Nonprofit Publications - Yola JYOTISH May...Nonprofit Publications . ग त व क म रम द...

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Nonprofit Publications रव कामाारम या त भाससक -ऩिका भई-2019 Our Web Site: www.gurutvajyotish.com Shp Our Product Online www.gurutvakaryalay.com Join Us: fb.com/gurutva.karyalay | twitter.com/#!/GURUTVAKARYALAY | plus.google.com/u/0/+ChintanJoshi

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  • Nonprofit Publications .

    गुरुत्व कामाारम द्वाया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका भई-2019

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  • FREE E CIRCULAR

    गरुुत्व ज्मोततष भाससक ई-ऩत्रिका भें रेखन हेतु

    फ्रीराॊस (स्वतॊि) रेखकों का

    स्वागत हैं...

    गरुुत्व ज्मोततष भाससक ई-ऩत्रिका भें आऩके द्वारा सरखे गमे भॊि, मॊि, तॊि, ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्तु, पें गशुई, टैयों, येकी एवॊ अन्म आध्मात्त्भक ऻान वधाक रेख को प्रकासशत कयने हेत ु बेज सकते हैं।

    अधधक जानकायी हेतु सॊऩका कयें।

    GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA

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    गुरुत्व ज्मोततष भाससक ई-ऩत्रिका

    भई 2019 सॊऩादक ध ॊतन जोशी सॊऩका गुरुत्व ज्मोततष ववबाग गुरुत्व कामाारम 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA

    पोन 91+9338213418, 91+9238328785,

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    ऩत्रिका प्रस्तुतत ध ॊतन जोशी, गुरुत्व कामाारम पोटो ग्राफपक्स ध ॊतन जोशी, गुरुत्व कामाारम

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  • अनुक्रभ ( 7-मई-2019)

    7 म

    26

    म 9

    ऋण रण ण म 31

    म म 11

    ॠण 32

    र ण म 12

    ऋण रण ण 39

    म 15 मई 2019 14

    ऋणम म 39

    र ( ) 30 मई 2019 16

    म 40

    म म म म 17

    उ 44

    र आ म ? 19

    म म ण 46

    20

    म म 50

    र र 21

    म र म र आ म 53

    म ण म रण

    आ ? 22

    55

    आई 23

    म म

    56

    म उ 24

    म ण 58

    स्थामी औय अन्म रेख सॊऩादकीम

    4 दैतनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका

    86

    भई 2019 भाससक ऩॊ ाॊग 77

    ददन के ौघडडमे 87

    भई 2019 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय 79

    ददन फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक 88

    भई 2019 -ववशषे मोग 86

  • वप्रम आत्त्भम,

    फॊध/ु फदहन

    जम गुरुदेव म

    म म , , , ( ण ) ( )

    म म ई र ण म इ म म म र

    र र म 19 म 4 म (आ ) म म म

    र र म ई म और म , म म , आ म इ 2019 म 7 मई म र

    ई र र म म र इ ई र उ र म

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    इस भाससक ई-ऩत्रिका भें सॊफॊधधत जानकायीमों के ववषम भें साधक एवॊ ववद्वान ऩाठको से अनुयोध हैं, मदद दशाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, साधना एवॊ उऩामों मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाव इत्मादी के सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भें, डडजाईन भें, टाईऩीॊग भें, वप्रॊदटॊग भें, प्रकाशन भें कोई िदुट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ सुधाय रें मा फकसी मोग्म ज्मोततषी, गरुु मा ववद्वान से सराह ववभशा कय रे । क्मोफक ववद्वान ज्मोततषी, गुरुजनो एवॊ साधको के तनजी अनुबव ववसबन्न भॊि, श्रोक, मॊि, साधना, उऩाम के प्रबावों का वणान कयने भें बेद होने ऩय काभना ससवि हेतु फक जाने वारी वारी ऩूजन ववधध एवॊ उसके प्रबावों भें सबन्नता सॊबव हैं।

    आऩका जीवन सखुभम, भॊगरभम हो भाॊ म की कृऩा आऩके ऩरयवाय ऩय फनी यहे। म से मही प्राथना हैं… ध ॊतन जोशी

  • 6 भई 2019

    ***** भाससक ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत स ूना ***** ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत सबी रेख गुरुत्व कामाारम के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं। ई-ऩत्रिका भें वर्णात रेखों को नात्स्तक/अववश्वास ुव्मत्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकत ेहैं। ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख आध्मात्भ से सॊफॊधधत होन े के कायण बायततम धभा शास्िों से पे्ररयत

    होकय प्रस्तुत फकमा गमा हैं। ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत फकसी बी ववषमो फक सत्मता अथवा प्राभार्णकता ऩय फकसी

    बी प्रकाय की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं। ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत जानकायीकी प्राभार्णकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की

    नहीॊ हैं औय ना हीॊ प्राभार्णकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी के फाये भें जानकायी देन े हेतु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।

    ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत रेखो भें ऩाठक का अऩना ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मत्क्त ववशषे को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयन ेना कयन ेका अॊततभ तनणाम स्वमॊ का होगा।

    ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत फकसी बी प्रकाय की आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी। ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख हभाये वषो के अनबुव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय ददए गमे हैं। हभ

    फकसी बी व्मत्क्त ववशषे द्वाया प्रमोग फकमे जाने वारे धासभाक, एवॊ भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नदहॊ रेत ेहैं। मह त्जन्भेदायी भॊि- मॊि मा अन्म उऩामोको कयन ेवारे व्मत्क्त फक स्वमॊ फक होगी।

    क्मोफक इन ववषमो भें नैततक भानदॊडों, साभात्जक, कानूनी तनमभों के र्खराप कोई व्मत्क्त मदद नीजी स्वाथा ऩूतत ा हेतु प्रमोग कताा हैं अथवा प्रमोग के कयन े भे िुदट होने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ सॊबव हैं।

    ई-ऩत्रिका भें प्रकासशत रेख से सॊफॊधधत जानकायी को भाननन ेसे प्राप्त होन ेवारे राब, राब की हानी मा हानी की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की नहीॊ हैं।

    हभाये द्वाया प्रकासशत फकमे गमे सबी रेख, जानकायी एवॊ भॊि-मॊि मा उऩाम हभन ेसैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधुगण ऩय प्रमोग फकमे हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा कव , भॊि-मॊि मा उऩामो द्वाया तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं।

    ई-ऩत्रिका भें गुरुत्व कामाारम द्वाया प्रकासशत सबी उत्ऩादों को केवर ऩाठको की जानकायी हेतु ददमा गमा हैं, कामाारम फकसी बी ऩाठक को इन उत्ऩादों का क्रम कयन े हेतु फकसी बी प्रकाय से फाध्म नहीॊ कयता हैं। ऩाठक इन उत्ऩादों को कहीॊ से बी क्रम कयन ेहेतु ऩूणात् स्वतॊि हैं। अधधक जानकायी हेतु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकत ेहैं।

    (सबी वववादो केसरमे केवर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)

  • 7 भई 2019

    अऺम ततृतमा (अखातीज 7-भई-2019) सॊकरन गुरुत्व कामाारम

    अऺम ततृतमा को ऩूये बायत वषा भें कई नाभों से जाना औय भनामा जाता हैं, त्जसभें भुख्म रुऩ स ेअऺम ततृीमा, आखा तीज तथा वैशाख तीज प्रभुख हैं। इस वषा 2019 भें अऺम ततृीमा 7 भई भॊगरवाय को हैं।

