C.B.S.E Board - Sanmati H.S.Schoolsanmatischool.org/worksheets/HINDI X WS-3.pdf · 2019-02-02 ·...

19
C.B.S.E Board का : 10 हदी B समय : 3 घटे ाक : 80 निदेश : 1. इस न-प के चार खंड ह - क, ख, ग, और घ। 2. चार खंड के न के उतर देना अनवाय है। 3. थासंभव ेक खंड के उतर मश: दीजिए। खड - .1. नननलिखखत गदांश को ानप वयक पढ़कर प छे गए न के उतर लिखखए : (2×4) (1×1) = [9] य अत हो रहा था। पी चहचहाते ह ए अपने नीड़ की ओर िा रहे थे। गाव की क छ जा अपने घड़े िेकर क ए पर िा पह ची। पानी भरकर क जा तो अपने घर को िौट गई, परंत चार जा क ए की पकी िगत पर ही बैठकर आपस म बातचीत करने िगी। तरह-तरह की बातचीत करते- करते बात बेट पर िा पह ची। उनम से एक की उ सबसे बड़ी िग रही थी। वह कहने िगी - 'भगवन सबको मेरे िैसा ही बेटा दे। वह िाख म एक है। उसका कंठ बह त मध र है। उसके गीत को स नकर कोि और मैना भी च हो िाती है। सच म मेरा बेटा तो अनमोि हीरा है।" उसकी बात स नकर द सरी अपने बेटे की शंसा करते ह ए बोिी - "बहन म तो समझती ह क मेरे बेटे की बराबरी कोई नहीं कर सकता। वह बह त ही शजतशािी और बहाद र है। वह बड़े-बड़े पहिवान को भी पछाड़ देता है। वह आध नक ग का भीम है। म तो भगवान से कहती ह क वह मेरे िैसा बेटा सबको दे।" दोन ज की बात स नकर तीसरी भिा च प रहती? वह भी अपने को रोक न सकी। वह बोि उठी - "मेरा बेटा साात् ब हपनत का अवतार है। वह

Transcript of C.B.S.E Board - Sanmati H.S.Schoolsanmatischool.org/worksheets/HINDI X WS-3.pdf · 2019-02-02 ·...

  • C.B.S.E Board कक्षा : 10 ह िंदी B

    समय : 3 घिंटे परू्ाांक : 80 निदेश : 1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग, और घ। 2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अननवार्य है। 3. र्थासंभव प्रत्रे्क खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।

    खण्ड - क

    प्र.1. ननम्नलिखखत गदर्ांश को ध्र्ानपवूयक पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर लिखखए : (2×4) (1×1) = [9] सरू्य अस्त हो रहा था। पक्षी चहचहात ेहुए अपने नीड़ की ओर िा रहे थे। गााँव की कुछ जस्त्रर्ााँ अपने घड़ ेिेकर कुएाँ पर िा पहुाँची। पानी भरकर कुछ जस्त्रर्ााँ तो अपने घरों को िौट गई, परंत ुचार जस्त्रर्ााँ कुएाँ की पक्की िगत पर ही बठैकर आपस में बातचीत करने िगी। तरह-तरह की बातचीत करते-करत ेबात बेटों पर िा पहुाँची। उनमें से एक की उम्र सबसे बड़ी िग रही थी। वह कहने िगी - 'भगवन सबको मेरे िैसा ही बेटा दे। वह िाखों में एक है। उसका कंठ बहुत मधरु है। उसके गीत को सनुकर कोर्ि और मनैा भी चपु हो िाती है। सच में मेरा बेटा तो अनमोि हीरा है।" उसकी बात सनुकर दसूरी अपने बेटे की प्रशंसा करत ेहुए बोिी - "बहन मैं तो समझती हूाँ कक मेरे बेटे की बराबरी कोई नही ंकर सकता। वह बहुत ही शजक्तशािी और बहादरु है। वह बड़-ेबड़ ेपहिवानों को भी पछाड़ देता है। वह आधनुनक र्गु का भीम है। मैं तो भगवान से कहती हूाँ कक वह मेरे िैसा बेटा सबको दे।" दोनों जस्त्रर्ों की बात सनुकर तीसरी भिा क्र्ों चपु रहती? वह भी अपने को रोक न सकी। वह बोि उठी - "मेरा बेटा साक्षात ्बहृस्पनत का अवतार है। वह

