतो म बगावत की ब आन

लगी सवाशभमानी नीरज न नौकरी का जआ उतार ि का इसक बाद सार दि न नीरज क गीतो की गगा बित

दखी िररविराय बचचन की कशवताओ न कशवता क ससकार डाल नीरज का पिला कशव सममलन था - एटा म

य उिीस सौ इकतालीस की बात ि वो सकल म पित थ अपन ज़मान क चोटी क साशितयकार और कशव

सोिनलाल शदववदी एक कशव सममलन की अधयकषता करन आए थ उिीस सौ बयालीस म फ़दलली क पिाड़गज

म उनि दोबारा मौका शमला पिली िी कशवता पर इरिाद इरिाद क सवर गजन लग वो कशवता नीरज न तीन

बार सनाई और इनाम शमला-पाच रपय कशव सममलन की सदारत कर रि थ अपन ज़मान क जान मान िायर-

शजगर मरादाबादी नीरज न शजगर सािब क पर छए तो उनिोन गल स लगा शलया बोल उमरदराज़ िो इस

लड़क की कया पढता ि जस नगमा गजता ि इसक बाद तो कशव सममलनो म नीरज की धम मच गई उन

फ़दनो उनका नाम था भावक इटावी

15 60 2018 9

इसी दौर म उनका समपका कराशतकाररयो स हआ और वो आजादी क आनदोलन म कद पड़ यमना क

बीिड़ो म कराशतकाररयो क साथ िशथयार चलाना सीखा उिीस सौ बयालीस क अगरजो भारत छोड़ो

आनदोलन क दौरान नीरज जल म डाल फ़दए गए शजला कलकटर न धमकाया-मािी मागोग तो छोड़ फ़दए

जाओग सात सौ नौजवानो म स साि छि सौ न मािी माग ली शजनिोन मािी स इनकार फ़कया उनम नीरज

भी थ ऐस िी एक सममलन म उनि लोकशपरय िायर ििीज़ जालधरी न सना ििीज़ सािब अगरजी हकमत की

नौकरी बजा रि थ और सरकारी नीशतयो का परचार करत थ उनि लगा नीरज का अदाज़ लोगो तक सदि

पहचान का ज़ररया बन जाएगा उनिोन नीरज को नौकरी का नयौता भजा पगार एक सौ बीस रपए तय की

गई पसा तो अचछा था लफ़कन वो नीरज का सोच निी खरीद पाए और नीरज न नौकरी को लात मार दी वो

शवदरोि गा रि थ नीरज भागकर कानपर आ गए एक शनजी कमपनी म नौकरी शमली और साथ म पढाई की

छट भी बारिवी पास की इसी दरमयान दि आज़ाद िो गया नीरज को सरकारी नौकरी शमल गई मगर वो

िरान थ सरकारी मिकमो म भरषटाचार दखकर आशखरकार १९५६ म उनिोन य नौकरी भी छोड़ दी कानपर म

शबताए फ़दन नीरज की शज़नदगी का िानदार दौर ि कानपर की याद म उनिोन शलखा -

कानपर आि आज तरी याद आई

कछ और मरी रात हई जाती ि

आख पिल भी बहत रोई थी तर शलए

अब लगता ि फ़क बरसात हई जाती ि

कानपर आज दख जो त अपन बट को

अपन नीरज की जगि लाि उसकी पाएगा

ससता इतना यिा मन खद को बचा ि

मझको मिशलस भी खरीद तो सिम जाएगा

नीरज क गीत इन फ़दनो पर दि म लोगो पर जाद कर रि थ पर उनकी आमदनी स फ़कसी तरि

पररवार का पट पल रिा था पस की तगी स जझत 1954 म उनिोन अपना कोशिनर गीत रचा यि गीत

उनिोन रशडयो पर सनाया था यि गीत था - कारवा गज़र गया गबार दखत रि इस गीत न धम मचा दी

गली-गली म यि लोगो की ज़बान पर था गीत फ़िलमशनमााता चदरिखर को ऐसा भाया फ़क उनिोन इस क दर म

म रखकर फ़िलम नई उमर की नई िसल बना डाली फ़िलम क बाकी गीत भी शजजा की कलम स िी शनकल थ

सार क सार शित और फ़दल को छन वाल इसी गीत न उनकी नौकरी भी अलीगि कॉलज म लगाई तभी स

नीरज अलीगि क और अलीगि उनका िो गया आलम यि था फ़क नीरज को फ़फ़लमी दशनया स बार-बार बलावा

आन लगा नीरज मायानगरी की चकाचौध स दर रिना चाित थ लफ़कन ममबई उनक सवागत म पलक शबछाए

थी मायानगरी म करोड़ो लोग कामयाबी का सपना पालत ि और सारी उमर सघषा करत रित ि वासतव म

फ़फ़लमी दशनया क लोगो स नीरज का वासता तो उिीस सौ शतरपन म िी िो गया था राजकपर क शपता

मगलआज़म पथवीराजकपर अपनी नाटक कमपनी क साथ कानपर आए थ

नीरज क नाम स तब भी लोग कशव सममलनो म उमड़त थ पथवीराज कपर न तीन घट नीरज को सना

और फ़फ़लमो म आन की दावत दी नीरज न उस िसी म उड़ा फ़दया उन फ़दनो वो बलफ़दयो पर थ फ़िलमो -

15 60 2018 10

इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

15 60 2018 11

उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

15 60 2018 12

आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

15 60 2018 13

भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

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अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 4

िाम िर सरमई रात विी का सवर

बात ऐसी निी फ़क कोई गम िी निी

ददा अपन पराए कछ कम भी निी

पयार इतना परायो स मझको शमला

न अपनो स बाकी ि कोई शगला

िर चनौती स दो िाथ मन फ़कय

आशधयो म जलाय ि बझत दीय

आज झकझोरता तज तफ़ान ि

नाव भवरो की बािो म मिमान ि

पार पान का कायम मगर िौसला

दख तफ़ान का तवर तरी तन गई

मौत स ठन गई मौत स ठन गईrdquo

नीरज जी क दो यादगार शचतर - ldquoआज का समाजrdquo व ldquoसचतन क धागो म ककयी ndash सदभा शरीमदवालमीकीय

रामायणrdquo का लोकापाण -

15 60 2018 5

गगा

वसधा पाणडय

(बीए ततीय वषा बनारस शिनद शवशवशवदयालय)

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

गगा की किानी सनो

गगा की ज़बानी सनो -

गोमख स म बिती ह

शिमालय की म बटी ह

ऋशषकि िररदवार बनारस की शपरय सिली ह

तमको कया बतलाऊ म

कब स चलती आई ह म

भोलनाथ की जटा म समाई ह म

दशकषण सागर क भरत पतर मर दिान को आय ि

सगर-पतरो को शराप स भगीरथी न उबारा ि

माता कौसलया क आिीवााद म भी मरा िी सिारा ि -

मा कौसलया न किा सीता स

जब लशग गग जमन जल धारा

अचल रि यिी वाक तमिारा

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

पकारती ि गगा

िड़पपा तो रिा निी पर म आज भी बिती ह

यग-यग स बिती आई ह -

मौयो को मन दखा ि

अिोक चाणकय और चदरगपत क िौयो को मन दखा ि

मगलो स लकर अगरजो तक क जलमो को दखा ि

अपन पतरो को िासी पर चित मन दखा ि

उनक लह को मन अपन अचल म समटा ि

इशतिास को बनत दखा ि

इशतिास को शमटत दखा ि

कर कठोर हदय म फ़िर भी बिती िी चली आई ह -

चलत चलत चलत चलत

15 60 2018 6

सदी इककीस म चली आई ह

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

अब गगा की किानी सनो

वसधा की ज़बानी सनो

मरी गगा मया अब भी गोमख स िी बिती ि

अि जल और वसन

सब कछ वो िम दती ि

बशलया पटना या िो बकसर

बगाल म वि बिती ि

िररदवार ऋशषकि शबिार म आज भी पजी जाती ि

पर कया वि आज भी वसी ि जसी बद न दखी थी

िमारी गगा मया जो कल-कल छल-छल बिती थी

मली िोकर सख चकी ि

मया न तो िमको बस अमत-जल शपलाया ि

िमन मया को कड़-कचर का िर बनाया ि

किा गई वि गगा कािी म जो बिती थी

सगम की वि शनमाल गगा शजस राम न छआ था

कबीर रदास और रामाननद का यि जिा पर िला था

गोमख स गगा-सागर तक िषय-शयामला धरती की माता ि गगा

रठ गई ि मा िमस िम छोड़ कर जा रिी ि

सोचो एक बार तो सोचो कया मा क शबन रि पाओग

गगा अकली निी शमटगी

ससकशत भी शमट जाएगी

कला भगोल साशितय इशतिास सब कछ िी खो जाएगा

शिनद मशसलम शसकख ईसाई क रगो का रग उड़ जाएगा

जब गगा िी शमट जाएगी

राम-कषण शमट जाएग

अिोक शवसमत िो जाएग

शबशसमलला की ििनाई की गज गम िो जाएगी

मगल पाड की िौया गाथाए शमटटी म शमल जाएगी

लकषमी बाई न रि जाएगी

जननी जनमभशम को सवारती ि गगा

15 60 2018 7

गगा कि रिी ि -

lsquolsquoम जा रिी ह

म शसफ़ा lsquoमrsquo निी

म इशतिास ह म भगोल ह म ससकशत ह म ससकार ह

म जा रिी ह

तमन मरी बहत सवा की पजा की

मझ मा किा

पर अब तम बड़ िो गए िो

अब िायद मा भार लग रिी ि

मा जा रिी ि

म तलसीदास का भशकत-परवाि लकर जा रिी ह

म वीरगाथाए लकर जा रिी ह

म जन-जन की आरती लकर जा रिी ह

म परणामा का दीपक लकर जा रिी ह

मर तट क आकाि दवीप म अब मत ढढना अपन परखो का रासता

म आजीशवका लकर जा रिी ह

म जाना निी चािती

पर तमन मजबर फ़कया ि

अत म जा रिी ह

म इशतिास लकर जा रिी ह

म भारत लकर जा रिी हrsquorsquo

इशतिास क पि िट जाएग

भगोल म लपट छा जाएगी

एक भकमप आएगा

कयोफ़क

कराि रिी ि गगा

जा रिी ि गगा

15 60 2018 8

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र

(नीरज जी को शरदाजशल क रप म अरपात ndash समपादक)

राजि बादल

क़रीब सौ साल पिल का सिदसतान उततरपरदि म अलीगि और उसक आसपास अगरजो भारत छोड़ो

क नार सनाई द रि थ चार जनवरी उिीस सौ पचचीस को अलीगि क पड़ोसी शजल इटावा क परावली गाव म

गोपालदास सकसना न पिली बार दशनया को दखा छि बरस क थ तो शपता िमिा क शलए छोड़कर चल गए

तब स शछयानव साल की उमर तक गीतो क राजकमार को अिसोस रिा फ़क शपता की एक तसवीर तक निी थी

उस दौर म िोटो उतरवाना अमीरो का िौक़ था शपता घर चलात या तसवीर उतरवात कया आप उस ददा को

समझ सकत ि फ़क फ़दल फ़दमाग म शपता की छशव दखना चािता ि मगर वो इतनी धधली ि फ़क कछ फ़दखाई

निी दता गरीबी न बचपन की ितया कर दी थी इटावा क बाद एटा म सकली पिाई बालक गोपालदास रोज

कई फ़कलोमीटर पदल चलता शमटटी क घर म कई बार लालटन की रौिनी भी नसीब न िोती ििा जी दया

कर क पाच रपए िर मिीन भजत और पर पररवार का उसम पट भर जाता एक दो रपए गोपालदास भी कमा

लता बचपन क इस ददा का अिसास िद पार कर गया तो भाव और सर बन क जबान स िट पड़ा अचछा

शलखत और मीठा गात मासटर जी कित दखो सिगल गा रिा ि लफ़कन उनिी मासटर जी न एक बार शसिा एक

नबर स िल कर फ़दया गरीबी क कारण िीस माि थी िल िोन पर िीस भरनी पड़ती घर स किा गया

पिाई छोड़ दो गोपालदास पहच मासटर जी क पास बोल नबर बिा दो वरना मरी पिाई छट जाएगी फ़िर तो

मासटर जी न गोपाल की आख खोल दी वो नसीित दी जो आज तक याद ि मासटर जी की शझड़की काम आई

िाई सकल िसटा शडवीज़न म पास फ़कया उमर सतरि बरस नौकरी फ़दलली म खादय शवभाग म टाइशपसट वतन

सड़सठ रपए मिीन चालीस रपए मा को भजत बाकी म अपना खचा कई बार तो भख िी सोना पड़ता

वस नीरज और गीतो का ररशता दस-गयारि बरस की उमर म िी बन गया था इन गीतो की फ़दल को

छ लन वाली मीठी-मीठी धन िटािट तयार कर दना उनक शलए बाए िाथ का काम था पर जब नवी ककषा म

पित थ तो कशवताओ और गीतो स लोगो को सममोशित करन लग थ घर की िालत अचछी निी थी इसशलए

पढाई क बाद िी नौकरी मजबरी बन गई लफ़कन गोरी सरकार को नीरज क गीतो म बगावत की ब आन

लगी सवाशभमानी नीरज न नौकरी का जआ उतार ि का इसक बाद सार दि न नीरज क गीतो की गगा बित

दखी िररविराय बचचन की कशवताओ न कशवता क ससकार डाल नीरज का पिला कशव सममलन था - एटा म

य उिीस सौ इकतालीस की बात ि वो सकल म पित थ अपन ज़मान क चोटी क साशितयकार और कशव

सोिनलाल शदववदी एक कशव सममलन की अधयकषता करन आए थ उिीस सौ बयालीस म फ़दलली क पिाड़गज

म उनि दोबारा मौका शमला पिली िी कशवता पर इरिाद इरिाद क सवर गजन लग वो कशवता नीरज न तीन

बार सनाई और इनाम शमला-पाच रपय कशव सममलन की सदारत कर रि थ अपन ज़मान क जान मान िायर-

शजगर मरादाबादी नीरज न शजगर सािब क पर छए तो उनिोन गल स लगा शलया बोल उमरदराज़ िो इस

लड़क की कया पढता ि जस नगमा गजता ि इसक बाद तो कशव सममलनो म नीरज की धम मच गई उन

फ़दनो उनका नाम था भावक इटावी

15 60 2018 9

इसी दौर म उनका समपका कराशतकाररयो स हआ और वो आजादी क आनदोलन म कद पड़ यमना क

बीिड़ो म कराशतकाररयो क साथ िशथयार चलाना सीखा उिीस सौ बयालीस क अगरजो भारत छोड़ो

आनदोलन क दौरान नीरज जल म डाल फ़दए गए शजला कलकटर न धमकाया-मािी मागोग तो छोड़ फ़दए

जाओग सात सौ नौजवानो म स साि छि सौ न मािी माग ली शजनिोन मािी स इनकार फ़कया उनम नीरज

भी थ ऐस िी एक सममलन म उनि लोकशपरय िायर ििीज़ जालधरी न सना ििीज़ सािब अगरजी हकमत की

नौकरी बजा रि थ और सरकारी नीशतयो का परचार करत थ उनि लगा नीरज का अदाज़ लोगो तक सदि

पहचान का ज़ररया बन जाएगा उनिोन नीरज को नौकरी का नयौता भजा पगार एक सौ बीस रपए तय की

गई पसा तो अचछा था लफ़कन वो नीरज का सोच निी खरीद पाए और नीरज न नौकरी को लात मार दी वो

शवदरोि गा रि थ नीरज भागकर कानपर आ गए एक शनजी कमपनी म नौकरी शमली और साथ म पढाई की

छट भी बारिवी पास की इसी दरमयान दि आज़ाद िो गया नीरज को सरकारी नौकरी शमल गई मगर वो

िरान थ सरकारी मिकमो म भरषटाचार दखकर आशखरकार १९५६ म उनिोन य नौकरी भी छोड़ दी कानपर म

शबताए फ़दन नीरज की शज़नदगी का िानदार दौर ि कानपर की याद म उनिोन शलखा -

कानपर आि आज तरी याद आई

कछ और मरी रात हई जाती ि

आख पिल भी बहत रोई थी तर शलए

अब लगता ि फ़क बरसात हई जाती ि

कानपर आज दख जो त अपन बट को

अपन नीरज की जगि लाि उसकी पाएगा

ससता इतना यिा मन खद को बचा ि

मझको मिशलस भी खरीद तो सिम जाएगा

नीरज क गीत इन फ़दनो पर दि म लोगो पर जाद कर रि थ पर उनकी आमदनी स फ़कसी तरि

पररवार का पट पल रिा था पस की तगी स जझत 1954 म उनिोन अपना कोशिनर गीत रचा यि गीत

उनिोन रशडयो पर सनाया था यि गीत था - कारवा गज़र गया गबार दखत रि इस गीत न धम मचा दी

गली-गली म यि लोगो की ज़बान पर था गीत फ़िलमशनमााता चदरिखर को ऐसा भाया फ़क उनिोन इस क दर म

म रखकर फ़िलम नई उमर की नई िसल बना डाली फ़िलम क बाकी गीत भी शजजा की कलम स िी शनकल थ

सार क सार शित और फ़दल को छन वाल इसी गीत न उनकी नौकरी भी अलीगि कॉलज म लगाई तभी स

नीरज अलीगि क और अलीगि उनका िो गया आलम यि था फ़क नीरज को फ़फ़लमी दशनया स बार-बार बलावा

आन लगा नीरज मायानगरी की चकाचौध स दर रिना चाित थ लफ़कन ममबई उनक सवागत म पलक शबछाए

थी मायानगरी म करोड़ो लोग कामयाबी का सपना पालत ि और सारी उमर सघषा करत रित ि वासतव म

फ़फ़लमी दशनया क लोगो स नीरज का वासता तो उिीस सौ शतरपन म िी िो गया था राजकपर क शपता

मगलआज़म पथवीराजकपर अपनी नाटक कमपनी क साथ कानपर आए थ

नीरज क नाम स तब भी लोग कशव सममलनो म उमड़त थ पथवीराज कपर न तीन घट नीरज को सना

और फ़फ़लमो म आन की दावत दी नीरज न उस िसी म उड़ा फ़दया उन फ़दनो वो बलफ़दयो पर थ फ़िलमो -

15 60 2018 10

इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

15 60 2018 11

उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

15 60 2018 12

आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

15 60 2018 13

भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

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भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

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साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

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कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

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ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

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सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

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छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

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lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 5

गगा

वसधा पाणडय

(बीए ततीय वषा बनारस शिनद शवशवशवदयालय)

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

गगा की किानी सनो

गगा की ज़बानी सनो -

गोमख स म बिती ह

शिमालय की म बटी ह

ऋशषकि िररदवार बनारस की शपरय सिली ह

तमको कया बतलाऊ म

कब स चलती आई ह म

भोलनाथ की जटा म समाई ह म

दशकषण सागर क भरत पतर मर दिान को आय ि

सगर-पतरो को शराप स भगीरथी न उबारा ि

माता कौसलया क आिीवााद म भी मरा िी सिारा ि -

मा कौसलया न किा सीता स

जब लशग गग जमन जल धारा

अचल रि यिी वाक तमिारा

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

पकारती ि गगा

िड़पपा तो रिा निी पर म आज भी बिती ह

यग-यग स बिती आई ह -

मौयो को मन दखा ि

अिोक चाणकय और चदरगपत क िौयो को मन दखा ि

मगलो स लकर अगरजो तक क जलमो को दखा ि

अपन पतरो को िासी पर चित मन दखा ि

उनक लह को मन अपन अचल म समटा ि

इशतिास को बनत दखा ि

इशतिास को शमटत दखा ि

कर कठोर हदय म फ़िर भी बिती िी चली आई ह -

चलत चलत चलत चलत

15 60 2018 6

सदी इककीस म चली आई ह

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

अब गगा की किानी सनो

वसधा की ज़बानी सनो

मरी गगा मया अब भी गोमख स िी बिती ि

अि जल और वसन

सब कछ वो िम दती ि

बशलया पटना या िो बकसर

बगाल म वि बिती ि

िररदवार ऋशषकि शबिार म आज भी पजी जाती ि

पर कया वि आज भी वसी ि जसी बद न दखी थी

िमारी गगा मया जो कल-कल छल-छल बिती थी

मली िोकर सख चकी ि

मया न तो िमको बस अमत-जल शपलाया ि

िमन मया को कड़-कचर का िर बनाया ि

किा गई वि गगा कािी म जो बिती थी

सगम की वि शनमाल गगा शजस राम न छआ था

कबीर रदास और रामाननद का यि जिा पर िला था

गोमख स गगा-सागर तक िषय-शयामला धरती की माता ि गगा

रठ गई ि मा िमस िम छोड़ कर जा रिी ि

सोचो एक बार तो सोचो कया मा क शबन रि पाओग

गगा अकली निी शमटगी

ससकशत भी शमट जाएगी

कला भगोल साशितय इशतिास सब कछ िी खो जाएगा

शिनद मशसलम शसकख ईसाई क रगो का रग उड़ जाएगा

जब गगा िी शमट जाएगी

राम-कषण शमट जाएग

अिोक शवसमत िो जाएग

शबशसमलला की ििनाई की गज गम िो जाएगी

मगल पाड की िौया गाथाए शमटटी म शमल जाएगी

लकषमी बाई न रि जाएगी

जननी जनमभशम को सवारती ि गगा

15 60 2018 7

गगा कि रिी ि -

lsquolsquoम जा रिी ह

म शसफ़ा lsquoमrsquo निी

म इशतिास ह म भगोल ह म ससकशत ह म ससकार ह

म जा रिी ह

तमन मरी बहत सवा की पजा की

मझ मा किा

पर अब तम बड़ िो गए िो

अब िायद मा भार लग रिी ि

मा जा रिी ि

म तलसीदास का भशकत-परवाि लकर जा रिी ह

म वीरगाथाए लकर जा रिी ह

म जन-जन की आरती लकर जा रिी ह

म परणामा का दीपक लकर जा रिी ह

मर तट क आकाि दवीप म अब मत ढढना अपन परखो का रासता

म आजीशवका लकर जा रिी ह

म जाना निी चािती

पर तमन मजबर फ़कया ि

अत म जा रिी ह

म इशतिास लकर जा रिी ह

म भारत लकर जा रिी हrsquorsquo

इशतिास क पि िट जाएग

भगोल म लपट छा जाएगी

एक भकमप आएगा

कयोफ़क

कराि रिी ि गगा

जा रिी ि गगा

15 60 2018 8

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र

(नीरज जी को शरदाजशल क रप म अरपात ndash समपादक)