    बायतीम ऩयॊऩयाके अॊतगात अऺम ततृतमा का ऩवा प्रभुख त्मौहायों भें से एक हैं। अऺम ततृतमा को अफूझ भहूता बी कहा जाता हैं।

    अऺम ततृतमा ऩवा वैशाख भास के शुक्र ऩऺ की ततृतमा ततधथ के ददन भनामा जाता हैं। ववद्वानो के अनुशाय अऺम ततृतमा के ददन स्नान, जऩ, होभ, दान आदद ऩूण्म कामा कयना ववशषे राबदामक ससि होता हैं। क्मोंफक भान्मता हैं, फक इस ददन फकमे गम ऩुण्म कामा का पर व्मत्क्त को अऺम रुऩ भें प्राप्त होता हैं।

    अऺम ततृतमा के ददन कोई बी शुब कामो का प्रायम्ब कयना ववशषे शुब भाना जाता हैं। शास्िोक्त भतानुशाय इस ददन कोई बी शुब कामा शुरु कयने स ेउस कामा का पर तनत्श् त त्स्थय रुऩ भें प्राप्त होते हैं।

    शास्िो भें उल्रेख हैं फक वैशाख भास के शुक्र ऩऺ की ततृतमा अथाात अऺम ततृतमा के ददन बगवान के नय-नायामण, ऩयशुयाभ, हमग्रीव रुऩ भें अवतरयत हुए थे। इस सरमे अऺम ततृतमा को ऩयशुयाभ व अन्म जमत्न्तमाॊ भानकय उसे उत्सव रुऩ भें भनामा जाता हैं।

    एक ऩौयार्णक भान्मता के अनुसाय ितेा मुग की शुरुआत बी इसी ददन से हुई थी. इसी कायण से इस ेितेामुगादद ततधथ बी कहा जाता हैं।

    अऺम ततृीमा के ददन ायों धाभों भें से एक श्री फद्रीनाथ नायामण धाभ के ऩाट खरुते हैं।

    नमे व्मवसामीक कामा का शुबायम्ब कयने के सरमे इस ददन को प्रमोग फकमा जा सकता हैं। अऺम ततृतमा (ऩयशुयाभ तीज)

    वैशाख शुक्र ऩऺ की ततृतमा को अऺम ततृतमा के नाभ से जानाजाता हैं। इस ददन श्री ऩयशुयाभजी का

    जन्भ ददन होन े के कायण इसे ऩयशुयाभ तीज मा ऩयशुयाभ जमॊती बी कहा जाता हैं। अऺम ततृीमा शुब भुहूतत

    बायत भें ऩौयार्णक कार स ेसबी शुब कामा शुब भुहुता एवॊ शुब सभम ऩय प्रायॊब कयने का प्र रन हैं।

    व्मत्क्त द्वाया फकए जाने वारे कामा भें सपरता प्राप्त कयने के सरमे बायतीम ऩयॊऩया भें ऩुयातन कार से ही शुब भुहुता औय सभम का नुाव फकमा जाता यहा हैं।

    ववद्वानो के अनुशाय जफ बी कोई व्मत्क्त फकसी शुब कामा की शुरुवात शुब भुहुता सभम ऩय कयता हैं, तो उस शुब भुहूता सभम भें फकए शुरु फकए गमे कामा के सपर होन ेकी उस कामा भें अधधक राबप्रात्प्त की सॊबावनाएॊ फढ जाती हैं।

    बायत भें वसॊत ऩॊ भी, याभनवभी, अऺम ततृतमा, जन्भाष्टभी, गणेश तुथॉ, दशहया, धनतेयस, दीऩावरीभ कातताक ऩूर्णाभा आदद को अफूझ भहुता भाना जाता हैं।

    इस सरए अफूझ भहुता भें कोई बी शुब कामा प्रायम्ब फकमा जा सकता हैं। शास्िोक्त ववधान के अनुशाय कामा प्रायम्ब कयने के सरमे भुहूता के अन्म फकसी तनमभ को देखना आवश्मक नहीॊ हैं। अफूझ भहुता भें फकसी बी सभम भें कामा प्रायम्ब फकमा जा सकता हैं।

    अऺम ततृतमा के ददन नई बूसभ-बव-वाहन खयीदना, सोना- ाॊदद खयीदना जैस े त्स्थय रक्ष्भी स ेसॊफॊधधत वस्तुएॊ खयीदना सवोतभ भाना गमा हैं।

    ववद्वानो के भतानुशाय अऺम ततृतमा के ददन गभॉ के भौसभ भें खाने-ऩीने-ऩहनन ेआदद काभ आने वारी औय गभॉ को शाॊत कयने वारी सबी वस्तुओॊ का दान कयना शुब भाना जाता हैं।

    अऺम ततृतमा के ददन जौ, गेहूॊ, ने, दही, ावर, र्ख डी, ईश (गन्ना) का यस, ठण्डाई व दधू से

  • 8 भई 2019

    फने हुए ऩदाथा, सोना, कऩड,े जर का घडा आदद दान कयना बी राबदामक भाना जाता हैं।

    अऺम ततृतमा के ददन फकए गए सबी धासभाक कामा अतत उत्तभ यहत ेहैं।

    अऺम ततृतमा के ददन व्रत-उऩवास के सरमे बी उत्तभ भाना जाता हैं।

    अऺम ततृतमा के ददन देश के कई दहस्सो भें ावर, भूॊग की फनी र्ख डी खाने का रयवाज हैं।

    अऺम ततृतमा के ददन गॊगा स्नान का फडा भहत्व भाना जाता हैं।

    वैशाख शुक्र ऩऺ की ततृतमा को स्वगॉम आत्भाओॊ की प्रसन्नाता के सरए करश, ऩॊखा, खडाऊॉ , छाता, सत्त,ू ककडी, खयफूजा आदद भौसभी पर, शक्कय इत्मादद ऩदाथा ब्राह्भाण को दान कयने का ववधान हैं।

    ***.

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  • 9 भई 2019

    अऺम ततृतमा स्वमॊ ससवि अफूझ भुहूता सॊकरन गुरुत्व कामाारम

    वैशाख शुक्र ऩऺ की ततृीमा को अऺम ततृीमा का ऩवा भनामा जाता हैं। अऺम ततृीमा स्वमॊससि व अफूझ भुहूता हैं। एसी भान्मता हैं, फक अऺम ततृीमा के ददन फकमा गमा दान, हवन, ऩूजन अऺम (सॊऩूणा) अथाात त्जसका ऺम (नाश) नहीॊ होता हैं।

    दहॊद ूधभाग्रॊथो भें अऺम ततृीमा ततधथ से जुड ेकई यो क तथ्मों का वणान सभरता है। महाॊ आऩके भागादशान हेतु कुछ प्रभुख तथ्म प्रस्ततु हैं।

    बायतीम ऩॊ ाग के अनुसाय वषा भें 19 अफूझ भुहूता व 4 स्वमॊ ससवि भुहूता होते हैं। अऺम ततृीमा (आखा तीज) बी अफूझ भुहूता व ससवि भुहूता भें से एक हैं।

    धभा ग्रॊथों के अनसुाय अऺम ततृीमा से ही ितेामगु की शुरुआत भानी जाती हैं, इस सरए अऺम ततृीमा को मुगादद ततधथ कहा जाता है।

