REFRENCE WEB. LINKS FOR SANSKRIT LEARNING BASED … · 2020-04-13 · *ग श¢ा ें , जज...

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  • NEELKANTH VIDYAPEETH RESIDENTIAL SCHOOL HYDERABAD HINDI, TELUGU & SANSKRIT

    Class 8

    निदेश :

    1- निम्िलऱणित कायय पत्रक में लऱणित और मौणिक गहृकायय ददया गया है |

    2 – जजसमें प्रनतददि एक लऱणित और एक मौणिक गहृ कायय करिा अनिवायय है |

    3 - लऱणित और मौणिक गहृ कायय की पूियता के लऱए आगामी परीऺा में पाॉच अॊक निर्ायररत हैं |

    िॊड – क अपदित गदयाॊश

    प्रश्ि : 1 निम्िलऱणित अपदित गदयाॊश को पढ़कर िीच ेददए गए प्रश्िों के उत्तर लऱणिए |

    (i) साभाजजक सपरता प्राप्त कयने का एकभात्र तयीका है – दसूयों को स्नेह देना व उनका सम्भान कयना | जीवन भें जो व्मजतत उन्नतत औय सुख – शाॊतत प्राप्त कयना चाहता है , उसे सववप्रथभ मही शशऺा ग्रहण कयनी चाहहए | मुधधजठिय के याजसूम मऻ का दातमत्व श्री कृठण ने उिामा था , इसीशरए वे मऻ के सफसे अधधक ऩूज्म व्मजतत भाने गए | ईसाभसीह , गौतभफुद्ध , भहावीय , भहात्भा गाॊधी जैसे भहाऩुरुषों भें ततनक बी अहॊकाय व अशबभान न था | भान – सम्भान का भूल्म चुकाना असॊबव है | भान – सम्भान के बफना महद अभतृ बी शभरे , तो वह ववष फन जाता है | ववद्माथी जीवन का आयॊशबक ऩाि मही है कक वह गुरु के प्रतत सभानता का बाव अऩने ह्रदम भें उत्ऩन्न कयें , अन्मथा उसकी ववद्मा तनठपर हो जाएगी |

    (क) सामाजजक सफऱता का मूऱमॊत्र लऱणिए |

    (ि) युधर्जठिर के राजसूय यऻ में सवायधर्क सम्माि ककसे और क्यों लमऱा ?

    (ग) महापुरुष महाि ककस लऱए कहऱाए ?

    (घ) ववदयार्थी की ववदया कब निठफऱ होती है ?

    (च) ववदयार्थी जीवि का प्रर्थम पाि क्या है ?

    (छ) युधर्जठिर के राजसूय यऻ में सबसे पूज्य व्यजक्त कौि रे्थ ?

    (ii) नयेंद्रनाथ की भाता उच्चाकाॊक्षऺणी स्त्री थीॊ | उनकी इच्छा थी कक उनका रड़का वकीर हो , अच्छे घय भें उसका व्माह हो औय दतुनमा के सबी सुख बोगे | जफ याभ कृठण ऩयभहॊस के प्रबाव भें आकय नयेंद्रनाथ ने सॊन्मास रेने का तनश्चम ककमा , तो उनकी भाता ऩयभहॊस की सेवा भें उऩजस्थत हुई औय अनुनम - ववनम कयने रगीॊ कक वे उनके फेटे को मोग शशऺा न दें , जजससे ऩायरौककक सुख नयेंद्रनाथ को अऩनी ओय खीॊच न सके | याभकृठण ऩयभहॊस की सभाधध के फाद उनके शशठमों के नेततृ्त्व का बाय जफ नयेंद्रनाथ ऩय आमा तबी उन्होंने तथा उनके साधथमों ने सॊन्मास का व्रत शरमा | उसके फाद स्वाभी नयेंद्रनाथ जी उच्च आध्माजत्भक ऻान की प्राजप्त के शरए हहभारम की ओय चरे गए | सत्म की खोज के शरए उन्होंने अनेक कठट सहे |

  • (क) िरेंद्रिार्थ की माताजी क्या चाहती र्थीॊ ?

    (ि) िरेंद्रिार्थ की माताजी िे स्वामी रामकृठि परमहॊस से क्या प्रार्थयिा की र्थी ?

    (ग) िरेंद्रिार्थ व उिके साधर्थयों िे सॊन्यास का व्रत कब लऱया ?

    (घ) सत्य की िोज के लऱए िरेंद्रिार्थ िे क्या सहि ककया ?

    (च) स्वामी िरेंद्र िार्थ िे ककसके प्रभाव में आकर सॊन्यास ऱेिे का निश्चय ककया ?

    (छ) स्वामी िरेंद्रिार्थ आध्याजत्मक ऻाि की प्राजतत के लऱए कहाॉ गए ?

