New Parichay Shivir Hindi Shriram Aug 2012-updated · 2017. 3. 28. · ो प र य श र े...

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ाथमक परचय शवर may 2012 (नोस मा परचय शवर हेत | अययन क े लए नहं है ) Page 1 of 197 thou fo|kाथमक परचय शवर - शवराथ नोस : मई २०१२ - इस लेख क त त एवं िजमेदार: ीराम नरसहन (वयाथ) e/;LFk n'kZu-lgvfLrRooknके ाथमक परचय हेत (vfLrRo ewyd Ekkuo dsafnzr fparu) - iz.ksrk ,oa ys[kd ,-ukxjkt, vejdaVd, (म.) ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- भौतकवाद एवं आदशवाद* का वकप * आदशवाद = आयामवाद, अधदैवीवाद, अधभौतकवाद जीवन वया उदेय (ोत: अययन बंद ’, ए नागराज) जीव चेतना से मानव चेतना म ग णामक परवतन हेत मानवीयता सहज आचरण माण हेत सवतोम खी समाधान-सम ध सहत - अखंड समाज एवं सावभौम यवथा प म माण हेत *वतमान ितथ* *आवयकता* धरती ताप त धरती संत लन रहना षण ऋत संत लन बना रहना सभी मानव सम दाय अस रत धरती पर मानव का अुण रहना

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  • �ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंहै)

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    “thou fo|k” �ाथ�मक परचय �श�वर - �श�वराथ! नो�स : मई २०१२

    - इस लेख क) �*तु+त एवं िज.मेदार�: 0ीराम नर�स.हन (�व3याथ!)

    “e/;LFk n'kZu-lgvfLrRookn” के �ाथ�मक परचय हेतु (vfLrRo ewyd Ekkuo dsafnzr fparu)

    - iz.ksrk ,oa ys[kd 0ी ,-ukxjkt, vejdaVd, (म.�) -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

    “भौ�तकवाद एवं आदश�वाद* का �वक�प” * आदश8वाद = आ�या9मवाद, अ:धदैवीवाद, अ:धभौ+तकवाद

    जीवन �व�या उ�दे!य (>ोत: ‘अ�ययन @बदं’ु, ए नागराज)

    � जीव चतेना से मानव चतेना मD गुणा9मक परवत8न हेत ु

    � मानवीयता सहज आचरण �माण हेत ु

    � सव8तोमुखी समाधान-सम3ृ:ध सGहत - अखडं समाज एवं साव8भौम Iयव*था Jप

    मD �माण हेत ु

    *वत8मान ि*त:थ* *आवLयकता* धरती ताप M*त धरती संतुलन रहना �दषूण ऋत ुसंतुलन बना रहना सभी मानव समुदाय असुरQRत धरती पर मानव का अRुSण रहना

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    परचय �श�वर, गो%ट' का उ�दे!य:

    i. ‘समझना’, चेतना �वकास = लVय के Jप मD *पWट हो

    ii. समझने क) ‘मलू व*त’ु �*ताव Jप मD :चिYहत हो:

    o जीवन (*वय ं(मZ);

    o मानव-मानव सबंधं (परवार, समाज) [Yयाय, धम8];

    o मानव- �कृ+त सबंधं, Iयव*था [धम8];

    o अि*त9व, सहअि*त9व [स9य]

    iii. ‘*वय ंमD जांचने’, क) �^_या शJु हो:-

    o �*ताव का शोध (‘*व-+नर�Rण’) �ारंभ हो

    iv. समझने के �लए आगे ‘अ�ययन’ करने क) आवLयकता *पWट हो

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    funsZ’k

    • ;g uksV सवंाद शलै� मD जीवन �व3या �ाथ�मक परचय �श�वर ds fy, gSA blesa izkjafHkd lwpuk gSA v/;;u ds fy, e/;LFkn’kZu&lgvfLrRookn okaxe; gS (१२

    प*ुतक) : �णेता एव ंलेखक – ए नागराज | यह लेख अ�ययन के �लए नह'ं है | • यह �*ताव मझुे 0ी ए नागराजजी से �मला| मZ इसे समझने, जीने के �यास मD हँू| इस

    लेख मD >ोत के Jप मD 0ी ए नागराजजी के नाम एव ंलेख का �योग ^कया गया है| इसका

    ता9पय8 यह नह�ं है क) 0ी नागराज ने इस लेख को जांचा है| लेख के �लए मZ िज.मेदार हँू|

    • lkjs thou fo|k �श�वरc dk mn~ns’; ,oa मलू&oLrq ,d gh है | crkus ds तर�के और @बदं ुizcks/kd dh dYiuk 'khyrk ds vuqlkj, 0ोता क) आवLयकता अनसुार fHkUu gks ldrs gSaA gj izcks/kd viuh fLFkfr सGहत izdV होत ेहै | v/;;u Øe esa ;g iz[kj gksrs tkrk gSA ;gh bldk Øe gSA le>us&le>kus dk dke lkFk LkkFk pyrk gS & le>nkjh ls ifjiw.kZ gksus] thus es izek.k izLrqr djus rdA इस लेख मD Gदया गया �श�वर एक �व:ध है: ऐसे अनेक परचय �श�वर लेने के �व:ध हो सकत े है, हcगे, होत े रहDगे | एक से अ:धक

    Iयिfतयc के �श�वर करने मD लाभ है, इससे ‘व*त’ु पर अलग अलग �वधी से �यानाकष8ण

    होता है |

    • ;g ,d eS=hiw.kZ izfØ;k gS] �*ताव Jप मD �*तुत gSA इसे सनुकर सहमती-असहम+त Iयfत करना, यGद सहम+त है तो इसे परूा समझने क) +नWठा होना, पLचात समझकर

    जीना, यह सब आपके अ:धकार मD है| इसमD आप *वत�ं है |

    vkHkkj

    इस लेख के ’४ *तर पर Iयव*था’ वाले भाग bu O;fDr;ksa ds �श�वरc से सMंहण है: x.ks’k

    ckxfM+;k -dkuiqj, lkse R;kxh -jk;iqj; lk/ku HkV~Vkpk;Z -vejdaVd; योगेश, सवुणा8- रायपरु|

    अYय सहायता - गौर� 0ीहर�

    लेख क- िज/मेदार', सपंक� ,oa lq>ko

    Jhjke ujflagu, गौर� 0ीहर�

    [email protected], [email protected]

    ph: 99077-94154 (छ.ग.)

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    �श�वरा1थ�य2 के �लए �वशषे सचूना:

    �ाथ�मक परचय �श�वर के पLjयात ‘अ�ययन @बदं ुपरचय �श�वर’ करना आवLयक है, िजसमे

    समझने, जीने क) स.पणू8 व*त ुपर �व*तार एव ंगहन चचा8 होती है| इस _म मD ‘अ�ययन @बदं’ु

    पिु*तका मD Gदए ४४ @बदं ुपरेू होत ेहZ | इjछा हो तो इसे कर सकत ेहै| स.पणू8 अ�ययन के �लए

    म�य*थ दश8न वांkमय १३ प*ुतकc मD उपलnध हZ – दश8न – वाद- शा*� – स�ंवधान – परभाषा

    सGंहता देखD| �श�वर के पLjयात ‘�वकoप’ पु*तक एव ं‘जीवन �व3या एक परचय’ आवLय पढ़D |

    इस नो6स के अतं म8 �य:ुत म;ुय श| श| परभाषा ह' श

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    �णेता स�दशे �णेता स�दशे �णेता स�दशे �णेता स�दशे **** * �ोत = लखेकय, मानवीय आचरण सू� – पुि�तका