    अऺम ततृीमा के ददन ही ाय धाभो भें से एक श्री बगवान फद्रीनायामण के ऩट खरुते हैं।

    अऺम ततृीमा के ददन वषा भें एक फाय ही वृॊदावन भें श्री फाॊकेत्रफहायीजी के भॊददय भें श्री ववग्रह के यण दशान होते हैं।

    शास्िो भें उल्रेख हैं की अऺम ततृीमा के ददन बगवान नय-नायामण अवतरयत हुवे थे।

    अऺम ततृीमा के ददन बगवान श्री ववष्णु न ेश्रीऩयशुयाभजी औय हमग्रीव के रुऩ भें अवतरयत हुव ेथे।

    स्वमॊससि व अफूझ भुहूता होन े के कायण अऺम ततृीमा के ददन सॊऩूणा बायत वषा भें सफसे अधधक वववाह होते हैं।

    ऩौयार्णक भान्मता के अनुसाय ितेा मुग के शुरू होने ऩय अऺम ततृीमा के ददन ही गॊगा नदी को बागीयथ जी स्वगा से धयती ऩय रामे थे । इस ददन ऩववि गॊगा नदी भें स्नान कयने ने से भनुष्म के

    ऩाऩ नष्ट हो जाते हैं। इस सरए अऺम ततृतमा के ददन गॊगा स्नान का फडा भहत्व भाना जाता हैं।

    ज्मोततष के के अनुशाय इस ददन ग्रहों की त्स्थतत अनुकूर होती है। इस दौयान शुब ग्रह न्द्रभा औय सूमा अऩनी उच् यासश भें त्स्थत होते हैं। इस ग्रह-नऺि की शुब त्स्थती भें फकमे गमे सबी शबु कामा भें ऩूणा सपरता, सुख-सभवृि की प्रात्प्त होती है।

    ऩौयार्णक भान्मता के अनुसाय अऺम ततृीमा के ददन ही बगवान वेद व्मास ने गणेशजी की सहामता से भहाबायत की कथा सरखना प्रायॊब फकमा था।

    ऩौयार्णक भान्मता केअनुसाय अऺम ततृीमा के ददन ही श्रीकृष्ण के फड ेबाई फरयाभ का जन्भ हुआ था।

    ऩौयार्णक भान्मता के अनुसाय अऺम ततृीमा के ददन ही देवी ऩावाती के अवताय देवी अन्नऩूणाा का जन्भ हुवा था । इस सरए ददन बी अऺम ततृीमा के ददन देवी अन्नऩूणाा का बी ऩूजन फकमा जाता है औय भाता से अन्न के बॊडाय सदैव बये यहें मह वयदान भाॊगा जाता है।

    ऩौयार्णक भान्मता के अनुसाय अऺम ततृीमा के ददन ही द्रौऩदी का ीय हयण हुवा था औय बगवान श्री कृष्ण ने द्रौऩदी की यऺा हेतु उस के ीय को अऺम फना ददमा था।

    अऺम ततृीमा के ददन ववश्व प्रससि ऩुयी भें श्री जगन्नाथ-फरबद्र-सुबद्रा जी की यथ मािा हेतु यथ तनभााण भें प्रमोग होन ेवारी रकडीमों की ऩूजा कय के तीनों यथों का तनभााण कामा को प्रायॊब फकमा जाता है।

    अऺम ततृीमा के ददन बायत के कई दहस्सों भें इस दौयान खेती का ऩहरा ददन भानते है।

    नमे व्मवसामीक कामा का शुबायम्ब कयने के सरमे इस ददन को प्रमोग फकमा जा सकता हैं।

  • 10 भई 2019

    इस सरए अफूझ भहुता भें कोई बी शुब कामा प्रायम्ब फकमा जा सकता हैं। शास्िोक्त ववधान के अनुशाय कामा प्रायम्ब कयने के सरमे भुहूता के अन्म फकसी तनमभ को देखना आवश्मक नहीॊ हैं। अफूझ भहुता भें फकसी बी सभम भें कामा प्रायम्ब फकमा जा सकता हैं।

    अऺम ततृतमा के ददन नई बूसभ-बव-वाहन खयीदना, सोना- ाॊदद खयीदना जैसे त्स्थय रक्ष्भी से सॊफॊधधत वस्तुएॊ खयीदना सवोतभ भाना गमा हैं।

    इस ददन शुब एवॊ ऩववि कामा कयने से जीवन भें सुख-शाॊतत आती है। इस ददन गॊगा स्नान का बी ववशषे भहत्व है।

    इस सार ततृीमा ततधथ भें शुब भुहूता प्रात् 05:41 फज ेसे आयॊब हो जाएगा औय दोऩहय 12:18 फज े तक यहेगा। इन 6 धॊटे 36 सभनट के दौयान फकसी बी तयह का शुब कामा, क्रम फकए जा सकता हैं। ततृीमा ततथथ प्रायंब 7 भई को यात 03:17 होगा एव ंअतं 8 भई की यात 02:18 फजे होगा।

    अऺम ततृीमा ऩय सुवणत (सोना) खयीदने औय ऩूजन का शुब भुहूतत

    सुफह चर 09.00 से 10.30 तक राब 10.30 से 12.00 तक अभतृ 12.00 से 01.30 तक

    दोऩहय शुब 03.00 से 04.30 तक

    संध्मा राब 07.30 से 09.00 तक

    यात शुब 10.30 से 12.00 तक अभतृ 12.00 से 01.30 तक चर 01.30 से 03.00 तक

    शास्िोक्त ववधध-ववधान से देवी रक्ष्भी का ऩूजन शास्िोक्त ववधध-ववधान से सॊऩन्न कय ववशषे राब प्राप्त कय सकते हैं।

    भॊि ससि दरुाब साभग्रीकारी हल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900 कभर गटे्ट की भारा - Rs- 370 भामा जार- Rs- 251, 551, 751 हल्दी भारा - Rs- 280 धन ववृि हकीक सेट Rs-280 (कारी हल्दी के साथ Rs-550) तुरसी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460 घोड ेकी नार- Rs.351, 551, 751 नवयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above हकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370 नवयॊगी हकीक भारा Rs- 280, 460, 730 रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190 हकीक भारा (सात यॊग) Rs- 280, 460, 730, 910 नाग केशय: 11 ग्राभ, Rs-145 भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above स्पदटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250 ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above सपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910 वैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460 यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550, रुद्राऺ भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450 भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above ववधुत भारा - Rs- 190, 280 कासभमा सस ॊदयू- Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above भूल्म भें अॊतय छोटे से फड ेआकाय के कायण हैं।

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  • 11 भई 2019

    भॊि ससि स्पदटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है। "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त शुब फ़रदमी मॊि है। जो न केवर दसूये मन्िो से अधधक से अधधक राब देन ेभे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्क्त के सरए पामदेभॊद सात्रफत होता है। ऩूणा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी ससि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब एवॊ सुख की प्रात्प्त होतत है। "श्री मॊि" भे सभाई अद्ववतीम एवॊ अद्रश्म शत्क्त भनुष्म की सभस्त शुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होतत है। त्जस्से उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दयू होकय वह भनुष्म असफ़रता से सफ़रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सुखो फक प्रात्प्त होतत है। "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भें उत्ऩन्न होन ेवारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है। "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩयेशातन भे न्मुनता आतत है व सुख-सभवृि, शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त होती है। गुरुत्व कामातरम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ से 2250 Gram (2.25Kg) तक फक साइज भे उप्रब्ध है .