राजि बादल

क़रीब सौ साल पिल का सिदसतान उततरपरदि म अलीगि और उसक आसपास अगरजो भारत छोड़ो

क नार सनाई द रि थ चार जनवरी उिीस सौ पचचीस को अलीगि क पड़ोसी शजल इटावा क परावली गाव म

गोपालदास सकसना न पिली बार दशनया को दखा छि बरस क थ तो शपता िमिा क शलए छोड़कर चल गए

तब स शछयानव साल की उमर तक गीतो क राजकमार को अिसोस रिा फ़क शपता की एक तसवीर तक निी थी

उस दौर म िोटो उतरवाना अमीरो का िौक़ था शपता घर चलात या तसवीर उतरवात कया आप उस ददा को

समझ सकत ि फ़क फ़दल फ़दमाग म शपता की छशव दखना चािता ि मगर वो इतनी धधली ि फ़क कछ फ़दखाई

निी दता गरीबी न बचपन की ितया कर दी थी इटावा क बाद एटा म सकली पिाई बालक गोपालदास रोज

कई फ़कलोमीटर पदल चलता शमटटी क घर म कई बार लालटन की रौिनी भी नसीब न िोती ििा जी दया

कर क पाच रपए िर मिीन भजत और पर पररवार का उसम पट भर जाता एक दो रपए गोपालदास भी कमा

लता बचपन क इस ददा का अिसास िद पार कर गया तो भाव और सर बन क जबान स िट पड़ा अचछा

शलखत और मीठा गात मासटर जी कित दखो सिगल गा रिा ि लफ़कन उनिी मासटर जी न एक बार शसिा एक

नबर स िल कर फ़दया गरीबी क कारण िीस माि थी िल िोन पर िीस भरनी पड़ती घर स किा गया

पिाई छोड़ दो गोपालदास पहच मासटर जी क पास बोल नबर बिा दो वरना मरी पिाई छट जाएगी फ़िर तो

मासटर जी न गोपाल की आख खोल दी वो नसीित दी जो आज तक याद ि मासटर जी की शझड़की काम आई

िाई सकल िसटा शडवीज़न म पास फ़कया उमर सतरि बरस नौकरी फ़दलली म खादय शवभाग म टाइशपसट वतन

सड़सठ रपए मिीन चालीस रपए मा को भजत बाकी म अपना खचा कई बार तो भख िी सोना पड़ता

वस नीरज और गीतो का ररशता दस-गयारि बरस की उमर म िी बन गया था इन गीतो की फ़दल को

छ लन वाली मीठी-मीठी धन िटािट तयार कर दना उनक शलए बाए िाथ का काम था पर जब नवी ककषा म

पित थ तो कशवताओ और गीतो स लोगो को सममोशित करन लग थ घर की िालत अचछी निी थी इसशलए

पढाई क बाद िी नौकरी मजबरी बन गई लफ़कन गोरी सरकार को नीरज क गीतो म बगावत की ब आन

लगी सवाशभमानी नीरज न नौकरी का जआ उतार ि का इसक बाद सार दि न नीरज क गीतो की गगा बित

दखी िररविराय बचचन की कशवताओ न कशवता क ससकार डाल नीरज का पिला कशव सममलन था - एटा म

य उिीस सौ इकतालीस की बात ि वो सकल म पित थ अपन ज़मान क चोटी क साशितयकार और कशव

सोिनलाल शदववदी एक कशव सममलन की अधयकषता करन आए थ उिीस सौ बयालीस म फ़दलली क पिाड़गज

म उनि दोबारा मौका शमला पिली िी कशवता पर इरिाद इरिाद क सवर गजन लग वो कशवता नीरज न तीन

बार सनाई और इनाम शमला-पाच रपय कशव सममलन की सदारत कर रि थ अपन ज़मान क जान मान िायर-

शजगर मरादाबादी नीरज न शजगर सािब क पर छए तो उनिोन गल स लगा शलया बोल उमरदराज़ िो इस

लड़क की कया पढता ि जस नगमा गजता ि इसक बाद तो कशव सममलनो म नीरज की धम मच गई उन

फ़दनो उनका नाम था भावक इटावी

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इसी दौर म उनका समपका कराशतकाररयो स हआ और वो आजादी क आनदोलन म कद पड़ यमना क

बीिड़ो म कराशतकाररयो क साथ िशथयार चलाना सीखा उिीस सौ बयालीस क अगरजो भारत छोड़ो

आनदोलन क दौरान नीरज जल म डाल फ़दए गए शजला कलकटर न धमकाया-मािी मागोग तो छोड़ फ़दए

जाओग सात सौ नौजवानो म स साि छि सौ न मािी माग ली शजनिोन मािी स इनकार फ़कया उनम नीरज

भी थ ऐस िी एक सममलन म उनि लोकशपरय िायर ििीज़ जालधरी न सना ििीज़ सािब अगरजी हकमत की

नौकरी बजा रि थ और सरकारी नीशतयो का परचार करत थ उनि लगा नीरज का अदाज़ लोगो तक सदि

पहचान का ज़ररया बन जाएगा उनिोन नीरज को नौकरी का नयौता भजा पगार एक सौ बीस रपए तय की

गई पसा तो अचछा था लफ़कन वो नीरज का सोच निी खरीद पाए और नीरज न नौकरी को लात मार दी वो

शवदरोि गा रि थ नीरज भागकर कानपर आ गए एक शनजी कमपनी म नौकरी शमली और साथ म पढाई की

छट भी बारिवी पास की इसी दरमयान दि आज़ाद िो गया नीरज को सरकारी नौकरी शमल गई मगर वो

िरान थ सरकारी मिकमो म भरषटाचार दखकर आशखरकार १९५६ म उनिोन य नौकरी भी छोड़ दी कानपर म

शबताए फ़दन नीरज की शज़नदगी का िानदार दौर ि कानपर की याद म उनिोन शलखा -

कानपर आि आज तरी याद आई

कछ और मरी रात हई जाती ि

आख पिल भी बहत रोई थी तर शलए

अब लगता ि फ़क बरसात हई जाती ि

कानपर आज दख जो त अपन बट को

अपन नीरज की जगि लाि उसकी पाएगा

ससता इतना यिा मन खद को बचा ि

मझको मिशलस भी खरीद तो सिम जाएगा

नीरज क गीत इन फ़दनो पर दि म लोगो पर जाद कर रि थ पर उनकी आमदनी स फ़कसी तरि

पररवार का पट पल रिा था पस की तगी स जझत 1954 म उनिोन अपना कोशिनर गीत रचा यि गीत

उनिोन रशडयो पर सनाया था यि गीत था - कारवा गज़र गया गबार दखत रि इस गीत न धम मचा दी

गली-गली म यि लोगो की ज़बान पर था गीत फ़िलमशनमााता चदरिखर को ऐसा भाया फ़क उनिोन इस क दर म

म रखकर फ़िलम नई उमर की नई िसल बना डाली फ़िलम क बाकी गीत भी शजजा की कलम स िी शनकल थ

सार क सार शित और फ़दल को छन वाल इसी गीत न उनकी नौकरी भी अलीगि कॉलज म लगाई तभी स

नीरज अलीगि क और अलीगि उनका िो गया आलम यि था फ़क नीरज को फ़फ़लमी दशनया स बार-बार बलावा

आन लगा नीरज मायानगरी की चकाचौध स दर रिना चाित थ लफ़कन ममबई उनक सवागत म पलक शबछाए

थी मायानगरी म करोड़ो लोग कामयाबी का सपना पालत ि और सारी उमर सघषा करत रित ि वासतव म

फ़फ़लमी दशनया क लोगो स नीरज का वासता तो उिीस सौ शतरपन म िी िो गया था राजकपर क शपता

मगलआज़म पथवीराजकपर अपनी नाटक कमपनी क साथ कानपर आए थ

नीरज क नाम स तब भी लोग कशव सममलनो म उमड़त थ पथवीराज कपर न तीन घट नीरज को सना

और फ़फ़लमो म आन की दावत दी नीरज न उस िसी म उड़ा फ़दया उन फ़दनो वो बलफ़दयो पर थ फ़िलमो -

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इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

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उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

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आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

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भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

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पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

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मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

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शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

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क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 6

सदी इककीस म चली आई ह

पकारती ि गगा सवारती ि गगा

इस पावन वसधरा की आरती ि गगा

अब गगा की किानी सनो

वसधा की ज़बानी सनो

मरी गगा मया अब भी गोमख स िी बिती ि

अि जल और वसन

सब कछ वो िम दती ि

बशलया पटना या िो बकसर

बगाल म वि बिती ि

िररदवार ऋशषकि शबिार म आज भी पजी जाती ि

पर कया वि आज भी वसी ि जसी बद न दखी थी

िमारी गगा मया जो कल-कल छल-छल बिती थी

मली िोकर सख चकी ि

मया न तो िमको बस अमत-जल शपलाया ि

िमन मया को कड़-कचर का िर बनाया ि

किा गई वि गगा कािी म जो बिती थी

सगम की वि शनमाल गगा शजस राम न छआ था

कबीर रदास और रामाननद का यि जिा पर िला था

गोमख स गगा-सागर तक िषय-शयामला धरती की माता ि गगा

रठ गई ि मा िमस िम छोड़ कर जा रिी ि

सोचो एक बार तो सोचो कया मा क शबन रि पाओग

गगा अकली निी शमटगी

ससकशत भी शमट जाएगी

कला भगोल साशितय इशतिास सब कछ िी खो जाएगा

शिनद मशसलम शसकख ईसाई क रगो का रग उड़ जाएगा

जब गगा िी शमट जाएगी

राम-कषण शमट जाएग

अिोक शवसमत िो जाएग

शबशसमलला की ििनाई की गज गम िो जाएगी

मगल पाड की िौया गाथाए शमटटी म शमल जाएगी

लकषमी बाई न रि जाएगी

जननी जनमभशम को सवारती ि गगा

15 60 2018 7

गगा कि रिी ि -

lsquolsquoम जा रिी ह

म शसफ़ा lsquoमrsquo निी

म इशतिास ह म भगोल ह म ससकशत ह म ससकार ह

म जा रिी ह

तमन मरी बहत सवा की पजा की

मझ मा किा

पर अब तम बड़ िो गए िो

अब िायद मा भार लग रिी ि

मा जा रिी ि

म तलसीदास का भशकत-परवाि लकर जा रिी ह

म वीरगाथाए लकर जा रिी ह

म जन-जन की आरती लकर जा रिी ह

म परणामा का दीपक लकर जा रिी ह

मर तट क आकाि दवीप म अब मत ढढना अपन परखो का रासता

म आजीशवका लकर जा रिी ह

म जाना निी चािती

पर तमन मजबर फ़कया ि

अत म जा रिी ह

म इशतिास लकर जा रिी ह

म भारत लकर जा रिी हrsquorsquo

इशतिास क पि िट जाएग

भगोल म लपट छा जाएगी

एक भकमप आएगा

कयोफ़क

कराि रिी ि गगा

जा रिी ि गगा

15 60 2018 8

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र

(नीरज जी को शरदाजशल क रप म अरपात ndash समपादक)

राजि बादल

क़रीब सौ साल पिल का सिदसतान उततरपरदि म अलीगि और उसक आसपास अगरजो भारत छोड़ो

क नार सनाई द रि थ चार जनवरी उिीस सौ पचचीस को अलीगि क पड़ोसी शजल इटावा क परावली गाव म

गोपालदास सकसना न पिली बार दशनया को दखा छि बरस क थ तो शपता िमिा क शलए छोड़कर चल गए

तब स शछयानव साल की उमर तक गीतो क राजकमार को अिसोस रिा फ़क शपता की एक तसवीर तक निी थी

उस दौर म िोटो उतरवाना अमीरो का िौक़ था शपता घर चलात या तसवीर उतरवात कया आप उस ददा को

समझ सकत ि फ़क फ़दल फ़दमाग म शपता की छशव दखना चािता ि मगर वो इतनी धधली ि फ़क कछ फ़दखाई

निी दता गरीबी न बचपन की ितया कर दी थी इटावा क बाद एटा म सकली पिाई बालक गोपालदास रोज

कई फ़कलोमीटर पदल चलता शमटटी क घर म कई बार लालटन की रौिनी भी नसीब न िोती ििा जी दया

कर क पाच रपए िर मिीन भजत और पर पररवार का उसम पट भर जाता एक दो रपए गोपालदास भी कमा

लता बचपन क इस ददा का अिसास िद पार कर गया तो भाव और सर बन क जबान स िट पड़ा अचछा

शलखत और मीठा गात मासटर जी कित दखो सिगल गा रिा ि लफ़कन उनिी मासटर जी न एक बार शसिा एक

नबर स िल कर फ़दया गरीबी क कारण िीस माि थी िल िोन पर िीस भरनी पड़ती घर स किा गया

पिाई छोड़ दो गोपालदास पहच मासटर जी क पास बोल नबर बिा दो वरना मरी पिाई छट जाएगी फ़िर तो

मासटर जी न गोपाल की आख खोल दी वो नसीित दी जो आज तक याद ि मासटर जी की शझड़की काम आई

िाई सकल िसटा शडवीज़न म पास फ़कया उमर सतरि बरस नौकरी फ़दलली म खादय शवभाग म टाइशपसट वतन

सड़सठ रपए मिीन चालीस रपए मा को भजत बाकी म अपना खचा कई बार तो भख िी सोना पड़ता

वस नीरज और गीतो का ररशता दस-गयारि बरस की उमर म िी बन गया था इन गीतो की फ़दल को

छ लन वाली मीठी-मीठी धन िटािट तयार कर दना उनक शलए बाए िाथ का काम था पर जब नवी ककषा म

पित थ तो कशवताओ और गीतो स लोगो को सममोशित करन लग थ घर की िालत अचछी निी थी इसशलए

पढाई क बाद िी नौकरी मजबरी बन गई लफ़कन गोरी सरकार को नीरज क गीतो म बगावत की ब आन

लगी सवाशभमानी नीरज न नौकरी का जआ उतार ि का इसक बाद सार दि न नीरज क गीतो की गगा बित

दखी िररविराय बचचन की कशवताओ न कशवता क ससकार डाल नीरज का पिला कशव सममलन था - एटा म

य उिीस सौ इकतालीस की बात ि वो सकल म पित थ अपन ज़मान क चोटी क साशितयकार और कशव

सोिनलाल शदववदी एक कशव सममलन की अधयकषता करन आए थ उिीस सौ बयालीस म फ़दलली क पिाड़गज

म उनि दोबारा मौका शमला पिली िी कशवता पर इरिाद इरिाद क सवर गजन लग वो कशवता नीरज न तीन

बार सनाई और इनाम शमला-पाच रपय कशव सममलन की सदारत कर रि थ अपन ज़मान क जान मान िायर-

शजगर मरादाबादी नीरज न शजगर सािब क पर छए तो उनिोन गल स लगा शलया बोल उमरदराज़ िो इस

लड़क की कया पढता ि जस नगमा गजता ि इसक बाद तो कशव सममलनो म नीरज की धम मच गई उन

फ़दनो उनका नाम था भावक इटावी

15 60 2018 9

इसी दौर म उनका समपका कराशतकाररयो स हआ और वो आजादी क आनदोलन म कद पड़ यमना क

बीिड़ो म कराशतकाररयो क साथ िशथयार चलाना सीखा उिीस सौ बयालीस क अगरजो भारत छोड़ो

आनदोलन क दौरान नीरज जल म डाल फ़दए गए शजला कलकटर न धमकाया-मािी मागोग तो छोड़ फ़दए

जाओग सात सौ नौजवानो म स साि छि सौ न मािी माग ली शजनिोन मािी स इनकार फ़कया उनम नीरज

भी थ ऐस िी एक सममलन म उनि लोकशपरय िायर ििीज़ जालधरी न सना ििीज़ सािब अगरजी हकमत की

नौकरी बजा रि थ और सरकारी नीशतयो का परचार करत थ उनि लगा नीरज का अदाज़ लोगो तक सदि

पहचान का ज़ररया बन जाएगा उनिोन नीरज को नौकरी का नयौता भजा पगार एक सौ बीस रपए तय की

गई पसा तो अचछा था लफ़कन वो नीरज का सोच निी खरीद पाए और नीरज न नौकरी को लात मार दी वो

शवदरोि गा रि थ नीरज भागकर कानपर आ गए एक शनजी कमपनी म नौकरी शमली और साथ म पढाई की

छट भी बारिवी पास की इसी दरमयान दि आज़ाद िो गया नीरज को सरकारी नौकरी शमल गई मगर वो

िरान थ सरकारी मिकमो म भरषटाचार दखकर आशखरकार १९५६ म उनिोन य नौकरी भी छोड़ दी कानपर म

शबताए फ़दन नीरज की शज़नदगी का िानदार दौर ि कानपर की याद म उनिोन शलखा -

कानपर आि आज तरी याद आई

कछ और मरी रात हई जाती ि

आख पिल भी बहत रोई थी तर शलए

अब लगता ि फ़क बरसात हई जाती ि

कानपर आज दख जो त अपन बट को

अपन नीरज की जगि लाि उसकी पाएगा

ससता इतना यिा मन खद को बचा ि

मझको मिशलस भी खरीद तो सिम जाएगा

नीरज क गीत इन फ़दनो पर दि म लोगो पर जाद कर रि थ पर उनकी आमदनी स फ़कसी तरि

पररवार का पट पल रिा था पस की तगी स जझत 1954 म उनिोन अपना कोशिनर गीत रचा यि गीत

उनिोन रशडयो पर सनाया था यि गीत था - कारवा गज़र गया गबार दखत रि इस गीत न धम मचा दी

गली-गली म यि लोगो की ज़बान पर था गीत फ़िलमशनमााता चदरिखर को ऐसा भाया फ़क उनिोन इस क दर म

म रखकर फ़िलम नई उमर की नई िसल बना डाली फ़िलम क बाकी गीत भी शजजा की कलम स िी शनकल थ

सार क सार शित और फ़दल को छन वाल इसी गीत न उनकी नौकरी भी अलीगि कॉलज म लगाई तभी स

नीरज अलीगि क और अलीगि उनका िो गया आलम यि था फ़क नीरज को फ़फ़लमी दशनया स बार-बार बलावा

आन लगा नीरज मायानगरी की चकाचौध स दर रिना चाित थ लफ़कन ममबई उनक सवागत म पलक शबछाए

थी मायानगरी म करोड़ो लोग कामयाबी का सपना पालत ि और सारी उमर सघषा करत रित ि वासतव म

फ़फ़लमी दशनया क लोगो स नीरज का वासता तो उिीस सौ शतरपन म िी िो गया था राजकपर क शपता

मगलआज़म पथवीराजकपर अपनी नाटक कमपनी क साथ कानपर आए थ

नीरज क नाम स तब भी लोग कशव सममलनो म उमड़त थ पथवीराज कपर न तीन घट नीरज को सना

और फ़फ़लमो म आन की दावत दी नीरज न उस िसी म उड़ा फ़दया उन फ़दनो वो बलफ़दयो पर थ फ़िलमो -

15 60 2018 10

इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

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उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

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आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

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भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

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पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

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मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

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शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

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क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

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िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

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१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

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नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

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भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

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साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 7

गगा कि रिी ि -

lsquolsquoम जा रिी ह

म शसफ़ा lsquoमrsquo निी

म इशतिास ह म भगोल ह म ससकशत ह म ससकार ह

म जा रिी ह

तमन मरी बहत सवा की पजा की

मझ मा किा

पर अब तम बड़ िो गए िो

अब िायद मा भार लग रिी ि

मा जा रिी ि

म तलसीदास का भशकत-परवाि लकर जा रिी ह

म वीरगाथाए लकर जा रिी ह

म जन-जन की आरती लकर जा रिी ह

म परणामा का दीपक लकर जा रिी ह

मर तट क आकाि दवीप म अब मत ढढना अपन परखो का रासता

म आजीशवका लकर जा रिी ह

म जाना निी चािती

पर तमन मजबर फ़कया ि

अत म जा रिी ह

म इशतिास लकर जा रिी ह

म भारत लकर जा रिी हrsquorsquo

इशतिास क पि िट जाएग

भगोल म लपट छा जाएगी

एक भकमप आएगा

कयोफ़क

कराि रिी ि गगा

जा रिी ि गगा

15 60 2018 8

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र

(नीरज जी को शरदाजशल क रप म अरपात ndash समपादक)

राजि बादल

क़रीब सौ साल पिल का सिदसतान उततरपरदि म अलीगि और उसक आसपास अगरजो भारत छोड़ो

क नार सनाई द रि थ चार जनवरी उिीस सौ पचचीस को अलीगि क पड़ोसी शजल इटावा क परावली गाव म