  • िो कुछ पढ़ता है, एकदम र्ाद कर िेता है। ऐसा िगता है बहन, मानों उसके कंठ में सरस्वती का वास हो।" तीनों की बात सनुकर चौथी स्त्री चपुचाप बठैी रही। उसका भी एक बेटा था। परंतु उसने अपने बेटे के बारे में कुछ नही ंकहा। िब पहिी स्त्री ने उसे टोकत ेहुए पछूा की उसके बेटे में क्र्ा गुण है, तब चौथी स्त्री ने सहि भाव से कहा - "मेरा बेटा न गंधवय-सा गार्क है, न भीम-सा बिवान और न ही बहृस्पनत।" र्ह कह कर वह शांत बठै गई। कुछ देर बाद िब वे घड़ ेलसर पर रखकर िौटने िगी,ं तभी ककसी के गीत का मधरु स्वर सनुाई पड़ा,गीत सनुकर सभी जस्त्रर्ााँ ठठठक गई। पहिी स्त्री शीघ्र ही बोि उठी - "मेरा हीरा आ रहा है। तुम िोगों ने सनुा, उसका कंठ ककतना मधरु है।" तीनों जस्त्रर्ााँ बड़ ेध्र्ान से उसे देखने िगी। वह गीत गाता हुआ उसी रास्त ेसे ननकि गर्ा। उसन ेअपनी मााँ की तरफ़ ध्र्ान नहीं ठदर्ा। थोड़ी देर बाद दसूरी का बेटा ठदखाई ठदर्ा। दसूरी स्त्री ने बड़ ेगवय से कहा, "देखो मेरा बिवान बेटा आ रहा है। वह बातें कर ही थी कक उसका बेटा भी उसकी ओर ध्र्ान ठदए बगरै ननकि गर्ा।" तभी तीसरी स्त्री का बेटा उधर से संस्कृत के श्िोकों का पाठ करता हुआ ननकिा। तीसरी ने बड़ ेगदगद स्वर में कहा "देखो, मेरे बेटे के कंठ में सरस्वती का नाम है। वह भी मााँ की ओर देखे बबना आगे बढ़ गर्ा। वह अभी थोड़ी दरू गर्ा होगा की चौथी स्त्री का बेटा भी अचानक उधर से िा ननकिा। वह देखने में बहुत सीधा-साधा और सरि प्रकृनत का िग रहा था। उसे देखकर चौथी स्त्री ने कहा, "बहन, र्ही मेरा बेटा है।" तभी उसका बेटा पास आ पहुाँचा। अपनी मााँ को देखकर रुक गर्ा और बोिा, "मााँ िाओ मैं तुम्हारा घड़ा पहुाँचा दूाँ। मााँ ने मना ककर्ा, किर भी उसने मााँ के लसर से पानी का घड़ा उतारकर अपने लसर पर रख लिर्ा और घर की ओर चि पड़ा। तीनों जस्त्रर्ााँ बड़ ेही आश्चर्य से देखती रही। एक वदृ्ध मठहिा बहुत देर से उनकी बातें सनु रही थी। वह उनके पास आकर बोिी, "देखती क्र्ा हो? वही सच्चा हीरा है।"

  • 1. पहिी तथा दसूरी स्त्री ने अपने-अपने बेटे के ववषर् में क्र्ा कहा? [2] 2. तीसरी स्त्री ने अपने बेटे को ‘बहृस्पनत का अवतार’ क्र्ों कहा? [1] 3. पहिी स्त्री दवारा पछेू िाने पर चौथी स्त्री ने क्र्ा कहा? [1] 4. चौथी स्त्री के बेटे न ेअपनी मााँ के साथ कैसा व्र्वहार ककर्ा, र्ह देखकर

    तीनों जस्त्रर्ों को कैसा िगा? [2] 5. बच्चों को अपने माता-वपता के साथ कैसा व्र्वहार करना चाठहए?

    समझाइए। [2] प्र. 2. ननम्नलिखखत काव्र्ांश को पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2x3=[6]

    िाठी में हैं गणु बहुत, सदा रखखरे् संग। गहरर नदी, नािी िहााँ, वहााँ बचाव ैअंग।।

    वहााँ बचाव ैअंग, झपठट कुत्ता कहाँ मारे। दशु्मन दावागीर होर्, नतनहूाँ को झारै।।

    कह गगररधर कववरार्, सनुो हे दरू के बाठी। सब हगथर्ार छााँडड, हाथ महाँ िीिै िाठी।। [कंुडलिर्ााँ – गगररधर कववरार्]

    1. इस कंुडिी में ककसकी उपर्ोगगता बताई गई गई है? कवव ने ककस

    समर् मनषु्र् को िाठी रखने का परामशय ठदर्ा है? [2] 2. िाठी हमारे शरीर की सरुक्षा ककस प्रकार करती है? [2] 3. िाठी ककन तीनों से ननपटने में सहार्क होती है और ककस प्रकार? [2]

    प्र. 3. शब्द ककसे कहते है? शब्द पद के रूप में कब बदि िाता है? 1+1=[2]

  • प्र. 4. ननदेशानसुार उत्तर दीजिए : 1x3=[3] (क) िैसे ही सत्र्वान पढ़ा-लिखा, वह अगधकारी बन गर्ा। (रचना के

    आधार पर वाक्र्-भेद बताइए) (ख) तुम पढ़कर सो िाना। (संर्कु्त वाक्र् में बदलिए) (ग) सीमा तथा दीपक खेि-कूद रहे हैं। (लमश्र वाक्र् में बदलिए)

    प्र. 5. (क) ननम्नलिखखत का ववग्रह करके समास का नाम लिखखए : 1+1=[2] नरलसहं, सप्तलसधं ू

    (ख) ननम्नलिखखत का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखखए :1+1=[2] पाप-पणु्र्, नतरंगा

    प्र.6. ननम्नलिखखत वाक्र्ों को शदु्ध रूप में लिखखए : 1x4=[4]

    1. मैं दशयन देने आर्ा था। 2. वह पढ़ना मााँगता है। 3. उसने अनकेों गं्रथ लिखे। 4. महाभारत अठारह ठदनों तक चिता रहा।

    प्र. 7. ननम्नलिखखत महुावरों के ठहदंी अथय देकर उनका अथयपणूय स्वतंत्र वाक्र्ों में

    प्रर्ोग कीजिए : [2] i. खखि-खखिाकर हाँसना, ii. ननगि िाना

    खण्ड - ग

    प्र. 8 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 2+2+1=[5] 1. अरब में िशकर को नहू के नाम से क्र्ों र्ाद करते हैं? 2. किकत्ता वालसर्ों के लिए 26 िनवरी 1931 का ठदन क्र्ों महत्वपणूय

    था? 3. वामीरो अपना गाना क्र्ों भिू गई?