    भलू्म:- प्रतत ग्राभ Rs. 28 से Rs.100 >>Order Now GURUTVA KARYALAY

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    अऺम ततृीमा का धासभाक भहत्व सॊकरन गुरुत्व कामाारम

    वैददक सॊस्कृतत भें अऺम ततृीमा का सवाससि भुहूता के रूऩ भें बी ववशषे भहत्व है। भान्मता है फक इस ददन त्रफना कोई भुहूता देखे कोई बी शुब व भाॊगसरक कामा जैस ेवववाह, गहृ-प्रवेश, वस्ि-आबूषण, जभीन, भकान वाहन आदद की खयीददायी आदद फकए जा सकत ेहैं। इस ददन नमे वस्ि, आबूषण आदद धायण कयने औय नई दकुान, ऑफपस आदद व्मवसामीक कामा स्थर का शुबायॊब शे्रष्ठ भाना जाता है। ऩुयाणों भें उल्रेख है फक इस ददन फकमा गमा दान, अऺम पर प्रदान कयता है। इस ददन ऩववि नददमों भें स्नान कयने से तथा इष्ट ऩूजन से सबी प्रकाय के ऩाऩ नष्ट हो जाते हैं। महाॉ तक फक इस ददन फकमा गमा जऩ, तऩ, हवन औय दान बी अऺम हो जाता है।

    इस ददन भाता रक्ष्भी औय नायामण का सपेद कभर अथवा सपेद गुराफ मा ऩीरे गुराफ से ऩूजन कयना ादहमे।

    सवाि शुक्र ऩुष्ऩार्ण प्रशस्तातन सदा ाने। दानकारे सवाि भॊि भेत भुदीयमेत॥्

    अथातत: सबी भहीनों की ततृीमा भें सपेद ऩुष्ऩ से फकमा गमा ऩूजन प्रशॊसनीम भाना गमा है।

    एसी ऩौयार्णक भान्मता हैं फक अऺम ततृीमा के ददन सोने- ाॊदी की ीजें खयीदी जाती हैं। अऺम ततृीमा के ददन सोना व ाॊदी खयीदना शुब भाना जाता है, क्मोफक इस ददन सोना औय आबूषण खयीदने से वषा बय जीवन भें सभवृि फनी यहती है। इस ददन सोने मा ाॊदी के आबूषणों के साथ भाॉ रक्ष्भी की ववधध-ववधान स ेऩूजा कयने का ववधान हभाये धभाग्रॊथों भें हैं।

  • 12 भई 2019

    द्वादश महा यंत्र मॊि को अतत प्राध न एवॊ दरुाब मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान द्वारा फनामा गमा हैं। ऩयभ दरुाब वशीकयण मॊि, बाग्मोदम मॊि भनोवाॊतछत कामा ससवि मॊि याज्म फाधा तनवतृ्त्त मॊि गहृस्थ सुख मॊि शीघ्र वववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि

    सहस्िाऺी रक्ष्भी आफि मॊि आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि ऩूणा ऩौरुष प्रात्प्त काभदेव मॊि योग तनवतृ्त्त मॊि साधना ससवि मॊि शि ुदभन मॊि

    उऩयोक्त सबी मॊिो को द्वादश भहा मॊि के रुऩ भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि ससि ऩूणा प्राणप्रततत्ष्ठत एवॊ तैन्म मुक्त फकमे जात ेहैं। त्जस ेस्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩूजा अ ाना-ववधध ववधान ववशषे राब प्राप्त कय सकत ेहैं।

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    अऺम ततृीमा से जुडी ऩौयार्णक भान्मताएॊ सॊकरन गुरुत्व कामाारम

    ऩांडवों की कथा एसी भान्मता है वैशाख शुक्र ऩऺ की ततृतमा

    के ददन अथाात अऺम ततृीमा के ददन ही बगवान सूमादेव ने ऩाॊडवों को फतान (अऺम ऩाि) ददमा था। जो एक ददव्म ऩाि था त्जसभें बोजन की तनयॊतय आऩूतत ा होती थी। कथा इस प्रकाय हैं। जफ ऩाॊडवों को वनवास के सरए तनकरे तो याजा धतृयाष्र ने ववदयु से ऩूछा फक ऩाॊडव फकस प्रकाय वन भें जा यहे हैं, उसका वणान वताओ। ववदयु ने कहाॊ फक

    धभायाज मुधधत्ष्ठय अऩनी दोनों आॊखें फॊद फकए हुए हैं । क्मोफकॊ , फकसी प्रकाय क्रोध से उनकी आॊखों के साभने मदद कौयव आ जामे तो वह बस्भ न हो जाएॊ। रते रते बीभ अऩनी बुजाएॊ पैराकय ददखा यहे हैं फक उध त सभम आने ऩय, भैं अऩने फाहुफर से कौयवों का नाश कय दूॊगा।

    अजुान धरू उडाते र यहे हैं, जो सॊकेत दे यहे है फक वे मुि के सभम भैं ऐसे ही फाणों की वषाा कय दूॊगा।

    सहदेव ने कोई उनका भुख न देख सके, इस

    सरए अऩने भुॊह ऩय धरू रगा यखी है। नकुर ने तो अऩने साये शयीय ऩय ही धरू रगा

    री है। त्जससे उसका रूऩ देखकय कोई त्स्ि उस ऩय भोदहत न हो जाएॊ।

    द्रौऩदी एक वस्ि धायण कय कुरे केश योते हुए जा यही है। रते सभम वह कह यही है फक त्जन रोगोके कायण भेयी मह ददुाशा हुई है, उनकी त्स्िमाॊ बी आज से ौदहवें वषा के फाद अऩने स्वजनों की भतृ्मु स ेद:ुखी होकय इसी प्रकाय जामेगी।

    वनवास के सरमे तनकरने के कुछ ददनों भें उनके अन्न, धन सभाप्त हो गमे थे। ध ॊततत हो कय मुधधत्ष्ठय ने बगवान श्रीकृष्ण से इस का सभाधान ऩूछा तो बगवान श्रीकृष्ण ने कहा फक आऩ बगवान सूमादेव की आयाधना कीत्जए। धभायाज मुधधत्ष्ठय ने बगवान श्रीकृष्ण के व न अनुसाय ऩूणा ववधध-ववधान से बगवान सूमा की ऩूजा-अ ाना की। बगवान सूमा ने प्रसन्न होकय प्रकट हुए औय मुधधत्ष्ठय को एक ताॊफे का फतान (अऺम ऩाि) देते हुए कहाॉ फक यसोई भें जो कुछ बोजन साभग्री तैमाय होगी वह तफ तक सभाप्त नहीॊ होगी जफ तक द्रौऩदी उसे ऩयोसती यहेगी।

  • 13 भई 2019

    कृष्ण-सदुाभा की कथा ऩौयार्णक भान्मता के अनुसाय जफ सुदाभा की

    ऩत्नी ने उन्हें बगवान कृष्ण से आधथाक भदद के सरए फाध्म फकमा था। तफ सुदाभा बगवान कृष्ण से सभरन ेके सरए द्वायका गए थे। औय अऺम ततृीमा के ददन ही बगवान श्रीकृष्ण औय सुदाभा का ऩुन् ऩुनसभारन हुआ था। रेफकन अऩने वप्रम सखा के धन, वैबव औय ऐश्वमा को देख प्रसन्न ता हुई औय सुदाभा को अऩने सरए सहामता भाॊगने भें रज्जा भहसूस हुई।