गोपालदास सकसना न पिली बार दशनया को दखा छि बरस क थ तो शपता िमिा क शलए छोड़कर चल गए

तब स शछयानव साल की उमर तक गीतो क राजकमार को अिसोस रिा फ़क शपता की एक तसवीर तक निी थी

उस दौर म िोटो उतरवाना अमीरो का िौक़ था शपता घर चलात या तसवीर उतरवात कया आप उस ददा को

समझ सकत ि फ़क फ़दल फ़दमाग म शपता की छशव दखना चािता ि मगर वो इतनी धधली ि फ़क कछ फ़दखाई

निी दता गरीबी न बचपन की ितया कर दी थी इटावा क बाद एटा म सकली पिाई बालक गोपालदास रोज

कई फ़कलोमीटर पदल चलता शमटटी क घर म कई बार लालटन की रौिनी भी नसीब न िोती ििा जी दया

कर क पाच रपए िर मिीन भजत और पर पररवार का उसम पट भर जाता एक दो रपए गोपालदास भी कमा

लता बचपन क इस ददा का अिसास िद पार कर गया तो भाव और सर बन क जबान स िट पड़ा अचछा

शलखत और मीठा गात मासटर जी कित दखो सिगल गा रिा ि लफ़कन उनिी मासटर जी न एक बार शसिा एक

नबर स िल कर फ़दया गरीबी क कारण िीस माि थी िल िोन पर िीस भरनी पड़ती घर स किा गया

पिाई छोड़ दो गोपालदास पहच मासटर जी क पास बोल नबर बिा दो वरना मरी पिाई छट जाएगी फ़िर तो

मासटर जी न गोपाल की आख खोल दी वो नसीित दी जो आज तक याद ि मासटर जी की शझड़की काम आई

िाई सकल िसटा शडवीज़न म पास फ़कया उमर सतरि बरस नौकरी फ़दलली म खादय शवभाग म टाइशपसट वतन

सड़सठ रपए मिीन चालीस रपए मा को भजत बाकी म अपना खचा कई बार तो भख िी सोना पड़ता

वस नीरज और गीतो का ररशता दस-गयारि बरस की उमर म िी बन गया था इन गीतो की फ़दल को

छ लन वाली मीठी-मीठी धन िटािट तयार कर दना उनक शलए बाए िाथ का काम था पर जब नवी ककषा म

पित थ तो कशवताओ और गीतो स लोगो को सममोशित करन लग थ घर की िालत अचछी निी थी इसशलए

पढाई क बाद िी नौकरी मजबरी बन गई लफ़कन गोरी सरकार को नीरज क गीतो म बगावत की ब आन

लगी सवाशभमानी नीरज न नौकरी का जआ उतार ि का इसक बाद सार दि न नीरज क गीतो की गगा बित

दखी िररविराय बचचन की कशवताओ न कशवता क ससकार डाल नीरज का पिला कशव सममलन था - एटा म

य उिीस सौ इकतालीस की बात ि वो सकल म पित थ अपन ज़मान क चोटी क साशितयकार और कशव

सोिनलाल शदववदी एक कशव सममलन की अधयकषता करन आए थ उिीस सौ बयालीस म फ़दलली क पिाड़गज

म उनि दोबारा मौका शमला पिली िी कशवता पर इरिाद इरिाद क सवर गजन लग वो कशवता नीरज न तीन

बार सनाई और इनाम शमला-पाच रपय कशव सममलन की सदारत कर रि थ अपन ज़मान क जान मान िायर-

शजगर मरादाबादी नीरज न शजगर सािब क पर छए तो उनिोन गल स लगा शलया बोल उमरदराज़ िो इस

लड़क की कया पढता ि जस नगमा गजता ि इसक बाद तो कशव सममलनो म नीरज की धम मच गई उन

फ़दनो उनका नाम था भावक इटावी

15 60 2018 9

इसी दौर म उनका समपका कराशतकाररयो स हआ और वो आजादी क आनदोलन म कद पड़ यमना क

बीिड़ो म कराशतकाररयो क साथ िशथयार चलाना सीखा उिीस सौ बयालीस क अगरजो भारत छोड़ो

आनदोलन क दौरान नीरज जल म डाल फ़दए गए शजला कलकटर न धमकाया-मािी मागोग तो छोड़ फ़दए

जाओग सात सौ नौजवानो म स साि छि सौ न मािी माग ली शजनिोन मािी स इनकार फ़कया उनम नीरज

भी थ ऐस िी एक सममलन म उनि लोकशपरय िायर ििीज़ जालधरी न सना ििीज़ सािब अगरजी हकमत की

नौकरी बजा रि थ और सरकारी नीशतयो का परचार करत थ उनि लगा नीरज का अदाज़ लोगो तक सदि

पहचान का ज़ररया बन जाएगा उनिोन नीरज को नौकरी का नयौता भजा पगार एक सौ बीस रपए तय की

गई पसा तो अचछा था लफ़कन वो नीरज का सोच निी खरीद पाए और नीरज न नौकरी को लात मार दी वो

शवदरोि गा रि थ नीरज भागकर कानपर आ गए एक शनजी कमपनी म नौकरी शमली और साथ म पढाई की

छट भी बारिवी पास की इसी दरमयान दि आज़ाद िो गया नीरज को सरकारी नौकरी शमल गई मगर वो

िरान थ सरकारी मिकमो म भरषटाचार दखकर आशखरकार १९५६ म उनिोन य नौकरी भी छोड़ दी कानपर म

शबताए फ़दन नीरज की शज़नदगी का िानदार दौर ि कानपर की याद म उनिोन शलखा -

कानपर आि आज तरी याद आई

कछ और मरी रात हई जाती ि

आख पिल भी बहत रोई थी तर शलए

अब लगता ि फ़क बरसात हई जाती ि

कानपर आज दख जो त अपन बट को

अपन नीरज की जगि लाि उसकी पाएगा

ससता इतना यिा मन खद को बचा ि

मझको मिशलस भी खरीद तो सिम जाएगा

नीरज क गीत इन फ़दनो पर दि म लोगो पर जाद कर रि थ पर उनकी आमदनी स फ़कसी तरि

पररवार का पट पल रिा था पस की तगी स जझत 1954 म उनिोन अपना कोशिनर गीत रचा यि गीत

उनिोन रशडयो पर सनाया था यि गीत था - कारवा गज़र गया गबार दखत रि इस गीत न धम मचा दी

गली-गली म यि लोगो की ज़बान पर था गीत फ़िलमशनमााता चदरिखर को ऐसा भाया फ़क उनिोन इस क दर म

म रखकर फ़िलम नई उमर की नई िसल बना डाली फ़िलम क बाकी गीत भी शजजा की कलम स िी शनकल थ

सार क सार शित और फ़दल को छन वाल इसी गीत न उनकी नौकरी भी अलीगि कॉलज म लगाई तभी स

नीरज अलीगि क और अलीगि उनका िो गया आलम यि था फ़क नीरज को फ़फ़लमी दशनया स बार-बार बलावा

आन लगा नीरज मायानगरी की चकाचौध स दर रिना चाित थ लफ़कन ममबई उनक सवागत म पलक शबछाए

थी मायानगरी म करोड़ो लोग कामयाबी का सपना पालत ि और सारी उमर सघषा करत रित ि वासतव म

फ़फ़लमी दशनया क लोगो स नीरज का वासता तो उिीस सौ शतरपन म िी िो गया था राजकपर क शपता

मगलआज़म पथवीराजकपर अपनी नाटक कमपनी क साथ कानपर आए थ

नीरज क नाम स तब भी लोग कशव सममलनो म उमड़त थ पथवीराज कपर न तीन घट नीरज को सना

और फ़फ़लमो म आन की दावत दी नीरज न उस िसी म उड़ा फ़दया उन फ़दनो वो बलफ़दयो पर थ फ़िलमो -

15 60 2018 10

इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

15 60 2018 11

उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

15 60 2018 12

आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

15 60 2018 13

भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 8

सदी क मसाफ़फ़र का आशिरी सफ़र

(नीरज जी को शरदाजशल क रप म अरपात ndash समपादक)

राजि बादल

क़रीब सौ साल पिल का सिदसतान उततरपरदि म अलीगि और उसक आसपास अगरजो भारत छोड़ो

क नार सनाई द रि थ चार जनवरी उिीस सौ पचचीस को अलीगि क पड़ोसी शजल इटावा क परावली गाव म

गोपालदास सकसना न पिली बार दशनया को दखा छि बरस क थ तो शपता िमिा क शलए छोड़कर चल गए

तब स शछयानव साल की उमर तक गीतो क राजकमार को अिसोस रिा फ़क शपता की एक तसवीर तक निी थी

उस दौर म िोटो उतरवाना अमीरो का िौक़ था शपता घर चलात या तसवीर उतरवात कया आप उस ददा को

समझ सकत ि फ़क फ़दल फ़दमाग म शपता की छशव दखना चािता ि मगर वो इतनी धधली ि फ़क कछ फ़दखाई

निी दता गरीबी न बचपन की ितया कर दी थी इटावा क बाद एटा म सकली पिाई बालक गोपालदास रोज

कई फ़कलोमीटर पदल चलता शमटटी क घर म कई बार लालटन की रौिनी भी नसीब न िोती ििा जी दया

कर क पाच रपए िर मिीन भजत और पर पररवार का उसम पट भर जाता एक दो रपए गोपालदास भी कमा

लता बचपन क इस ददा का अिसास िद पार कर गया तो भाव और सर बन क जबान स िट पड़ा अचछा

शलखत और मीठा गात मासटर जी कित दखो सिगल गा रिा ि लफ़कन उनिी मासटर जी न एक बार शसिा एक

नबर स िल कर फ़दया गरीबी क कारण िीस माि थी िल िोन पर िीस भरनी पड़ती घर स किा गया

पिाई छोड़ दो गोपालदास पहच मासटर जी क पास बोल नबर बिा दो वरना मरी पिाई छट जाएगी फ़िर तो

मासटर जी न गोपाल की आख खोल दी वो नसीित दी जो आज तक याद ि मासटर जी की शझड़की काम आई

िाई सकल िसटा शडवीज़न म पास फ़कया उमर सतरि बरस नौकरी फ़दलली म खादय शवभाग म टाइशपसट वतन

सड़सठ रपए मिीन चालीस रपए मा को भजत बाकी म अपना खचा कई बार तो भख िी सोना पड़ता

वस नीरज और गीतो का ररशता दस-गयारि बरस की उमर म िी बन गया था इन गीतो की फ़दल को

छ लन वाली मीठी-मीठी धन िटािट तयार कर दना उनक शलए बाए िाथ का काम था पर जब नवी ककषा म

पित थ तो कशवताओ और गीतो स लोगो को सममोशित करन लग थ घर की िालत अचछी निी थी इसशलए

पढाई क बाद िी नौकरी मजबरी बन गई लफ़कन गोरी सरकार को नीरज क गीतो म बगावत की ब आन

लगी सवाशभमानी नीरज न नौकरी का जआ उतार ि का इसक बाद सार दि न नीरज क गीतो की गगा बित

दखी िररविराय बचचन की कशवताओ न कशवता क ससकार डाल नीरज का पिला कशव सममलन था - एटा म

य उिीस सौ इकतालीस की बात ि वो सकल म पित थ अपन ज़मान क चोटी क साशितयकार और कशव

सोिनलाल शदववदी एक कशव सममलन की अधयकषता करन आए थ उिीस सौ बयालीस म फ़दलली क पिाड़गज

म उनि दोबारा मौका शमला पिली िी कशवता पर इरिाद इरिाद क सवर गजन लग वो कशवता नीरज न तीन

बार सनाई और इनाम शमला-पाच रपय कशव सममलन की सदारत कर रि थ अपन ज़मान क जान मान िायर-

शजगर मरादाबादी नीरज न शजगर सािब क पर छए तो उनिोन गल स लगा शलया बोल उमरदराज़ िो इस

लड़क की कया पढता ि जस नगमा गजता ि इसक बाद तो कशव सममलनो म नीरज की धम मच गई उन

फ़दनो उनका नाम था भावक इटावी

15 60 2018 9

इसी दौर म उनका समपका कराशतकाररयो स हआ और वो आजादी क आनदोलन म कद पड़ यमना क

बीिड़ो म कराशतकाररयो क साथ िशथयार चलाना सीखा उिीस सौ बयालीस क अगरजो भारत छोड़ो

आनदोलन क दौरान नीरज जल म डाल फ़दए गए शजला कलकटर न धमकाया-मािी मागोग तो छोड़ फ़दए

जाओग सात सौ नौजवानो म स साि छि सौ न मािी माग ली शजनिोन मािी स इनकार फ़कया उनम नीरज

भी थ ऐस िी एक सममलन म उनि लोकशपरय िायर ििीज़ जालधरी न सना ििीज़ सािब अगरजी हकमत की

नौकरी बजा रि थ और सरकारी नीशतयो का परचार करत थ उनि लगा नीरज का अदाज़ लोगो तक सदि

पहचान का ज़ररया बन जाएगा उनिोन नीरज को नौकरी का नयौता भजा पगार एक सौ बीस रपए तय की

गई पसा तो अचछा था लफ़कन वो नीरज का सोच निी खरीद पाए और नीरज न नौकरी को लात मार दी वो

शवदरोि गा रि थ नीरज भागकर कानपर आ गए एक शनजी कमपनी म नौकरी शमली और साथ म पढाई की

छट भी बारिवी पास की इसी दरमयान दि आज़ाद िो गया नीरज को सरकारी नौकरी शमल गई मगर वो

िरान थ सरकारी मिकमो म भरषटाचार दखकर आशखरकार १९५६ म उनिोन य नौकरी भी छोड़ दी कानपर म

शबताए फ़दन नीरज की शज़नदगी का िानदार दौर ि कानपर की याद म उनिोन शलखा -

कानपर आि आज तरी याद आई

कछ और मरी रात हई जाती ि

आख पिल भी बहत रोई थी तर शलए

अब लगता ि फ़क बरसात हई जाती ि

कानपर आज दख जो त अपन बट को

अपन नीरज की जगि लाि उसकी पाएगा

ससता इतना यिा मन खद को बचा ि

मझको मिशलस भी खरीद तो सिम जाएगा

नीरज क गीत इन फ़दनो पर दि म लोगो पर जाद कर रि थ पर उनकी आमदनी स फ़कसी तरि

पररवार का पट पल रिा था पस की तगी स जझत 1954 म उनिोन अपना कोशिनर गीत रचा यि गीत

उनिोन रशडयो पर सनाया था यि गीत था - कारवा गज़र गया गबार दखत रि इस गीत न धम मचा दी

गली-गली म यि लोगो की ज़बान पर था गीत फ़िलमशनमााता चदरिखर को ऐसा भाया फ़क उनिोन इस क दर म

म रखकर फ़िलम नई उमर की नई िसल बना डाली फ़िलम क बाकी गीत भी शजजा की कलम स िी शनकल थ

सार क सार शित और फ़दल को छन वाल इसी गीत न उनकी नौकरी भी अलीगि कॉलज म लगाई तभी स

नीरज अलीगि क और अलीगि उनका िो गया आलम यि था फ़क नीरज को फ़फ़लमी दशनया स बार-बार बलावा

आन लगा नीरज मायानगरी की चकाचौध स दर रिना चाित थ लफ़कन ममबई उनक सवागत म पलक शबछाए

थी मायानगरी म करोड़ो लोग कामयाबी का सपना पालत ि और सारी उमर सघषा करत रित ि वासतव म

फ़फ़लमी दशनया क लोगो स नीरज का वासता तो उिीस सौ शतरपन म िी िो गया था राजकपर क शपता

मगलआज़म पथवीराजकपर अपनी नाटक कमपनी क साथ कानपर आए थ

नीरज क नाम स तब भी लोग कशव सममलनो म उमड़त थ पथवीराज कपर न तीन घट नीरज को सना

और फ़फ़लमो म आन की दावत दी नीरज न उस िसी म उड़ा फ़दया उन फ़दनो वो बलफ़दयो पर थ फ़िलमो -

15 60 2018 10

इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

15 60 2018 11

उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

15 60 2018 12

आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

15 60 2018 13

भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 9

इसी दौर म उनका समपका कराशतकाररयो स हआ और वो आजादी क आनदोलन म कद पड़ यमना क

बीिड़ो म कराशतकाररयो क साथ िशथयार चलाना सीखा उिीस सौ बयालीस क अगरजो भारत छोड़ो

आनदोलन क दौरान नीरज जल म डाल फ़दए गए शजला कलकटर न धमकाया-मािी मागोग तो छोड़ फ़दए

जाओग सात सौ नौजवानो म स साि छि सौ न मािी माग ली शजनिोन मािी स इनकार फ़कया उनम नीरज

भी थ ऐस िी एक सममलन म उनि लोकशपरय िायर ििीज़ जालधरी न सना ििीज़ सािब अगरजी हकमत की

नौकरी बजा रि थ और सरकारी नीशतयो का परचार करत थ उनि लगा नीरज का अदाज़ लोगो तक सदि

पहचान का ज़ररया बन जाएगा उनिोन नीरज को नौकरी का नयौता भजा पगार एक सौ बीस रपए तय की

गई पसा तो अचछा था लफ़कन वो नीरज का सोच निी खरीद पाए और नीरज न नौकरी को लात मार दी वो

शवदरोि गा रि थ नीरज भागकर कानपर आ गए एक शनजी कमपनी म नौकरी शमली और साथ म पढाई की

छट भी बारिवी पास की इसी दरमयान दि आज़ाद िो गया नीरज को सरकारी नौकरी शमल गई मगर वो

िरान थ सरकारी मिकमो म भरषटाचार दखकर आशखरकार १९५६ म उनिोन य नौकरी भी छोड़ दी कानपर म

शबताए फ़दन नीरज की शज़नदगी का िानदार दौर ि कानपर की याद म उनिोन शलखा -

कानपर आि आज तरी याद आई

कछ और मरी रात हई जाती ि

आख पिल भी बहत रोई थी तर शलए

अब लगता ि फ़क बरसात हई जाती ि

कानपर आज दख जो त अपन बट को

अपन नीरज की जगि लाि उसकी पाएगा

ससता इतना यिा मन खद को बचा ि

मझको मिशलस भी खरीद तो सिम जाएगा

नीरज क गीत इन फ़दनो पर दि म लोगो पर जाद कर रि थ पर उनकी आमदनी स फ़कसी तरि

पररवार का पट पल रिा था पस की तगी स जझत 1954 म उनिोन अपना कोशिनर गीत रचा यि गीत

उनिोन रशडयो पर सनाया था यि गीत था - कारवा गज़र गया गबार दखत रि इस गीत न धम मचा दी

गली-गली म यि लोगो की ज़बान पर था गीत फ़िलमशनमााता चदरिखर को ऐसा भाया फ़क उनिोन इस क दर म

म रखकर फ़िलम नई उमर की नई िसल बना डाली फ़िलम क बाकी गीत भी शजजा की कलम स िी शनकल थ

सार क सार शित और फ़दल को छन वाल इसी गीत न उनकी नौकरी भी अलीगि कॉलज म लगाई तभी स

नीरज अलीगि क और अलीगि उनका िो गया आलम यि था फ़क नीरज को फ़फ़लमी दशनया स बार-बार बलावा

आन लगा नीरज मायानगरी की चकाचौध स दर रिना चाित थ लफ़कन ममबई उनक सवागत म पलक शबछाए

थी मायानगरी म करोड़ो लोग कामयाबी का सपना पालत ि और सारी उमर सघषा करत रित ि वासतव म

फ़फ़लमी दशनया क लोगो स नीरज का वासता तो उिीस सौ शतरपन म िी िो गया था राजकपर क शपता

मगलआज़म पथवीराजकपर अपनी नाटक कमपनी क साथ कानपर आए थ

नीरज क नाम स तब भी लोग कशव सममलनो म उमड़त थ पथवीराज कपर न तीन घट नीरज को सना

और फ़फ़लमो म आन की दावत दी नीरज न उस िसी म उड़ा फ़दया उन फ़दनो वो बलफ़दयो पर थ फ़िलमो -

15 60 2018 10

इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

15 60 2018 11

उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

15 60 2018 12

आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

15 60 2018 13

भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

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अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 10

इलमो पर कया धयान दत मगर इनिी फ़दनो वो दवानद स टकरा गए दो सदाबिार िीरो एक दसर क मरीद िो

गए और दोसती हई तो दव सािब की दशनया स शवदाई क बाद िी टटी फ़िलम शनमााता दवानद किता तो नीरज

एक बार निी सौ बार मना कर दत लफ़कन दवानद को दोसतो क दोसत नीरज कस मना करत न न करत

भी दवानद न परम पजारी क गीत शलखवा शलए

एक क बाद एक सपरशिट गीतो की नीरज न झड़ी लगा दी

वो दौर बितरीन परमकिाशनयो का था गीत नायाब फ़फ़लम िानदार और नीरज की बिार परम गीतो

का अदधभत ससार कछ गीतो क मखड़ दशखए ndash

दखती िी रिो आज दपाण न तम पयार का य महता शनकल जायगा ndash

आज की रात बड़ी िोख बड़ी नटखट ि

शलख जो खत तझ वो तरी याद म िज़ारो रग क नज़ार बन गए

िलो क रग स फ़दल की कलम स

िोशखयो म घोला जाए िलो का िबाब

आज मदिोि हआ जाए र

रिमी उजाला ि मखमली अनधरा

रगीला र तर रग म रगा ि मरा मन

मघा छाए आधी रात सबि न आए िाम नआए

शखलत ि गल यिा

दरअसल परम और शरगार गीतो न

परम और शरगार गीतोन नीरज की पिचान एक ऐस गीतकार की बनाई ि शजसस वो आज तक मकत

निी िो पाए ि इस कारण उनक जीवन-दिान और उनक भीतर शछप यायावर को लोग निी समझ पाए

सज़दगी की करठन सचचाई और नीरज क आसान िबद एक गीत ि - बस यिी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह और ए भाई ज़रा दख क चलो दरअसल राजकपर तो इस गीत को