    (iii) आज गणेश चतुथी है | इस ऩवव को ववनामक चतुथी बी कहत ेहैं | गणेशोत्सव को साववजतनक रूऩ से भनाने की प्रथा रोकभान्म ततरक के जभाने से शुरू हुई है , ऩयन्तु गणेश – ऩूजा बायत भें फहुत प्राचीन कार से चरती यही है | गणेशोत्सव दस हदन भनामा जाता है | योज नए कामवक्रभ औय सजावट होती है | अॊत भें अनॊत चतुदवशी का हदन आता है | गणऩतत – ववसजवन की तैमारयमाॉ शुरू हो जाती है | कुछ रोग स्वमॊ अऩने इठट – शभत्रों , नात े– रयश्तदेायों के साथ जाकय ववसजवन कय आत ेहैं | कुछ रोग जो स्वमॊ ककसी कायण वश ववसजवन के शरए नहीॊ जा सकत े , वे साववजतनक गणेशोत्सव की फड़ी भूततव के साथ अऩने घय की छोटी भूततव यख देत ेहैं | अनॊत चतुदवशी को फड़ ेजोय – शोय से गणऩतत फप्ऩा भोयमा के नाये रगात ेहुए गणऩतत का जर भें ववसजवन ककमा जाता है | भहायाठर भें मह उत्सव फहुत भहत्त्वऩूणव भाना जाता है |

    (क) गिपनत का ववसजयि ककस प्रकार ककया जाता है ?

    (ि) जो ऱोग गिपनत के ववसजयि के लऱए िहीॊ जा सकत े, वे क्या करत ेहैं ?

    (ग) गिेश उत्सव ककतिे ददि चऱता है ?

    (घ) गिेश उत्सव ककस प्रदेश में सबसे अधर्क मिाया जाता है ?

    (च) गिेश चतुर्थी को और ककि िामों से जािा जाता है ?

    (छ) अिॊत चतुर्थी को क्या ककया जाता है ?

    (iv) एकपभ वावऩस अऩने घय की ओय चर हदमा | यस्त ेभें वह एक गाॉव की उस झोऩडी भें ऩहुॉच गमा जहाॉ कुछ हदन ऩूवव उसका शभत्र एशरशा फीभाय रोगों की सहामता के शरए रुका था | एशरशा ने दीॊ दखुी रोगों की भदद के शरए मरुशरभ जाने का ववचाय छोंड हदमा था | झोऩडी के दयवाजे ऩय खड़ी स्त्री फोरी , “आइए फाफा , हभ सदा अऩने माबत्रमों का स्वागत कयत ेहैं | एक मात्री ने ही हभायी प्राण – यऺा की थी | ऩयभात्भा उसका बरा कयें | महद वह न आमा होता तो हभ सफ भय गए होत े |” सवेये एकपभ अऩने गाॉव की ओय चर हदमा | गाॉव भें ऩहुॉचकय वह सफसे ऩहरे अऩने शभत्र एशरशा के घय गमा | एशरशा ने उससे कहा , “ आशा है तुम्हायी मरुशरभ की मात्रा सकुशर ऩूयी हो गई होगी |” एकपभ फोरा , “ भेया शयीय तो वहाॉ ऩहुॉच गमा , ककॊ तु भेयी आत्भा वहाॉ न ऩहुॉच सकी | भैंने तुम्हें साऺात धगयजाघय के बीतयी बाग भें दीऩभारा के ऩीछे खड़ ेदेखा था | “ वास्तव भें दीन - दखुखमों की सहामता ही सच्ची तीथवमात्रा है |

    (क) झोपडी के पास िड़ी स्त्री िे एकफम से क्या कहा ?

  • (ि) एलऱशा िे यरुशऱम जािे का ववचार क्यों छोंड ददया ?

    (ग) एकफम अपिे गाॉव पहुॉचकर सबसे पहऱे कहाॉ गया ?

    (घ) एलऱशा िे एकफम से क्या कहा और एकफम िे उसका क्या उत्तर ददया ?

    (च) सच्ची तीर्थय यात्रा क्या है ?

    (छ) यरुशऱम जािे का ववचार ककसिे त्याग ददया ?