    सुदाभा अऩने साथ उऩहाय के रूऩ भें बगवान कृष्ण के सरए कुछ ावर रेकय आमे थे, रेफकन शसभिंदगी के कायण सॊको से उन्होंने उसे वहीॊ छोड ददमा औय वाऩस अऩने घय रौट आए। बगवान कृष्ण ने ावर को देखा औय अऩने सखा के प्रतत प्रेभ दशाात ेहुए उसका सहषा उऩबोग फकमा। जफ सुदाभा घय ऩहुॊ ,े फकत हो गए, उन्हों ने देखा उनकी झोऩडी की जगह ऩय एक बव्म भहर खडा हैं औय उनके ऩरयवाय के सदस्म फहुभूल्म ऩोशाक भें सुशोसबत।

    मह सफ देख सुदाभा को ऻात हो गमा की मह सफ बगवान कृष्ण की कृऩा से प्राप्त हुवा है। भान्मता हैं की तफ स,े इस ददन को अऺम ततृीमा के रूऩ भें भनामा जाता है। कुफेय की कथा ऩौयार्णक भान्मता के अनुसाय अऺम ततृीमा के ददन ही कुफेयजी ने सशवजी की आयाधना कय उन्हें प्रसन्न फकमा था। कुफेयजी की तऩस्मा से प्रसन्न हो कय बगवान सशवजी ने कुफेय से वय भाॊगने को कहा, तफ कुफयेजी ने

    वयदान भें अऩना धन एवॊ सॊऩत्त्त रक्ष्भीजी से ऩुन् प्राप्त कयने का अनुयोध फकमा। तबी सशवजी ने कुफेयजी को रक्ष्भीजी का ऩूजन कय के उन्हें प्रसन्न कयने को कहा, उसी सभम से अऺम ततृीमा के ददन रक्ष्भीजी का ऩूजन कय उन्हें प्रसन्न कयने का ववधान रा आ यहा है। इस ददन रक्ष्भीजी-बगवान ववष्णु के सॊमुक्त ऩूजा ववशषे राबदामक भानी गमी है। अन्म भान्मता के अनुसाय बगवान सशवजी ने देवी रक्ष्भीजी को सकर रोकों की धन-सम्ऩत्त्त का अधधकायी फनामा था। धभतदास की कथा

    प्रा ीन कार भें एक नगय भें धभादास नाभक एक विृ था। धभादास अत्मॊत सदा ायी, धभा-कभा भें आस्था यखने वारा औय ब्राह्भणों का आदय सत्काय कयने वारा था। एक फाय उसने नगय के ववद्वान ब्राह्भण के भुख से अऺम ततृीमा के भहत्व को सुनकय इसे कयने का तनश् म फकमा। अऺम ततृीमा के ददन धभादास ऩववि गॊगा भें स्नान कयके ववधध-ववधान से अऩने इष्ट देवी-देवता की ऩूजा-अ ाना की। विृावस्था भें योग ग्रस्त होते हुए बी उसने ऩूणा श्रिा ये व्रत-उऩवास-दान-तनमभ आदद सत कभा फकमे।

    एसा भाना जाता अऺम ततृीमा के ददन फकमे गमे धभा-कभा व्रत आदद के प्रबाव से उसे अगरे जन्भ भें फहुत धनी व प्रताऩी याजा फना। उसके याज दयफाय भें ववसबन्न देवी-देवता बी अऺम ततृीमा के ददन ब्राह्भण का वेष धायण कयके उसके धभा-कभा भें उऩत्स्थत हो जाते थे। वह याजा अगरे जन्भ भें याजा ॊद्रगुप्त के रूऩ भें उतऩन्न हुए।

    आकत्स्भक धन प्रात्प्त कव आकत्स्भक धन प्रात्प्त कव अऩने नाभ के अनुसाय ही भनुष्म को आकत्स्भक धन प्रात्प्त हेतु परप्रद हैं इस कव को धायण कयने से साधक को अप्रत्मासशत धन राब प्राप्त होता हैं। ाहे वह धन राब व्मवसाम से हो, नौकयी से हो, धन-सॊऩत्त्त इत्मादद फकसी बी भाध्मभ से मह राब प्राप्त हो सकता हैं। हभाये वषों के अनुसॊधान एवॊ अनुबवों से हभने आकत्स्भक धन प्रात्प्त कव को धायण कयने से शमेय रेडड ॊग, सोने- ाॊदी के व्माऩाय इत्मादद सॊफॊधधत ऺेि से जुड ेरोगो को ववशषे रुऩ से आकत्स्भक धन राब प्राप्त होते देखा हैं। आकत्स्भक धन प्रात्प्त कव से ववसबन्न स्रोत से धनराब बी सभर सकता हैं। भूल्म भात्र: 1250 >> Order Now

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  • 14 भई 2019

    भोदहनी एकादशी 15 भई 2019 सॊकरन गुरुत्व कामाारम

    वैशाख शुक्र एकादशी व्रत वैशाख शुक्र एकादशीको भोदहनी एकादशी कहा

    जाता हैं। ववद्वानों के भतानुशाय भोदहनी एकादशी के व्रत स ेभनुष्म के भोह-भामा एवॊ ऩाऩ कभा दयू होते हैं । धभा शास्िों भें वर्णात हैं की श्री याभजी ने सीताजीकी खोज कयते सभम इस व्रतको फकमा था एवॊ श्रीकृष्णके कहनेसे मुधधत्ष्ठय न े बी फकमा था। इस करमुग भें इस व्रतका फडा भहत्व भाना जाता हैं। इस व्रत के प्रबाव से भनुष्म के खोमे हुव ेसुख-शाधनों की ऩुन् प्रात्प्त हो कय भतृ्म ुउऩयाॊत स्वगा रोक की प्रात्प्त होती हैं।

    एक प्रसॊग के अनुसाय अजुान फोरे - "हे बगवन ् ! वैशाख भास की शुक्रऩऺ की एकादशी का क्मा नाभ है ! तथा उसकी ववधध क्मा है ! औय उसने कौन से पर की प्राऩत्त होती है ! मह सफ कृऩा ऩूवाक सववस्ताय से कदहए । बगवान ् श्री कृष्ण फोरे - "हे अजुान ! भैं एक तुम्हें ऩुयातन कथा कहता हूॊ, त्जसको भहवषा वसशषठ्जी न े श्रीयाभ न्द्रजी से कहीॊ थी । तुभ इसे ध्मानऩूवाक सुनो, एक सभम की फात है, श्रीयाभ न्द्रजी भहवषा वसशषठ् से फोरे - हे गुरुदेव! भैंने सीताजी के ववमोग भें फहुत दु् ख बोगे हैं । अत् भेये दु् खों का नाश फकस प्रकाय होगा ? आऩ भुझ े कोई ऐसा व्रत फताएॊ, त्जससे भेये सभस्त ऩाऩ औय दु् ख का नास हो जामें ।