लकर उलझन म थ - आशखर यि कसा गीत ि इसकी धन कस बनाई नीरज न मशशकल आसान कर दी

लफ़कन बदलत ज़मान पर आशखर फ़कसका जोर ि छ-सात साल नीरज मायानगरी म रि मगर फ़दल तो

अलीगि म िी छोड़ गए थ विी अटका रिा अपन ििर की तड़प और बि गई जब फ़फ़लम

शनमााता गीतो म धन क मताशबक़ तबदीली पर ज़ोर दन लग नीरज का मन किता - छोड़ो कया धरा ि ममबई

म एक फ़दन तो राजकपर को खरी-खरी सना दी उनस किा भाई दखो फ़िलम इडसरी को चाशिए शबना पि

शलख लोग म तो पिा शलखा ह परोिसर ह मझ भखो मरन का सकट निी िोगा मरग आपक शबना पि-शलख

लोग म उनक इिार पर थोड़ िी गीत शलखन आया ह इसी बीच उनक साथी भी एकएक कर साथ छोड़न लग

रौिन ि एस डी बमान गए फ़िर िकर जयफ़किन की जोड़ी टट गई तो 1973 म नीरज न मायानगरी को

अलशवदा कि फ़दया बोररया-शबसतर समटा और अलीगि लौट आए आप कि सकत ि फ़क नीरज वो

गीतकार थ शजनि मायानगरी न बड़ अदब स बलाया था और मोिभग हआ तो उस ठकरा कर चल आए

15 60 2018 11

उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

15 60 2018 12

आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

15 60 2018 13

भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

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िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

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१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

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नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

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भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

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साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 11

उसक बाद दवानद न बहत शज़द की तो उनकी आशिरी फ़फ़लम चाजािीट क शलए एक खबसरत गीत

रचा दवानद तो चल गय पर नीरज क फ़दल म दवानद आशिरी सास तक धड़कता रिा माया बहत लोगो

को लभाती ि लफ़कन नीरज वो ि जो मायानगरी की माया स कोसो दर रिा

आमतौर पर नीरज को परम और शरगार क गीतो को गिन वाला अदभत शिलपी माना जाता ि लफ़कन

नीरज क तमाम रप ि उनक गीत बदलत दौर का दसतावज़ ि और उनक गीत इसका सबत एक दौर ऐसा भी

आया था जब िर ििर म मशिलाए लड़फ़कया और सदररया उनक पीछ पड़ जाती थी नीरज क शलए उनस

पीछा छड़ाना मशशकल िो जाता था एक बार तो एक मशिला न उनि इतन परमपतर शलख फ़क उन पर बाद म एक

सकलन परकाशित िो गया इस सकलन स ऐस िी कछ पतरो की बानगी आपक शलए पि ि य पतर वासतशवक ि

और सिदी की एक परशसद लशखका दवारा शलख गए ि इनका साशिशतयक मितव इसशलए ि कयोफ़क परम क अलावा

इनम जीवन की अनक सामशयक और िाशवत समसयाओ पर शवचार फ़कया गया ि

पतर-1

शपरय नीरज जी

आपका कावयपाठ सनकर यकायक िी मझ अपन सवय क जीवन स एक आनद शमशशरत एकतव का

अनभव हआ ि इन कशवताओ स मरी खोई आतमा फ़िर परापत िो गई ि मझ सचना शमली ि फ़क आप यिा

फ़िर आ रि ि शवशवास करती ह फ़क आपस पिली बार भट करन की मरी कामना परी िोगी

आपकी नी

पतर 2

आपका पतर जो सनि शसकत और मनरजन ि - उसक शलए आभारी ह |िा म विी ह जो उस फ़दन

जब आप कशवता पाठ कर रि थ - आपक ठीक सामन बठी थी

पतर 3

शपरय बध

तमिारी पयारी आवाज़ सनन क शलए म इतनी शवकल थी लफ़कन शनरतर परयतन करन पर भी पटना

रशडयो क कशव सममलन म निी सन पाई कया तम सचमच पटना रशडयो पर बोल थ फ़िर भी तम मर

शलए अभी भी अपररशचत और अनजान िी िो |

पतर -4

मर परम शमतर

वि कौन सी मशजल ि जिा िम जा रि ि वि कौन सा सवपन ि शजस िम अपनी रातो का राजकमार

और नीद का शरगार बना रि ि | तम कस िो तमिार शवषय म लोगो स तरि-तरि की बात सनती ह लफ़कन

तमिार शवषय म कोई धारणा बना लन की ज़लदबाजी मन निी की ि |अचछा अगला पतर कया तम मझ सिदी

म शलखोग

तमिारी िी

नी

पतर 5

पयार कशव

15 60 2018 12

आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

15 60 2018 13

भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 12

आज रशववार ि म घर पर ह और साझ की इस घोर उदासी म डबी ह | म तमस पराथाना करती ह

फ़क मझस बहत अशधक आिा मत रखो कयोफ़क म तमिारी कलपना क शवपरीत भी िो सकती ह तम बहत वयगर

मालम िोत िो अगर िो तो फ़िर दर कयो करत िो आ कयो निी जात आओग न म परतीकषा कर रिी ह

| नी

पतर 6

गीतो क राजकमार

म तमिार शवषय म कछ निी जानती कया तम मझ पर शवशवास करत िो और कया यि मानत िो

फ़क म ईमानदार हजब म तमस किती ह काि म तमिार शलए कछ कर सकतीइस समय सबि क चार

बज िसारा ससार सो रिा ितम भी इस समय अपनी पतथरो क दि की राजकमारी क सपनो म डब

िोगनिी म रोमारटक निी हम तमस कषमा मागना चािती ह नीरकया तम मझ कषमा करोगयि

सतय ि फ़क तम सखी निी िोइसशलए फ़िर पछती हकया फ़कसी परकार भी म तमि सखी कर सकती ह

पयार कशवमझ डर ि फ़क िमारा शमलन अब एक असिल शमलन िी शसद िोगानीरम हदय स धारमाक

सतरी हजीवन क परशत ईमानदार हसौनदया को पयार करती हसतय को खोज रिी हपशचाताप बरा समझती

हकया तमिारी रागवशत और मरी तयागवशत का शमलन शबना फ़कसी शवसिोट क समभव िबहत बार मरा

मन करता ि फ़क तमिार पास आ जाऊ और तमिार शनकट बठ कर जी भर कर रो ल

तमिारी अपनी िी

नी

लफ़कन 75 साल क सफ़र म पसठ साल तक नीरज न जो कावय साधना की उसक बार म लोग न क

बराबर िी जानत ि दरअसल नीरज क गीतो म वयवसथा क परशत शवदरोि इसाशनयत का पाठ जीवन दिान

आधयाशतमक सोच और धमाशनरपकष मलयो का जो असर ि उसक मकाबल परम गीत तो एक िीसदी निी ि खद

नीरज भी यिी मानत थ

आज़ादी स पिल जब अगरज़ी हकमत क शखलाफ़ कोई ज़बान निी खोल सकता था तो नीरज न

शवदरोि गीत गाकर खलबली मचाई थी दि आज़ाद हआ तो भरषटाचार क मदद पर नौकरी को लात मार

दी सासकशतक राजनीशतक और सामाशजक मलयो म शगरावट पर उनकी कलम खब चली दिसवा क नाम पर

राजनीशत करन वालो की उनिोन जमकर िबर ली

आशिरी फ़दनो म दि तो थकन लगी थी मगर फ़दल और फ़दमाग उतना िी सफ़करय उनका एक फ़दन

कसा था

वक़त पर उठत रि सरज को सलाम करत थ वाकर क सिार चल कर आत बरामद म पिली चाय

िोती फ़िर पढन का शसलशसला तब तक कछ दोसत दीवान आत दशनया जिान की बात कभी-कभी परानी

यादो म खो जात तसवीरो और अपनी िी फ़कताबो क ज़ररए अपन आप स बात करत रित थ अब तक क सफ़र

स परी तरि सतषट

सदी क इस मसाफ़िर को अपन सफ़रनाम पर कोई िास अफ़सोस निी रिा न उनको दौलत की चाि

थी न िौिरत की चाि कछ चाि थी तो बस इसाशनयत की चाि थी धप चित िी नीरज को शचरियो क उततर

15 60 2018 13

भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

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छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

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lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

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दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 13

भी दन िोत थ िर खत का जवाब दना ममफ़कन निी फ़िर भी ससगससग स उततर शलखवात थ कभी-कभी िद

भी शलखन बठ जात कोई दीवाना उनस खत म कशवता की िरमाइि कर बठा तोअब नीरज की कशवता तो

ससग ससग निी शलखगा न

दोपिर िोन पर लच क शलए भीतर जात फ़िर आराम िाम की चाय उस फ़दन िमार साथ पी थी

रात दर तक वो िमस बशतयात रि थ कछ शमतर अनक दिको स रोज़ िाम को आत थ रम और रमी की

मिफ़फ़ल जमती थी उस फ़दन भी जमी थी रात घनी िोती गई दोसतो की मिफ़फ़ल बखाासत िो चकी ि रात की

बयारी म दो िलक और सादा दाल या फ़िर दशलया बीत फ़दनो एक ऑपरिन क बाद चलन म कछ तकलीि

िोती थी वाकर का सिारा लना पड़ता था म भी उनि सोन दना चािता था

लफ़कन बोल - रको बहत फ़दनो क बाद फ़दन भर इस तरि फ़कसी क साथ रिा ह म िभ राशतर किना

चािता था पर उनिोन दो शमनट क शलए रोक शलया बोल साठ बरस पिल एक मतयगीत शलखा था इस सन-

सन कर लोग रोया करत थ दःख और अवसाद म डबो दन वाला अपना य गीत कछ फ़दनो स रोज़ रात को याद

आता ि कशव सममलनो म अकसर कशवयो स गीत सनान की िरमाइि की जाती ि लफ़कन अनक ििरो म

आयोजक मझस पराथाना करत थ फ़क वो इतना ददा भरा मतयगीत न सनाए सकड़ो लोग कई-कई फ़दन इस सन

कर सो निी पात थ मगर मझ तो िर रात य गीत याद आता ि और सला कर चला जाता ि िा य ज़रर

सोचता ह फ़क िो सकता ि य रात मझ िमिा क शलए सला द और फ़िर वो पछत ि इतना ददा भरा गीत इस

घनी रात म सनना चािोग या फ़िर नीद पयारी ि म उततर दता ह lsquoम अपनी आशिरी सास तक आपको गात

हए सनना चािता ह आप बशिचक सनाए फ़िर नीरज गनगनान लग -

अब िीघर करो तयारी मर जान की

रथ जान को तयार खड़ा मरा

ि मशज़ल मरी दर बहत पथ दगाम ि

िर एक फ़दिा पर डाला ि तम न डरा

कल तक तो मन गीत शमलन क गाए थ

पर आज शवदा का अशतम गीत सनाऊगा

कल तक आस स मोल फ़दया जग जीवन का

अब आज लह स बाक़ी क़ज़ा चकाऊगा

बकार बिाना टालमटोल वयथा सारी

आ गया समय जान का - जाना िी िोगा

तम चाि फ़कतना चीखो शचललाओ रोओ

पर मझको डरा आज उठाना िी िोगा

दखो शलपटी ि राख शचता की परो पर

अगार बना जलता ि रोम-रोम मरा

ि शचता सदशय ध-ध करती य दि सबल

ि क़फ़न बधा सर पर सशध को तम न घरा

जब लाि शचता पर मरी रखी जाएगी

अजानी आख भी दो अशर शगराएगी

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

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िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

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१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

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नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

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भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 14

पर दो फ़दन क िी बाद यिा इस दशनया म

र याद फ़कसी को मरी कभी न आएगी

लो चला सभालो तम सब अपना साज़-बाज़

दशनया वालो स पयार िमारा कि दना

भल स कभी अगर मरी सशध आ जाए

तो पड़ा धल म कोई िल उठा लना

गीत बहत लमबा ि मरी याद म शसिा यिी पशकतया बाक़ी रि गई ि

आवाज़ मदम पड़ती जा रिी ि गीतो का समराट सो चका ि म लाि की तरि दि को अपन पर लाद

चल पड़ता ह बड़ा बिादर बनता था चला था - मतयगीत सनन उस फ़दन स रोज़ रात शबसतर पर य गीत मझ

सझझोड़ दता ि सोता ह जागता ह रोता ह सबि िो जाती ि रात चली जाती ि मतयगीत मरी दि स मरी

आतमा स शचपक गया ि मतयगीत अमर ि शज़नदगी का सच ि नीरज की दि आज निी ि मगर नीरज कभी

निी मरगा

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

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१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

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नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

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भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

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साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

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अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

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दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

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िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 15

मिाकशव नीरज

सिील िमाा

नीरज की पाती शमली मझ आज अलभोर

िसत हए वो चल छोड़ जगत का िोर

गीत बलाती कलपना कशवता क अदाज

अब जान कब आएगी नीरज की आवाज़

शिलप कला म शनपणता भाषा िद सरोज

िबदो क शवनयास स गीतो म ि ओज

िबद-िबद मशण सरस ि भाव भशकत स परोत

गीत गज़ल कशवता बनी शवमल भाव की सतरोत

जीवन दिान परम पर ि आधाररत गीत

नीरज न चन चन शलखी ददा भरी वो परीत

कशवता उनकी परशमका कशवता िी आराधय

कशवता स सास िर कशवता जीवन साधय

नीरज को शजसन पिा चिा न दजा रग

उनक गीतो म शमली परम परीत की भग

यादो म नीरज बस गीत गज़ल सी धप

जीवन क सघषा म कशवता क परशतरप

एक शसतारा टट कर चला गया आकाि

िम सब को वो द गया साशिशतयक शवशवास

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

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दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 16

शिनदी और िम

उमि मिता

भारत की लगभग आधी आबादी की मातभाषा एव अनय सभी भारतीयो की राज-भाषा शिनदी क

शवषय म शलखन या बातचीत करन म मझ शजस गौरव की अनभशत िोती ि उसका बया करना मर शलए करठन

ि फ़िर भी अपन लखन या बातचीत म म इसको अशभवयकत करन की कोशिि करता ह पर मझ ऐसा परतीत

िोता ि फ़क इतन अशधक जनमानस की भाषा िोन पर भी किी-न-किी इसक परशत सममान म कमी ि ऐसा

कयो इस पर िम सभी को सोचना िोगा

भारत एक ऐसा शविाल दि ि जिा लगभग िर १०० मील पर बोली म बदलाव आ जाता ि शभि-

शभि धमो समदायो जाशतयो व भाषाए बोलन वाल लोग यिा रित ि और अशतशयोशकत न िोगी यफ़द किा

जाए फ़क लगभग १००० स जयादा बोशलया बोली जाती ि तथा िर चार-पाच सौ मील पर भाषा बदल जाती

ि और जब भाषा बदलती ि तो सिज रप स रिन-सिन रीशत-ररवाज़ो और ससकशत म भी बदलाव आता ि

ऐस शवशभिता म एकता वाल दि को यफ़द कोई चीज़ एक-दसर स बाधती ि तो वि ि शिनदी भाषा

यिी कारण ि मर गरवात िोन का इस भाषा पर

शिनदी को राषटर-भाषा क रप म दसरी भाषा पर थोपा निी गया तथाशप बहत गिन सोच-शवचार क

पशचात इस वजञाशनक मानक सतरो पर सवाशरषठ भाषा का दजाा अवशय फ़दया गया ि

दि क आज़ाद िोन क पशचात परिासन को सचार रप स कस चलाया जाए और काया का शनसपादन

तरत िो यि सवाल उस समय सभी क समकष था शवरासत म शमली अगरजी (और इसस पिल फ़ारसी मगलो स)

म अब काया करना समभव न था तथा उदा जो फ़क उस समय नयायलय की भाषा थी व परचालन म थी शिनदी की

बिन िोत हए भी सभी क शलए सिज निी थी अब करा कया जाए शविाल दि बीशसयो भाषाए कस िोगा

समपरकषण सरलता स एक-दसर स परिासशनक सतर पर यफ़द बगला भाषी कषतर स पतर मराठी भाषी परदि म आए

तो उसक अनवाद म व उसी भाषा म उततर दन म फ़कतना अशधक समय शरम व दान लगगा उस समय

शवचारणीय परशन था यफ़द यि सब भी ठीक मान शलया जाए तो शजस काया क शलए पतर आया ि उसक शनसपादन

म जो अशधक समय लगगा वि भी उशचत निी तब सोचा गया फ़क ऐसी एक भाषा िो जो सभी को सवीकाया िो

तथा भारत को जोड़ सक और इस परकार सशवधान म सन १९५० म शिनदी को राज-भाषा क रप म सथान शमला

यि ठीक ि फ़क भाषा जो दि को आपस म जोडती िो सवीकाया िो उसका परयोग िम फ़कसी न फ़कसी

रप म जयादा स जयादा करना चाशिए तथा साथ िी साथ उस पर गवा भी िोना चाशिए

पर कया आज क समय म वासतव म ऐसा ि आइय िम सब शमल बठकर इस पर शवचार कर और जान

फ़क किा कछ कमी ि भाषा को जीशवत रखन व उस परचाररत व परसाररत करन म सबस जयादा भशमका िोती ि

जनमानस की जनमानस भाषा क शवषय म कया सोचता ि कया वि उसका सममान करता ि या फ़क मजबरन

सरकारी आदिो क कारण अपनाय हए ि

जिा तक मझ जञात ि िायद िी फ़कसी दि को अपनी भाषा को सममान फ़दलान क शलए इतना शरम

करना पड़ रिा िो शजतना फ़क िम या फ़कसी दि को अलग स एक सरकारी शवभाग िी इस काया क शलए

सथाशपत करना पड़ा िो

मर अनसार िम भारतीयो की समसया ि फ़क िमार राजनीशतक व सामाशजक पररवि ऐस रि फ़क िम

दो धाराओ बट गए २०० साल क अगरजी राज स िम शवरासत स शमली अगरजी और अगरशजयत शजसन िम

बताया फ़क अशभजातय िोन क शलए इसका परयोग आवशयक ि िम भारतीय सवय को अशभजातय परदरिात करन

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 17

क शलए सिारा लत रि ि अगरजी भाषा का जो फ़क आज भी कायम ि राजनशतक पररशसथशत रिी शवरासत म

रिी अगरजी भाषा व सामाशजक पररशसथशत रिी अशभजातय िोन का दमभ अगरजी भाषा बोलकर ndash और इसक

बीच म शपस गई िमारी शिनदी िम १०० करोड़ भारतीय परोकष या अपरोकष रप स शिनदी स जड़ ि या तो यि

िमारी मातभाषा ि या इस िम पि-शलख सकत ि या इसम व भी समपरकषण कर सकत ि शजनकी मातभाषा

शिनदी निी ि शिनदी इतनी सरल और वजञाशनक भाषा ि फ़क सरलता स िी सभी सीख जात ि अत शिनदी

भाषा पर कोई ितरा निी ि इसक लपत िोन का ससकत या पाशल की भाशत ndash कारण ससार का लगभग छठा

भाग इसस जड़ा ि पर दखद ि फ़क िम इस सममाशनत निी कर पात और इसम समपरषण कर गौरवाशनवत

मिसस निी करत ndash कारण सवय को पिा-शलखा अशभजातय िोन को सतयाशपत करवान क शलए अगरजी का मोि

मरा ऐसा शवशवास ि फ़क जब तक िमरी सोच म बदलाव निी िोगा िम शिनदी भाषा स निी जड़ग

और शिनदी-अगरजी का दवदव बना रिगा अगरजी बोलन और समझन वाल अशभजातय समझ जाएग और शिनदी

बोलन वाल साधारण जन किी तो कछ कमी ि जो इस असगत भावना को बिा रिी ि इसी कछ को बदलना

िोगा और यि बदलाव सरकारी आकड़ो की बजाय जनमानस म करना िोगा

शिनदी भाषा की शसथशत अजीब ि एक ओर सरकारी शवभागो म इसम काम करन का दबाव सरकारी

सतर पर एव दसरी ओर जनमानस शिनदी को पणात जानत-समझत हए भी जड़न म किी िीन भावना का

शिकार नई पीिी तो शिनदी भाषा स जड़न क शलए कतई तयार निी धरातल पर यिी सतय परतीत िोता ि

कया सरकारी िाइलो म शिनदी म काया कर इस भाषा को सममान फ़दलाया जा सकता ि या आज की नई

उभरती इटरनट व मोबाइल की पीिी शिनदी को सिजता स ल पा रिी ि या उसक मन म शिनदी क शलए

सममान उतपि िो रिा ि िो सकता ि नई पीिी वशवीकरण क कारण शदवशवधा म िो तो अब कया करा जाए

मर शवचार स जररत ि सोच म बदलाव की जररत ि लखन काया म शिनदी का अशधक स अशधक परयोग व

भाषा का परचार-परसार लगभग िम सभी शिनदी बोलत-समझत ि पर यफ़द किी लखन काया िो तो शिनदी को

पीछ छोड़ अगरजी अपना लत ि िा शजनकी मातभाषा शिनदी निी ि विा कछ अपवाद िो सकत ि मझ

अगरजी भाषा स कोई परिज़ निी ि और ना िी इस भाषा क परशत कोई रोष ि मर मन म सभी भाषाओ क परशत