    म�ने इस तय को भली �कार स ेसमझा ह ै�क हर मानव मानव�वपूव�क ही अपने वैभव को �मािणत करना चाहता ह।ै परंपरा म! सव� मानव �कसी न �कसी समुदाय या दशे के "प म!, धम� के "प म!, रा$य के "प म! %वीकृत 'आ दखेा गया। इसी के साथ जाित, मत, वग�, स-�दाय, पंथ. के "प म! होना भी %प/ ह।ै इन सभी िविधय. स ेसमुदाय चेतना िवकिसत 'ई न �क मानव चेतना। इसके साथ यह भी गवािहत ह ै�क अभी तक धरती पर होन ेवाल ेसमुदाय. म! से कोई ऐसा समुदाय नह4 ह ैिजसको सभी %वीकारते ह. इसिलए मानव�व क6 आव7यकता सहज "प म! समझ म! आई। इसके िलए आव7यक6य सभी शोध-अनुस:धान �कए। जीवन का मौिलक अथवा सव�मानव का मौिलक �< सखुी होने का ह ै=य.�क सव� दशे-काल म! सुखी होने के आशय स ेही जंगल स े>ाम, >ाम से नगर या?ा मानव ने क6। इस या?ा म! आहार, आवास, अलंकार, दरू-@वण, दरू-गमन, दरू-दश�न संबंधी सभी वैभव मानव को करतलगत 'ए। जब म�न ेमानव क6 पBरभाषा को समझा तो यह पाया �क सव� मानव मनाकार को साकार करने वाला और मन:%व%थता को �मािणत करने वाला ह।ै इस पर Eयान दनेे से पता लगा �क मानव मनाकार को साकार करने म! समथ� हो गया ह ैले�कन मन:%व%थता को �मािणत करने म! असमथ� ह ैअथवा �यFशील ह।ै इसी कारणवश यह िनGय 'आ �क सव�-मानव मानव�व सिहत ही मन:%व%थता का �माण �%तुत करेगा, फल%व"प ही अखIड समाज, साव�भौम Kव%था इस धरती पर �मािणत होगी। तभी मानव अपराध परंपराL स ेमुM हो पाएगा, धरती को रोगी बनाने के काय�Nम से मMु होगा। मानव परंपरा म! िविभO �कार स ेसाधना, उपासना, अPयास क6 बात कही गई ह।ै यह सब %वांत: सुख के अथ� म! रहा जब�क मानव�व सव�-शुभ के अथ� म! होना अनुभव �कया ह।ै =य.�क अि%त�व म! ��येक एक अपने �व सिहत Kव%था, सम> Kव%था म! भागीदारी के "प म! ही वैभिवत ह,ै अतएव मानव क6 मानव�व सिहत Kव%था, सम> Kव%था म! भागीदारी %वाभािवक ह।ै मानव म! मानव�व �मािणत होने के िलए आव7यक6य पूरा वाQय �%तुत �कया जो मEय%थ दश�न, सह-अि%त�ववाद ह ैिजसम! मानवीय िशRा, मानवीय संिवधान, मानवीयतापूण� आचरण और मानवीय Kव%था बोध सलुभ होने क6 Kव%था ह।ै इसी

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    Nम म! जीवन Sान, अि%त�व दश�न Sान, मानवीयतापूण� आचरण Sान स-पO होने क6 Kव%था ह।ै ये सब एक-दसूरे से जुड़ी किडय़ा ह� इसम! से जीवन Sान ही जीवन िवVा के "प म! %प/ 'आ। इस ेएक अिभयान के "प म! अथा�त् अPयुदय के अथ� म! होना अनुभव �कया गया। जीवन िवVा को बोध कराने के िलए और उसके मूल म! Sान, िवSान, िववेक स-पOता सहज सुलभ अथवा सव� सुलभ होने के िलए िनY सभी >ंथ �%तुत 'ए :- मानव Kवहार दश�न, मानव कम� दश�न, मानव अPयास दश�न, मानव अनुभव दश�न। समाधाना�मक भौितकवाद, Kवहारा�मक जनवाद, अनुभवा�मक अEया�मवाद, Kवहारवादी समाजशाZ, आवत�नशील अथ�शाZ, मानव संचेतनावादी मनोिवSान, जीवन िवVा : एक पBरचय। इन सभी वाQय का �योजन मनु[य म! ही �मािणत होना ह।ै अEययन तो समझदार मानव ही कराएगा अथा�त् समझदार मानव स ेही अEययन साथ�क होगा। जीवन िवVा िशिवर. म! यह कराया जाता ह।ै मानवीय िशRा सं%कार क6 अवधारणाL को \दयंगम करना आव7यक ह ैिजसके साथ मानवीय मू]य, चBर? और नैितकता �मािणत होना आव7यक रहगेा। हर मानव जीने म! समझदारी को �मािणत करेगा। स-पूण� वाQय सूचना ही ह ैन �क �माण। इसके साथ यह भी मरेी %वीकृित ह ै�क सभी मं?, यं? और पु%तक. स े��येक जागृत मानव बड़ा ह।ै अतएव मानव सहज समझदारी के िलए ही स-पूण� वाQय �%तुत ह।ै यह �माण पर-परा म! ही मानव वैभव सहज होगा, यह मेरा िव^ास ह।ै

    ए. नागराज �णेता एवं लखेक -मEय%थ दश�न, सह-अि%त�ववाद

    पो. अमरकंटक, @ी नम�दा मं�दर के सामन ेिजला शहडोल (मEय �दशे)

    * ��थ: मानवीय आचरण स�ू, जीवन िव�ा काशन, अमरकंटक | लेखक: ए नागराज

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    सबंोधन करने वाले (�बोधक) के �लए सचूना

    परचय �श�वर मD रखने का _म सामाYय Jप मD

    आज तक के जीवन �व3या �श�वरc मD १) Iयिfत, २) परवार, ३) समाज, ४) �कृ+त ‘-

    ऐसे ४ *तर पर Iयव*था’ Jप मD �योग ^कया जाता/गया है| अथवा: १) *वय,ं २) शर�र

    के साथ, ३) परवार, ४) समाज, ५) �_+त, ६) अि*त9व ऐसे ‘६ *तर पर Iयव*था’ Jप

    मD �योग हुआ है|

    इस लेख मD

    १) *वय,ं

    २) मानव संबंध (परवार, समाज),

    ३) शषे-�कृ+त संबंध (तीन अव*था) एवं

    ४) अि*त9व के Jप मD रखा हZ|

    - नो�स का उपयोग करते समय इसको �यान मD रखD|

    इसके अलावा, व*त ुको

    १) *वयं [जीवन ान ]

    २) स.पूण8 अि*त9व [अि*त9व दश8न ान ] एव ं

    ३) जीना, संबंधc को समझना – [ मानवीयतापूण8 आचरण ान ]

    - ऐसे “३ ान �वधी” के Jप मD भी रक सकते हZ|

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    अनPुमाQणका (Contents)

    क भ�ूमका:�श�वर क) आवLयकता, �श�वर fया है, शोध व*त,ु शोध �व:ध| 11 1 Aवयं को समझना: Uयि:त म8 UयवAथा

    1.1 मानव = *वय(ंमZ) + शर�र [आवLयकता, ^_या, काय8_म �भYन] 35 1.2 *वय(ंमZ) मD Iयव*था 48 1.2.1 कoपनाशीलता(4.5 ^_या) – परचय, काय8, Iय*तता एवं सम*या 51 1.2.2 उपाय: समझ क) आवLयकता: जीवन, मानव संबंध, �कृ+त संबंध, अि*त9व 63 1.3 शर�र के साथ Iयव*था – *वा*य | आवLयकता +निLचत - सम3ृ:ध 72

    2 मानव-मानव स/बXध: [परवार, समाज मD Iयव*था]