    (v) वऩता जी की अच्छी खासी नौकयी थी | भेये जन्भ के परे ही उन्होंने गाॊधी जी के आह्वान ऩय सयकायी नौकयी छोंड दी थी | हभ रोग आधथवक कठटों से गुजय यहे थे , कपय बी घय भें तनमशभत ऩत्र – ऩबत्रकाएॉ आती थीॊ – आमवशभत्र साप्ताहहक , वेदोदभ ,सयस्वती , गहृणी , औय भेये शरए दो फार ऩबत्रकाएॉ फारसखा औय चभचभ | भुझ ेऩुस्तकें ऩढ़ने की चाट रग गमी | घय भें औय बी फहुत सी ऩुस्तकें थीॊ | भेयी वप्रम ऩुस्तक थी – स्वाभी दमानॊद की जीवनी | वऩता जी हदवॊगत हो गए | आधथवक सॊकट इतना फढ़ गमा कक पीस जुटाना तक भुजश्कर था | राईबे्रयी भें जाकय ककताफें ऩढता | राईबे्रयी खुरत ेही ऩहुॉच जाता औय जफ राईबे्ररयमन शुतर जी कहत ेकक,” फच्चा ! उिो , ऩुस्तकारम फॊद कयना है |” तफ फड़ी अतनच्छा से उिता | भाॉ ने कहा ,” दु् ख के हदन फीत जामेंगे फेटा , धीयज से काभ रो |”

    (क) ऱेिक के घर में नियलमत कौि सी पत्र – पत्रत्रकाएॉ आती र्थी ?

    (ि)’ दु् ि के ददि बीत जाएॊगे बेटा , र्ीरज से काम ऱो | ” ककसिे ककससे कहा ?

    (ग) “बच्चा उिो पुस्तकाऱय बॊद करिा है |” ककसिे और ककससे कहा ?

    (घ) ऱेिक के वपता िे िौकरी क्यों छोंड दी ?

    (च) ऱेिक के यहाॉ कौि सी बाऱ पत्रत्रकाएॉ आती र्थीॊ ?

    (छ) ऱेिक की वप्रय पुस्तक कौि सी र्थी ?