  • प्र. 8 ब आपके ववचार से कौन-से ऐसे मलू्र् हैं िो शाश्वत हैं? वतयमान समर् में इन मलू्र्ों की प्रासगंगकता स्पष्ट कीजिए। [5]

    प्र. 9 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 2+2+1=[5]

    1. बबहारी की नानर्का र्ह क्र्ों कहती है-कठह है सब ुतरेौ ठहर्ौ, मेरे ठहर् की बात-स्पष्ट कीजिए।

    2. उदार व्र्जक्त की पहचान कैसे हो सकती है? 3. सर ठहमािर् का हमन ेन झकुने ठदर्ा, इस पंजक्त में ठहमािर् ककस

    बात का प्रतीक है? प्र. 9 ब पावस ऋत ुमें प्रकृनत में कौन-कौन से पररवतयन आत ेहैं? कववता के

    आधार पर स्पष्ट कीजिए। [5] प्र. 10. अनपढ़ होत ेहुए भी हररहर काका दनुनर्ा की बेहतर समझ रखते हैं।

    कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। [5]

    खण्ड - घ प्र. 11. ननम्नलिखखत में से ककसी एक ववषर् पर अनचु्छेद लिखखए : [5]

    समाचार-पत्र समर् का सदपुर्ोग ‘प्रदषूण की समस्र्ा’

    प्र. 12. आप अपने ववदर्ािर् के 'सिाई अलभर्ान दि' के नेता है। एक र्ोिना के

    अन्तगयत आप छात्रों के एक दि को ककसी इिाके में सिाई के प्रनत िागरूक करने हेत ुिे िाना चाहत ेहैं। अपने ववदर्ािर् के प्रधानाचार्य/प्रधानाचार्ाय िी को इसके लिए स्वीकृनत हेत ुपत्र लिखखए। [5]

    प्र. 13. आपके ववदर्ािर् दवारा आर्ोजित प्रौढ़ लशक्षा कार्यक्रम के लिए सचूना

    तैर्ार करें। [5]

  • प्र. 14 ववदर्ाथी और बस कंडक्टर के बीच हो रहे संवाद लिखखए। [5]

    प्र. 15. ननम्नलिखखत ववज्ञापन का प्रारुप (नमनूा) तैर्ार कीजिए : [5] सफ़ेद कपड़ो की धिुाइय के ककए प्रर्ोग ककए िानेवािे साबनु का ववज्ञापन का प्रारुप (नमनूा) तरै्ार कीजिए :

  • C.B.S.E Board कक्षा : 10 ह िंदी B

    समय : 3 घिंटे परू्ाांक : 80 निदेश : 1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग, और घ। 2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अननवार्य है। 3. र्थासंभव प्रत्रे्क खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।

    खण्ड - क

    प्र.1. ननम्नलिखखत गदर्ांश को ध्र्ानपवूयक पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर लिखखए : (2×4) (1×1) = [9] सरू्य अस्त हो रहा था। पक्षी चहचहात ेहुए अपने नीड़ की ओर िा रहे थे। गााँव की कुछ जस्त्रर्ााँ अपने घड़ ेिेकर कुएाँ पर िा पहुाँची। पानी भरकर कुछ जस्त्रर्ााँ तो अपने घरों को िौट गई, परंत ुचार जस्त्रर्ााँ कुएाँ की पक्की िगत पर ही बठैकर आपस में बातचीत करने िगी। तरह-तरह की बातचीत करते-करत ेबात बेटों पर िा पहुाँची। उनमें से एक की उम्र सबसे बड़ी िग रही थी। वह कहने िगी - 'भगवन सबको मेरे िैसा ही बेटा दे। वह िाखों में एक है। उसका कंठ बहुत मधरु है। उसके गीत को सनुकर कोर्ि और मनैा भी चपु हो िाती है। सच में मेरा बेटा तो अनमोि हीरा है।" उसकी बात सनुकर दसूरी अपने बेटे की प्रशंसा करत ेहुए बोिी - "बहन मैं तो समझती हूाँ कक मेरे बेटे की बराबरी कोई नही ंकर सकता। वह बहुत ही शजक्तशािी और बहादरु है। वह बड़-ेबड़ ेपहिवानों को भी पछाड़ देता है। वह आधनुनक र्गु का भीम है। मैं तो भगवान से कहती हूाँ कक वह मेरे िैसा बेटा सबको दे।" दोनों जस्त्रर्ों की बात सनुकर तीसरी भिा क्र्ों चपु रहती? वह भी अपने को रोक न सकी। वह बोि उठी - "मेरा बेटा साक्षात ्बहृस्पनत का अवतार है। वह