    [2a.1] परवार म8 UयवAथा 83 2a.1.1 मानव सबंधं – एक वा*त�वकता 87 2a.1.2 सबंधं मD 9 *था�पत मoूय: �वLवास, स.मान, *नेह.......�ेम | 9 �शWट मoूय 89 2a.1.3 परवार का *वप: fयc, fया, कैसे? | 7 सबंधं: परवार मD ३ सबंधं | Yयाय 108

    [2b.2] समाज म8 UयवAथा 111 2b.2.1 मानव लVय: समाधान, सम3ृ:ध, अभय, सह-अि*त9व 115 2b.2.2 ५ आयामी योजना: �शRा, *वा*य, उ9पादन, �व+नमय, Yयाय 116 2b.2.3 परवार, समाज का अगं है |अखंड समाज, साव8भौम Iयव*था | सामािजक +नयम 126

    3 मानव-�कृ�त स/बXध: �कृ�त म8 UयवAथा 132 3.1 �कृ+त = पर*पर पूरक; �9येक इकाई मD Jप-गुण-*वभाव-धम8| �ाकृ+तक +नयम 134 3.2 ४ अव*था: व*त,ु ^_या, *वभाव, धम8, अनुषंगीयता | �मत, जागतृ मानव 136

    4 अिAतBव म8 UयवAथा: सह-अि*त9व

    4.1 अि*त9व = सह-अि*त9व = Iयापक मD संपfृत �कृ+त 142 4.2 सहअि*त9व, �वकास_म, �वकास, जाग+ृत_म, जाग+ृत, भौ+तक-रासाय+नक ... 144

    -- �श�वर, सारांश| समझ = जीवन ान, अि*त9व दश8न ान, मानवीयतापणू8 आचरण ान 147

    ***** पर�श%ट (Appendix) *****

    (a) महBवपणू� जानकार' a.1 आगे के �लए माग8दश8न: ‘करना :या ह?ै’- �श�वर, प*ुतक, अ�ययन �व:ध... 152 a.2 कुछ Gटपणया ँ 154 a.3 म�य*थ दश8न वांगमय क) सचूी:- दश8न, वाद, शा*�, स�ंवधान, अYय 160 a.4 आगे समझने क) व*त,ु �श�वरc के *तर-२, ३, ४ एव ं“अ�ययन �ePया” 165

    (b) अXय जानकार' 171 b1 समझने के _म मD एक Iयिfत क) या�ा... 172 b2 �*ता�वत �वकoप: �शRा, सामािजक धारा एव ंवाद-�वचार मD 173 b3 �च�लत शnद-अथ8 178

    b4 मु;य श

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    (�श�वर क- आव!यकता)

    रखने का Pम - म;ुय gबदं ु

    • वत8मान जीने पर चचा8|

    o +नWकष8 - हम अतृत हZ |

    • सम*या ४ *तर पर है (Iयिfत, परवार, समाज, �कृ+त)| अतृती के कारणc पर चचा8 |

    o +नWकष8 – मानव को समझ नह�ं पाना| सम*या का मूल कारण = मानव | मानव पर काम करना है

    • मानव मD सम*या के कारणc पर चचा8 (मानव को नह�ं समझने के बारे मD चचा8): अ*पWटता: लVय मD, काय8_म मD या करने मD

    o +नWकष8: *वयं का, मानव का लVय *पWट नह�ं है |

    • लVय *पWटता के �लए समझ-संबंध-सु�वधा पर चचा8

    o अhयास 1: सु�वधा के अलावा सूची | इतने को पूरा करने के अलावा हम आज कुछ नह�ं कर रहे है

    o +नLकाष8: सु�वधा आवLयक है, पूरा नह�ं| सह� समझ, संबंध क) आवLयकता| समझ से उभय सुख, उभय सम3ृ:ध | आज समझ पर �यान

    नह�ं है

    • समझ पर चचा8

    o +नWकष8: समझ हमार� मूलभूत आवLयकता है |

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    i) ifjp;: उपलिnधया ँ,oa �येय (Achievement and goals)

    ii) चचा�: D;k vki r`Ir gSa \ D;k leL;k,a हZ \ vkids vklikl D;k leL;k,a gS \

    O;fDr Ikfjokj Lkekt izÑfr --------------- --------------- ---------------

    --------------- --------------- ---------------

    --------------- --------------- ---------------

    --------------- --------------- ---------------

    vr`fIr vr`fIr vr`fIr vr`fIr

    bls ,slk fy[k ldrs gSa

    fu"d"kZ %& Ekkuo ij dke djuk gSA

    वत8मान ि*त:थ पर चचा8: समाधान का अभाव| उदाहरण:लोहे को समझे हZ, पानी को समझ े

    हZ.....जहाँ +नयम समझ मD आया हZ, वहाँ सम*या नह� ंहै|

    inkFkZ

    izk.k tho

    Ekkuo

    ifjokj lekt

    Ekkuo—r O;oLFkk

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    iii) ;g leL;k,a D;ksa gS \ ¼Ekkuo esa कहाँ ह?ै½

    Desire/goal How to do/ program Action

    leL;k ;k rks 3] 2 ;k 1 esa gSA

    चचा8: Gदन भर कुछ चलत ेरहता हZ, ऐसा कJँगा, कुछ हो जाएगा..बचपन से बढुापे तक

    � आप D;k pkgrs gS ;g Li"V gksuk gSSA

    blds fy, izLrko gS

    lqfo/kk

    Ekkuo ds fy, vko’;d gS, परूा ugha

    Ik’kq ds fy, vko’;d gS, परूा भी

    1- lq[k 6- ---------------- 2- laca/k 7- ---------------- 3- lEeku 8- ---------------- 4- izse 9- ---------------- 5- Lo;a dks tkuuk 10- ---------------

    xk; ?kkl [kkdj r`Ir gks tkrh gSA D;k vki ,sls r`Ir gks tkrs gS \ ¼dsoy [kkus ls½

    * यह �Lन पछूना इसी�लए मह9वपणू8 है, fयc^क हम आज मान चुके है ^क ‘केवल

    स�ुवधा से सब कुछ होगा’| परू� आधु+नकता, �वान, इसे ह� को �ो9साहन दे रहा है|

    इसके अलावा “और कुछ” है या नह�ं इसको पता करDगे

    इतने को परूा करने के �लए vki vkt D;k dj jgs\

    * अhयास-१: ge lqfo/kk ds vykok D;k pkgrs gS \ ¼lwph cuk,a½

    1- चाहना\ ¼Yk{;½

    2- dSls djuk gS\ ¼fn’kk½/काय8_म

    3- djuk (dk;Z O;ogkj)

    4- Qy&ifj.kke ¼vr`fIr½

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    Q

    Q

  • �ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंहै)

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    iv) vr% lqfo/kk ds vykok gesa pkfg,

    • vkids ifjokj esa tks Hkh leL;k gS] og lqfo/kk ds vHkko es T;knk gS ;k laca/k dsa \

    • vki viuk le; lqfo/kk ds fy, fdruk vkSj laca/k ds fy, fdruk yxk jgs gS \

    • ;g rhuksa pkfg, ;k buesa fdlh ,d dks NksM+k tk ldrk gS \ fया 3)स�ुवधा से 2)सबंधं

    और 1)समझ आएगा?

    • vxj rhuksa pkfg, rks D;k ojh;rk gksxh \

    v) आज क- िAथ�त:

    • vkt ds समय, अपने बjचc ds fy, ge D;k lqfuf’pr dj ik jgsa gS \ 18 lky i

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    स�ुवधा म8 • le> ds vHkko esa ge vko’;drk dks Hkh Bhd ls igpkurs ugha vr% lqfo/kk gksrs gq,

    Hkh le`f) dk Hkko ugha gksrkA tSls fcuk iasnh dk fXkykl es pkgs ftruk दधू Hkjas] dHkh Hkjsxk ugha

    o चचा8: आपमD से ^कतनो लोगc को पता है क) उनके पास ^कतने जोड़ी कपड ेहै?