    िॊड – (ि) व्यावहाररक व्याकरि

    प्रश्ि : 2 – (i) निम्िलऱणित अशुद्ध शब्दों को शुद्ध करके लऱणिए |

    1 - मह ऩुस्तक भेया है |

    2 – भौसभ फहुत सुहावनी है |

    3 – हभाये सबी अध्माऩाकों अच्छे हैं |

    4 – दो रडका आ यहा है |

    5 – भैं ऩत्र को शरखता हूॉ |

    6 – भैंने तयेे को फहुत सभझामा |

  • 7 – मह भेये को भारूभ है |

    8 – तू खड़ ेहो जाओ |

    9 – याभ फड़ा चाराक है |

    10 – भैं फाजाय से ताजा सब्जी खयीदी |

    11 – वह रोग आ गमे |

    12 – कृऩमा बोजन कय रो |

    13 – उसके फार कारा हैं |

    14 – वह काभ ककसने कया है |

    15 – याभ ने कहानी सुनामा |

    (ii) निम्िलऱणित शब्दों में मऱू शब्द और उपसगय छाॉटकर लऱणिए |

    1 – अशबनम - 2 - कुभागव - 3 – ऩयोऩकाय - 4 – अनुशासन - 5 – स्वच्छ -

    6 – नारामक - 7 – सुयऺा - 8 – ऩयरोक - 9 – अनुबव - 10 – अनुयोध -

    11 – अशबशाऩ - 12 – कुरूऩ - 13 – ऩयतॊत्र - 14 – सुऩुत्र - 15 – नादान -

    16 – नासभझ - 17 – कुदृजठट - 18 – अशबभान - 19 – फदतभीज - 20 – सुरोचना -

    (iii) निम्िलऱणित वाक्यों को बहुवचि में बदऱकर लऱणिए |

    1 – उसने अऩनी ऩुस्तक फस्त ेभें डारी |

    2 – ऩयीऺा आयॊब हो गई |

    3 – वह अऩनी फात फता यही थी |

    4 – फाशरका ऩयीऺा बवन से फाहय आई |

    5 – इस रड़के को जाने दो |

    6 – रडकी ने ऩत्र शरखा |

    7 – फच्चा कहानी सुना यहा है |

    8 – ऩऺी उड़ गमा |

    9 – यभा ने बाई को यखी फाॉधी |

  • 10 – धचड़ड़मा दाना चुग यही है |

    11 – सोतनमा अऩनी बाबी के साथ फाज़ाय गई |

    12 – अध्माऩक छात्र को ऩढाता है |

    13 – रेखक ऩुस्तक शरखता है |

    14 – आकश भें ताये हटभहटभात ेहैं |

    15 – तनधवन को दान दीजजमे |

    (iv) निम्िलऱणित वाक्यों के सामिे उसके काऱ का िाम लऱणिए |

    1 – नभन योज तरफ जाता है |

    2 – भेये बाई की घड़ी खो गई |

    3 – भैं यात को घूभने नहीॊ जाऊॉ गा |

    4 – भेया शभत्र कर आमा था |

    5 – याजीव कर भुम्फई जाएगा |

    6 – भैं डॉतटय फनूॉगा |

    7 – कर वषाव होगी |

    8 – वऩता जी भेये शरए स्वटेय राए |

    9 – भेयी भाता जी फीभाय थीॊ |

    10 – भनोज अऩने वऩता जी के साथ आमा था |

    11 – फच्च ेखेर यहे हैं |

    12 – आकाश ने बाषण हदमा |

    13 – भीना आइसक्रीभ खा यही है |

    14 – शसभयन ने सही उत्तय हदमा |

    15 – हहयन जॊगर भें दौड़ यहा था |

    (v) निम्िलऱणित मुहावरों के अर्थय लऱणिए |

    1 – अऩना उल्रू सीधा कयना

    2 – आॉखें खुरना

  • 3 – अॉगूिा हदखाना

    3 – कान का कच्चा होना

    4 – कभय टूटना

    5 – आसभान से फातें कयना

    6 – काि का उल्रू

    7 – गोफय गणेश

    8 – गागय भें सागय बयना

    9 – घी के हदए जराना

    10 – रटू्ट होना

    11 – हाॉथ ऩसायना

    12 – हाॉथ ऩीरे कयना

    13 – ऩानी – ऩानी होना

    14 – जहय का घूॉट ऩीना

    15 – छतके छुड़ाना

    प्रश्ि – 3 - निम्िलऱणित प्रश्िों के उत्तर एक वाक्य में लऱणिए |

    1 – श्री कृठण ककस देश भें ऩदैा हुए थे ?

    2 – हभाये देश का नाभ बायत कैसे ऩडा ?

    3 – गॊगा अऩने ककतने ऩुत्रों को ऩानी भें फहा चुकी थी ?

    4 – गॊगा के आिवें ऩुत्र का नाभ तमा था ?

    5 – सत्मवती के दोनों ऩुत्रों के तमा नाभ थे ?

    6 – बीठभ ने काशी नयेश की जजन तीन ऩुबत्रमों का अऩहयण ककमा, उनके नाभ शरखखए |

    7 - अॊफा ककसको अऩना ऩतत भान चुकी थी ?

    8 – ववदयु ककसके फेटे थे ?

    9 - कुॊ ती का ऩहरा नाभ तमा था ?

    10 – कुॊ ती ने ककस देवता का आह्वान ककमा था ?

  • 11 – भायीच कौन था ?

    12 – फारी औय सुग्रीव भें तमा सॊफॊध था ?

    13 – फारी की ऩत्नी का तमा नाभ था ?

    14 – अॊगद ककसका ऩुत्र था ?

    15 – याभ ने अऩनी कौन सी तनशानी सीता को देने के शरए कहा ?

    16 – सुयसा कौन थी ?

    17 – रॊका भें प्रवेश कयत ेही ककस याऺसी ने हनुभान जी का यास्ता योंका ?

    18 – बगवान याभ ने सभुद्र देवता से ककतने हदन तक ववनम की ?

    19 – भाता सीता रॊका भें ककस वाहटका भें यहीॊ ?

    20 – यावण के नाना का तमा नाभ था ?

    िॊड – (ग) लऱणित व्याकरि

    प्रश्ि : 4 – निम्िलऱणित ववषयों में अिुच्छेद लऱणिए |

    1 – वृऺ ायोऩण का भहत्व – वृऺ हभाये जीवनदाता , वन भहोत्सव , वृऺ ों से राब

    2 – याठरबाषा हहन्दी – याठरबाषा का तात्ऩमव , प्रततभा की आवश्मकता , सपरता का यहस्म , तनयॊतय प्रमास से रक्ष्म प्राजप्त

    3 – भहॊगाई की भाय – कायण , उत्ऩन्न सभस्माएॉ , योकने के उऩाम

    4 – भेयी येर मात्रा – मात्रा का शाजब्दक अथव ,सॊक्षऺप्त मात्रा का वतृ्ताॊत , तनठकषव |

    5 – सभम का सदऩुमोग – सभम अभूल्म धन है , सभम का भहत्व , सभम सपरता की कुॊ जी , सभम ऩय काभ न कयने से हातन |

    प्रश्ि : 5 – – निम्िलऱणित ववषयों में पत्र लऱणिए |

    1 - व्मामाभ के राब फतात ेहुए अऩने शभत्र को ऩत्र शरखखए |

    2 – शभत्र को उसके जन्भहदन के शरए फधाई – ऩत्र शरखखए |

    3 - वऩता जी को ववद्मारम भें आमोजजत वावषवकोत्सव का वणवन कयत ेहुए ऩत्र शरखखए |

    4 – स्वास््म न िीक होने के कायण प्रधानाचामव से छुट्टी रेने के शरए प्राथवना ऩत्र शरखखए |

    5 – दादा जी को शहयी जीवन भें प्रदषूण का वणवन कयत ेहुए ऩत्र शरखखए |

  • िॊड – (घ) मौणिक कायय

    प्रश्ि : 6 – (i) ववशबन्न हहॊदी सभाचाय ऩत्र ऩढ़ें , जैसे- हहन्दीशभराऩ , वाताव , अभयउजारा , याठरीम सहाया , दैतनक जागयण आहद |