हदय स सममान ि यफ़द आप कोई अनय भाषा जानत ि या सीखत ि तो आपक वयशकततव म एक अनय गण जड़

जाता ि जो आपक आतमशवशवास को बढाता ि और जीवन म कई बार बहत काम आता ि यिा मरा शवनमर

शनवदन ि फ़क आप दसरी भाषाओ स फ़कतना भी जड़ पर अपनी भाषा शिनदी क परशत शनरतसाशित न िो इसम

वाताालाप या पतर-वयविार कर अपन को अनय स कम न आक जब कभी शवदि म दो वयशकत एक दि क या एक

भाषा जानन वाल शमलत ि तो तरत िी अपनी भाषा म वाताालाप िर कर दत ि कयोफ़क किी न किी व

गिराई स अपनी भाषा स जड़ ि अत म चाहगा फ़क िम सभी भारतवासी अपनी शपरय शिनदी को शबना फ़कसी

िीन भावना क हदय स अपनाए

भारत सरकार का राजभाषा शवभाग अपना काया पणा शनषठा स कर रिा ि पर उनका काया सरकारी

िाइलो तक िी सीशमत रि गया ि इतन वषो बाद जिा शिनदी जन-जन व सथान-सथान पर िोनी चाशिए थी

वि रि गई शसमट कर सरकारी दफतरो व आकड़ो म पर इसक बावजद भी बहत-सा काया शिनदी म िोना िर

हआ ि और वि जनमानस को उसकी अपनी भाषा म सरकारी सतर पर वयशकतगत सतर पर सलभ हआ ि यि

एक बहत िी सकारातमक परिसनीय उपलशबध ि

पर इसका दसरा पकष ि फ़क शजस भाषा क परसार को कम करन क शलए सरकार इतन परयतन कर रिी ि वि भाषा

lsquoअगरजीrsquo शबना कछ परयास फ़कए िल-िल रिी ि तथा जनमानस इसस मन स जड़ रिा ि इसका कारण चाि अगरजी

भाषा का अनतरााषटरीय िोना िो या शिकषा वयवसथा का अगरजी भाषा म िोना या कोई अनय पर कोई कारण तो ि िी म

यिा सभी पाठको स शवनमर अनरोध करगा फ़क सवय को टटोल और इसका कारण जानन का परयतन कर फ़क िम शिनदी स कयो निी जड़

पा रि ि आइय िम सभी हदय स शिनदी स जड़न की इस पर गवा करन की कोशिि कर और इस शबना फ़कसी िीन भावना क अशधक

स अशधक परयोग म लाए

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

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१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

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नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

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भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

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साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

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कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 18

फ़दल म बसाओ शपरय शिनदी क परशत उदगार

लशलता िमाा

बहत िो चकी ि नीशत की बात

शनयम-अशधशनयम और रीशत की बात

ितक दस जीकर बड़ी िो गई ह

न ऊगली पकड़ मझको चलना शसखाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

निी चीज़ ह म परदिान की कोई

पराय परिासन म बरसो म रोई

सकषम सरल और सिज ह बहत म

न अब और मझको अपाशिज़ बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

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दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 19

सरल वतानी स बनी मरी काया

बिद िबद-भडार ि मरी माया

पड़ी ह म गागर म सागर समट

मथन करो और नवरतन पाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

शवदिो म उतसव मनान स कवल

न शमल पाएगा तमको वाशज़व कोई िल

म परो प अपन खड़ी िो गई ह

न इशगलि की बसाशखओ पर चलाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

चलो मत चाल शनिायत शसयासी

य साशजि परानी बिान ि बासी

ऐलान कर दो फ़क म आ रिी ह

न अब और कोई फ़सान बनाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

फ़क अब तो मझ अपन फ़दल म बसाओ

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 20

शिनदी क ितर सतता समपशतत एव ससथाए

(गड़गाव म शिनदी साशितय सममलन परयाग क ४३ व अशधविन म डॉ माचव दवारा राषटरभाषा पररषद सभापशत क रप म

फ़दए गय भाषण का सशकषपत रप ndash शरी शनमालकमार पाटोदी क सौजनय स)

डॉ परभाकर माचव

शिनदी शवरोध वसतत भाषा और साशितय क कारण स निी परनत आरथाक-सामाशजक-राजनशतक

कारणो स िोता ि

पवाचल म असम म और बगाल म मारवाड़ी वयापाररयो का शवरोध शिनदी-शवरोध का रप लता ि

उड़ीसा म सबलपरी (शिनदी-शमशशरत उपभाषा) अपना सवततर अशसततव चािती ि दशकषण म उततर भारत

ससकत आया िाहमण और शिनदी का शवरोध एक साथ फ़कया जा सकता ि करल म शवरोध उतना तीवर निी

परनत शवनधयाचल क नीच सभी भाशषक अलपसखयको को भय ि फ़क शिनदी अशनवाया-परिासशनक भाषा िोत िी

नौकररयो म अशधकतम और अशधकार परापत कर लग सब दशकषणी लोग शदवतीय शरणी क नागररक बन

जाएग आय ए एस आफ़द पदो म शवजञान तकनीकी म अशिनदी-भाषी िी अशधक ि

अगरज़ी क पीछ इगलणड अमररका और अनतरराषटरीय ससथाओ स बड़ी राशिया आती ि इसटीटयट ऑफ़

इशगलि और ईसाई धमाससथाओ दवारा सचाशलत शिकषालय शचफ़कतसालय समाजसवी ससथाए बड़ पमान पर

भारत क परशतभािाली शवदयारथायो को शवदि-यातराए फ़दलवाती ि शिनदी उस बड़ी आरथाक सपधाा म किी भी

निी ठिरती उदा-भाशषयो खाड़ी क दिो स शविष धारमाक शिकषा क नाम पर बड़ी इमदाद आती ि य सब बात

िमारी साशितय-ससथाओ क शवचार कषतर स पर या बािर ि

शिनदी कवल भावना क बल पर जीती ि अनय भाषाए अशधक वयाविाररक ि

किी शिनदी का शवरोध धमा सा जाशत क नाम पर किी सासकशतक शरषठता क नाम पर किी आरथाक

लालच क नाम पर किी आधशनकता और वजञाशनकता क नाम पर किी अलपसखयको क आतम-शनणाय क

अशधकार क नाम पर िोता ि िम जयो-जयो राजनीशत म अलगाववादी और शवघटनकारी िशकतयो की वशद

दखत ि शिनदी शपछड़ती शसमटती जाती ि पिल जमम शिनदी का कनदर था अब वि कशमीरी क शवरोध म

डोगरी का कनदर ि शिमाचल परदि म पिाड़ी भाषा की अशसमता का आनदोलन ि मन सिदी पसतको क

िररयाणवी म और करयाली (झारखणड की भाषा) म अनवाद दख ि और उनक शलए परसकारो की माग सनी

ि मर पास नागपर स परकाशित एक गोडी पशतरका आती थी नपाली स अलग गोरखाली को गोवा म कोकण

को गजरात म कचछी को तल और सथालीको सवततर दजाा फ़दलान की माग आनदोलन और ससथाए दखी ि

अब भारत म एक ससथा रोमन शलशप म सब भाषाओ क शलख जान का आगरि करना चािती ि

राजसथान म शमशथला म मालवा और छततीसगि म भोजपर और बनदलखणड म अपनी-अपनी भाषा-

शविषता को लकर मातभाषाओ और जनपद राषटर की सचतना बि रिी ि यि सारा शववाद परदि पनरनामााण

की बीस वषा परानी बात स िर हआ

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 21

िमन राषटरभाषा क परशन पर वजञाशनक ढग स न शवचार फ़कया ि न समसयाओ क िल का वयाविाररक

सचतन फ़कया ि आज डि सौ स अशधक शवशवशवदयालय ि शवजञान क शवषय क अधययन म सनातकोततर सतर पर

शिनदी किी निी ि न इजीशनयररग या शचफ़कतसा की शिकषा म शिनदी का पणा परवि िो पाया ि कवल

मानशवकी क शवषयो म राषट-भाषा स काम शलया जा रिा ि और वि भी मधयपरदि राजसथान शबिार और

उततरपरदि क कछ शवदयालयो म

पाठयपसतको का शनमााण भी अनवाद क दवारा िी अशधक हआ ि अगरज़ीदा अपना उचचासन छोड़कर

जनसाधारण तक आना निी चाित उनका बस चल तो व ककडरगाटानस अगरज़ी चलाकर अपन वगा का नयसत

सवाथा चलाए रख अनतकाल तक

परिासशनक सवाओ म शिनदी और मातभाषाओ म परीकषाए दन का परावधान दो दिको स ि परनत

अशधक परीकषाए अगरज़ी माधयम स िी आई ए एस आई एि एस िोत ि इसक मल म िमारी राषटर क बार

म पशशचमीकरण की ओिी हई मानशसकता ि उसी को िमन आधशनकता मान शलया ि

भारत ि तो भारती ि परनत भागवत-पराण म शजस अजनाभवषा किा गया और वायपराण म

िमवतवषा वि िमारा नवखणड कामाख ससथान आज शसमटकर मधयदि तक आ गया ि विा क गरामाचल म

भी िमारी आकािवाणी और दरदिान की मानक-शिनदी बहत कम जञय ि शिनदी कवल फ़फ़लमो कशव-सममलन

क मचो और नताओ क भाषणो की शरशत िी निी ि पर शिनदी भाषा-भाषी जनसखया क अनपात म शिनदी पतर-

पशतरकाओ की सखया और खपत अनय भाषाओ की तलना म नगणय ि बागला मलयालम मराठी और तलगम

छपनवाल समाचार पतर किी अशधक पि जात ि

यो राषटरभाषा शिनदी क बोल हए और शलख हए रपो म पाच-सतर भद ि व सभी शवकशसत आधशनक

भाषाओ म िोत ि परनत साकषरता क परमाण-भद स अपकषया अशधक जान पड़त ि (१) बोली जान वाली

शिनदी (२) पिी या शसखाई जान वाली वयाविाररक शिनदी (३) साशिशतयक शिनदी (इसम भी एकरपता निी ि)

(४) सरकारी पाररभाशषक िबदावलीयकत शिनदी और (४) सनी जानवाली शिनदी फ़फ़लम आकािवाणी

दरदिान आफ़द स परसाररत शिनदी स परसाररत शिनदी

जब िम अगरज़ी क सटडडााइजिन की तरि शिनदी स अपकषा करत ि (दशखए पणयशलोक राय का गरथ

लगवज सटडडााइजिन और उसम डॉ रघवीर क अगल-शिनदी कोि पर रटपपणी) विा िम भलत ि फ़क िर

ससकशत का अपना सवरप शवकास की गशत और परमपरा तथा परयोग का परसपर दवनदातमक समबध िोता ि

भारत न अमररका ि न यरोप न चीन भारत नपाल या शरीलका या बागलादि या अफ़गाशनसतान भी निी ि

भारत इज़राइल निी ि न अफरीका का कोई दि भारत िबद कवल भौगोशलक इकाई निी ि न कवल एक

नसल या वि क नागररको का नाम ि न एक धारमाक अनबध का दसरा नाम ि आज का भारत कवल एक

धमा एक परजाशत एक भखणड मातर का नाम निी ि वि नई पररभाषाए बनान स बदल निी जाता िमार

सशवधान शनमााताओ को उसका भान था इस अनकता-म-एकता को उनिोन असपषट रप स वयाखयाशयत फ़कया

उस समय तक िमारी राषटरीयता म सब भाषाओ क बोलनवालो का योगदान था शिनदी और शिनदीतर भाषी

साथ-साथ जल गए साथ-साथ उनिोन लारठया खाई और साथ-साथ सपन दख

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१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

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नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

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भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

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साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 22

१९४८ क बाद जब पद और अशधकार बहसखयक और अलपसखयक िबद िमार मानस पर अचतन स

उठकर मडरान लग तब परशन पछ जान लग फ़क एक सौ वषा क कागरस क इशतिास म कया कोई शसख या

असमवासी या िररजन सवराजय स पिल कागरस का अधयकष बना निी बना तो कयो निी बना

म १९५४ म करल गया तो एक लड़की न परशन पछा शिनदी म फ़कतन िररजन लखक ि १९५६ म

असम राषटरभाषा पररषद म म शिनदी म बोला परनत अभी चार वषा पवा उसकी सवणाजयनती म अगरज़ी म बोलना

पड़ा मारीिस म एक लड़फ़कयो क सकल म गत वषा एक शरोता न पछा भारत म फ़कतन वजञाशनक शिनदी

परदिो स ि सतरी वजञाशनक कौन-कौन ि बागलादि म ढाका म मझस एक परोफ़सर न पछा बागला स शिनदी

म इतन अनवाद िोत ि शिनदी स बागला म कयो निी िोत शरीलका म एक बौदशभकष न पछा शिनदी म

फ़कतन बौद लखक ि नपाल गया था तब विा क परजञा परशतषठानrsquo क एक शवदवान न पछा भारत म अजय या

मिादवी को पदमशवभषण आफ़द अलकरण आफ़द निी शमल ऐसा कयो ि

आप अपन मन स इनक उततर पछ सब बातो का एक िी शनदान डि सौ वषो की शिरटि राज की

गलामी दन स अब काम निी चलगा सवराजय क भी ४१ वषा बीत गए िमार सरकारी परशतषठानो न शिनदी

पररभाषा शनमााण म कोिकार डॉ रघवीर रामचनदर वमाा राहल सासकतयायन डॉ काशमल बलक फ़किोरीदास

वाजपयी आफ़द भाषा-वजञाशनको स कोई सिायता कयो निी ली इन अनभवी भाषाशवदो को छोड़ नौशसखए

और भाषा-शवजञान का कोई भी जञान न रखनवाल रगरटो और कवल सजनातमक लखको या पदन

शवभागाधयकषो स कयो काम शलया

नौकर-िािी शिनदी को जलदी लाना निी चािती थी सबको िि करना चािती थी अत वि अिभसय

कालिरणस करती रिी म छ कनदरीय मतरालयो की शिनदी सलािकारी सशमशतयो म रिा ह और विा की

पदशत दख चका ह जञानी जलससघ गिमतरी थ तब उस सलािकार सशमशत म गगापरसाद ससि जी न कोई तीखी

परशतफ़करया वयकत की जञानी जी सिज भाव स बोल गए य सकरटरी लोग आपको टगा रि ि शिनदी लान की

फ़कसी को जलदी निी ि

िमार नौकरिाि अपन मन म अगरज़ी को दवी और शिनदी को दासी मानकर चलत ि जिा ज़ररी

निी विा भी अगरज़ी का परयोग करत ि अभी लखनऊ म भारतीय शवदयाभवन की सवणाजयनती पर सगोषठी म

म गया था तीन सजजन शजनकी मातभाषा शिनदी ि सब शिनदी शरोताओ क आग न शसिा गलत-सलत अगरज़ी म

बोल पर सार उदरण शवदिी शवदवानो क फ़दए एक मिानभाव न इस मानशसक दासता को कया कीशजएगा

तो पिली समसया सतता ि

दसर ितर िमार वयावसाशयक लोग ि म कलकतता म सात वषा तक एक भारतीय भाषा शवषयक

ससथान स जड़ा था मन दखा फ़क िमार राजसथानी भाई घर म मारवाड़ी मवाड़ी िाड़ौती जसलमरी ि

अपन औदयोशगक वयापारी ससथानो म फ़सटाकलास अगरज़ी पतर-वयविार करनवाल टकक-आिशलशपक रखत ि

शिनदी म काम करन म कतरात ि मणडन-नामकरण शववाि आफ़द ससकारो क शनमतरण-पतर नववषा क काडा

अगरज़ी म भजत ि

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 23

नई पीिी तो अतरराषटरीयता क नाम पर जट-सट पाचशसतारा िोटल ससकशत की दास तथा मातभाषा-

राषटरभाषा स दर िोती जा रिी ि अब विा शिनदी माधयम की माधयशमक िालाओ म अगरज़ी नसारी-राइम

पिाई जा रिी ि

शिनदी क पाशकषक-सापताशिक पतर अगरज़ी सि पशतरकाओ क अनवाद िोत जा रि ि परकािको का भी

परथम धयय अथोपाजान ि भाषा-परम निी समपादकगण अगरज़ी अनवाद पर अपन सतमभ रगत ि शिनदी म नई

कशवता नई आलोचना नई किानी आफ़द आदोलनो क शलए लदन नययाका आफ़द अगरज़ी िज-सथान ि उनिी क

उदरणो की भरमार िोती ि सार शवजञापनो का माधयम अगरज़ी या अगरज़ी क कशतरम अनभव ि उपभोकता

ससकशत क परचारक यिी चाित ि िर मौसम म रग कोकाकोला क सग तो िमारी दसरी समसया ि समपशतत

राषटरभाषा क शवकास म तीसरी बाधा ससथाए ि सरकारी और गरसरकारी दोनो अगरज़ो की नीशत थी

फ़क फ़कसी समसया का समाधान न शमल तो आयोग या सशमशत बना दो िम भी यिी करत आ रि ि बहत स

नक इरादो स िर फ़कए हए कई परशतषठान धीर-धीर ससथावाद क जाल और घर म िस जात ि किी ससथाओ

पर बठ हए बज़गा अपन-आपको या शनकट समबशनधयो या अपनी िी उपजाशतवालो को परसकत कर लत ि अधा

बाट रवड़ी किी य नव सामत फ़कसी वाद का नाम लकर चलो-चशलयो की जमात लकर चलत ि परा कभ

मल-वाला दशय ि िर साध का अपना अखाड़ा ि शिनद धमा का हआ फ़क़सम-फ़क़सम क गर मिरषा सवामी

बाधा भगवान पनप और परा शनरानद मागा िो गया विी दशय राषटरभाषा क कषतर म ि शजनिोन एक भी

पसतक बरसो निी शलखी या जो कवल मौशखक रप स शिनदी शितषी ि

मर पास कोई पचवारषाक योजना या सब समसयाओ की रामबाण दवा निी ि नीति न किा था - ऐस

लोगो स सावधान रिो जो कित ि फ़क उनक पास रशडमड सतय-समाधान ि म ऐस सरलीकत मसीिा स

आपको आगाि करना चािता ह

शिनदी म मझ शिनदीतर भाषाओ स उततम अनवादको क नाम-पतो की डाइरकटरी चाशिए अनफ़दत गरथो

की सशचया चाशिए दभाशषयो की सना चाशिए शवदवानो को खोजकर उनक अवशसथत काया का उशचत सममान

करन वाल कदरदा चाशिए पस या पद क पीछ दम न शिलानवाल चारण न बननवाल सवाशभमानी सवक

चाशिए मतय क बाद पदमशवभषण या समशत खोन पर पदमभषण दना बनद िोना चाशिए कई भारतीय भाषाओ-

उपभाषाओ क शिनदी म कोि चाशिए दरदिान पर शिनदी पिान क शलए भाषापाठ चाशिए शिनदी क मिान

लखको पर आलख-पट (डाकयमटरी) चाशिए लखको क सिकारी परकािन चाशिए नई पीिी को भाषा रशच

पदा करनवाली परकाशित सामगरी चाशिए ऐसी मरी सिसनाकष-सिभरबाह माग ि उनकी ओर पिल धयान द

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

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अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 24

भागभरी

कमल कपर

सिाग-पवा स एक फ़दन पवा दोपिर को मर बलॉक की छोटी-बड़ी उमर की लगभग सारी मशिलाए सजी-

धजी मर बड़ स आगन म आ जटी थी और आतर मन स इतज़ार कर रिी थी उसकाजो साल म शसिा एक

बार आती थी करव रगारग काच की चशड़यो और सिाग की अनय चीज़ो की भरी हई रिड़ी क साथ और िसी-

रठठोली और सिाग-गीत गात हए सबको चशड़या पिनातीआिीवाचनो स गथ कर ठसक भी शनराली िोती

उसकीचटक लाल पील जामनी या िर रग का घाघरा-ओिनी िाथो म खनकती ढर चशड़या माथ पर

दमकती चविी क आकार की सखा शबशनदया और माग म लबालब ससदर सजाए वि पायल छनकात मसकराती

हई आती और घट-दो-घट म रिड़ी खाली कर िम सबको असीसती हई लौट जाती नाम भी तो फ़कतना मीठा

था उसका फ़क जबान पर धरत िी जस खाड-शमशरी घल जाएभागभरीजी िा भागभरी यि भागभरी आई

कयो निी अब तक िम इतज़ार कर-कर िारन को िी थ फ़क भागभरी आ गई भागभरी आ गई गली म

खलत बचचो न िोर मचाया और अगल िी पल वि सामन खड़ी थी लफ़कन यि कया यि िमारी वि भागभरी

निी कोई दसरी िी सतरी थी जस उसक माथ पर सबफ़दया का सरज निी चमक रिा था माग ससदर स और

कलाइया चशड़यो स खाली थी तथा दि पर मटमली सी सिद साड़ी थी और िोठो पर मझााए पील गलाब-सी

मसकानजस जबरन ओि रखी िो जी धकक स रि गया मरा

य सब कब और कस हआ भागभरी तड़प कर पछा मन तो वि एक गिरी ठडी सास ल कर बोली

जान दो ना शबरटया सिाग-भाग क फ़दन ठर अभाग की बात काि सनाव अपन दखड़ काि रोव िम चलो

आओ चड़ी पिराव

चशड़या पिनी पर शसिा मन और बाकी फ़कसी न भी न चशड़या पिनी और न करव या कोई और सामान

खरीदा उसस और घोर शनरािा की परशतमा बनी तम सबका सौिाग-भाग बना रि छोररयो का सामशिक

आिीष द कर वि चली गई तो सबन मझ आड़ िाथो शलया

पगला गई ि कया मध जो उसक िाथो आज क फ़दन चशड़या पिन बठी ऐसा भी कया शलिाज़ फ़क

अपन िगन-अपिगन की भी ना सोची तमन कसम जीजी न किा

अर शजसका खद का सिाग निी रिा वि कया िम

बस जया बस करो तमिार ससर जी भी तो निी ि फ़िर कयो अपनी सास मा को उपवास पज कर

बायना दती िो तम और कसम जीजी आपक पापा निी ि न फ़िर कयो मा स सरगी का सामान लती ि

आप अपनी सकीणा मानशसकता स बािर आए आप लोग मन जया की बात पर क ची चला कर कराित सवर

म किा तो विा मौन पसर गया और कछ िी पलो म मरा आगन खाली िो गया मरी सब तथाकशथत आधशनक

सशखया चली गईमरा मन अवसाफ़दत और वयशथत करक

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

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छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 25