  • िो कुछ पढ़ता है, एकदम र्ाद कर िेता है। ऐसा िगता है बहन, मानों उसके कंठ में सरस्वती का वास हो।" तीनों की बात सनुकर चौथी स्त्री चपुचाप बठैी रही। उसका भी एक बेटा था। परंतु उसने अपने बेटे के बारे में कुछ नही ंकहा। िब पहिी स्त्री ने उसे टोकत ेहुए पछूा की उसके बेटे में क्र्ा गुण है, तब चौथी स्त्री ने सहि भाव से कहा - "मेरा बेटा न गंधवय-सा गार्क है, न भीम-सा बिवान और न ही बहृस्पनत।" र्ह कह कर वह शांत बठै गई। कुछ देर बाद िब वे घड़ ेलसर पर रखकर िौटने िगी,ं तभी ककसी के गीत का मधरु स्वर सनुाई पड़ा,गीत सनुकर सभी जस्त्रर्ााँ ठठठक गई। पहिी स्त्री शीघ्र ही बोि उठी - "मेरा हीरा आ रहा है। तुम िोगों ने सनुा, उसका कंठ ककतना मधरु है।" तीनों जस्त्रर्ााँ बड़ ेध्र्ान से उसे देखने िगी। वह गीत गाता हुआ उसी रास्त ेसे ननकि गर्ा। उसन ेअपनी मााँ की तरफ़ ध्र्ान नहीं ठदर्ा। थोड़ी देर बाद दसूरी का बेटा ठदखाई ठदर्ा। दसूरी स्त्री ने बड़ ेगवय से कहा, "देखो मेरा बिवान बेटा आ रहा है। वह बातें कर ही थी कक उसका बेटा भी उसकी ओर ध्र्ान ठदए बगरै ननकि गर्ा।" तभी तीसरी स्त्री का बेटा उधर से संस्कृत के श्िोकों का पाठ करता हुआ ननकिा। तीसरी ने बड़ ेगदगद स्वर में कहा "देखो, मेरे बेटे के कंठ में सरस्वती का नाम है। वह भी मााँ की ओर देखे बबना आगे बढ़ गर्ा। वह अभी थोड़ी दरू गर्ा होगा की चौथी स्त्री का बेटा भी अचानक उधर से िा ननकिा। वह देखने में बहुत सीधा-साधा और सरि प्रकृनत का िग रहा था। उसे देखकर चौथी स्त्री ने कहा, "बहन, र्ही मेरा बेटा है।" तभी उसका बेटा पास आ पहुाँचा। अपनी मााँ को देखकर रुक गर्ा और बोिा, "मााँ िाओ मैं तुम्हारा घड़ा पहुाँचा दूाँ। मााँ ने मना ककर्ा, किर भी उसने मााँ के लसर से पानी का घड़ा उतारकर अपने लसर पर रख लिर्ा और घर की ओर चि पड़ा। तीनों जस्त्रर्ााँ बड़ ेही आश्चर्य से देखती रही। एक वदृ्ध मठहिा बहुत देर से उनकी बातें सनु रही थी। वह उनके पास आकर बोिी, "देखती क्र्ा हो? वही सच्चा हीरा है।"

  • 1. पहिी तथा दसूरी स्त्री ने अपने-अपने बेटे के ववषर् में क्र्ा कहा? [2] उत्तर : पहिी स्त्री ने अपने बेटे के ववषर् में कहा कक भगवन सबको

    उसके िैसा ही बेटा दे। वह िाखों में एक है। उसका कंठ बहुत मधरु है। उसके गीत को सनुकर कोर्ि और मनैा भी चपु हो िाती है। उसका बेटा तो अनमोि हीरा है।

    दसूरी स्त्री ने कहा कक उसके बेटे की बराबरी कोई नही ंकर सकता। वह बहुत ही शजक्तशािी और बहादरु है। वह बड़-ेबड़ ेपहिवानों को भी पछाड़ देता है। वह आधनुनक र्गु का भीम है। वह तो भगवान से कहती है कक वह उसके िैसा बेटा सबको दे।

    2. तीसरी स्त्री ने अपने बेटे को ‘बहृस्पनत का अवतार’ क्र्ों कहा? [1]

    उत्तर : तीसरी स्त्री ने अपने बेटे को ‘बहृस्पनत का अवतार’ कहा क्र्ोंकक वह िो कुछ पढ़ता है, एकदम र्ाद कर िेता है। और ऐसा िगता है मानो उसके कंठ में सरस्वती का वास हो।

    3. पहिी स्त्री दवारा पछेू िाने पर चौथी स्त्री ने क्र्ा कहा? [1]

    उत्तर : पहिी स्त्री दवारा पछेू िाने पर चौथी स्त्री ने कहा कक उसका बेटा न गंधवय-सा गार्क है, न भीम-सा बिवान और न ही बहृस्पनत।

    4. चौथी स्त्री के बेटे न ेअपनी मााँ के साथ कैसा व्र्वहार ककर्ा, र्ह देखकर

    तीनों जस्त्रर्ों को कैसा िगा? [2] उत्तर : िब चारों जस्त्रर्ााँ घड़ ेलसर पर रखकर िौटने िगीं तब चौथी स्त्री

    के बेटे न ेमााँ के मना करने पर भी उनके लसर से पानी का घड़ा उतारकर अपने लसर पर रख ठदर्ा और घर की ओर चि पड़ा। र्ह देखकर तीनों जस्त्रर्ााँ बड़ ेही आश्चर्य से उसे देखती रही। क्र्ोंकक वह अपने बेटे को हीरा मानती थी िो उन्हें अनदेखा कर आगे बढ़ गए।

  • 5. बच्चों को अपने माता-वपता के साथ कैसा व्र्वहार करना चाठहए? समझाइए। [2] उत्तर : बच्चों का र्ह परम दानर्त्व बनता है कक व ेमाता-वपता को पणूय