    (ii) ववशबन्न टी वी चैनरों ऩय हहन्दी सभाचाय सुनें , जैसे – आजतक , ए . फी. ऩी. न्मूज ,एन . डी . टी वी , जी न्मूज , स्टाय बायत आहद |

    (iii) टी वी ऩय आने वारे ववशबन्न हहॊदी धायावाहहक देखें जैसे – याभामण , भहाबायत , चाणतम , शजततभान आहद |

    (iv) हहॊदी गद्म की ववशबन्न ऩुस्तकें ऩढ़ें , जैसे - पे्रयणाप्रद कहातनमाॉ , नाटक , उऩन्मास , जोतस , कोशभतस आहद |

    (v) हहन्दी के देशबजतत गीत व बजततभम बजन सुने |

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    NEELKANTH VIDYAPEETH RESIDENTIAL SCHOOL HYDERABAD

    8-class holiday work Telugu 3rd language 1. .తెలుగు వరణమాలను క్రమ పద్ధతిలో వ్ాయండ.ి

    2. అతుి హలుు లక్ు (క ెనుండ ిఱ వరక్ు ) గుణ ంతములు వ్ాయండ ి.

    3. క్ నుండ ిఱ వరక్ు ఒతతు లు వ్ాస ఒకకొక్ొ హలుు క్ు 5 పద్ములు వ్ాయండ ి

    4. తుతయము వ్ేమన,సుమతీ,భాసొర,శ్రరక్ృషణ ముద్లగు శతక్ములనుండ ిఒక్ పద్యమును భావయుక్ుముగ

    క్ంఠసథము చేయండ ివ్ాయండ ి.

    5. పధాానోతృధాయయులవ్రితు నాలుగు దనిములు సలెవు కోరుతూ లేఖ వ్ాయండ.ి .

    6. పతాి దినము తలెుగు దనిపతికా్ను చదివి 10 వ్కయలు వ్ాయండ ి.

    7. మీక్ు నచ్చిన/తెలిసన ముగుు రు జాతీయ నాయక్ుల గురించ్చ వ్ాయండ.ి.

    8. మీ క్ుట ంబములోతు పూరిిక్ులు గురించ్చ తలుసుకకతు మీ క్ుట ంబ వంశ వృక్షమును వ్ాయుము..

    9. కోవిద్-19 అనగ నేమి ? క్రోనా వ్ ైరస్ వ్యం చక్ుండా తీసుకోవలసన జాగరతులు వ్ాయండ.ి

    10. మీ గర మ,పటటణములను గురించ్చ మీక్ు తెలిసన విశషేములను వ్ాయుము.

    11. తూవు ద్రిశంచ్చన ఒక్ పుణయ క్షతే ావ్ భైవమును గురించ్చ వ్ాయక్ుము. .

    12. తూ దేశ గొపపతనమును వివరసితు ఒక్ వ్యసమును వ్ాయుము.

    13. క్తుంచతు దేవతల పతాయక్ష రూతృలు “అమాా నానిలు” వ్ర ిగొపప తనాతుి తలెియచసేతు వ్యసమును

    వ్ాయుము.

    14. మీక్ు నచ్చిన రమాయణం లోతు తృతలాను గురించ్చ వ్ాయండ.ి

    15. “తింట ేగరెలు వింట ేభారతం: అన ేసమెతక్ు అరథం ఏమిట ి

  • 16. కగతిములతో బొ మాలు తయారు చేయండ.ి

    17. సిమీ వివ్కేనంద్ ,అబుు ల్ క్లాం,మహాతాాగంధ ీటంగుటూర ిపకాశం వంట ిమహతూయుల జీవిత చరతిలాను

    చద్వండ ివ్టిలో మీక్ు నచ్చిన సంఘటనలను వ్ాయండ.ి

    18. తెలుగు క్వుల గురించ్చ తెలుసుకోండ.ి Note above given work can be written in a notebook to be submitted to the teacher on the

    opening day of the school.

    -0-

    NEELKANTH VIDYAPEETH RESIDENTIAL SCHOOL HYDERABAD SANSKRIT

    पठठत अवबोधनम ्

    खण्ड-क

    1.प्र- अधोलिलखत गद्यांशां पठठत्वय उत्तरयलि लिखत.

    लवजयदशमी आययाियां पवाः अलतत। अतय प्रयरम्भश्च भगवतः श्री रयमचन्द्रतय कयियत्

    अलतत। अयां महोत्सवः आलिनमयसे शुक्िपक्षतय दशम्ययां तयरीकयययां सम्पद्ते। अलतमन्नेवां ददवस ेरयमः

    रयविां हतवयन्। इदां पवाः लशक्षयलत यद ्सदय असत्ये सत्यतय लवजयः भवलत। क्षलिययः अलतमन्

    अस्त्रयियां, शस्त्रयियां च पजूयां कुवालन्द्त।

    1. लवजयदशमी केषयां पवा अलतत?