साझ को पशतदव जय आए तो मरी गिरी उदासी को पि कर अशतररकत नि स पछा उनिोन आज मर चाद

का िल सा मखड़ा मझााया हआ कयो ि करवाचौथ का उपवास तो कल िभखा तो कल रिना ि न तमि

मन छलकत नयनो क साथ उनि परा फ़कससा सनाया तो मझ बािो म भर कर शसनगध सवर म वि बोल

तम लाख चािन पर भी फ़कसी की मानशसकता निी बदल सकती मध पर अपनी मनोदिा यानी मड बदल

सकती िो चलो बाजारो की रौनक दख कर आत ि और तमिार शलय एक अचछी सी साड़ी भी खरीदनी ि

मझ

िम न फ़कसी मॉल पर गय और न िी फ़कसी नय बड़ आलीिान सटोर म बशलक ििर क सबस परान बाज़ार

छोटी बजररया जा पहच जिा घम-फ़िर कर मझ सदा अपन बचपन वाल रौनक भर बाज़ार याद आत ि

मन िरससगार-सा शखल मिक उठा और दोपिर वाली घटना क कपरभाव स मकत िो गया फ़क तभी मर

कध पर िाथ धरत हए जय न एक फ़दिा की ओर सकत करत हए किा वो दखो मध फ़कतना जमावड़ा ि विा

चलो चल कर दखत ि फ़क माज़रा कया ि

आप कया करग विा जा कर दख रि िो न शसफ़ा औरत िी ि विा गोशपयो म कानिा बनना ि कया

आप यिी रफ़कय म दख कर आती ह मन मसकरा कर किा और उस ओर चल दी

जन-सलाब को चीरत हए म आग तक पहच गयी तो दखाजमीन पर शबछी एक बड़ी-सी चादर पर

करव काच की चशड़या शबशनदयो क पतत और सिाग का अनय सामान करीन स सजा धरा था औरऔर उसकी

परली ओरलाल पाड़ की पीली साड़ी पिन माथ पर चाद सी रटकली टाक और भर-भर धानी-सनिरी

चशड़या पिन पान चबलाती एक सतरी सिागनो को िस-िसकर चशड़या पिना रिी थी एक सखद आशचया था यि

मरी आखो क सामन कयोफ़ककयोफ़क वि सतरी कोई और निी मरी पयारी भागभरी थीपणा आतमशवशवास स

भरी सिसा उसकी नज़र मझ पर पड़ी तो वि काप उठी और उसक चिर पर जस िलदी पत गई उसन िाथ

जोड़ कर दयनीय पराथाना भरी दशषट स मझ दखा तो उस मौन पराथाना ndash ldquoफ़कसी को मरा सच न बताना शबरटयाrdquo

को बाच कर मन भरपर सतशषट स जड़ी मसकान उसक िवाल करत हए आिीवााद की मदरा म िाथ उठा फ़दय और

िषा स भीग नयन-मन शलए जय क पास लौट आई और कस कर उनका िाथ थाम शलया

कया िो रिा ि मध विा और तम इतना मसकरा कयो रिी िो जय न पछा तो मरी मसकान कछ और

गािी िो गई अर जय िम पिी-शलखी औरत तो मशिला सिशकतकरण क शसफ़ा झनझन िी बजाती िइस

सिशकतकरण का सिी रप तो आज और अभी दखा ि मन चशलय गाड़ी म बठ कर बताती ह

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

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अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

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दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 26

कया जररत ि सिारो की

डॉ अलका गोयल

वकत स पिल सज़दगी की कशती न डबगी

कया जररत ि फ़कनारो की

शनरािा जीवन की आिाओ म बदल द

कया जररत ि नज़ारो की

िद शिला बन क खड़ा िो अपन परो पर

कया जररत ि सिारो की

कर बलद आवाज़ त इतनी अपनी

कया जररत ि नगाड़ो की

चमचमाती रोिनी बन जा सनी मिफ़फ़ल म

कया जररत ि शसतारो की

शमलगा चन तझको घर की चारदीवारी म

कया जररत ि चौबारो की

कि खोद ल मन की अपनी िी चौखट पर

कया जररत ि मज़ारो की

सयम बरत ल त अपनी कठोर वाणी पर

कया जररत ि परिारो की

मिसस कर िर वकत शजसन तझको बनाया ि

कया जररत ि दलारो की

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

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छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 27

ldquoकछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता िrdquo

शरदाजशल गोपालदास नीरज

सदीप सजन

ldquoनीरजrdquo सिदी गीतो का वो राजकमार ि शजस सफ़दयो तक भलाया निी जा सकगा १९ जलाई को इस

दशनया को अलशवदा कि गया नीरज सिदी कशवता का वि मिान कलमकार ि जो अपन रोम-रोम म कशवता

लकर जीया नीरज शजसक गीत कवल गीत निी ि जीवन का दिान बनकर जनमानस म एक नई चतना जागत

करत ि ऐस अनक शचतर नीरज का नाम मशसतषक म आत िी बनन िर िो जात ि नीरज जस साधक सफ़दयो

म िोत ि शजनि गीत लय भाव और िबद सवय चनत ि तभी नीरज शलखत ि मानव िोना भागय ि कशव

िोना सौभागय ककत ऐसा सौभागय फ़कसी-फ़कसी को िी िाशसल िोता ि

गीत और कशवता स पयार करन वाल िर िखस क फ़दलो-फ़दमाग म गोपाल दास नीरज की एक ऐसी

अनठी छशव बनी ि शजस भशवषय म भी कोई शमटा निी सकता नीरज का जनम ४ जनवरी १९२५ को यपी क

इटावा शजल क गराम परावली म हआ था जीवन का परारमभ िी सघषा स हआ अलीगि को अपनी कमासथली

बनाया बहत मामली-सी नौकररयो स लकर फ़फ़लमी गलमर तक मच पर कावयपाठ क शिखरो तक गौरवपणा

साशिशतयक परशतषठा तक भाषा-ससथान क राजयमतरी दज तक उनकी उपलशबधया उनि अपन सघषा-पथ पर पि

मानवीयता और परम क पाठ स शडगा न सकी बहत िी कम लोगो को यि मालम ि फ़क ६० और ७० क दिक

म अपन बॉलीवड गीतो क जररय लोगो क फ़दलो म जगि बना चक गोपाल दास lsquoनीरजrsquo न चनाव भी लड़ा था

साल १९६७ क आम चनाव म lsquoनीरजrsquo कानपर लोकसभा सीट स शनदालीय परतयािी क रप म मदान म उतर थ

नीरज का दशषटकोण सवशित स जयादा जनशित रिा तभी व एक दोि म कित थ-

िम तो बस एक पड़ ि खड़ परम क गाव

खद तो जलत धप म औरो को द छाव

नीरज न कशवता क वसत-रप को कभी शनयशतरत निी फ़कया मच की कशवताए िो या फ़फ़लमी

गीत नीरज का कशव किी भी समझौता निी करता था फ़िलमो क शलए शलख गए उनक गीत अपनी अलग

पिचान रखत ि फ़फ़लम-सगीत का कोई भी िौकीन गीत की लय और िबद-चयन क आधार पर उनक गीतो को

फ़ौरन पिचान सकता ि वसत क अनरप लय क शलए िबद-सगशत जस उनको शसद थी फ़िलमी गीतो को भी व

उसी लय म मचो स गाया करत थ-

ldquoसवपन झर िल स मीत चभ िल स लट गय ससगार सभी बाग क बबल स

और िम खड़-खड़ बिार दखत रि कारवा गज़र गया गबार दखत रिrdquo

य वो गीत ि जो जीवन का सार बताता ि जीवन की गिराई स र-ब-र करवाता ि नीरज िी कि

सकत ि फ़क उनिोन जीवन को शसिा जीया निी शलखा भी ि अपनी रचनाओ म इसीशलए व शलख गय -

ldquoशछप शछप अशर बिान वालो मोती वयथा बिान वालो

कछ सपनो क मर जान स जीवन निी मरा करता ि rdquo

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 28

सामानय जन क शलए उनक मन म ददा था इसी ददा को व परम कित थ परम िी उनकी कशवता का मल

भाव भी ि और लकषय भी था उनक कशवता-सगरि नीरज कारवा गीतो का की भशमका स उनिी क िबदो म -

मरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और कोई दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन म

िी उसकी साथाकता ि अपनी कशवता दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह रासत पर किी

मरी कशवता भटक न जाए इसशलए उसक िाथ म मन परम का दीपक द फ़दया ि वि (परम) एक ऐसी हदय-

साधना ि जो शनरतर िमारी शवकशतयो का िमन करती हई िम मनषयता क शनकट ल जाती ि जीवन की मल

शवकशत म अि को मानता ह मरी पररभाषा म इसी अि क समपाण का नाम परम ि और इसी अि क शवसजान

का नाम साशितय ि

ldquoिम तो मसत िकीर िमारा कोई निी रठकाना र जसा अपना आना पयार वसा अपना जाना रrdquo

दािाशनक सचतन और आधयाशतमक रशच क नीरज का मन मानव-ददो को अनकशवध रप म मिसस

करता था और उनक मनन का यिी शवषय था सतय फ़कसी एक क पास निी ि वि मानव-जाशत की थाती ि

और मनषय-मनषय क हदय म शबखरा हआ ि िायद इसीशलए नीरज न अपनी गजल क मतल म किा -

ldquoअब तो मज़िब कोई ऐसा भी चलाया जाए शजसम इसान को इसान बनाया जाएrdquo

दिान तो उनकी लखनी का अिम शिससा रिा ि जब व शलखत ि -

ldquoकिता ि जोकर सारा ज़माना आधी िक़ीकत आधा फ़साना

चशमा उठाओ फ़िर दखो यारो दशनया नयी ि चिरा परानाrdquo

नीरज को य तो िबदो म बाध पाना मशशकल ि और जो नीरज न किा ि नीरज न शलखा ि और

नीरज न गाया ि उस पर कछ शलखना मर जस वयशकत क शलए असमभव ि नीरज जब मिापरयाण कर गय तब

म अपन िबदो म शवनमर शरदाजशल अरपात करत हए यिी कहगा-

कालखड का यग परष गया काल को जीत

छोड़ गया भ लोक पर दोि गजल गीत

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

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अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 29

छटटी

ओमपरकाि शमशर

िाम का समय भोजनालय म सभी िौजी साथी मौज-मसती कर रि थ िास-पररिास और अनताकषरी

का दौर चल रिा था फ़िलमी गीतो क साथ बतान वादय-यनतरो की तरि सर और ताल द रि थ परसिता का

वातावरण था फ़कनत रामानज को यि सब रास निी आ रिा था उसक चिर क सखचाव को दखकर कोई भी

कि सकता था फ़क वि खि निी ि उसक अनदर की उथल-पथल माथ पर टिी रखाओ क रप म अफ़कत ि वि

सवय स मानशसक दवनदव कर रिा ि उसका यि दवनदव भारत-पाफ़कसतान की जनता दवारा लड़ जा रि मानस यद

जसा िी ि

रामानज सवभावतः बहत परसिमन वयशकत था उसकी चिल भरी बात बटाशलयन क साशथयो को पसनद

थी वि बीरबल की तरि बात-बात म ऐस वयगय वाकय बोल दता फ़क उसक अिसर भी ितपरभ रि जात

रामानज की उपशसथशत िी ठिाको क शलए पयाापत थी लफ़कन ऐसा भी निी था फ़क वि कवल जोकर क रप म

िी जाना जाता था वि एक बिादर सशनक था उसन अपनी बिादरी कारशगल यद म शसद कर दी थी नायक

रामानज lsquoटाइगर शिलस म दशमनो स जझ चका था अब पदोिशत पाकर िवलदार बन गया ि विी रामानज

उदास था इस शसथशत स उबरन क शलए वि सवय को शनयशनतरत करन का परयास कर रिा था तभी उसन

अनभव फ़कया फ़क फ़कसी न उसक कनध पर िाथ रख फ़दया ि पलटकर दखा तो कनियालाल उसका अपना

दोसत

lsquoकनिया तमrsquo

lsquoिा मrsquo

पल भर क शलए दोनो चप रि शसिा भावनाए इधर स उधर उधर स इधर पहच रिी थी भावनाओ क

इस शवशनमय को कोई दख निी सकता था कवल अनभव फ़कया जा सकता था सवदी तनतर अपना काया करत

रि भावाशतरक स बचन क शलए कनियालाल न चपपी तोड़ी - lsquoकयो कया हआ कया छटटी निी शमली

lsquoनिी यार

रामानज न लमबी सास खीचत हए उततर फ़दया कनियालाल को पता ि फ़क रामानज न छटटी क शलए

पराथानापतर फ़दया ि उसन भी पराथानापतर फ़दया था उस छटटी शमल भी गयी ि फ़कनत रामानज को छटटी निी

शमली

lsquoकयो निी शमली छटटी सीओ स बताया निी मा बीमार ि कनियालाल न पछा था

lsquoबताया था लफ़कन वि काइया सनता किा ि तमि तो शमल गयी ि न

lsquoिा शमल गयी ि पराथानापतर क साथ तार नतथी फ़कया थाlsquo

lsquoतार

lsquoिा तार मन भया को पतर शलखा फ़क तार कर द तो छटटी शमल जाय उनिोन तार भज भी फ़दया

शपछल िी फ़दनो आया था तार उनक एक वाकय न मझ छटटी फ़दला दी

lsquoऐसा कया शलख फ़दया था उनिोनrsquo

lsquoबाब बहत बीमार ि कनिया जलदी घर आओ

lsquoसचमच तमिार बाब बीमार ि

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lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

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कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

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अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

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आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

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ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

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दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

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िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 30

lsquoनिी यार छटटी क शलए ऐसा शलखा गया था

lsquoतो वि तार झठा था

lsquoशबलकल झठा जब छटटी निी शमलती तब ऐसा नाटक करना पड़ता ि म घर जा रिा ह विा स

तमिार शलए भी एक तार भज दगा

यि उन फ़दनो की बात ि जब lsquoतारrsquo डाक शवभाग की सबस शवशवसनीय व तज सवा म िमार थी

िालाफ़क अब यि सवा बनद िो चकी ि

कनियालाल की बात सनकर रामानज कछ कि निी सका उसन फ़दमाग म िलका ददा अनभव फ़कया

इतन म कनियालाल न फ़िर किा lsquoकया सोचता ि यार यि दशनया बड़ी अजीब ि यिा सचच का मि

काला झठ का बोलबाला अब दखो न तमन भी तो पतर का िवाला फ़दया था लफ़कन किा शमली छटटी पतर स

अब छटटी निी शमलती कयोफ़क पतर म शलखी हई बात अिसर को झठी लगती ि

lsquoठीक िी कित िो रामानज को दोसत की बातो म सचचाई झलक रिी थी उसन भारी आवाज म किा

lsquoघर स कई पतर आ चक ि सब म एक िी बात शलखी ि मा की िालत बहत नाजक ि कभी भी दशनया छोड़

सकती ि मिा की भी तशबयत ठीक निी रिती उस अकसर पशचस पड़ती रिती ि डॉकटर अपनी िीस क

शलए तकादा करता ि किता ि lsquoकब तक मफत म दवा करrsquo

डाफ़कए न आज सबि िी मिा का पतर फ़दया था बट क पतर न रामानज को और अशधक वयगर कर फ़दया

पतर म शलख िबद उसक सीन म चभ रि थ lsquoपापा आपकी बहत याद आती ि जब स आप गय तब स िम लोगो

की कोई खबर निी ली शपछली िोली म भी निी आय थ कया इस िोली म भी घर निी आयग कया आपको

मरी याद निी आतीrsquo

पतर पित-पित रामानज भाव शवभोर िो गया उसन कनियालाल की िथली को दबात हए किा lsquoअब

तमिी बताओ कनिया म कया कर यि िौज ि कोई शसशवल की नौकरी निी फ़क जब चािा तब घर चल आय

पाचवी म पिन लगा था रामानज का मिा उसन अपन पापा को पतर शलखा था रामानज पतर को

बार-बार उलटता-पलटता उस चमता और फ़िर एक-एक िबद पिन लगता नील अनतदिीय पतर म घर की

दिा सयािी स पती हई थी मा की बीमारी शपता जी का बिापा धरती की तरि लगातार झकती हई उनकी

कमर जजार िोता िरीर बट की पिाई पतनी कमला की बिती शजममदाररया खती-बाड़ी मजदरो की समसया

सारा कछ पतर म शलख था

गिसथी का भार कमला क कनधो पर था वि कम उमर म िी अशधक सयानी लगन लगी थी पतनी स

फ़कया हआ वायदा आज तक रामानज परा निी कर पाया ि सिागरात म lsquoिार दन का वायदा फ़कया था उसन

लफ़कन अभी तक निी द पाया अपना फ़कया हआ वायदा वि भला निी िा घर की आरथाक दिा सधारन क

चककर म शवलमब अवशय िो गया ि

lsquoइस बार छटटी पर जाऊ तो उसक शलए lsquoिार अवशय खरीदगा कमला की पसनद का िार गगाराम की

जवलरी स ििर की सबस बड़ी दकान ि गगाराम की जवलरी रामानज अपन दोसत स फ़दल की बात बता रिा

था अचानक उसन शवषयानतर करत हए किा lsquoछोड़ो भी इन बातो को तम अपनी बताओ कब जा रि िो

घर

lsquoआज रात िी नौ बज की रन पकड़नी ि कनियालाल न बताया कछ सदिा िो तो कि दो तमिार

घर पहचा दगा अर सदिा कया जलदी स पतर िी शलख दो िाथो-िाथ लता जाऊगा यि सब बहत आतमीयता

स कनियालाल न किा था रामानज को भी कछ तसलली हई फ़क चलो कनिया क िाथो कछ रपय भज दगा

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 31

कनिया गर भी तो निी परदि म कोई अपन शजल-तिसील का भी शमल जाय तो वि सग जसा िोता ि

कनिया तो पास िी क गाव का ि

रात का भोजन करन क बाद कनियालाल अपना सामान बाधन लगा और रामानज पतर शलखन बठ

गया वि डयटी पर जान स पिल कनियालाल को सटिन तक छोड़न गया और पलटिामा पर कनिया क सामन

वाली शखड़की क साथ बोगी क समानानतर तब तक दौड़ता रिा जब तक रन की गशत तज निी िो गयी

वि दौड़त-दौड़त बार-बार शमतर को समझा रिा था lsquoघर पहचत िी मर शलए तार कर दना कमला स

शमलकर उसक िाथ म िी पसा और पतर दना शपता जी का िाल चाल लकर आना मि को अचछ डॉकटर को

फ़दखा दना मा जी को भी जब लौटना घरवालो स शमलकर िी आना माता-शपता को िमारा चरणसपिा

बोलना मि को पयार और कमला स किना छटटी निी शमली ि शमलत िी घर आऊगा उसस किना परिान न

िो कछ िी फ़दनो की बात ि और न जान फ़कतनी बात फ़कतनी समझाइि फ़कतनी शिदायत रामानज दोसत

को दता चला जा रिा था

रन छटत िी रामानज अपनी डयटी पर आ गया फ़कनत मन शसथर न था लाख रोकन पर भी उसका

मन घर की तरि भागन लगता बीमार मा-बाप बट का दलारपन उस अपनी तरि खीच रिा था उस याद

आ रिी थी कमला कमला की सादगी उसकी पयार भरी बात उसका सामीपय और सपिा सख उस बला रि थ

खत-खशलिान गाव क िाट-बाजार अलिड़ यौवनाए पग बिात गवई सकमार मशखया काका क घर म

शनयशमत लगनवाली चौपाल चौपाल की शचलम आम का बगीचा बगीच म शचशड़यो की चिचिािट बरफ़दयो

की कशती साड़ो की शभड़नत िद ताजी िवा और उसक साथ जीन की आजादी और यिा िर पल िर कषण

शनयम-अनिासन स बध हए ि शनशशचत समय पर सोना जगना तयार िोना चाय-नाशत क बाद वयायाम पर

जाना फ़िर डयटी भोजन और फ़िर डयटी डयटी पर डयटी डयटी िी डयटी

राशतर का दसरा परिर चल रिा था रामानज भारत-पाक सीमा पर गशत करत हए शवचार मगन था

उसक कनध पर बनदक कमर म कारतसो स भरी बलट पीठ पर फ़कटबग सजा हआ था खाकी वदी म वि चसत-

दरसत अनभव करन की बजाय सवय को लाचार बबस मिसस कर रिा था उसक अनय साथी भी डयटी पर

तनात थ

उनकी शनगाि सीमावती कषतरो म जमी हई थी फ़कनत रामानज अपन आप स बखबर फ़कसी और दशनया

म समभवतः कलपना लोक म चला गया था उसका सथल िरीर सीमा पर तनात था आतमा और मन घर की

चौकसी कर रि थ

पिाड़ी कषतर था दशमनो का भय चौबीसो घणट बना रिता ि कभी भी शवसिोट िो सकता ि बकरो म

शछप आतकवादी किी स भी िमला कर सकत ि जान िथली पर धर जवान मातभशम की अशसमता की रकषा क