    –इनमे से ^कतने क) आवLयकता है? – fया आपमD यह सम3ृ:ध का भाव है?

    le`f) ls nwljs dk iks"k.k lnqi;ksx vko’;drk,a fuf’prA nfjnzrk ls nwljs dk 'kks"k.k laxzg vfuf’pr vko’;drk,a

    � द+ुनया मD 2 izdkj ds yksx gSA: 1- lk/ku foghu nq[kh nfjnz (SVDD)

    2- Lkk/ku lEiUUk nq[kh nfjnz (SS DD) vkt dk lekt yksxks dks ‘1’ ls ‘2’ esa LFkkukUrfjr djus dh ckr djrk gSA सारा “�वकास”

    इसी �यास मD लगा है| gksuk gS सभी को, ‘3’ esa: 3- lk/ku lEiUu lq[kh le`) (S S S S)

    • आज साधन क) कमी आध+ुनकता क) उपज है| हर बjचे को अ�भभावक १५ वष8 पढात ेहै,

    खलात ेहै – तब तक 1) समझ को स+ुनिLचत ^कया जा सकता है

    संबंध म8 • सबंधं को अनदेखी करके चलत ेहै| रोज तय करत ेहै, ^क आज नह�ं लडूगंा, ठ£क से

    रहँूगा, शाम तक और ह� कुछ हो जाता है| आप करना नह�ं चाहत ेहै, ऐसा नह�ं है,

    ले^कन कर नह�ं पात ेहै|

    • सारा समय दसूरे को +नपटाने का सोचत ेरहत ेहै|

    • हमार� �शRा इसी क) training दे रह� है| �+त*पधा8 के चfकर मD सारा समय दसुरे पर

    �यान रहता है| ‘पड़ोसी जो खा रहा है, वह� खाना है| मझुे अपने पड़ोसी से यादा

    खाना है|’ – सम*या, fयc^क पड़ोसी ^कतना खायेगा, इसका पता नह�ं ! fयc खा रहा

    है, उसको भी यादा पता नह�!ं

    1) समझ के @बना 2) सबंधं और 3) स�ुवधा अ+त_मणा9मक (violative) हो सकत ेहै|

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    • आज के समय मD हमने 1) समझ को और २) सबंधं को परू� तरह अनदेखा ^कया हुआ

    है, और यादा समय ३) स�ुवधा के �लए लगाया हुआ है|

    • यह चीजD आपके �लए मह9वपणू8 है या नह�?ं fया आप इसक) जाँच आज कर रहे है?

    • स�ुवधा होने से हम आLव*त है, ऐसा भी नह�ं है – इसमD भी हम तहलका मचा के रखे

    है|

    vi) भय ^कससे है?

    • dkSu lk Hk; T;knk gS ?

    • ge dgkW dke dj jgsa हZ \

    • vkt tho gels Mjs gq, gS ¼taxy esa cksMZ yxk है&oYय izkf.k;ksa dh j{kk djas½

    • vr% Ekkuo-Ekkuo laca/k मD Hk; vf/kd gSA ¼Ekkuo esa vEkkuoh;rk dk Hk;½

    • आप आज कहाँ जी रहे है? मा� ३) के साथ, २ के साथ, अथवा तीनो [1) समझ, 2)

    सबंधं, 3) स�ुवधा] के साथ?

    fu"d"kZ %& (1)-le> ds fcuk (2)laca/k vkSj (3) lqfo/kk laHko ugha gS

    Ekkuo esa Hk;

    2- tho ls

    1- izkÑfrd nq?kZVuk ls

    3- Ekkuo ls

    Q

    Q

    Q

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    vii) 1चl म8 जोड़8:: जीव चतेना और मानव चेतना

    - केवल 3) स�ुवधा के साथ जीना = जीव चेतना मD जीना

    • (fयc^क जीव/पश ुभी इतना तो कर ह� रहा है| हम उसी को �वक�सत Jप मD कर रहे

    है: गाय सीधे खाती है, हम लेट मD डाल कर खा रहे है)

    -

    - 1) समझ, 2) सबंधं, 3) स�ुवधा: तीन2 के साथ जीना = मानव चेतना | • ;g le> D;k gS] blds ge vf/kdkjh gks ldrs gSa fd ugha ;g ge bl f’kfoj esa

    'kks/k djsaxsA

    2- laca/k

    1- le>

    3- lqfo/kk

    ekuo psruk

    tho psruk

    fu"d"kZ & gesaa Ekkuo ij dke djuk gSA & Ekkuo esa le> vkSj laca/k ds i{k ij dke djuk gSA & le> Ekkuo dh ewyHkwr vko’;drk gS

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    �श�वर :या ह ै?

    रखने का Pम - म;ुय gबदं ु

    • *वयं मD संवाद क) �^_या: जो है और वा*तव मD जो होना चाहते हZ

    o इसमD अतं�व8रोध ह� दःुख है |

    • *वयं को समझना, अि*त9व को समझना, संबंध को समझना, तदनुसार जीना

    • +निLचत आचरण – *वयं मD संगीत, अि*त9व के साथ संगीतपूव8क जीना, Iयव*था मD जीना

    • *व9व-*वतं�ता-*वराय

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    • esjs vki ds chp laokn ds :Ik esa 'kq: gksrk gS fQj vki gh ds vanj laokn gksrk gSA • D;k vkt] okLro esa tks gksuk pkgrs gSa] oks gSa \ • bu 7 fnuksa esa] ge tks okLro esa gksuk pkgrs हZ, mls irk yxkus dk iz;kl djsaxsA

    • vki ds fy, D;k lgt gS \ laca/k iwoZd thuk ;k fojks/k esa जीना ?

    • vkt D;k gS \ एlk gS ;k इसका �म0ण-mix gS \

    o f’kfoj dk mn~ns’; gS vkiesa ;g laokn 'kq: gks tk, A

    o nksgjk O;fDrRo dks (split personality) dgrs हZ | ge tks हZ] vkSj okLro esa tks gksuk pkgrs gS

    blesa nwjh gh nksgjk O;fDrRo gSA

    o vki vxj laxhr esa हZ] rks lq[kh हZ, vU;Fkk nq[kh हZ |

    o ckgj ls gesa nq[kh होने dh vko’;drk ughsa gS] ge vius esa blds fy, vkRe fuHkZj हZA

    बाहर� वातावरण यGद ठ£क भी हो, हमारे अदंर जो अतं�व8रोध है, बाहर +नकलकर आत ेह� है|

    • vki bls tkWp dj nsa[kasA tc bl rjg varfoZjks/k gS] D;k vkiesa lkeatL; होगा \

    • tc lkeatL; gS] rc lq[kh gS ;k vU;Fkk सखुी gS \

    • ge tks gS, और वा*तव esa tks gksuk pkgrs gS] blesa nwjh gS, ;g laxhre; gksuk gSA

    • *वयमंD सगंीतमयता होने के �लए, हमD *वय ंको पहले समझना होगा, अ�ययन करना होगा

    • vkt dh �श{kk *वय ंके ckjs मD, *वय ंमD सगंीतमयता के बारे मD ckr ugha djrh gS tcfd

    gekjk lkjk lq[k] nq[k blh ij fuHkZj करता gSA

    हम Aवयकंो, अपने आप को अनदेखी करके चल रहे ह,ै जबeक जीने वाला म> Aवय ंह' हँू!

    ge tks gSaA okLro es tks gksuk pkgrs हZ|

    cnyrk jgrk gS 'kk’or gS, यथावत है ¼laokn½

    ;g varfoZjks/k gh nq[k gS

    3- ;g Lo;a esa, *वय ंdh 'kks/k dh çfØ;k gS] *वय ंdks le>us ,oa *वय ंds

    fodkl dh çfØ;k gSA ¼ *वय ंdk v/;;u½

    1- ;g laokn dh çfØ;k gSA

    ;g f’kfoj D;k gS ?