    सम्मान प्रदान करें और िहााँ तक संभव हो सके खलुशर्ााँ प्रदान करने की चषे्टा करें। माता-वपता का सपना होता है कक पतु्र/पतु्री बड़ ेहोकर उनके नाम को गौरवाजन्वत करे। अत: बच्चों को कड़ी िगन, मेहनत और पररश्रम के द वारा उनका र्ह सपना पणूय कर माता-वपता का नाम गौरवाजन्वत करना चाठहए। माता-वपता की सेवा ही सच्ची सेवा है।

    प्र. 2. ननम्नलिखखत काव्र्ांश को पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2x3=[6]

    िाठी में हैं गणु बहुत, सदा रखखरे् संग। गहरर नदी, नािी िहााँ, वहााँ बचाव ैअंग।।

    वहााँ बचाव ैअंग, झपठट कुत्ता कहाँ मारे। दशु्मन दावागीर होर्, नतनहूाँ को झारै।।

    कह गगररधर कववरार्, सनुो हे दरू के बाठी। सब हगथर्ार छााँडड, हाथ महाँ िीिै िाठी।। [कंुडलिर्ााँ – गगररधर कववरार्]

    1. इस कंुडिी में ककसकी उपर्ोगगता बताई गई गई है? कवव ने ककस

    समर् मनषु्र् को िाठी रखने का परामशय ठदर्ा है? [2] उत्तर : इस कंुडिी में िाठी की उपर्ोगगता बताई गई है। कवव ने हर

    समर् िाठी रखने का परामशय ठदर्ा है। 2. िाठी हमारे शरीर की सरुक्षा ककस प्रकार करती है? [2]

  • उत्तर : र्ठद कोई कुत्ता हमारे ऊपर झपटे तो िाठी से हम अपना बचाव कर सकते हैं। अगर हमें दशु्मन धमकान ेकी कोलशश करे तो िाठी के द वारा हम अपना बचाव कर सकत ेहैं।

    3. िाठी ककन तीनों से ननपटने में सहार्क होती है और ककस प्रकार? [2]

    उत्तर : िाठी नदी-नािे, कुत्ता और दशु्मनों से हमारा बचाव करती है। िाठी संकट के समर् वह हमारी सहार्ता करती है। गहरी नदी

    और नाि ेको पार करते समर् मददगार साबबत होती है। र्ठद कोई कुत्ता हमारे ऊपर झपटे तो िाठी से हम अपना बचाव कर सकत ेहैं। अगर हमें दशु्मन धमकाने की कोलशश करे तो िाठी के द वारा हम अपना बचाव कर सकते हैं। िाठी गहराई मापने के काम आती है।

    प्र. 3. शब्द ककसे कहते है? शब्द पद के रूप में कब बदि िाता है? 1+1=[2]

    उत्तर : शब्द वणों र्ा अक्षरों के साथयक समहू को कहते हैं। उदाहरण के लिए क, म तथा ि के मेि से 'कमि' बनता है िो एक खास के िूि का बोध कराता है। अतः 'कमि' एक शब्द है। कमि की ही तरह 'िकम' भी इन्ही ंतीन अक्षरों का समहू है ककंत ुर्ह ककसी अथय का बोध नही ंकराता है। इसलिए र्ह शब्द नही ंहै। इसका रूप भी बदि िाता है। िब कोई शब्द वाक्र् में प्रर्कु्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा िाता है।

    प्र. 4. ननदेशानसुार उत्तर दीजिए : 1x3=[3]

    (क) िैसे ही सत्र्वान पढ़ा-लिखा, वह अगधकारी बन गर्ा। (रचना के आधार पर वाक्र्-भेद बताइए) उत्तर : लमश्र वाक्र्

    (ख) तुम पढ़कर सो िाना। (संर्कु्त वाक्र् में बदलिए)

  • उत्तर : तुम पढ़ना और सो िाना।

    (ग) सीमा तथा दीपक खेि-कूद रहे हैं। (लमश्र वाक्र् में बदलिए) उत्तर : िो खेि एवं कूद रहे हैं, वे सीमा तथा दीपक हैं।

    प्र. 5. (क) ननम्नलिखखत का ववग्रह करके समास का नाम लिखखए : 1+1=[2] नरलसहं, सप्तलसधं ू

    उत्तर : नरलसहं - नरों में लसहं के समान – कमयधारर् समास सप्तलसधं ू- सात लसधंओंू का समहू – दववग ुसमास (ख) ननम्नलिखखत का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखखए :1+1=[2] पाप-पणु्र्, नतरंगा

    उत्तर : पाप-पणु्र् - पाप और पणु्र् - दवंदव समास नतरंगा - तीन रंगों वािा अथायत ्भारत का राष्रीर् ध्वि –

    बहुव्रीठह समास

    प्र.6. ननम्नलिखखत वाक्र्ों को शदु्ध रूप में लिखखए : 1x4=[4] 1. मैं दशयन देने आर्ा था।

    उत्तर : मैं दशयन करने आर्ा था। 2. वह पढ़ना मााँगता है।

    उत्तर : वह पढ़ना चाहता है। 3. उसने अनकेों गं्रथ लिखे।

    उत्तर : उसन ेअनेक गं्रथ लिखे। 4. महाभारत अठारह ठदनों तक चिता रहा।

    उत्तर : महाभारत अठारह ठदन तक चिता रहा। प्र. 7. ननम्नलिखखत महुावरों के ठहदंी अथय देकर उनका अथयपणूय स्वतंत्र वाक्र्ों में