शलए पिरा द रि थ जब य पिरए रात भर जागत ि तब दि क लाखो-करोड़ो लोग चन की नीद सोत ि

रामानज भी जाग रिा ि सीमा पर पिरा द रिा ि लफ़कन उसका अपनी फ़दल उसका साथ निी द रिा था

फ़दल कि रिा था छोड़ द नौकरी भाग चल घर चलकर अपन खतो म काम कर अपनो क साथ नमक रोटी

खाकर तमाम लोगो की तरि त भी चन की नीद सो यिी परमसख ि ऐसी नौकरी फ़कस काम की जो सख-चन

छीन ल अपनो स दर कर द खद स दर कर द

भारी मन स रामानज एक चटटान पर बठ गया बनदक फ़कनार ि क दी और जब स तमबाक की शडशबया

शनकाल ली अकल म यि शडशबया िी उसका साथ दती ि उसन शडशबया का ढककन खोला बायी िथली पर

सरती शगरायी और उस उसी तरि बनद कर फ़दया अब शडशबया क नीच वाल भाग को ऊपर फ़कया दसर ढककन

को खोला उसम स तजानी की सिायता स चना शनकाला और ढककन उसी तरि बनद कर फ़दया अब धीर-धीर

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 32

अगठ स िथली पर दबाव बनात हए तमबाक मलन लगा जस-जस िथली पर अगठ का दबाव बिता जाता

वस-वस उसक माथ पर रखाए उभरती जाती कछ दर तक मलन क बाद उसन तमबाक चटकी म लकर िोठो क

अनदर फ़कया और बदबदाया lsquoअब निी करना िौज की नौकरी

उसन मन िी मन यि दि शनशचय फ़कया िी था फ़क अचानक उसक कान म फ़कसी क िसिसान की

आवाज पड़ी वि चौका सतका हआ और झपटकर बनदक फ़िर उठा ली उसन अपनी पोजीिन बनायी और दब

पाव उस आवाज की तरि बिन लगा कषण भर म िी वि जो कछ सोच रिा था सब भल गया उस कवल याद

रि गया था उसका कतावय उसकी डयटी

उसन दखा फ़क अधर म दो परछाइया आपस म बात कर िी ि रामानज बिकर उनक पास की झाड़ी म

शछप गया अब उसको दोनो की बात सपषट सनायी दन लगी पिला कर रिा था lsquoबॉस का हकम ि जिाफ़दयो क

जतथ को आज रात िी बॉडार पार करना ि उनि फ़कसी भी तरि मशजल तक पहचाना तमिारा काम ि और म

कछ निी सनना चािता बसस

दसर न शगड़शगड़ात हए किा lsquoतम समझत कयो निी आज की रात समभव निी ि कयोफ़क जगि-जगि

पर सना व बी०एस०एि० क सशनक तनात ि

यि बात सनकर रामानज को अनमान लगात दर निी लगी फ़क व लोग कौन थ िालाफ़क अधरा िोन क

कारण व पिचान म निी आ रि थ फ़िर भी उनकी बातो स सपषट िो चका था फ़क पाफ़कसतानी घसपरठया अपन

मखशबर स बात कर रिा था मखशबर का शलबास सथानीय कठमललाओ स शमलता जलता था रामानज शबजली

की तरि लपका और गददारो क भागन स पिल िी उनि अपनी रायिल की नोक क सामन कर शलया दोनो न

भागन की परी कोशिि की लफ़कन रामानज न उनि िाथ ऊपर करन पर मजबर कर फ़दया

अब तक बटाशलयन क अनय जवान भी घराबनदी कर चक थ उस घसपरठए क पास स मिीनगन भारी

मातरा म कारतस और शवसिोटक बरामद हआ रामानज न घसपरठए को मखशबर क साथ शगरफतार कर शलया

दशमन दि क एक और नापाक इराद को उसन चकनाचर तो कर फ़दया लफ़कन वि जीत की खिी म वि थोड़ा

लापरवाि िो गया था

ओफिोिो यि कया हआ रामानज अपन साशथयो क साथ घसपरठयो को बाधकर आग बिा िी था

फ़क साय स एक गोली उसको चीरती हई शनकल गयी धरती पर शगरत-शगरत वि जोर स चीखा lsquoइनि पकड़ो

बिो इन पर नजर रखो म बस यिी तक

उसक जब की शचरिया विी रि गयी घर को फ़दया हआ वायदा तो वि परा निी कर सका लफ़कन दि

का कजा और िजा बबाक कर चका था रामानज अपन परो स चलकर घर निी लौटा वि कनधो क सिार बकस

म बनद िोकर अपन घर आया था शबना छटटी शलय

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 33

आज फ़िर स

डॉ िररविराय बचचन

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

ि किा वि आग जो मझको जलाए

ि किा वि जवाल पास मर आए

राशगनी तम आज दीपक राग गाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

तम नई आभा निी मझम भरोगी

नव शवभा म सनान तम भी तो करोगी

आज तम मझको जगाकर जगमगाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

म तपोमय जयोशत की पर पयास मझको

ि परणय की िशकत पर शवशवास मझको

सनि की दो बद भी तो तम शगराओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

कल शतशमर को भद म आग बढगा

कल परलय की आशधयो स म लडगा

फ़कनत आज मझको आचल स बचाओ

आज फ़िर स तम बझा दीपक जलाओ

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

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दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

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िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 34

ितर म ि भारत की सासकशतक अखणडता और शवरासत

डॉ अपाण जन अशवचल

भारत दि एक बह-सासकशतक पररदशय क साथ बना एक ऐसा राषटर ि जो दो मिान नदी परणाशलयो

ससध तथा गगा की घारटयो म शवकशसत हई सभयता ि यदयशप िमारी ससकशत शिमालय की वजि स अशत

शवशिषट भौगोलीय कषतर म अवशसथत जरटल तथा बहआयामी ि लफ़कन फ़कसी भी दशषट स अलग-थलग सभयता

निी रिी भारतीय सभयता िमिा स िी शसथर न िोकर शवकासोनमख एव गतयातमक रिी ि भारत म सथल

और समदर क रासत वयापारी और उपशनविी आए अशधकाि पराचीन समय स िी भारत कभी भी शवशव स

अलग-थलग निी रिा इसक पररणामसवरप भारत म शवशवध ससकशत वाली सभयता शवकशसत िोगी जो

पराचीन भारत स आधशनक भारत तक की अमता कला और सासकशतक परमपराओ स सिज िी पररलशकषत िोता

ि चाि वि गधवा कला शवदयालय का बौद नतय जो यनाशनयो क दवारा परभाशवत हआ था िो या उततरी एव

दशकषणी भारत क मफ़दरो म शवदयमान अमता सासकशतक शवरासत िो

भारत का इशतिास पाच िजार स अशधक वषो को अपन सासकशतक खड म समट हए अनक सभयताओ

क पोषक क रप म शवशव क अधययन क शलए उपशसथत ि यिा क शनवासी और उनकी जीवन िशलया उनक

नतय और सगीत िशलया कला और िसतकला जस अनय अनक ततव भारतीय ससकशत और शवरासत क शवशभि

वणा ि जो दि की राषटरीयता का सचचा शचतर परसतत करत ि

डॉ ए एल बािम न अपन लख भारत का सासकशतक इशतिास म यि उललख फ़कया ि फ़क जबफ़क

सभयता क चार मखय उदगम क दर पवा स पशशचम की ओर बिन पर चीन भारत िटााइल करीसट तथा भमध य

सागरीय परदि शविषकर यनान और रोम ि भारत को इसका सवााशधक शरय जाता ि कयोफ़क इसन एशिया

मिादि क अशधकाि परदिो क सासकशतक जीवन पर अपना गिरा परभाव डाला ि इसन परतयकष और अपरतयकष

रप स शवशव क अनय भागो पर भी अपनी ससकशत की गिरी छाप छोड़ी ि

ससकशत स अथा िोता ि फ़क फ़कसी समाज म गिराई तक वयापत गणो क समगर रप जस जो उस समाज क

सोचन शवचारन काया करन खान-पीन बोलन नतय गायन साशितय कला वासत आफ़द म पररलशकषत िोती

ि

lsquoससकशतrsquo िबद ससकत भाषा की धात lsquoकrsquo (करना) स बना ि इस धात स तीन िबद बनत ि lsquoपरकशतrsquo

(मल शसथशत) lsquoससकशतrsquo (पररषकत शसथशत) और lsquoशवकशतrsquo (अवनशत शसथशत) जब lsquoपरकतrsquo या कचचा माल पररषकत

फ़कया जाता ि तो यि ससकत िो जाता ि और जब यि शबगड़ जाता ि तो lsquoशवकतrsquo िो जाता ि अगरजी म

ससकशत क शलय कलचर िबद परयोग फ़कया जाता ि जो लरटन भाषा क lsquoकलट या कलटसrsquo स शलया गया ि

शजसका अथा ि जोतना शवकशसत करना या पररषकत करना और पजा करना सकषप म फ़कसी वसत को यिा तक

ससकाररत और पररषकत करना फ़क इसका अशतम उतपाद िमारी परिसा और सममान परापत कर सक यि ठीक

उसी तरि ि जस ससकत भाषा का िबद lsquoससकशतrsquo

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ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

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की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

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कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 35

ससकशत का िबदाथा ि - उततम या सधरी हई शसथशत मनषय सवभावतः परगशतिील पराणी ि यि बशद

क परयोग स अपन चारो ओर की पराकशतक पररशसथशत को शनरनतर सधारता और उित करता रिता ि ऐसी

परतयक जीवन-पदशत रीशत-ररवाज रिन-सिन आचार-शवचार नवीन अनसनधान और आशवषकार शजसस मनषय

पिओ और जगशलयो क दज स ऊचा उठता ि तथा सभय बनता ि सभयता और ससकशत का अग ि सभयता

(Civilization) स मनषय क भौशतक कषतर की परगशत सशचत िोती ि जबफ़क ससकशत (Culture) स मानशसक कषतर

की परगशत सशचत िोती ि

भारतीय ससकशत अपनी शविाल भौगोशलक शसथशत क समान अलग-अलग ि यिा क लोग अलग-अलग

भाषाए बोलत ि अलग-अलग तरि क कपड़ पिनत ि शभि-शभि धमो का पालन करत ि अलग-अलग

भोजन करत ि फ़कनत उनका सवभाव एक जसा िोता ि तो चाि यि कोई खिी का अवसर िो या कोई दख का

कषण लोग पर फ़दल स इसम भाग लत ि एक साथ खिी या ददा का अनभव करत ि एक तयौिार या एक

आयोजन फ़कसी घर या पररवार क शलए सीशमत निी ि परा समदाय या आस-पड़ोसी एक अवसर पर खशिया

मनान म िाशमल िोता ि इसी परकार एक भारतीय शववाि मल-जोल का आयोजन ि शजसम न कवल वर और

वध बशलक दो पररवारो का भी सगम िोता ि चाि उनकी ससकशत या धमा का मामला िो इसी परकार दख म

भी पड़ोसी और शमतर उस ददा को कम करन म एक मित वपणा भशमका शनभात ि

वतामान समय म भारत की वशशवक छशव एक उभरत हए और परगशतिील राषटर की ि सच िी ि भारत

म सभी कषतरो म कई सीमाओ को िाल क वषो म पार फ़कया ि जस फ़क वाशणजय परौदयोशगकी और शवकास आफ़द

और इसक साथ िी उसन अपनी अनय रचनातमक बौशदकता को उपशकषत भी निी फ़कया ि िमार राषटर न शवशव

को शवजञान फ़दया ि शजसका शनरतर अभयास भारत म अनतकाल स फ़कया जाता ि आयवद परी तरि स जड़ी

बरटयो और पराकशतक खरपतवार स बनी दवाओ का एक शवशिषट रप ि जो दशनया की फ़कसी भी बीमारी का

इलाज कर सकती ि आयवद का उललख पराचीन भारत क एक गरथ रामायण म भी फ़कया गया ि और आज भी

दवाओ की पशशचमी सकलपना जब अपन चरम पर पहच गई ि ऐस लोग ि जो बह परकार की शविषताओ क

शलए इलाज की वकशलपक शवशधयो की तलाि म ि

भारतीय नागररको की सदरता उनकी सिनिीलता लन और दन की भावना तथा उन सस कशतयो क

शमशरण म शनशित ि शजसकी तलना एक ऐस उदयान स की जा सकती ि जिा कई रगो और वणो क िल ि

जबफ़क उनका अपना अशसतत व बना हआ ि और व भारत रपी उदयान म भाईचारा और सदरता शबखरत ि

इन सब गणो क बावजद भी वतामान दौर म भारत म अपनी िी ससकशत को शवखशडत और शवलोशपत

करन की कवायद आरमभ िो चकी ि शजसक दषपररणाम सवरप भारत कवल एक ऐसा भशम का टकड़ा बच

जाएगा शजसक सतिी तल पर तो अशधकार िमारा िोगा फ़कनत मानशसक सतर पर उस पर आशधपतय पाशचातय क

राषटरो का िोगा इस शवकराल समसया को िम भारत की सासकशतक अखणडता पर मडरा रि खतर क तौर पर

सवीकार करना चाशिए और उसक उपचार ित िीघराशतिीघर परयास करना परारमभ करना िोगा

सासकशतक अखणडता को बनाय रखन क शलए पराथशमक तौर पर िर भारतविी म राषटरपरम की जागशत

लाना िोगी पिल राषटर की मलभावना को रगो म दौड़न क शलए भारतीय भाषाओ को सरशकषत करना परम

आवशयक ि जब भारत आजाद िोन वाला था उसक पिल १८ जलाई १९४७ को इगलड की ससद म भारतीय

सवततरता अशधशनयम १९४७ पास हआ यफ़द उस पिा जाय और उसक बाद लाडा मकाल और एटमी क सवादो

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 36

की तरि दशषट डाली जाए तो िम यि जञात िोगा फ़क भारत को आजादी ितो और अनबध क आधार पर दी गई

ि और एटमी क अनसार तो भारत को अगरजो स आज़ाद करक अगरशजयत का गलाम बनाया गया ि िम इसको

तोड़ कर भारतीय भाषाओ को बिावा दना िोगा बाजार पर शजस अगरशजयत का कबज़ा ि उस िटा कर

भारतीयता का सामराजय सथाशपत करना िोगा बचचो क बसत स गायब हई नशतक शिकषा की फ़कताब भी भारत

की सासकशतक अखणडता को बचान म अगरणी थी उस वापस अशनवाया शिकषा की धारा म लाना िोगा

इसी क साथ िम सापरदाशयक सौिादरा की सथापना करनी िोगी कयोफ़क भारत म धमा और जाशत क नाम

पर झगड़ तो उन िशथयारो क वयापाररयो की कारसतानी और मिा ि शजनका वयापार िी िशथयार बचना ि

िम िमार तयौिारो पर भी चाइनीज भागीदारी को समापत करना िोगा आज िमार तयोिारो की समझ

िमस जयादा चाइना की ि कयोफ़क वि एक वयापारी दि ि जो अपना माल शवशव क दसर बड़ बाजार क तौर पर

सथाशपत भारत म खपाना चािता ि मिातमा गाधी न आज़ादी क पिल शवदिी वसतओ क बशिषकार का

आदोलन इसशलए िी चलाया था कयोफ़क िम िी िमारी गािी कमाई स िमारी सासकशतक ितया क शलए साधन

जटान ित उनि पोशषत करत ि

इनिी सब मितवपणा उपायो स भारत की सासकशतक शवरासत को बचाया जा सकता ि वनाा िमार पास

िष िाथ मलन क अशतररकत कछ न बचगा जब राषटर िी निी बचगा

शिनदी पर मकतक

मनोज कमार िकल मनोज

शिनदसतान क फ़दल म धड़कती आज य शिनदी

शवशव भी जानता ि अब यिा की भाषा ि शिनदी

शसयासत म उलझ कर वि शससकती थी जमान स

आज भारत क माथ पर लगी खि िो रिी शिनदी

मातर भाषा निी ि यि िमार दि की शिनदी

िमारी अशसमता स ि जड़ी जन जन की य शिनदी

सवततरता की लड़ाई म दि को एक जट रकखा

परगशत क भाल पर अब ि दमकती आज य शिनदी

शिनदसता बदलता जा रिा अब गौर स सन लो

राषटरभाषा बनगी यि अर अगरजदा सन लो

गलामी की िी चादर ओिकर जो मौज करत थ

शिनदी का नया यग अब फ़दखाई द रिा सन लो

कनाडा की धरा पर िो रिा जो आज आयोजन

िमारी सभयता ससकशत और शिनदी का समायोजन

तमि भारत की खिब िी सिाती ि गशलसता म

तभी तो इस धरा म कर रि ऐस िी आयोजन

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

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अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

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पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

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दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

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िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 37

कोख

डॉ समशत दब

शमसज़ चदरा सोनी बहत परिान िो गई ि कारण यि फ़क जिा भी फ़कराय का मकान लो दो साल पर

भी निी िोत फ़क फ़कराया बढाओ निी तो घर छोड़ो सनत-सनत शज़नदगी नरक लगन लगी ि िर दसर साल

घर बदलन की सचता मकान माशलक क साथ बनाए अचछ समबनधो पर पानी िर दता ि शजस मकान माशलक

का पररवार िि-शमज़ाज़ और परम शितषी लगता रिा ि विी गाल िला लगा और यन-कन-परकारण आपकी

जड़ काटन पर उतार िो जायगा तीन छोट बचच और पशत अपन काम म मिगल रिन वाल घर म साथ रिन

वाल मकान माशलक की उपकषा और सकत - ऐसी शसथशत खल रिी थी तबादल वाली नौकरी क चलत बनारस

म िमिा क शलए रिना समभव निी फ़क अपना मकान िी बनवा शलया जाए यिा जो भी मकान अपनी आट

बाट का शमलता ि तो गली म िी परी गली न १ की दगानध स भरी लगती ि किा जाए कया कर सड़क क

एक तरि क घरो म बाि का परकोप तो दसरी ओर मफ़दर और गशलया मकान बदलना पड़ िी जाएगा ईशवर की

अनकमपा हई दसरा घर अशधक बड़ा और उसस भी कम फ़कराए म शमल गया बस बीस कदम दगानध का झोका

पार करत िी गगा जी की तरि स आन वाली िीतल िवा

सोनी न किन क मार मकान माशलक को भनक तक निी लगन दी सामान परद म लपट-लपटकर

शवभाग क रक पर जब रखा जान लगा तो मकान माशलक का आशचया क मार बरा िाल बताया निी आशचया स

बोली ldquoभनक तक निी लगन दीrdquo

िा निी लगन दी समबनधो की शमठास बनी रि उसक शलए यि ज़ररी था फ़क मकान जलदी स जलदी

बदल शलया जाए मकान बहत अचछा शमल गया था फ़दलाया भी शवभाग स समककष अशधकारी न दो शनवाड़

की पलग एक खटोला दो अलमाररया सोिा डाइसनग टबल िन कलर फ़कचन क बतान सामान सजान म

परी मदद भी शमल गई बचचो का सकल और पास िो गया सकटर क शलए इतनी दरी ज़यादा मतलब भी किा

रखती ि

साथी अनपम खर का परा पररवार मा भईया-भाभी भतीज-भतीशजया पतनी सब शमलनसार आनद

आ गया पिल क मकान माशलक भी य मोज़क क फ़िा वाला घर दख गए थोडा और अनदर जाकर िम और

बड़ा घर शमल रिा था बस उसम मोज़क की फ़िा निी थी बनारस म वस िी बाल पिली क रासता ढढो वाल

शचतर जसी िी गशलयो का जाल ि आग बित गए तो सामन गगा नदी क घाट पर खड़ शमल सकत िो यिा

सामन पीपल का छायादार पड़ खला मदान गली क मिान पर रािन और सबजी की दकान अचछी काम करन

वाली बाई

भर-पर पररवार का मज़ा साथ िी कामया कछ-न-कछ बनाकर द िी जाती थी चनदरा को इस कटासी स

छट थी कयोफ़क उनक एक छोटी बटी थी मल-शमलाप की क़ीमत भी अदा करनी पड़ी बटो को आगन म लग

नल पर निान को कि दो पर आपको अपन शिसस क बाथरम म निान क शलए भी ताक म लग रिना पड़ तो

घस गए तो अटचड रम स कोई दरवाज़ा भड़भड़ान लगता िरदम डर लगा रिता फ़क आकड़ा किी उछल न

जाए सवाल यि ि फ़क नाशत-खान की कतजञता भला द फ़क मान तो चदरा का शसदात बना ldquoजो मरा ि वो मरा

ि उसम कोई शिससदार निीrdquo थोड़ी भी खटास निी पड़ी बात भी ठीक ि एक िी शवभाग क ि विी काम कर

शजसस वयविार लमबा चल चदरा न यि समसया िल कर ली

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

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एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 38

अनपम खर और पतनी कामया सनदर गोर ि समसया यिी फ़क जब एक िी आगन क चारो ओर कमर िो

तो आगन का बटवारा कस िो उनका बड़ा पररवार ठिरा पर बरामद म चिलकदमी करक परो की छाप भर

दत पाटीिन क शलए एक बच रख दी तो उसी पर व लोग खान-पीन लग जिा मन िोता बच उठा ल जात

फ़कतना किा जाए चदरा क तीन बचच शववक रमण बटी कसमभी खर क बचचो रि और शमनी स दो-तीन साल