    Q

    Q

    2- ;g हम ‘आज जैसे हZ’, और ‘वा*तव मD जो होना चाहत ेहZ’ - मD laokn dh çfØ;k gSA

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    • Aवय ंको जानने के साथ, हम Aवय ंके मा�यम से ह' स/पणू� अिAतBव (चार2 अवAथा, और

    जो भी ह)ै, को जानत ेह|ै

    • vkt dh �श{kk eas यह leL;k है ^क vfLrRo ds v/;;u dh ckr करत ेgS] *वय ंds

    v/;;u dh ckr NksM+ देत ेgSA • blfy, gekjs esa tks ekU;rk gS] gekjs esa tks varfoZjks/k gS] og vfLrRo esa gS] ,slk gesa

    yxrk gSA

    • vkt dk foKku *वय ंdks NksM+ dj ckr djrk gS] tcfd foKku ds ckjs esa ckr djus

    okyk eS ¼ *वय½ं ह� हँू |

    • rks gekjs vanj tks jax gS] vfLrRo mlh ls jaxk gqvk yxrk gS • ges okLrfodrk dks tSlk gS] oSlk ns[kuk gS] le>uk gSA • आज हम अपने ¦िWट के अनसुार सिृWट को बदलने जात ेहै, तो वह होता नह�|ं

    • इसे vkids vykok nwljk dksbZ dj ugha ldrkA dksbZ �वशषे पढ़ाई, rडMी (degree) ugha

    pkfg,A blds fy, vki Ekkuo gSa, bruk Ik;kZIr gS • ;g izLrko ckgj ls fn;k tk jgk gSA vki ds fy, rc mi;ksxh gksxk tc इसको s] vki

    Lo;a, vius vf/kdkj ij tkapsaxs |

    • *वय ंको जानकर, अि*त9व को जानकर, हम अि*त9व के हर इकाई के साथ अपने सबंधं

    को समझत ेहै और उसके अनसुार जीत ेहै

    • vkt ds fnu] ge bu laca/kks dks dqN vkSj ekus gq, gSaA fuokZg djus tkrs gS rks lQy ugha gksrsA tSls & Ekkuo ds lkFk laca/k & thokas ds lkFk laca/k & izk.k ¼isM+ पौधcs½ ds lkFk laca/k

    & inkFkZ ¼feV~Vh iRFkj½ ds lkFk laca/k

    • चचा�, उदाहरण: �9येक पर

    4- ;g *वय ंdks tkuus dh o Lo;a ds ek/;e ls laiw.kZ vfLrRo dks tkuus dh

    çfØ;k gSA (मानव, एव ं�कृ+त समM को समझना)

    5- ;g *वय ंvkSj mlds lkFk vfLrRo dh gj bdkbZ ds laca/k dks igpkuus vkSj

    fuokZg djus dh çfØ;k gSA +निLचत मानवीय आचरण – मानव संबंध, �कृ+त

    संबंध को पहचानना

    tSlh n`f"V oSlh l̀f"V \ tSlh l̀f"V oSlh n`f"V \

    Q

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    • वाAतव म8 यह सबंधं कैसे ह,ै इस �श�वर म8 हम पता करने का �यास कर8गे

    �नि!चत मानवीय vkpj.k

    अि*त9व के हर इकाई के साथ सबंधं को जान �लया, उस समझ के अनसुार हम जीत ेहै, तो

    वह +निLचत आचरण (Iयवहार) होता है | इसको हम ‘मानवीय आचरण’ कहDगे |

    • vkneh dks NksM+dj vfLRkRo esa gj bdkbZ ,d fuf’pr vkpj.k esa gSA ge vkpj.k ls gh fdlh pht+ dks igpkurs हZ |

    tSls & uhe dk uheRo & xk; dk xk;Ro & yksgs dk yksgRo

    • vxj Ekkuo ls iwNsa rks og Hkh +निLचत vkpj.k pkgrk gSA

    tSls & vki fuf’pr vkpj.k pkgrs gS ;k vfuf’pr vkpj.k ? आज fया हZ?

    & ;g vfuf’prrk हम जो है, और okLro esa tks gksuk pkgrs gS] mlesa nwjh ds dkj.k gh gS

    & fuf’prrk esa ह� fujarjrk gksrh gSA

    उदाहरण:

    • बjचा *कूल से आता है, तो माँ उसे मारती है: कपड ेगदें थ:े बjचा समझ नह�ं पाता

    है, ^क इसको हो fया गया?

    • प+त सबुह ऑ^फस जाता है, शाम को :चड़:चड़ाता हुआ लौटता है: प9नी को समझ मD

    नह�ं आता है ^क इसक) तकल�फ fया?

    Lo;a esa laxhr vfLrRo ds lkFk laxhr

    • ऐसा यGद समझकर जीत ेहै, तो *वय ंमD भी सगंीत मD होत ेहै, और स.पणू8 अि*त9व

    के साथ सगंीतपवू8क जी पात ेहै

    • tks lgha gS og gekjs fy, lgt gSA tks lgt gS gedks Lohdkj gksrk gSA gekjs fy,

    tks lgt-*वीकार gS ge mldh enn ysaxs bl f’kfoj es lgha dks le>us ds fy,

    7- ;g Lo;a esa laxhr vkSj laiw.kZ vfLrRo ds lkFk laxhriwoZd thus dh çfØ;k gSA

    Q

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    Lo;a es O;ofLFkr gksrs gS] rks nwljs ds lkFk O;oLFkk esa th ikrs gSA

    • O;oLFkk ds fy, dke dj ikrs gSA

    • og LojkT; ds fy, *�ोत curk gSA

    • bl f’kfoj esa ge phtksa dks Lo;a ds vf/kdkj ij tkWpsaxs] जानने का �यास करDगेA

    • ge esa ls gj ,d esa tkuus dh {kerk gS] ;Fkkor cuh gqbZ gSA समझने के �लए कोई

    �वशषे योkयता या पढाई क) आवLयकता नह�ं है| हम मानव है, यह पया8त है | इन ७

    Gदनc मD, आप वा*तव मD fया होना चाहत ेहै, कैसे हो सकत ेहै, इसे पता करने का

    �यास करDगे

    • gekjs fy, tks lgh gS] og lgt gS] gekjs fy, vkjkenk;d gSA

    • gekjh vk/kkjHkwr vko’;drk tkuus dh gSA

    • यह �*ताव आपको बाहर से Gदया जा रहा है| यह आपके �लए तभी उपयोगी होगा, जब

    आप इसे अपने अ:धकार पर जांचDगे, अYयथा यह आपके �लए बोझ बन जायेगा| हम

    यह पता करने का �यास करDगे क) यह जाचंना सभंव है क) नह�ं, और ऐसे जाँच से

    �ात उªर माYयताओं से मfुत है ^क नह�|ं

    Lo & jkT;

    Lo;a ¼dk½ oSHko ¼QSyko½

    Lo;a को जान �लया, अपने 9व’ को जान �लया,

    अि*त9व को जान �लया,

    संबंध को जान �लया,

    उसके अनुसार जी �लए,

    Iयवि*थत हो गए,

    बाहर Iयव*था के �लए

    >ोत हो जात ेहै

    Lo;a O;oLFkk gksuk

    Lo & ra= & rk Lo & 9व

    Lo;a ¼dk½ - सार

    8- ;g Lora=rk vkSj LojkT; dh çfØ;k gSA

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    /;ku j[kus dh dqN ckr 1- 'kCn vkSj vFkZ fHkUu gSA

    'kCn vFkZ

    /ofu] fyfi gSA okLrfodrk है

    • 'kCn fy[kuk@cksyuk@lquuk i;kZIr ugha gSA

    • bl f’kfoj esa 'kCnks dk iz;ksx fd;k tk,xkA ;g ,d fuf’pr vFkZ dks bafxr djrs gSA

    ;s tkus igpkus yx सकत ेgSA यहा ँbafxr fd;s tkus okys vFkZ को le>us dk Izk;kl

    djasA

    • bu 'kCnks dk vkius vius esa vkSj dqN eryc tksड़k हो ldrk gSA उसेs ¼iwoZ ekU;rk

    को½ chp esa ना लाए | tks Hkh rqyuk djuk gS ckn esa djsaA

    2- 'kCn ns[kuk] lquuk] vkSj /;ku ls lquuk vyx vyx gSA

    dsoy 'kCn lquuk hearing

    /;ku ls lquuk listening

    'kCn lquk vkSj mlh ds lkFk iz'u cuk fy;k vFkZ rd igqWpus dk iz;kl

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    शोध वAत,ु शोध �व1ध �ारंभ

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    शोध वAत,ु शोध �व1ध

    रखने का Pम - म;ुय gबदं ु

    • 1) शोध वAत ु

    1.1 चाहना? लVय? -fयc जी रहे है?