    2. रयमः कां हतवयन् ?

    3. के अलतमन् अवसरे अस्त्रयियां पूजयां कुवालन्द्त?

    4. असत्ये कतय लवजयः भवलत?

    5. अयां उत्सवः कदय सम्पयद्ते?

    महयकलवः कयलिदयसः सांतकृत भयषयययः सवाश्रेष्ठ कलवः आसीत् । एषः महयकयव्य लनमयातय आसीत्।

    कयलिदयसः महयकयव्य द्वयम्, खण्ड कयव्य द्वयम्, नयटक ियां रलचतवयन् । ततय प्रमुखयः ग्रन्द््यः-

    रघुवांशम्, कुमयरसम्भवम,् अलभज्ञयनशयकुन्द्तिम् । कयलिदयसः लवक्रमयददत्य महयरयजतय सभयकलवः

    आसीत्। ततय रयजधयनी उज्जलयनी आसीत्।

    1. कयलिदयसः कतययः भयषयययः सवाश्रेष्ठः कलवः आसीत्?

    2. कयलिदयसः कलत नयटकयलन रलचतवयन्?

    3. कयलिदयसः कतय रयजतय सभयकलवः आसीत्?

    4. कयलिदयसतय प्रमखु ग्रन्द््यनयां नयमयलन लिखत?

  • 5. कयलिदयसतय रयजधयनी कुि आसीत्?

    पुरय एकतय नृपतय एकः लप्रयः वयनरः आसीत् । एकदय रयजयसुप्तः आसीत् । वयनरः व्यजनेन तम्

    अवीजयत्। तदवै एकय मलक्षकय नृपतय नयलसकयययम् उपयलवशत्। यद्लप वयनरः वयरां वयरां व्यजनेन

    मलक्षकयम् लनवरयलत तम त्यलप सय पुनः पुनः नृपतय नयलसकयययम् एव उपलवशलत तम। अन्द्ते वयनरः

    मलक्षकयां हन्द्तुम ्खड्गेन प्रहयरम् अकरोत्। मलक्षकय तु उड्डीय दरूां गतय दकन्द्तु खड्गप्रहयरेि नृपतय

    नयलसकय लछन्नय अभवत्। अतएव उच्यते - “मूखाजनैः सह लमितय नोलचतय”।

    1. कः सुप्तः आसीत्?

    2. वयनरः केन नृपम् अवीजयत्?

    3. एकय मलक्षकय कुि उपयलवशत्?

    4. खड्ग प्रहयरेि दकम ्अभवत्?

    5. कैः सह लमितय नोलचतय?

    अतमयकां लवद्यियः रयजकीय लवद्यियः अलतत। अि पठनतय श्रेष्ठय व्यवत्य अलतत। क्रीडयनयम् अलप

    सुिभय व्ययवत्य अलतत। अतएव अतमयकां लवद्यियतय सवयासयां कक्षयियम ्लपठरियमः शतप्रलतशतां

    भवलत। क्रीडयनयम् प्रलतयोलगतयसु अलप अतमयकां लवद्यियतय छयियः बहून् पुरतकयरयन् अिभन्द्त।

    अतमयकां लवद्यियतय वयर्षषकोत्सवः पूवा सप्तयह ेअभवत्। नगरतय रयज्यपयिः मुख्ययलतल्ः आसीत्।

    1. लवद्यिये केषयम् सिुभय व्यवत्य अलतत?

    2. कतय श्रेष्ठय व्यवत्य अलतत?

    3. मुख्ययलतल्ः कः आसीत्?

    4. के पुरतकयरयन् अिभन्द्त?

    5. वयर्षषकोत्सवः कदय अभवत्?