छोट ि

सभी बचच शखलदड घर-आगन बरामदा गशलयारा बचचो की दौड़-भाग स गलज़ार रिता बचचो क सकल

क चलत दोनो माताए सवर पाच बज िी उठ जाती ि मौन अशभवादन िो जाता ि सबि-सबि यि कसी चक-

चक खर बहत गसस म ि पतनी कमया को दबी-दबी आवाज़ म कछ धमका-सा रि ि साथ िी खाली जग

पकड़कर मन का कषोभ वयकत िो रिा ि जग कद-िादकर चारपाई क पाव स रटककर ससता रिा था उस भी

अदाज़ा ि फ़क अभी एक लात और लगगी विी दर खड़ शमतर अखणड ससि टथ-िि मि म घसड़ दातो को

चमकान म लग ि कामया की सास पीठ पीछ की बात धयान स सन रिी ि धीर स बोली ldquoललला तम अब इस

घर म अकल िी निी िो एक और पररवार भी ि जाओ अनदर कमर म लड़ोrdquo

कामया दौड़कर रसोई म घस गई सबर-सबर ककर की सीटी छ-छ बजन लगी सफ़द चन क उबलन

की मिक घर-भर म िलन लगी

कामया सास स बोली ldquoअममा शबना भीगा चना गल िी निी रिा ि शछलक उतर गए पर चना जस

पतथर य ठाकर जब भी आता ि तब इनका फ़दमाग खराब िो जाता ि जग ऐस पटक रि थ जस मरा शसर िी

िोड़ रि िोrdquo कित-कित कामया क िोठ िड़कन लग और बड़ी-बड़ी आख लाल िो आई

सास बोली ldquoय मदा घर क िी मवाली िोत ि ऑफ़िस म सािब शबलली तो य चि दम दबाए इधर-

उधर ऊगली क इिार पर दौड़ा करत ि जान द मत कछ कि पगल को दो फ़दन ठाकर को झलना पड़गा िी

जब चला जायगा तो सब िात िो जायगाrdquo

कामया नाईटी पिन घर का नाशता बनाकर िी निाती ि १२ साल की भतीजी और २ भतीज भी

अखणड का आना पसद निी करत ि चाचा फ़कसी की सन तब तो कमाकर शखलत तो विी ि रािन गाव स

आता ज़रर ि लफ़कन फ़ीस कपड़ा आफ़द तो विी दत ि

अकटबर की नवराशतर म म चदरा दीदी क पास ३-४ फ़दन क शलए गई खर ससि और मर पशत चाय-

नाशत का आनद इन फ़दनो साथ िी उठा रि ि कामया न जलशबया और पोिा बना कर बठक म भज फ़दया ि

कछ दीदी क पास भी भज फ़दया ि चदरा विी बचचो को रटफ़िन म द रिी ि म तो िड खा चकी ह पशत क कमर

म आत िी चदरा दीदी न किा ldquoअचछा लगता ि कया नाशता भी विी का रात का खाना भी विी का तम भी

खर और ससि को रात क खान पर बला लो बिन ि िी य अपनी सपिलटी दिी-बड़ और पाव-भाजी बना दगी

कछ िोटल स मगा लगrdquo

झट जवाब शमला ldquoशखलान दो खर को ज़यादा चककर न पालो परिान िो जाओगी अभी सामान भी

परा खला निी ि एक बार सब शमलकर िोटल चलग वयविार परा िो जायगाrdquo

दीदी सतषट िो गई इसस अचछी वयवसथा कछ िो िी निी सकती थी खर की मा बचचो को सभाल लगी

लौटत समय बचचो क शलए आइसकरीम शिक लत आएग

दीदी न अपनी फ़कटी मर सवागत म पिल िी कर ली ताफ़क नए-नए गम म करा द और नाशत म म मदद

कर दगी खर मर पशत और अखणड एक साथ इलािाबाद म पि और एक साथ िी नौकरी जवाइन की अखणड

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 39

एक साल सीशनयर थ और मथ म पीएचडी खर क साथ िोसटल म भी रि जस िी सोनी ऑफ़िस स लौट

कामया जी दीदी क कमर म दौड़ती हई घसी और ििक-ििक कर रोन लगी खर अभी ऑफ़िस स निी लौट थ

जीजा को कपड बदलन ि और व उठ िी निी रिी ि दीदी न बठक म कपड बदलन का इिारा फ़कया तो विा

बचच कद-िाद कर रि थ बिरिाल बाथरम म जाकर कपड़ा बदला साथी की पतनी को दखी दख कर फ़कचन म

जाकर चाय िद िी बना लान क शवचार स गए तो विा काम करन वाली बाई पाटा धोत शमली कया कर कया

न कर अखबार लकर बचचो क बीच म बठन चल गए

दीदी का कलजा मि को आ रिा था य कया छछद ि कछ समझ निी पा रिी थी कामया दीदी की

पीठ पर िाथ िरा तो व सबक-सबक कर बोल पड़ी ldquoभाभी जी इनि समझाइय इनकी आदत ठीक निी ि य

अपन उस दोसत क साथ रात म सोत ि मझ भी उसी कमर म जमीन पर सोन को कित ि मझस बदााशत निी

िोता ि घर म सभी जानत ि लफ़कन कोई टोकता कोई निी ि छोट बचचो तक को मािौल का आभास िो जाता

िrdquo

सनकर िम दोनो का मि खला का खला रि गया दीदी बोली ldquoतभी तीनो कमर स साथ िी शनकलत

दखती थी मन इस पर धयान इसशलए निी फ़दया फ़क बचचो वाल घर म मा को बड़ सबर िी उठना पड़ता ि उनि

जगान और तयार करन म सभी जग जात ि पर इस वयशकत की य करततrdquo

म भी जाससी पर उतर आई कल का िी फ़दन ि परसो अखणड चला जायगा आशचया िो रिा था फ़क यि

बहदी बात कस मा को बदााशत िो रिी थी मा स मन पछा ldquoअममा सना ि अखणड कल जा रि िrdquo

अममा न दसो उगशलया िोड़कर किा ldquoजाय बम पशलस क टक म जीना मशशकल कर फ़दया िrdquo

मन किा ldquoकया बात ि माजीrdquo

अममा ldquoबाल बचच वाली ि तझ सब सिी लग रिा ि य सब दखन क पिल म मर कयो निी गईrdquo

मर पशत भगीरथकानत रलव म इजीशनयर ि उनिोन जब यि बात सनी तो बात की ति तक जान की

ठान ली बोल ldquoमरा कया म कौन यिा बसन आया ह या य खर िी मरा बॉस िrdquo

रात को दर तक चलती ताि और पीन-शपलान क दौर क बीच कछ जयादा िी चि जान का नाटक करत

हए भगीरथ जी न गाना िर फ़कया lsquoय दोसती िम निी छोड़ग सॉरी तोड़ग अमा अखणड याद निी आ रिा ि

फ़क तोड़ग ि या छोड़ग कया ि तम दोनो क बीच म वो िीrdquo

अखणड गरााए ldquoन य न वो बशलक तरा सर िोड़गrdquo

खर न िलक-स सपिा फ़कया और लगा फ़क जस गरम िवा शनकल गई फ़िर बोल ldquoअर भगीरथ त चप

िी रि कल य भी चला जा रिा ि और त भी तो जा रिा ि छोड़ न इन बातो को य अखणड मर बचपन का

दोसत ि इसकी अमीरी म मरी गरीबी दर िो गई इसी क कपड पिना ह इसी न मरी फ़ीस भरी ि यि तन

पराण सब इसी का तो ि परी यशनवरसाटी म यफ़द कोई मझको िाथ भी लगा दता तो उस मार-मार कर अधमरा

कर डालता खन करन पर उतार िो जाता इसी क साथ सोया-जगा ह इतना बड़ा पररवार ि िर कमर म

तीन-चार लोग शचकर-शचकर लगाए रित ि तो यफ़द इस म अपन कमर म िी सला लता ह तो कौन-सा

आसमान टट पड़गा मर इतनी िारीररक ताकत तो ि निी फ़क कोई इस कछ कि जस त तो म उसका मि तोड़

दrdquo

भगीरथ की िवी बॉडी की मास-पशिया उभर आई और दात पर दात बठ गए खर का शलिाज़ था

वरना चि बठत फ़िर दोसत िोकर इतना बोलना तो चलता ि सोनी न पकौड़ी की पलट भगीरथ जी को

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 40

पकड़ाई और बोल ldquoतम काम स काम रखो य बनारस ि य शबिारी गाशलयो पर उतर आया तो अनशगनत िो

जायगीrdquo कि कर आख मारी और अखणड िल-पचककर िात िो गए

ताि की बाजी बड़ी चतराई पर आकर रकी थी भगीरथ बलाइड खल रि थ दोसत उनि बवकि समझ

रि थ भगीरथ फ़िर उखड़ गए बोल ldquoम और खर दोसत निी ि कया उतारन पिनान का इतना एिसान अब

तो रपय की समसया निी ि न मार द रपय वापस इसक मि पर िमशपयाला िमशनवाला िो तो इसका

मतलब यि तो निी फ़क बीबी तमिार एिसान की भरपाई अपमान का घट पीकर कर भगवन क घर म दर ि

अधर निीrdquo

अखणड lsquoचोपपrsquo किकर ओपन बोलकर भगीरथ जी दवारा रपया सरपटना दख रि थ आजतक फ़कसी न

उन दोनो पर ऊगली निी उठाई थी लफ़कन इललती तो इललती चला गया इतमीनान यिी था फ़क उसक कतय

पर फ़कसी न ऊगली तो उठाई खर ठिर मदा उनि कौन परताशड़त कर सकता था

मा बोली ldquoकयो थकका फ़जीित करवा रिा ि लललाrdquo

खर बोल ldquoमा रिती ि तो रि वरना लगगा लतता उठा और गाव चली जा पढाई म पस-पस को तरसा

फ़दया अब मा का तवर फ़दखा रिी ि जा सोजाrdquo

िम भी दीदी क यिा स वापस आ गए दीदी स बात िोती रिती ि खबर शमली फ़क अखणड को िादी

म २ करोड़ नगद शमला ि पतनी १०वा पास न रप-रग की न फ़कसी ढग की बचच कस िोत भला पषपबधया ि

बात तो शबगड़ िी जाती यफ़द पतनी न अपन मन की न कर ली िोती उधर खर भाभी न घर म िी सध-मारी कर

ली शजठानी का लमबी बीमारी क बाद इतकाल िो गया सास तो तब भी चप थी अब भी चप ि का कर

बचारी

अखणड रपय म खल रि ि पर अब दोसत बदल शलए ि खर स बात तक निी करत बहत पयार फ़दया

अब निी नाराज़गी यिी थी फ़क भगीरथ को उसन जशतयाया कयो निी म तो उसक शलए सबस दशमनी मोल ल

लता था और य जनखा फ़कसी काम का निी

अब घर म कामया की िी चलती ि बटी पिकर शवदि चली गई इशडया म इशडया वाल मौज कर न

चदरा दीदी कि रिी थी ldquoअर अनाशमका बािर की दगानध तो नाक स पता चलती ि य गनदगी तो खानदान म

जाती ि फ़कस बहत बरा कि फ़कस कम बरा बर तो व सभी थ वो तो भला िो जो बनारस स तबादला िो

गया और लखनऊ आ गई ना बाबा अब घर फ़कसी स ियर निी करगी आना तो उन चारो की चचाा भी मत

चलानाrdquo

मन पछ शलया ldquoअममा किा िrdquo

तो बोली ldquoअममा सार राज़ सीन म समाय ऊपर चली गई बताती थी फ़क इस अनपमवा क शलए किा-

किा चादर चिान निी गई एक बार शजस दर स बटा शमला विी स बाकी भी शमल मा की कोख कमिार का

आवा ि सब दोख आच म भसम िो जाता ि शजस जो समझना िो समझ गरज क शलए कोई भी बात िरम की

बात निी जात-जात अपनी चादर बिान की परथा शनभान को कि गई िrdquo

कामया परथा शनभाएगी कयोफ़क कमी तो अनपम की िी ि पिल कम निी सिा ि अब शगन-शगन क

बदल लगी खर स किती ि ldquoमरी ितो पर अब जीना िोगा जो भी िो य बदला ि और बदला लन म करटल

िोना िी पड़ता ि पिल िम तमको झल अब तम िम झलोrdquo

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 41

दो पर

सशमतरा कजरीवाल

मतय की छाया आती ि और जाती ि

वरागय आता ि और जाता ि

शमिान म जलती हई शचता क दो पर

मन म बार-बार कित ि

गगा क तट पर खड़ी म सब

दख रिी ह

यि पर कभी फ़कतना सदर नतय

फ़कय िोग

मतय की छाया का आभास

भय स अपनी आतमा को पिचानन का परयास

माया की आड़ म फ़कतना जीना पड़गा

सतय क सवरप को समझना िोगा

सब कछ धधला-धधला सा दीख रिा ि

करणा स भरा मन अशसथर िो उठता ि

इस मन को कस बाध

मरन तक दःख िी दःख ि

उस पर कस शवजय परापत कर

यि वदना िी सतय ि

यि वदना िी तप ि

इसस पयार करना िोगा

उस अजञात िशकत स लौ लगाकर

जीवन क रिसय को समझना िोगा

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 42

नीरज क कावय म मानववाद

शगररराजिरण अगरवाल

नीरज शिदी-कशवता क सवााशधक शववादासपद कशव रि ि कोई उनि शनराि मतयवादी किता ि तो

कोई उनको अशवघोष का नवीन ससकरण मानन को ततपर ि लफ़कन शजसन भी नीरज क अतस म झाकन का

परयतन फ़कया ि वि सलभता स यि जान सकता ि फ़क उनका कशव मलतः मानव-परमी ि उनका मानव-परम

उनकी परतयक कशवता म सपषट हआ ि चाि वि वयशकतगत सतर पर शलख गए परमगीत िो या करणापररत गीत

चाि भशकतपरक गीत िो या दािाशनक सभी म उनका मानव-परम मखर हआ ि नीरज की पाती म सगिीत

अनक पाशतया जो शनतात वयशकतगत परम स परारमभ िोती ि अकसर मानव-परम पर जाकर समापत िोती ि आज

की रात तझ आश खरी ित शलख द िाम का वक़त ि आज िी तरा जनमफ़दन शलखना चाह भी तझ ित तो बता

कस शलख आफ़द पाशतयो का अथा वयशकत ि और इशत मानव उनकी आसथा मानव-परम म इतनी परगाि ि फ़क

घणा दवष शननदा क वातयाचकर म खड़ रिकर भी कित ि mdash शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को|

नीरज का मानववाद एक ऐसा भवन ि जिा पर ठिरन क शलए वगा धमा जाशत दि का कोई बधन

निी ि वि दीवान-आम ि शजसम परतयक जाशत परतयक वगा का परशतशनशध शबना फ़कसी सकोच क परवि कर

सकता ि और सामन खड़ा िोकर अपनी बात कि सकता ि वसततः मानव-परम िी एक बड़ा सतय ि कशव क

समकष नीरज क कशव का सबस बड़ा धमा और ईमान मानव-परम ि इसशलए समसत शवशव म उनक शलए कोई

पराया निी -

कोई निी पराया मरा घर सारा ससार ि

म न बधा ह दिकाल की जग लगी जजीरो म

म न खड़ा जाशत-पाशत की ऊची-नीची भीड़ म|

इसीशलए उनका गीत भी फ़कसी एक वयशकत का गीत निी वि उन सबक मन का उदगार ि शजनका इस

ससार म कोई निी शजसका सवर अनसना कर फ़दया जाता ि उनक सवर को उनिोन सवर फ़दया ि ndash

म उन सबका ह फ़क निी कोई शजनका ससार म

एक निी दो निी िजारो साझी मर पयार म|

फ़कसी एक टट सवर स िी मखर न मरी शवास ि

लाखो शससक रि गीतो क करदन िािाकार म|

कशव न सदव मानव को शवकास की ओर अगरसर िोन की िी कामना की ि इस शवकास क मागा म आई

बाधाओ स उनका तीवर शवरोध ि मानव-मानव क मधय वि फ़कसी दीवार या पद को सिन निी कर सकत और

इसीशलए जीवन की अकशतरमता क आड़ आन पर उनिोन कराशत को भी सवीकार फ़कया ि lsquoभखी धरती अब भख

शमटान आती िrsquo म उनक कशव का यिी रप फ़दखाई दता ि ndash

ि काप रिी मफ़दर-मशसजद की दीवार

गीता क़रान क अथा बदलत जात ि

ढित जात ि दगा दवार मकबर मिल

तखतो पर इसपाती बादल मडरात ि|

अगड़ाई लकर जाग रिा इसान नया

सज़दगी क़ि पर बठी बीन बजाती ि

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 43

िो सावधान सभलो ओ ताज-तखत वालो

भखी धरती अब भख शमटान आती ि|

कशव का मानव-परम फ़कसी परकार की सीमाओ म बधा निी ि कशव शवशव क खल परागण म खड़ा ि

शवशव का िर भटकता पीश डत वयशकत उसकी सिानभशत का अशधकारी िो गया ि -

सनी-सनी शज़नदगी की राि ि

भटकी-भटकी िर नज़र शनगाि ि

राि को सवार दो शनगाि को शनखार दो

आदमी िो फ़क तम उठो आदमी को पयार दो दलार दो

रोत हए आसओ की आरती उतार दो|

शवशव-परम न कशव को असीम बना फ़दया ि समशषटगत भावनाओ का परदभााव इसी कारण हआ कशव म

वि समसत सशषट को अपन म लीन मानता ि उसका शवचार ि फ़क फ़कसी अनय को फ़दया गया कषट भी अपन शलए

िी िोगा इसशलए फ़कसी को भी सताना उशचत निी परतयक कण को अपन पयार का वरदान दना आवशयक ि -

म शसखाता ह फ़क शजओ औrsquo जीन दो ससार को

शजतना जयादा बाट सको तम बाटो अपन पयार को

िसो इस तरि िस तमिार साथ दशलत यि धल भी

चलो इस तरि कचल न जाए पग स कोई िल भी

सख न तमिारा कवल जग का भी उसम भाग ि

िल डाल का पीछ पिल उपवन का िगार ि|

कशव का मानव-परम िी उसक जीवन की सबस बड़ी िशकत ि इस िशकत स वि जग क अनक आकषाणो स

अपन को बचा सकता ि कशव क िबदो म ndash

आदमी ह आदमी स पयार करता ह--मरी कमजोरी ि और िशकत भी कमजोरी इसशलए फ़क घणा और

दवष स भर ससार म मानव-परम क गीत गाना अपनी पराजय की किानी किना ि पर िशकत इसशलए ि फ़क मर

इस मानव-परम न िी मर आसपास बनी हई धमा-कमा जाशत-पाशत आफ़द की दीवारो को ढिा फ़दया ि और मझ

वादो क भीषण झझावात म पथभरषट निी िोन फ़दया ि इसशलए यि मरी िशकत ि

यिी कारण ि फ़क कशव नीरज क कावय म अनय सब शवशध-शवधानो रीशतयो-नीशतयो स ऊपर मानव की

परशतषठा ि मानव जो िर झोपड़ी िर खशलयान िर खत िर बाग िर दकान िर मकान म ि सवगा क कशलपत

सख-सौदया स अशधक वासतव ि कशव को इसीशलए मानव और उसका िर शनमााण अतयशधक आकरषात करता ि-

किी रि कस भी मझको पयारा यि इसान ि

मझको अपनी मानवता पर बहत-बहत अशभमान ि|

अर निी दवतव मझ तो भाता ि मनजतव िी

और छोड़कर पयार निी सवीकार सकल अमरतव भी

मझ सनाओ न तम सवगा-सख की सकमार किाशनया

मरी धरती सौ-सौ सवगो स जयादा सकमार ि|

सभी कमाकाडो स ऊपर मानव की परशतषठा ि कशव क कावय म -

जाशत-पाशत स बड़ा धमा ि

धमा धयान स बड़ा कमा ि

कमाकाड स बड़ा ममा ि

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

15 60 2018 44

मगर सभी स बड़ा यिा यि छोटा-सा इसान ि

और अगर वि पयार कर तो धरती सवगा समान ि|

कशव न साशितय क शलए मानव को िी सबस बड़ा सतय माना ि lsquoददा फ़दया िrsquo क दशषटकोण म उनिोन

शलखा ि - lsquoमरी मानयता ि फ़क साशितय क शलए मनषय स बड़ा और दसरा सतय ससार म निी ि और उस पा लन

म िी उसकी साथाकता ि जो साशितय मनषय क दख म साझीदार निी उसस मरा शवरोध ि म अपनी कशवता

दवारा मनषय बनकर मनषय तक पहचना चािता ह विी मरी यातरा का आफ़द ि और विी अत|rsquo

इस परकार नीरज की कशवता का अथा भी मनषय ि और इशत भी विी उनक शनकट मानवता का सबस

बड़ा परमाण ि इसीशलए कशव किता ि ndash

पर विी अपराध म िर बार करता ह

आदमी ह आदमी स पयार करता ह|

फ़दल कोमल िोता ि

ओम परकाि शवशनोई lsquoसधाकरrsquo

फ़दल कोमल िोता ि फ़दल शपघल जाता ि|

मिबबत की तसवीर उभार कर लाता ि||

फ़दल दररया बन जाता ि फ़दल ज़ररया बन जाता ि|

फ़दल गर मचल जाता ि तो तराना बन जाता ि||

पयार पनपन लगता ि फ़दल नाचन लगता ि|

पयार म रग आता ि मन म उमग भर जाता ि||

आखो म िमार भर जाता ि मन मचलन लगता ि|

मशजल शमल जाती ि lsquoसधाकरrsquo िज़ाना शमल जाता ि||

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors 55 Warren Street LONDON ndash W1T 5NW England

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

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The Galaxy Within A collection of English poems

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