    भहवषा वसशषठ्जी फोरे - ’हे याभ ! आऩने फहुत

    उत्तभ प्रशन् फकमा है । आऩके नाभ के स्भयण भाि स े ही भनुष्म ऩववि हो जाता है । आऩने रोकदहत भें मह फडा ही

    उत्तभ प्रशन् फकमा है । भैं आऩको भोदहनी एकादशी व्रत का भहत्त्व सुनाता हूॊ - वैशाख भास के शुक्र ऩऺ की एकादशी का नाभ भोदहनी है । इस एकादशी का व्रत कयने से भनुष्म के सभस्त ऩाऩ तथा दु् ख-सॊताऩ नषट् हो जाते हैं । इस व्रत के प्रबाव से भनुष्म भोह के जार से छूट जाता है ।

    अत् हे याभ ! दु् ख-सॊताऩ स ेऩीडडत भनुष्म को इस एकादशी का व्रत अवश्म ही कयना ादहए । इस व्रत के कयन ेस ेभनुष्म के सभस्त ऩाऩ नषट् हो जाते हैं । अफ आऩ इसकी कथा को ध्मानऩूवाक सुतनए –

    सयस्वती नदी के फकनाये बद्रावती नाभ की एक नगयी है । उस नगयी भें द्मुततभान नाभ याजा याज्म कयता था । उसी नगयी भें एक वैश्म यहता था, जो धन-धान्म से ऩूणा था । उसका नाभ धनऩार था । वह अत्मन्त धभाात्भा तथा ववष्णुबक्त था । उसने नगय भें अनेक कुआॊ, ताराफ, बोजनशारा, धभाशारा आदद फनवामे, सडकों फकनाये ऩधथकों को सुख के सरए अनेक आभ, जाभुन, नीभ आदद के वृऺ रगवामे । उस वैश्म के ऩाॊ ऩुि थे त्जनभें स ेसफस ेफडा ऩुि अत्मन्त ऩाऩी व दषुट् था । वह वेश्माओॊ औय दषुट्ों की सॊगतत कयता था औय मदद सभम फ ता था, उसे वह जुआ खेरने भें व्मतीत कयता था । वह फडा ही नी था औय देवता,

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  • 15 भई 2019

    वऩत ृ आदद फकसी को बी नहीॊ भानता था । अऩन े वऩता का अधधकाॊश धन वह फुये व्मसनों भें ही व्मम फकमा कयता था । भद्यऩान तथा भाॊस का बऺण कयना उसका तनत्म का कभा था । जफ कापी सभझाने-फुझाने ऩय बी वह सीधे यास्ते ऩय नहीॊ आमा तो दु् खी होकय उसके वऩता, बाइमों तथा कुटुत्म्फमों न े उसे घय से तनकार ददमा औय उसकी तनन्दा कयने रगे ।

    घय से तनकरने के फाद उसने अऩने आबूषणों तथा वस्िों को फे -फे कय अऩना गुजाया फकमा। धन नषट् हो जाने ऩय वेश्माओॊ तथा उसके दषुट् साधथमों न े बी उसका साथ छोड ददमा । जफ वह बूख-प्मास से दु् खी हो गमा तो उसने ोयी कयने का वव ाय फकमा औय यातों भें ोयी कय-कयके अऩना ऩेट ऩारने रगा । एक ददन वह ऩकडा गमा, ऩयन्तु ससऩादहमों न े वैश्म का ऩुि जानकय छोड ददमा । वह दसूयी फाय फपय ऩकडा गमा, तफ ससऩादहमों न ेबी उसका कोई सरहाज नहीॊ फकमा औय याजा के साभने प्रस्तुत कयके उसे सायी फात फताई । तफ याजा ने उसे कायागाय भें डरवा ददमा । कायागाय भें याजा के आदेश से उसे फहुत दु् ख ददमे गमे औय अन्त भें उसे नगय छोडने को कहा गमा ।

    वह दु् खी होकय नगयी को छोड गमा औय जॊगर भें ऩशु-ऩक्षऺमों को भाय कय ऩेट बयने रगा । फपय फहेसरमा फन गमा औय धनुष-फाण से ऩशुओॊ-ऩक्षऺमों को भाय-भाय कय खाने औय फे ने रगा ।

    एक ददन वह बूख औय प्मास से व्माकुर होकय बोजन की खोज भें तनकर ऩडा औय कोदटन्म ऋवष के आश्रभ ऩय जा ऩहुॊ ा । इस सभम वैसाख का भहीना था । कौदटन्म ऋवष गॊगा स्नान कयके आमे थे । उनके बीगे वस्िों के छ ॊटे भाि से इस ऩाऩी को कुछ सुफुवि की प्राऩत्त हुई ।

    वह ऩाऩी, भुतन के ऩास जाकय हाथ जोडकय कहने रगा - "हे भुतन ! भैंन ेअऩने जीवन भें फहुत ऩाऩ फकमे हैं, आऩ उन ऩाऩों से छूटने का कोई साधायण औय त्रफना धन का उऩाम फतराइमे।"

    तफ ऋवष फोरे - "तू ध्नान देकय सुन - वैशाख भास के शुक्र ऩऺ की एकादशी का व्रत कय । इस एकादशी का नाभ भोदहनी है । इसके कयने से तेये सभस्त ऩाऩ नषट् हो जामेंगे ।" भुतन के व नों को सुनकय वह फहुत प्रसन्न हुआ औय भुतन की फतराई हुई ववधध के अनुसाय उसने भोदहनी एकादशी का व्रत फकमा ।

    "हे याभजी ! उस व्रत के प्रबाव स ेउसके सभस्त ऩाऩ नषट् हो गमे औय अन्त भें वह गरुड ऩय ववयात्जत होकय ववष्णु रोक को गमा । इस व्रत से भोह आदद बी नषट् हो जात ेहैं । सॊसाय भें इस व्रत से अन्म शे्रषठ् कोई व्रत नहीॊ है । इसके भाहात्म्म के श्रवण व ऩठन स ेजो ऩुण्म होता है, वह ऩुण्म एक सहस्ि गौदान के ऩुण्म के फयाफय है ।

    ***

    क्मा आऩके फच् े कुसॊगती के सशकाय हैं? क्मा आऩके फच् े आऩका कहना नहीॊ भान यहे हैं? क्मा आऩके फच् े घय भें अशाॊतत ऩैदा कय यहे हैं?