    खण्डः-ख (रचनयत्मक कययाम)्

    2प्र. लचिां दषृ्ट्वय मञ्जषूय सहययने वयक्ययलन रचयत-

    मञ्जषूय- कन्द्दकेुन, पलिकयम्, समुरतटतय, नौकयः,

    कुवालन्द्त

    1.इदां ....................... लचिम् अलतत।

    2. लचि ेद्वौ बयिकौ ...................... क्रीडतः ।

    3. समुर जि ेअनेकयः ...................... लवहरलन्द्त।

    4. केचन पययाटकयः समुर ेस्नयनां ........................।

  • 5. एकः बयिकः .......................... पठलत ।

    मञ्जषूय- धयरयलन्द्त, आरोहलन्द्त, वृलिम,् बयियः,

    बसययनतय

    अ) इदां लचिां ............................. अलतत ।

    आ) लचिे अनेके ..................सलन्द्त ।

    इ) ति .................... आगच्छलन्द्त तम।

    ई) ते सवे छिम् ...........................।

    उ) ते बयियः बसययनम् .........................।

    मञ्जषूय-पवातयः, ययनम,् उद्यनतय,मनोहरम,्

    कन्द्दकेुन

    अ) इदां लचिां एकतय ............................ अलतत ।

    आ) लचिे बयियः ............................. क्रीडलन्द्त ।

    इ) एकः बयियः सैकि ...................... चयियलत

    तम।

    ई) लचिे दरूतः .............................सलन्द्त ।

    उ) उद्यनतय लचिम् अलत ............................ अलतत।

    ग्रन्द््यियतय,मौनने,पतुतकयलन,आगच्छलन्द्त, ज्ञयनदययकम्

    अ) इदां लचिां एकतय ............................ अलतत ।

    आ) लचिे अनेकयलन ............................. सलन्द्त ।

    इ) सवे छयियः ...................... पुततकयलन पठलन्द्त।

    ई) लशक्षकयः अलप पठठतुम् .............................।

    उ) अतः ग्रन्द््यियतय लचिम् ............................

    अलतत।

  • 3प्र. ददनद्वयां लवरमयय अनमुतत प्रयप्तुां प्रयचयययाय पिां मञ्जषूय सहययने लिखत-

    आदरिीय प्रयचयया महोदयः,

    एस.एन.वी.पी. लवद्यियः,

    भयग्यनगरम्।

    सेवयययम्,

    लनवदनेम् अलतत यत् अहां ज्वरेि(1) ..................... अलतत। वैदे्न (2)..................

    दत्तः। तेन अहां (3)………………आगन्द्तुां (4) ........................ अलतम। अतः भवन्द्तः

    (5).................... अवकयशां प्रदयय मयम ्अनुगृह्णन्द्तु।

    भवन्द्तः लप्रयलशष्टयः

    दशानः

    कक्षय-सप्तमी

    खण्डः-ग (अनपु्रयक्त व्ययकरिम)्

    4प्र. ठरक्तत्यनषे ुसमलुचत लवभतक्त योजयत-(दकम-्पुां) एकवचनम ् लद्ववचनम ् बहुवचनम ् प्र्मय लवभलक्तः - ............... ............... ............... लद्वतीयय लवभलक्तः - ............... ............... ............... तृतीयय लवभलक्तः - ............... ............... ............... चतु्ी लवभलक्तः - ............... ............... ............... पञ्चमी लवभलक्तः - ............... ............... ............... षिी लवभलक्तः - ............... ............... ............... सप्तमी लवभलक्तः - ............... ............... ............... ठरक्तत्यनषे ुसमलुचत लवभतक्त योजयत-(दकम-्स्त्री) एकवचनम ् लद्ववचनम ् बहुवचनम ् प्र्मय लवभलक्तः - ............... ............... ............... लद्वतीयय लवभलक्तः - ............... ............... ............... तृतीयय लवभलक्तः - ............... ............... ............... चतु्ी लवभलक्तः - ............... ............... ............... पञ्चमी लवभलक्तः - ............... ............... ............... षिी लवभलक्तः - ............... ............... ............... सप्तमी लवभलक्तः - ............... ............... ............... ठरक्तत्यनषे ुसमलुचत लवभतक्त योजयत-(दकम-्नपुां)

    ददनद्वयम,् पीलडतः, असम्ाः , परयमशाः, लवद्यियम्

  • एकवचनम ् लद्ववचनम ् बहुवचनम ् प्र्मय लवभलक्तः - ............... ............... ............... लद्वतीयय लवभलक्तः - ............... ............... ............... तृतीयय लवभलक्तः - ............... ............... ............... चतु्ी लवभलक्तः - ............... ............... ............... पञ्चमी लवभलक्तः - ............... ............... ............... षिी लवभलक्तः - ............... ............... ............... सप्तमी लवभलक्तः - ............... ............... ...............

    ठरक्तत्यनषे ुसमलुचत लवभतक्त योजयत-(दकम ्-नपुां) एकवचनम ् लद्ववचनम ् बहुवचनम ् प्र्मय लवभलक्तः - ............... ............... ............... लद्वतीयय लवभलक्तः - ............... ............... ............... तृतीयय लवभलक्तः - ............... ............... ............... चतु्ी लवभलक्तः - ............... ............... ............... पञ्चमी लवभलक्तः - ............... ............... ............... षिी लवभलक्तः - ............... ............... ............... सप्तमी लवभलक्तः - ............... ............... ...............