    1.2 करना? काय8_म? 1.3 कैसे जीना

    • 2) शोध �व1ध:

    o मानना नह�,ं जांचना है | अपने अ:धकार पर | सहज-*वीकार है ^क नह�ं | जीकर देखना है |

    o �Lन को *वय ंमD पछूना है, बाहर नह�ं | उदाहरण: स.मान या अपमान?; �वLवास या

    अ�वLवास?

    o हमारे �लए जो सहज है, वह शाLवत है, बदलता नह�ं |

    o Iयव*था ह� हमD सहज-*वीकार है | उदाहरण: दखुी *मरण भलूना चाहत ेहै | �वरोध सोचने से दखुी होत ेहै

    o सम*या अि*त9व मD नह�,ं �कृत मD नह�,ं बाहर नह�,ं हमारे मD है |

    o अि*त9व मD सह� को जानने क) स.भावना है |उसे +नमा8ण नह�ं करना है | सगंीत पवू8क जीने का �ावधान है | पहल� बार हम authentic (�वश3ुध, �ामाणक) हो पात ेहै

    • 1) शोध वAत:ु 1.1: लqय:

    o अhयास १ : chart(स�ुवधा के अलावा आवLयकता): इन सबसे fया चाहत ेहै (सखु)

    o लqय = सखु, �नरंतर

    o सखु, दःुख, परभाषा

    • 1) शोध वAत:ु 1.2: काय�Pम:

    o सखुी होने का *तर: ४ (Iयिfत, परवार, समाज, �कृ+त)

    o इनमे से कुछ जोड़ना-घटाना है?

    o सखु-दःुख चार *तरc पर है, इनमे UयवAथा समझना ह,ै जीना ह ै

    • 1) शोध वAत:ु 1.3: कैसे जीना:

    o समाधान, सम�ृ1ध

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    1 शोध oLrq (content of study)

    1-1 pkgUkk \ y{; \ - D;ksa th jgs gS \

    1-2 dk;ZØe \ - fया करना है?

    1-3 dSls thuk gS \

    • D;k gekjs fy, ;g iz’u egRoiw.kZ gS \

    • /;ku ls nsf[k;sA gekjs thus ds 3 lcls egRoiw.kZ iz’u gS

    • vxj ;s 3 iz’uks ds mRrj gekjs ikl miyO/k gks] rks D;k egRoiw.kZ iz’u cprs gS \

    • vkt geus dskbZ y{; ekuk gqvk gS] dk;ZØe ekuk gqvk gS

    • system us dqN dk;ZØe ekuk gqvk gSA

    2- शोध fof/k 2-1 izLrko gS & tks Hkh dgk tk jgk gSA ekus ugha

    tkWpas: & vius vf/kdkj ij

    • 'kkL= ds vk/kkj ij ugha x • ;a= ds vk/kkj ij ugha x • nwljs ds vk/kkj ij ugha x

    2-2 tkWpsa – अपने अ:धकार पर

    Lkgt-Lohdkj \

    izLrko जीकर देख/ेजीने मD आये

    O;ogkj - Ekkuo ds lkFk

    dk;Z - izÑfr ds lkFk

    mHk; lqq[k mHk; le`f)

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    1) अपने पर �यान

    • iz’u dks vius मD पछूना है, ckgj ugha A

    • viuh gh ckr djuh gSA • ge lHkh bls dj ldrs gS |

    • mnk- 1- vkidks O;ogkj esa lEeku Lohdkj gS ;k vieku \

    2- fo’okl Lohdkj gS ;k vfo’okl\

    • gekjs fy, tks lgt gS] og gesa Lohdkj gksrk gSA tSls& xqLlkA izkÑfrd ugh gSA D;ksfd

    gesa Lohdkj ugh gksrkA ge mldh fujarjrk pkgrs ughaA

    • fया जलन का भाव होना सहज है?

    • gekjs fy, tks lgt gS] gekjs esa 'kk’or gS] ;Fkkor intact, invariant gS&cnyrk ughaA

    • vkt Hkh] lgha xyr dk geas blh ls irk pyrk gSA

    ii) जांच: tkWp & vxj dqN lgt-Lohdkj gS, ysfdu thus esa mHk; lq[k] le`f) ugha gqvk rks mls ekfu;s ugha] [kqyk j[ksa, tkaprs jfg,A mnkgj.k 1 tSls gedks O;ogkj esa lEeku lgt gS] Lohdkj gksrk gS ijarq blds vuqlkj thus

    से mHk; lq[k ugha gksrk gSA mls ekfu;s ugha tkWprs jfg,A vr% ;k rks lEeku iwoZd thuk gekjs fy, lgh ugh gS] ;k ge lEeku dks vkSj dqN ekus gSA tks okLro esa ugha gSA

    mnkgj.k 2 dbZ चीजD thus esa rks vPNh yxrh gS ij ge mls Lohdkjs ugha jgrsA tSls

    dkWyst ds fe=ks ds lkFk xkyh xykSt ds lkFk ckr djuk vPNk yxrk gSA yxrk gS blls mHk; lq[k gSA ijarq ;g gekjs fy, lgt Lohdkj ugha gSA ge bldh fujarjrk ugha pkgrsaA

    iii) UयवAथा सहज-Aवीकार ह ै

    • gekjs ikl dksbZ nq[knk;h Lej.k gS rks ge mls Hkwyuk pkgrs gSA mldh fujarjrk ughsa pkgrsA

    • vO;oLFkk dhs lksp ;k Lej.k gesa Lohdkj ughsA blfy, D;ksafd gesa vO;oLFkk lgt ughaA O;oLFkk क) lksp esa gh ge vkjke esa gSA

    o ge tSls gh dksbZ xyr@fojks/kh ckr lksprs gS] mlh {k.k nq[kh gksrs gSA mlds vk/kkj ij O;ogkj djrs gSA fQj nq[kh gksrs gSaA

    • leL;k vfLrRo esa ugha gS] izÑfr esa ugha] leL;k Ekkuo esa gSA

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  • �ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंहै)

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    • Ekkuo O;oLFkk esa gksuk pkgrk gS] उसे Lohdkjrk gS] gks ugh ikrk, ;gh nq[k gSA fu"d"kZ % O;oLFkk esa gksuk gh Ekkuo ds fy, lgt gS mlh dks Ekkuo Lohdkjrk gSA 1- tc vki esa vieku dk Hkko gksrk gS] rks आप lq[kh gksrs gS ;k nq[kh \ 2- tc vki vieku ds Hkko dks O;Dr djrs gS] rks D;k gksrk gS \

    ge ,sls le>rs gS] rks vk’oLr gksrs gS] ,sls thrs gS] rks vk’oLr gksrs gSA tSls & fo’okl le> esa vk x;k] rks mlds fy, vyx ls Je ugh djuk iM+rk gSA og

    gekjs ls cgrk gS

    • vkt ds fnu ge vU;Fkk ��शQRत ¼Vªsua½ gksus ds fy, iSls nsrs gS tSls eSustesaV esaA • आज पसैा देकर दसुरे पर शासन करना सीख रहे है|- जब^क यह हमारे ह� दःुख का