    प्रर्ोग कीजिए : [2] i. खखि-खखिाकर हाँसना, ii. ननगि िाना

  • उत्तर : i. खखि-खखिाकर हाँसना : िोर से हाँसना। चाची िी को हमेशा खखि-खखिाकर हाँसने की आदत है। ii. ननगि िाना : गिे के नीच ेउतार िेना। कुछ िोग बड़ी आसानी से अपना द:ुख ननगि िात ेहैं।

    खण्ड - ग

    प्र. 8 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 2+2+1=[5] 1. अरब में िशकर को नहू के नाम से क्र्ों र्ाद करते हैं?

    उत्तर : अरब में िशकर को नहू नाम से र्ाद करने का कारण र्ह है कक एक बार उन्होंने एक िख्मी कुत्त ेको दतु्कार ठदर्ा था और इसी कारण वे उम्र-भर रोते रहे थे।

    2. किकत्ता वालसर्ों के लिए 26 िनवरी 1931 का ठदन क्र्ों महत्वपणूय

    था? उत्तर : किकत्ता वालसर्ों के ककए 26 िनवरी 1931 का ठदन

    इसलिए महत्त्वपणूय था क्र्ोंकक वपछिे वषय गुिाम भारत ने पहिी बार इसी ठदन स्वतंत्रता ठदवस मनार्ा था और इस वषय किकत्तावासी इस ठदन की वषयगााँठ मनानवेािे थे।

    3. वामीरो अपना गाना क्र्ों भिू गई?

    उत्तर : वामीरो सागर के ककनारे गा रही थी। अचानक समदु्र की ऊाँ ची िहर ने उसे लभगो ठदर्ा, इसी हड़बडाहट में वह गाना भिू गई।

    प्र. 8 ब आपके ववचार से कौन-से ऐसे मलू्र् हैं िो शाश्वत हैं? वतयमान समर् में

    इन मलू्र्ों की प्रासगंगकता स्पष्ट कीजिए। [5] उत्तर : सत्र्, अठहसंा, परोपकार, ईमानदारी सठहष्णतुा आठद मलू्र्

    शाश्वत मलू्र् हैं। वतयमान समर् में भी इनकी प्रासंगगकता बनी हुई है क्र्ोंकक आि भी सत्र्, और अठहसंा के बबना राष्र का

  • कल्र्ाण और उन्ननत नही ंहो सकती है। शांनतपणूय िीवन बबताने के लिए परोपकार, त्र्ाग, एकता, भाईचारा तथा देश-प्रेम की भावना का होना अत्र्तं आवश्र्क है। र्ठद हम आि भी परोपकार और ईमानदारी के मागय पर चिे तो समाि को अिगाव से बचार्ा िा सकता है।

    प्र. 9 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 2+2+1=[5]

    1. बबहारी की नानर्का र्ह क्र्ों कहती है-कठह है सब ुतरेौ ठहर्ौ, मेरे ठहर् की बात-स्पष्ट कीजिए। उत्तर : बबहारी की नानर्का अपने वप्रर् को पत्र दवारा संदेश देना

    चाहती है पर कागि पर लिखत ेसमर् काँ पकाँ पी और आाँस ूआ िाते हैं। नानर्का ववरह की अजनन में िि रही है। लिखत ेसमर् वह अपने मन की बात बताने में खदु को असमथय पाती है। ककसी के साथ संदेश भेिेगी तो कहते िज्िा आएगी। इसलिए वह सोचती है कक िो ववरह अवस्था उसकी है, वही उसके वप्रर् की भी होगी। अतः वह कहती है कक अपने हृदर् की वेदना से मेरी वेदना को समझ िाएाँगे। कुछ कहने सनुने की िरूरत नहीं रह िाती।

    2. उदार व्र्जक्त की पहचान कैसे हो सकती है?

    उत्तर : उदार व्र्जक्त परोपकारी होता है। अपना परूा िीवन पणु्र् व िोकठहत कार्ो में बबता देता है। ककसी से भेदभाव नही ंरखता, आत्मीर् भाव रखता है। कवव और िेखक भी उसके गणुों की चचाय अपने िेखों में करत ेहैं। वह ननि स्वाथों का त्र्ाग कर िीवन का मोह भी नहीं रखता। अथायत ्उदार व्र्जक्त के मन, वचन, कमय से संबंगधत कार्य मानव मात्र की भिाई के लिए ही होत ेहैं।

  • 3. सर ठहमािर् का हमन ेन झकुने ठदर्ा, इस पंजक्त में ठहमािर् ककस बात का प्रतीक है? उत्तर : सर ठहमािर् का हमने न झकुने ठदर्ा इस पंजक्त में ठहमािर्

    भारत के मान सम्मान का प्रतीक है। प्र. 9 ब पावस ऋत ुमें प्रकृनत में कौन-कौन से पररवतयन आत ेहैं? कववता के

    आधार पर स्पष्ट कीजिए। [5] उत्तर : वषाय ऋतु में पवयतीर् प्रदेश में प्रकृनत प्रनतपि नर्ा वेश ग्रहण