    घय ऩरयवाय भें शाॊतत एवॊ फच् े को कुसॊगती से छुडाने हेतु फच् े के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्वाया शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि ससि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा ैतन्म मुक्त वशीकयण कव एवॊ एस.एन.डडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें स्थावऩत कय अल्ऩ ऩूजा, ववधध-ववधान से आऩ ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं। मदद आऩ तो आऩ भॊि ससि वशीकयण कव एवॊ एस.एन.डडब्फी फनवाना ाहते हैं, तो सॊऩका इस कय सकते हैं।

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  • 16 भई 2019

    अऩया (अ रा) एकादशी व्रत 30 भई 2019 सॊकरन गुरुत्व कामाारम

    ज्मेष्ठ कृष्ण एकादशीको अऩया एकादशी कहा जाता हैं। ववद्वानों के भतानुशाय इस एकादशीका नाभ ' अऩया ' है । इसके व्रतसे नाभ के अनुसाय ही भनषु्म के अऩाय ऩाऩ दयू होते हैं । अऩया एकादशी के व्रत स ेभनुष्म के फड े फड े ऩातकों का नाश होता हैं । धभा शास्िों भें वर्णात हैं की जो भनुष्म धनवान हो कय बी गयीफ औय असहामों की सहामता नहीॊ कयते, सु-सशक्षऺत होते हुवे ही गरयफ औय अनाथ फच् ोंको नहीॊ ऩढ़ाते, धनी याजा होकय बी गयीफ की सहामता नहीॊ कयते, सफर होकय बी अऩादहज एवॊ तनफार को आऩत्त्तस ेनहीॊ फ त ेऔय धनवान होकय बी भुसीफत के सभम फकसी ऩरयवायोंको सहामता नहीॊ देते, वे नयक भें जान े मोग्म ऩाऩी होते हैं । रेफकन एसे ऩाऩी से ऩाऩी भनुष्म बी मदद शास्िोंक्त ववधध-ववधान से अऩया एकादशी का व्रत कये तो उसे बी वैकुण्ठ की प्रात्प्त होती हैं।

    अजुान फोरे - "हे बगवन ् ! ज्मेष्ठ भास के कृष्णऩऺ की एकादशी का क्मा नाभ है ! तथा उसकी ववधध क्मा है ! औय उसने कौन से पर की प्राऩत्त होती है ! मह सफ कृऩा ऩूवाक सववस्ताय से कदहए ।

    बगवान श्रीकृष्ण फोरे : "हे अजुान सकर रोकों के दहत के सरए तुभने फहुत उत्तभ प्रश्न फकमा है । अऩया एकादशी फहुत ऩुण्म दामक औय फड ेफड ेऩातकों का नाश कयने वारी है । अऩया एकादशी के प्रबाव स ेब्रह्भहत्मा, सगोि की हत्मा कयनेवारा, गबास्थ फारक को

    भायनेवारा, ऩयतनन्दक तथा ऩयस्िी-ऩयऩुरुष भें आस्क्त बी तनश् म ही ऩाऩयदहत हो जाता है । जो झूठ गवाही देता है, कायोफाय भें धोखा देता है, त्रफना जाने ही ग्रह-नऺिों की गणना कयता है औय गरत तयह से आमुवेद (डॉक्टय) का ऻाता फनकय दसूयों का उऩ ाय कयता है वह सफ नयक के बोगी होते हैं । रेफकन अऩया एकादशी के व्रत से वह ऩाऩयदहत हो सकता हैं ।

    मदद कोई ऺत्रिम अऩने धभा का ऩरयत्माग कयके अऩने कभा यऺा-मुि आदद से बागता है तो उसका धभा भ्रष्ट होने के कायण उसे घोय नयक को बोगना ऩडता है । मदद कोई सशष्म ववद्या प्राप्ती के फाद अऩने गुरु की तनन्दा कयता है, वह बी भहाऩातकों से मुक्त होकय नयक बोगता है । रेफकन अऩया एकादशी के व्रत स ेएसे रोग बी ऩाऩयदहत हो सकता हैं।

    प्रमाग भें स्नान के ऩुण्म, सशवयात्रि का व्रत का ऩुण्म, ऩववि तीधथिं भें स्नानआदद कय के मऻ कयके हाथी, घोडा औय सुवणा दान कयने से त्जस पर की प्रात्प्त होती है, अऩया एकादशी के प्रबाव से भनषु्म को वैसे ही परों की प्रात्प्त होती है। अऩया एकादशी के ददन उऩवास कयके बगवान के वाभन स्वरुऩ की ऩूजा कयने से भनुष्म को सबी ऩाऩों से भुत्क्त सभरती हैं उसे श्रीववष्णुरोक प्राप्त होता है । अऩया एकादशी के व्रत को ऩढ़ने औय सुनने से सहस्र गौदान का पर प्राप्त होता है ।

    श्री भहारक्ष्भी मंत्र धन फक देवी रक्ष्भी हैं जो भनुष्म को धन, सभवृि एवॊ ऐश्वमा प्रदान कयती हैं। अथा(धन) के त्रफना भनुष्म जीवन दु् ख, दरयद्रता, योग, अबावों से ऩीडडत होता हैं, औय अथा(धन) से मुक्त भनुष्म जीवन भें सभस्त सुख-सुववधाएॊ बोगता हैं। श्री भहारक्ष्भी मॊि के ऩूजन से भनुष्म की जन्भों जन्भ की दरयद्रता का नाश होकय, धन प्रात्प्त के प्रफर मोग फनन ेरगते हैं, उसे धन-धान्म औय रक्ष्भी की ववृि होती हैं। श्री भहारक्ष्भी मॊि के तनमसभत ऩूजन एवॊ दशान से धन की प्रात्प्त होती है औय मॊि जी तनमसभत उऩासना से देवी रक्ष्भी का स्थाई तनवास होता है। श्री भहारक्ष्भी मॊि भनुष्म फक सबी बौततक काभनाओॊ को ऩूणा कय धन ऐश्वमा प्रदान कयने भें सभथा हैं। अऺम ततृीमा, धनतेयस, दीवावरी, गुरु ऩुष्माभतृ मोग यववऩुष्म इत्मादद शुब भुहूता भें मॊि की स्थाऩना एवॊ ऩूजन का ववशषे भहत्व हैं। >> Shop Online | Order Now

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  • 17 भई 2019

    वैशाख भास की अॊततभ तीन ततधथ का धासभाक भहत्व सॊकरन गुरुत्व कामाारम

    ॥श्रतुदेव उवा ॥ मात्स्तस्रत्स्तथम् ऩुण्मा अॊततभा् शुक्रऩऺके । वैशाखभासस याजेंद्र ऩूर्णाभाॊता् शुबावहा् ॥ १ ॥

    अन्त्मा् ऩुष्करयणीसॊऻा् सवाऩाऩऺमावहा् । भाधवे भासस म् ऩूणिं स्नानॊ कत्तुिं न ऺभ् ॥ २ ॥

    ततधथष्वेतासु स स्नामात्ऩूणा भेव परॊ रबेत ्। सवे देवास्िमोदश्माॊ त्स्थत्वा जॊतून्ऩुनॊतत दह ॥३ ॥

    ऩूणाामा् ऩवातीथशै् ववष्णुना सह सॊत्स्थता् । तुदाश्माॊ समऻाश् देवा एतान्ऩुनॊतत दह ॥ ४ ॥

    (अध्माम् २५ । वैशाखभासभाहात्म्मभ ्। वैष्णवखण्ड् । खण्ड् २ । स्कन्दऩुयाण)

    बावाथत: वैशाख भास की अॊततभ तीन ततधथ (िमोदशी, तुदाशी एवॊ ऩूर्णाभा) अत्मॊत ऩववि औय शुबकायक हैं उनका नाभ “ऩुष्करयणी” है। जो सफ ऩाऩों का ऺम कयनेवारी हैं। जो सम्ऩूणा वैशाख भास भें ब्रह्भ भुहूता भें ऩुण्मस्नान, व्रत, तनमभ आदद कयने भें असभथा हों, वह मदद इन अॊततभ 3 ततधथमों भें बी उसे कयरे तो सॊऩूणा वैशाख भास का पर प्राप्त कय रेता है |

    ब्रह्भघ्नॊ वा सुयाऩॊ वा सवाानेतान्ऩुनॊतत दह । एकादश्माॊ ऩुया जऻे वैशाख्माभभृतॊ शुबभ ्॥ ५ ॥