    कारण बन जाता है|

    • 'kadk] vfo’okl ls ge mlh {k.k nq[kh gksrs gSA vxj tyu lgt gS] og geas Lohdkj gksxkA ge mldks fujarj pkgasxsA ijarq Lohdkj ugha gksrkA fujarj tyu esa ge jg ugha ldrsA vr% Dys’k gekjs fy, lgt ugha gSA

    • nwljk esjs जैसा gS] ;g vxj fn[k x;k rks ge mldk 'kks"k.k ugh djsaxas

    • vkt gekjs ikl ‘gekjk viuk’ dqN Hkh ugha gSA fo’kq)@izkekf.kd gksuk m/kkj@udy djuk authentic¼,Sls gksuk gS½ borrowing ¼,sls gS½

    iv) अिAतBव:

    • vfLrRo esa laxhriwoZd thus dk izko/kku gSA अि*त9व मD कोई सघंष8 नह�ं है| अि*त9व

    मD सगंीतमयता है| उसे मZ समझ सकता हँू| समझता हँू, तो सखुी होता हँू – ऐसे सखुी

    होकर सगंीतमयता मD जीता हँू |

    • सम*या अि*त9व मD नह�ं है, सम*या �कृ+त मD नह�ं है: सम*या मानव मD है: मानव ह�

    Iयव*था मD नह�ं है| होना चाहता है, - समझ पवू8क हो सकता है |

    • vfLrRo esa lgh dks tkuus dh laHkkouk gSA mls fuekZ.k ugh djuk gS

    * इसी के साथ यह वAतु साव�भौम ? साव�का�लक ह> :या? इसक- जाँच करना ह|ै

    [(i) साव�भौम, ( ii) साव�का�लक, ( iii) जीने म8 आये, (iv) समझा सके]

    • bl शोध �व:ध ls ge शोध oLrq 1-1) pkguk; 1-2) dk;ZØe; एव ं1-3)thus dk Lo:Ik] dks tkpsaxs

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  • �ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंहै)

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    1.1) pkguk@y{;: D;ksa th jgs gS \

    a) �!न: आप :य2 जी रहे ह?ै

    अhयास – १ : सु�वधा के अलावा आवLयकता:

    lqfo/kk ds vykok gekjh vko’;drkvksa dh जो lwph बनी है, उसे ns[ksa: इन सब मD fया चाहत ेहै?

    1- lq[k 2- laca/k 3- lEeku ls lq[k vr% lq[kh gksuk gh pkgrs gS 4- izse 5- fo’okl

    • D;k ,slk dksbZ dk;ZØe@txg gS ftlls ge lq[kh ugha gksuk pkgrs gS? lq[k dSlk@fdruk pkfg, \ gj iy] gj {k.k & fujarj lq[k

    • gesa lius esa Hkh nq[k Lohdkj ugha gSA ewy pkgr ¾ y{; ¾ fujarj lq[k

    • D;k gj Ekkuo ds fy, tUe ls ,slk gh gS] ;k bls vyx ls fl[kkuk iM+rk gS \ lq[k =

    • eS िजस fLFkfr] ifjfLFkfr esa gwW, यGद mlesa lkeatL; gS] laxhr gS, rks ,slk thuk eq>s Lohdk;Z gSA bl laxhr esa thuk gh lq[k gSA

    • अथवा, “LohÑfr ds Hkko esa thuk gh lq[k gS”A

    आपके �लए सखु-दःुख क- यह परभाषा सह' ह,ै या नह',ं पता क-िजये?

    nq[k = • यGद varjfojks/k gS, rks ,slk thuk eq>s Lohdkj ugha gksrkA bl vLohÑfr ds Hkko esa

    thus ds fy, ck/; gksuk gh nq[k gSA • अथवा, vLohÑfr esa thuk] varfoZjks/k esa thuk gh nq[k gsA

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  • �ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंहै)

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    b) सखु के उदाहरण, चचा�:

    • varfoZjks/k esa thus ds dqN mnkgj.k

    1) ,-lh- esa cSBs gS ij lkFk eaas cSBk O;fDr ilan ugha gSA 2) कोई बठैा भी नह�ं है, *वय ंमD ह� �वरोध का �वचार बना ..

    3) स�ुवधाएं इक�ठ£ कर �लये, सबंधंc को अनदेखी ^कये है| सबंधं ठ£क नह�ं है, तो

    स�ुवधा का भी बँटवारा हो जाता है

    4) बGढ़यां स�ुवधा घर मD उपलnध है, सबंधं मD परेशानी है: वह Gदन कैसे बीतगेा?

    5) तलाक देने का अ:धकार है, या सबंधं मD जीना अ:धकार है? fया सहज-

    *वीकार होता है?

    6) �वLवास पवू8क जीना हमार� मलूभतू आवLयकता है| और बjचे को �सखात ेहै:

    ‘^कसी पर �वLवास मत करो’ – बjचा अपने �पता से शJु करता है!

    7) ‘जीना एक सघंष8 है’|

    8) इस सब के रहत,े भगवान को काम सपत ेरहत ेहै: ‘यह करो, यह मत करो,

    उसको +नपटाओ...’ चचा�: आज के =दन:

    • मZ सखुी होना चाहता हँू, यह भी हमको बहुत *पWट नह�ं है|

    • कह�ं न कह�ं भागे जा रहे है: कहाँ जा रहे है, fयc जा रहे है, इसका कोई अता पता

    नह�ं है|

    • सारा काय8_म बाहर से तय हो रहा है:

    • उदाहरण:

    • सेल फोन के एड मD कुªा आ जाता है: �यान (meditation) करत ेसमय: यहाँ भी चैन

    से बठैने नह�ं देत!े

    • अ*पताल: Dont worry, get your heart checked up in 5 mins! – भागे जा रहे है, इसमD

    heart सम*या हो रहा है !...

    1.2) कायP� म, 1.3) कैसे जीना? eS fdl fLFkfr ifjfLFkfr esa thrk gWw?

    pkj Lrj ij leL;k,a gS] bls ge igys ns[k pqds gS% brus ls eS tqM+k gWw ;g esjs lq[kh nq[kh gksus dh txg gs

    • O;fDr esa • ifjokj esa • lekt esa • izÑfr esa

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    उदाहरण/चचा8: ४ *तर पर ^कसी मD भी सम*या होने से दखुी होत ेहै gekjk lkjk lq[k nq[k bu pkj Lrjksa ij gSA D;k blesa dqN tksM+k tk ldrk gS@de fd;k tk ldrk gS\

    bu चार2 Lrjks dks le>uk gS] blh esa thuk gS, अYयथा +नरंतर सुख संभव नह�ं है|

    सखुी होना = Aवय ंम8 UयविAथत होना, सामजंAय होना:

    • हम यह पात ेहै, क) हमार� सखुी होने क) चाहत, सगंीतमयता, सामर*यता मD होने क) चाहत

    है, Iयव*था मD होने क) चाहत है |

    • यGद हमने कोई अतं�व8रोधी बात को मान �लया है, हम फँस जात ेहै| हमार� *वीकृ+त और

    अि*त9व, इसके अनसुार नह� ंहै – इसी�लए दखुी होत ेहै | यGद हमारा �योजन अि*त9व के

    �योजन से �मलता है, तब हमD तिृतदायक उªर �ात होत ेहै

    • मानव या तो अपने मानने से चलता है, या जानने के अनसुार चलत ेहै| हमD मानने से जानने

    क) ओर जाना है

    सखुी होना और िजsासा तkृत होना: चचा�: हमारे जीने से जड़ु े३ महBवपणू� �!न

    1. म> :य2 हँू, कैसे हँू?