    करती ठदखाई देती है। इस ऋत ुमें प्रकृनत में ननम्नलिखखत पररवतयन आत ेहैं -

    1. बादिों की ओट में नछपे पवयत मानों पंख िगाकर कही ंउड़ गए हों तथा तािाबों में से उठता हुआ कोहरा धएुाँ की भााँनत प्रतीत होता है।

    2. पवयतों से बहते हुए झरने मोनतर्ों की िडड़र्ों से प्रतीत होते है। 3. पवयत पर असंख्र् िूि खखि िाते हैं। 4. ऊाँ च ेवकृ्ष आकाश की ओर एकटक देखत ेहैं। 5. बादिों के छा िान ेसे पवयत अदृश्र् हो िाता है। 6. ताि से उठत ेहुए धएुाँ को देखकर िगता है, मानो आग िग गई

    हो। 7. आकाश में तिेी से इधर-उधर घमूत ेहुए बादि, अत्र्ंत आकषयक

    िगते हैं। प्र. 10. अनपढ़ होत ेहुए भी हररहर काका दनुनर्ा की बेहतर समझ रखते हैं।

    कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। [5] उत्तर : हररहर काका अनपढ़ थे किर भी उन्हें दनुनर्ादारी की बेहद समझ

    थी। व ेर्ह िानत ेथे कक िब तक िमीन उनके पास है तब तक सभी उनका आदर करेंगें। उनके भाई िोग उनसे ज़बरदस्ती ज़मीन अपने नाम कराने के लिए डरात ेथे तो उन्हें गााँव में ठदखावा करके ज़मीन हगथर्ाने वािों की र्ाद आती थी। काका ने

  • उन्हें नारकीर् िीवन िीते देखा था इसलिए उन्होंने ठान लिर्ा था चाहे मंहत उकसाए चाहे भाई ठदखावा करे वह ज़मीन ककसी को भी नहीं देंगे। इन बातों से स्पष्ट होता है कक काका अनपढ़ होत ेहुए भी दनुनर्ादारी की बेहतर समझ रखत ेथे।

    खण्ड - घ

    प्र. 11. ननम्नलिखखत में से ककसी एक ववषर् पर अनचु्छेद लिखखए : [5] समाचार-पत्र

    सबुह होते ही िोगों को समाचार पत्र की सधु हो िाती है। समाचार-पत्र का हमारे दैननक िीवन में अत्रं्त महत्त्व है। इनमें देश-ववदेश की घटनाओं, रोिगार, प्रचार, मनोरंिन, उदघोषणाओं आठद की लिखखत िानकाररर्ााँ होती हैं। कुछ ही पिों में हम इनके अध्र्र्न से अपने आस-पास की खबरों के साथ-साथ, देश-ववदेश के अनेक प्रांतों में क्र्ा हो रहा है घर बठेै िान िाते हैं। हम इसके माध्र्म से अपने संदेश, उदघोषणाएाँ, लशकार्त आठद प्रचाररत कर सरकार सठहत आम िनता को सगूचत कर सकत ेहैं। इसके माध्र्म से समाि में होने वािे आपरागधक कृत्र्ों, अपराधों आठद को रोकने में तथा िन-िागरण में मदद लमिती है।

    समर् का सदपुर्ोग

    बीता समर् कभी िौट कर नही ंआता। संसार में सभी चीज़ों को घटार्ा-बढ़ार्ा िा सकता है, पर समर् को नहीं। समर् ककसी की प्रतीक्षा नहीं करता। अतः मनषु्र् को चाठहए कक िो समर् उसे लमिता है उसका सदपुर्ोग करे। कबीर दास िी ने कहा है कक,

    काि करै सो आि कर, आि करै सो अब। पि में परि ैहोरे्गी, बहुरी करेगा कब।।

    ककसी भी काम को कि पर नही ंटािना चाठहए क्र्ोंकक आि का कि पर और कि का काम परसों पर टािने से काम अगधक हो िारे्गा। मनषु्र् ककतना ही पररश्रमी क्र्ों न हो परन्त ुसमर् पर कार्य न करने से उसका श्रम व्र्थय चिा िाता है। वक्त पर न काटी गई िसि नष्ट हो िाती है।

  • असमर् बोर्ा बीि बेकार चिा िाता है। मनषु्र् को चाठहए कक वह अपने समर् का सदपुर्ोग करके िीवन को मागय पर िे चिे। समर् का सदपुर्ोग भानर्ननमायण की आधार-लशिा है।

    ‘प्रदषूण की समस्र्ा’

    आि के ववज्ञान-र्गु में प्रदषूण की समस्र्ा एक बड़ी चनुौती है। प्रदषूण का अथय है - वार्मंुडि र्ा वातावरण का दवूषत होना। प्रदषूण कई तरह का होता है, िि प्रदषूण, वार् ुप्रदषूण और ध्वनन प्रदषूण। उदर्ोगों के ववस्तार के कारण प्रदषूण और भी अगधक बढ़ा है। िहरीिे पदाथय झीिों, झरनों, नठदर्ों, सागरों तथा अन्र् ििाशर्ों में िाते हैं तो इससे पानी प्रदवूषत हो िाता है, उसकी गुणवत्ता घट िाती है। इसके अिावा नदी-तािाबों में िोगों का नहाना, कपड़ ेधोना, िानवरों की गंदगी डािने के कारण िि प्रदवूषत होता है जिससे तरह-तरह के रोग िैित ेहैं। वार् ुमें हाननकारक पदाथों को छोड़ने से वार् ुप्रदवूषत हो िाती है। र्ह स्वास् र् समस्र्ा पदैा करती है तथा पर्ायवरण एवं संपजत्त को नकुसान पहुाँचाती है। प्रदषूण से ओिोन पतय में बदिाव आर्ा है जिससे मौसम में पररवतयन हो गर्ा है। मशीन, रेिगाडडर्ााँ, पटाखे, रेडडर्ो व िाउड-स्पीकर तेज़ी से बिाना आठद से ध्वनन प्रदषूण िैिता हैं। ध्वनन प्रदषूण मनषु्र् की नींद, सनुना, संवाद र्हााँ तक शारीररक तथा मानलसक स्वास् र् को भी प्रभाववत करत ेहैं। हम सबको लमिकर प्रदषूण को बढ़ने से रोकना होगा अन्र्था आनेवािे वषो में हमारा िीवन दभूर हो िाएगा।