    द्वादश्माॊ ऩासरतॊ तच् ववष्णुना प्रबववष्णुना । िमोदश्माॊ सुधाॊ देवान्ऩाममाभास वै हरय् ॥ ६ ॥

    जघान तुदाश्माॊ दैत्मान्देवववयोधधन् । ऩूणाामाॊ सवादेवानाॊ साम्राज्माऽऽत्प्तफाबूव ह ॥ ७ ॥

    ततो देवा् सुसॊतुष्टा एतासाॊ वयॊ ददु् । ततसणृाॊ ततथीनाॊ वै प्रीत्मोत्पुल्रववरो ना् ॥ ८ ॥

    एता वैशाख भासस्म ततस्रश् ततथम् शुबा् । ऩुिऩौिाददपरदा नयाणाॊ ऩाऩहातनदा् ॥ ९ ॥

    मोऽत्स्भन्भासे सॊऩूणे न स्नातो भनुजाधभ् । ततधथिमे तु स स्नात्वा ऩूणाभेव परॊ रबेत ्॥ १० ॥

    ततधथिमेप्मकुवााण् स्नानदानाददकॊ नय् । ाॊडारीॊ मोतनभासाद्य ऩश् ाद्रौयवभश्नुते ॥ ११ ॥

    बावाथत: ऩुयातन कार भें वैशाख शुक्र एकादशी के ददन शुब अभतृ प्रकट हुआ। द्वादशी को बगवान ववष्णु ने अभतृ की यऺा की। िमोदशी को बगवान श्री हरय ने देवताओॊ को अभतृ का सुधाऩान कयामा। तुदाशी को देवताओॊ के ववयोधी दैत्मों का सॊहाय फकमा औय ऩूर्णाभा के ददन सभस्त देवताओॊ को उनका साम्राज्म ऩुन् प्राप्त हो गमा। इससरए देवताओॊ ने सॊतुष्ट होकय इन तीन ततधथमों को ववशषे वय ददमा वैशाख की मे तीन शुब ततधथमाॉ भनुष्मों के ऩाऩों का नाश कयने वारी तथा उन्हें ऩुि-ऩौिादद पर प्रदान कयने वारी हों। जो सम्ऩूणा वैशाख भें प्रात: ऩुण्म स्नान

  • 18 भई 2019

    न कय सका हो, वह इन 3 ततधथमों भें उसे कय रेने ऩय बी ऩूणा पर को ऩाता रेता है। वैशाख भें रौफकक काभनाओॊ को तनमॊत्रित कयने ऩय भनुष्म तनश् म ही बगवान ववष्णु की कृऩा प्राप्त कय रेता है।”

    गीताऩाठॊ तु म् कुमाादॊततभे ददनिमे । ददनेददनेऽश्वभेधानाॊ परभेतत न सॊशम् ॥ १२ ॥

    बावाथत: जो वैशाख भास भें अॊततभ 3 ददन गीता का ऩाठ कयता है, उसे प्रततददन अश्वभेध मऻ के सभान पर सभरता है |

    सहस्रनाभऩठनॊ म् कुर्यमााच् ददनिमे । तस्म ऩुण्मपरॊ वक्तुॊ क् शक्तो ददवव वा बुवव॥ १३ ॥

    बावाथत: जो इन अॊततभ 3 ददन श्रीववष्णुसहस्रनाभ का ऩाठ कयता है, उसके ऩुण्मपर का वणान कयने भें तो इस बूरोक व स्वगारोक भें कौन सभथा है !

    सहस्रनाभसबदेवॊ ऩूणाामाॊ भधुसूदनभ ्। ऩमसा स्नाप्म वै मातत ववष्णुरोकभकल्भषभ ्॥ १४ ॥

    बावाथत: जो वैशाख ऩूर्णाभा को सहस्रनाभों के द्वाया बगवान ्भधसुूदन को दधू से स्नान कयाता है वह वैकुण्ठ धाभ को जाता है।

    मो वै बागवतॊ शास्िॊ शृणोत्मेतदिनिमे । न ऩाऩैसराप्मते क्वाऽवऩ ऩद्मऩिसभवाॊबसा ॥ १५ ॥

    बावाथत: जो वैशाख के अॊततभ 3 ददनों भें बागवत शास्ि का श्रवण कयता है, वह जर भें कभर के ऩत्तों की तयह कबी ऩाऩों भें सरप्त नहीॊ होता |

    देवत्वॊ भनुजै् प्राप्तॊ कैत्श् त्त्सित्वभेव । कैत्श् त्प्राप्तो ब्रह्भबावो ददनिमतनषेवणात ्॥ १६ ॥

    बावाथत: इन अॊततभ 3 ददनों भें शास्ि-ऩठन व ऩुण्म कभों से फकतने ही भनुष्मों ने देवत्व प्राप्त कय सरमा औय फकतने ही ससि हो गमे । अत: वैशाख के अॊततभ ददनों भें स्नान, दान, हरय ऩूजन अवश्म कयना ादहए |

    नोट: ऩाठको के भागादशान हेतु महाॉ स्कन्दऩुयाण से उक्त तीन ततधथमों के भहत्व को भें केवर कुछ मतनत ऩॊत्क्तमों का वणान फकमा गमा हैं, भौसरक रूऩ से अध्माम् २५ । वैशाखभासभाहात्म्मभ ्। वैष्णवखण्ड् । खण्ड् २ । स्कन्दऩुयाण की ऩॊत्क्तमों की सॊख्मा अधधक हैं।

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  • 19 भई 2019

    गॊगा का स्वगा से ऩथृवी ऩय आगभन केसे हुवा? सॊकरन गुरुत्व कामाारम

    मुधधत्ष्ठय ने रोभश ऋवष से ऩूछा, "हे भुतनवय! याजा बगीयथ गॊगा को फकस प्रकाय ऩथृ्वी ऩय रे आमे? कृऩमा इस प्रसॊग को बी सुनामें।" रोभश ऋवष ने कहा,

    "धभायाज! इक्ष्वाकु वॊश भें सगय नाभक एक फहुत ही प्रताऩी याजा हुवे। उनके वैदबॉ औय शैव्मा नाभक दो यातनमाॉ थीॊ। याजा सगय ने कैराश ऩवात ऩय दोनों यातनमों के साथ जाकय शॊकय बगवान की घोय तऩस्मा की। उनकी तऩस्मा से प्रसन्न होकय बगवान शॊकय ने उनसे कहा फक हे याजन!् तुभन ेऩुि प्रात्प्त की काभना से भेयी आयाधना की है। अतएव भैं वयदान देता हूॉ फक तुम्हायी एक यानी के साठ हजाय ऩुि होंगे फकन्तु दसूयी यानी से तुम्हाया वॊश राने वारा एक ही सॊतान होगी। इतना कहकय शॊकय बगवान ऩून् अन्तध्माान हो गमे। "सभम फीतन ेऩय शैव्मा न ेअसभॊज नाभक एक अत्मन्त रूऩवान

    ऩुि को जन्भ ददमा औय वैदबॉ के गबा से एक तुम्फी उत्ऩन्न हुई त्जसे पोडने ऩय साठ हजाय ऩुि तनकरे। कार क्र फीतता गमा औय असभॊज का

    अॊशुभान नाभक ऩुि उत्ऩन्न हुआ। असभॊज