    5प्र. ठरक्तत्यनषे ुसमलुचत धयतरुूपां योजयत- (पञ्चिकयरयः) - (धयव)्

    एकवचनम ् लद्ववचनम ् बहुवचनम ् प्र्म परुुष - ................ ................ ................ मध्यम परुुष - ................ ................ ................ उत्तम परुुष - ................ ................ ................ एकवचनम ् लद्ववचनम ् बहुवचनम ् प्र्म परुुष - ................ ................ ................ मध्यम परुुष - ................ ................ ................ उत्तम परुुष - ................ ................ ................

    एकवचनम ् लद्ववचनम ् बहुवचनम ् प्र्म परुुष - ................ ................ ................ मध्यम परुुष - ................ ................ ................ उत्तम परुुष - ................ ................ ................

    एकवचनम ् लद्ववचनम ् बहुवचनम ् प्र्म परुुष - ................ ................ ................ मध्यम परुुष - ................ ................ ................ उत्तम परुुष - ................ ................ ................

  • एकवचनम ् लद्ववचनम ् बहुवचनम ् प्र्म परुुष - ................ ................ ................ मध्यम परुुष - ................ ................ ................ उत्तम परुुष - ................ ................ ................

    6प्र. ठरक्तत्यनषे ुततृीयय लवभतक्त योजलयत्वय ठरक्तत्यनषे ुपरूयत -

    क) नभः ..............................प्रकयशते। (सूयातय/सूयेि)

    ख) रयघवः ............................. लवहरलत। (लवमयनययनयत्/लवमयनययनतय)

    ग) पवातलशखरम् ........................... आकषाकां दशृ्यते। (अम्बुदमयियययः/अम्बुदमयियय)

    घ) सय ................................ जिेन मखुां प्रक्षयियलत । (लवमिैः/लवमिेन)

    ङ) कण्ठः ............................... शोभते। (मौलक्तकहयरतय/मौलक्तकहयरेि)

    च) .................... पठरतः कृलषक्षेियलि सलन्द्त। (ग्रमतय / ग्रयमम्) छ) .................... नमः। (हरर / हरये) ज) .................. उपठर अलभनेतय अलभनयां करोलत। (मञ्चतय/मञ्चम्) झ) ................... नमः । (अम्बयययः / अम्बययै) ञ) ................... उभयतः पुिौ ततः। (लपतरम् / लपतुः)

    7प्र. मञ्जषूयतः पदयलन लचत्वय सांख्ययनयां परुतः लिखत-

    14- .................................. 27- .................................... 69-...................................

    37- .................................... 79-................................... 63- ...................................

    28- .................................. 15-................................... 94- ...................................

    27- .................................... 79-................................... 63- ...................................

    25- .................................. 46- .................................... 73-...................................

    18- ................................... 39- .................................. 84- ..................................

    68- .................................. 25-................................... 34- ...................................

    53- ................................... 48- .................................. 23 ....................................

    पठन ऄभ्यासः (Learning work)

    छात्र-पतिज्ञा

    भारिम् ऄस्माकम् मािभूृतमः वयं सव ेपरस्परं भ्रािरः भतगन्याश्च ।

  • ऄस्माकं मािभूृतमः प्राणभे्योsतप तप्रयिरा भवति ।

    ऄस्याः समदृ्धौ, तवतवध संस्कृिौ च वयं समन्यामह े।

    वयं ऄस्याः सयुोगयाः ऄतधकाररणो भतविुं सदा प्रयिमानाः भवम्े ।

    वयम् ऄस्माकम् मािातपिरौ गरुुजनांश्च समानयमे ।

    सववः सह तिष्टिया व्यवहरेम ।

    भारिं भारिीयांश्च तवश्वासपात्रािां भतविुं प्रतिज्ञां कुममः ।

    िषेां एव कल्याण,े समदृ्धौ च ऄस्माकं सखंु तनतहिमतस्ि ।

    जयि ुभारिम् – जयिसंुस्कृिम् ।

    भोजिमन्त्रम ्अहॊ वैश्वािरो भूत्वा प्राणििाॊ देहमाधित्। प्रािापािसमायुक्त् पचाम्यन्िॊ चतुववयर्म।्।

    ब्रह्मापयिॊ ब्रह्म हवव् ब्रह्माग्िौ ब्रह्मिा हुतम ्। ब्रह्मैव तेि गन्तव्यॊ ब्रह्मकमयसमाधर्िा ॥

    ॐप्रािाय स्वाह - OM pranayaswaha ॐअपािाय स्वाह - OM apanayaswaha ॐव्यािाय स्वाह - OM vyanayaswaha ॐउदािाय स्वाह - OM udanayaswaha ॐसमािाय स्वाह - OM samanayaswaha

    ॐब्रम्हिे स्वाह - OM brahamanayswaha ॐ शाजन्त् शाजन्त् शाजन्त्

  • Notes: written work should be submitted to the respective subject teacher on re-opening day.

    05 Marks of weightage will be considered for internal assessment.