    प्र.12. आप अपने ववदर्ािर् के 'सिाई अलभर्ान दि' के नेता है। एक र्ोिना के

    अन्तगयत आप छात्रों के एक दि को ककसी इिाके में सिाई के प्रनत िागरूक करने हेत ुिे िाना चाहत ेहैं। अपने ववदर्ािर् के प्रधानाचार्य/प्रधानाचार्ाय िी को इसके लिए स्वीकृनत हेत ुपत्र लिखखए। [5] सेवा में, प्रधानाचार्य आदशय लशश ुववहार

  • िर्परु ठदनााँक : 14 माचय 2018 ववषर् : दसवीं के बच्चों को सफ़ाई अलभर्ान के अंतगयत ‘पवन ववहार’ िे िाने की अनमुनत प्राप्त करने हेत।ु महोदर् मैं ववदर्ािर् का सिाई अलभर्ान दि का नेता हूाँ। हमारे ववदर्ािर् के पासवािा इिाका ‘पवन ववहार’ बहुत ही गंदा होता है। िहााँ से हमारे स्कूि के ववदर्ाथी आत-ेिाती है, मैं ववदर्ािर् के दसवीं कक्षा के छात्रों को 17 माचय शननवार के ठदन वहााँ सफ़ाई के प्रनत िागरूकता िाने ि ेिाना चाहता हूाँ। हम सफ़ाई अलभर्ान का महत्त्व बतात ेहुई िोगों को समझाएाँगे कक सिाई सामाजिक दानर्त्व है। अत: आपसे ननवेदन है कक आप हमें इसकी अनमुनत प्रदान करें। आपका आज्ञाकारी छात्र सौरभ गुप्ता नेता - सिाई अलभर्ान दि कक्षा – दसवीं ‘अ’

    प्र. 13. आपके ववदर्ािर् दवारा आर्ोजित प्रौढ़ लशक्षा कार्यक्रम के लिए सचूना

    तैर्ार करें। [5] सचूना

    प्रौढ़ लशक्षा कार्यक्रम ठदनााँक : 2 लसतंबर 2015

    ववदर्ािर् की समाि पररषद दवारा लसतंबर महीन ेके प्रत्रे्क रवववार को प्रौढ़ लशक्षा कार्यक्रम ववदर्ािर् के पास वािे िमही गााँव में आर्ोजित ककर्ा िा रहा है। इच्छुक ववदर्ाथी ववदर्ािर् की समाि पररषद में अपना नाम सप्ताह के भीतर पंिीकृत करवा िें। सगचव आशीष लसहंि

  • समाि पररषद प्र. 14 ववदर्ाथी और बस कंडक्टर के बीच हो रहे संवाद लिखखए। [5]

    कंडक्टर : ठटककट ठटककट.. ववदर्ाथी : १ अलभनव कॉििे स्टॉप कंडक्टर : १० रु. ववदर्ाथी : मैं तो रोि ८ रु. में िाता हूाँ। कंडक्टर : हााँ ! िात ेहोगे परंतु आि से भाव बढ़ गर्ा। ववदर्ाथी : क्र्ा बात कर रहे हैं? तीन महीने पहिे ही तो ६ रु. से बढ़कर

    ८ रु. हुआ था। कंडक्टर : अब हम क्र्ा करे? महंगाई बढ़ती है और सरकार दाम बढ़ाती है। ववदर्ाथी : हााँ महंगाई बढ़ती है इसका भगुतान िनता को ही करना पड़ता

    है। कंडक्टर : क्र्ा करे? ववदर्ाथी : हमें सरकार से बार-बार ठटकट के दाम बढ़ान ेको िेकर

    लशकार्त करनी चाठहए। कंडक्टर : हमारा तो काम है र्ह, आप बाब ूिोग देखों। ववदर्ाथी : ठीक है, हम ही कुछ करेंगे।

    प्र. 15. ननम्नलिखखत ववज्ञापन का प्रारुप (नमनूा) तैर्ार कीजिए : [5] सफ़ेद कपड़ो की धिुाइय के ककए प्रर्ोग ककए िानेवािे साबनु का ववज्ञापन का प्रारुप (नमनूा) तरै्ार कीजिए :

    असिी सफ़ाई-बार से कपड़ों की करिो सिाई, ककिार्ती दाम में चमकती सफ़ेदी का दावा।

    असिी बार

    7. Sample Papers for CBSE Class 10 Hindi Course B #7 - Question.pdf (p.1-6)7. Sample Papers for CBSE Class 10 Hindi Course B #7 - Solution.pdf (p.7-19)