    2. मेरे आसपास जो भी ह>, :य2 ह>, कैसे ह>?

    3. इन सब के साथ मेरा सबंधं :या ह>? कैसे जीना ह>?

    ४ ‘Aतर’ ३ महBवपणू� �!न समझने क- वAत ु

    Iयिfत मZ fयc हँू, कैसे हँू? :

    [ मानव का अ�ययन ]

    १) *वय ंको समझना

    परवार इन सब के साथ मेरा सबंधं fया

    हZ? कैसे जीना हZ?

    [मानवीय आचरण, �योजन,

    स.पणू8 सबंधंc का अ�ययन]

    २) मानव सबंधं समझना –

    (परवार एव ंसमाज मD ) समाज

    �कृ+त ३) �कृ+त सबंधं समझना

    ४ अव*था: मानव,

    जीव, �ाण, पदाथ8

    मेरे आसपास जो भी हZ, fयc हZ,

    कैसे हZ?

    [अि*त9व समM का अ�ययन]

    ४) अि*त9व को समझना

    Q

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    अथा�त, यह सब :य2 ह?ै कैसे ह?ै समझना|

    • vr% gekjk lq[k le>us ij fuHkZj gSA le> ls gh ge ‘lek/kkfur’ gks ikrs gSA

    blh से ge सम�ृ1ध पवू8क जी पात ेgSA

    • O;oLFkk ¼4 Lrjks ij½ dks le>uk] O;oLFkk esa thuk gh lq[k gSA

    • ;gh gekjk dk;ZØe gSA

    vr% 1-1 pkguk \ y{; \ D;ksa th jgsa gS \ ¾ fujarj lq[k, सम3ृ:ध

    1-2 djuk \ dk;ZØe D;k gS \ ¾ 4 Lrj ij O;oLFkk dks le>uk vkSj thuk:

    o *वय ं (Iयिfत) o मानव स.बYध (ifjokj, समाज)

    o �कृ+त सबंधं

    o अि*त9व

    1-3 dSls thuk \ thus dk Lo:Ik ¾ ckSf)d lek/kku, HkkSfrd le`f)

    fujarj lq[k] ds fy,

    y{; 4 Lrjksa esa O;oLFkk dks le>uk vkSj thuk] 1- Iयिfत मD

    2- मानव सबंधं (ifjokj, समाज)

    3- IkzÑfr सबंधं 4- अि*त9व sa

    dk;Zdze परणाम

    बौ1धक समाधान

    भौ�तक सम�ृ1ध

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    ** सबंोधन करने वालc (�बोधक) को सचूना: �श�वर को ऊपर Gदए _म से कर सकत ेहZ, अथवा 1, 4, 2, 3 (*वय,ं अि*त9व, मानव सबंधं, �कृ+त सबंधं) – इस �वधी से भी रक सकत ेहZ

    हम आने वाले ६ Gदनc मD इन �वषयc पर चचा8 करDगे:

    Iयिfत मD • मZ fया हँू, कैसा हँू? • सखु-दःुख का मतलब fया ह?ै मेरे मD कहाँ होता ह?ै • मेरे जीने का fया लVय ह?ै मZ fया जानना चाहता हँू?

    परवार मD • मानव सबंधं fया ह?ै • इनमे अपेRाएं fया ह?ै सम*याएं fयc ह?ै • परवार fयc ह?ै कैसे ह?ै

    समाज मD • समाज का लVय fया ह?ै • इसमD Iयव*था कैसे सभंव ह?ै

    inkFkZ

    izk.k tho

    Ekkuo

    ifjokj lekt

    Ekkuo—r O;oLFkk

    1) *वयं को समझना

    2) मानव संबंध

    3) �कृ+त संबंध

    4) अि*त9व को समझना

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    • आज क) सम*याएं fयc ह?ै

    �कृ+त मD • मD fया वा*त�वकताएं ह?ै • fया इसमD कोई +नयम ह,ै या यह अ+निLचत ह?ै • अि*त9व का कोई �योजन ह ैया नह�?ं इसमD मानव का fया �योजन ह?ै

    इन सभी म3ुदc को हम अपने अ:धकार पर जाचंDगे...

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    1) Aवयं को समझना:

    1.1) Uयि:त म8 UयवAथा – �ारंभ मानव = Aवय(ंम>) + शर'र

    ‘जीवन’

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    1) Uयि:त म8 UयवAथा: मानव = Aवय(ंम>) + शर'र

    रखने का Pम - म;ुय gबदं ु

    • अhयास – २: : मानव क) आवLयकताएं: शार�रक और मान�सक

    • इन दोनc मD अतंर बताएं

    • शार�रक, मान�सक: दोनc चाGहए या ^कसी एक से मfुत हो सकत ेह?ै

    • �न%कष�: मानव को समझने के �लए दोनc को समझना पड़गेा |

    • �*ताव: मानव = *वय ं(मZ) + शर�र

    • अhयास -३: (इjछा सचूी)

    o इjछा सचूी मD *वय(ंमZ) और शर�र क) आवLयकताओं को छांटना

    o अ¯यास का अवलोकन: इjछाएं सी�मत ह;ै “मZ” से स.ब:ंधत यादा ह;ै *वय ंमD अपने इjछाओ ंके �+त अ*पWटता;

    � सारे इjछाएं समझ, सबंधं या स�ुवधा से जड़ुा ह ै|

    � हमारे सारे इjछाएं सखुी होने के अथ8 मD ह ै

    • chart1: म>-शर'र आव!यकताएं: आवLयकता, अव:ध, मा�ा, परूा कैसे होगा

    o दोन2 परूा होना ह:ै खाने पे बलुाया, स.मान नह�ं Gदया..

    o अदल –बदल होता नह'ं : खाना +नरंतर, और बीच- बीच मD अपमान ...

    o आज: मZ क) आवLयकता को शर�र से परूा करने का �यास

    • अhयास -४: मानव मD होने वाले ^_याओं क) सचूी:

    o जानबझूकर होने वाले, अपने आप होने वाल�

    o जानबझूकर होने वाले से केवल *वय(ंमZ) मD होने वाले, मD+शर�र मD होने वाले

    o मZ से शर�र को सचूना |

    o उदाहरण: खेलत ेसमय चोट, उपवास रखना, माक° ट मD माँ को बjचे क) आवाज़ सनुाई देना |

    o कौन सोता ह?ै *वय(ंमZ) मD सोचना, कoपना करना, सखुी, दखुी होना, शर�र सोता ह,ै या �व0ाम मD ह ै

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    • अhयास #5: *वय ंमD मानना-पहचानना-+नवा8ह करना, शर�र मD पहचानना-+नवा8ह करना | उदाहरण:

    o शnद: ग*ुसा करना देना: त�मल मD, Gहदं� मD

    o *पश8: डॉfटर ने सईु लगा³

    o Jप: ´ेन मD ^कसी पहचान के Iयिfत के �लए जगह बनाना

    o रस: लµडू खाया, ^फर पता चला ^क माँ ने भेज ेह ै

    o गधं: ^कसी को अगरबªी क) लगी, ^कसी को पर¶यमू क)

    o शर�र से *वय(ंमZ) को सचूना, *वय(ंमZ) मD मानना, +नण8य लेना | शर�र से परूा होता ह ै

    • chart 1: (*वय(ंमZ) – शर�र आवLयकता) मD जोड़ना ह:ै

    o *वय ं(मZ) मD मानना-पहचानना-+नवा8ह करना, शर�र मD पहचानना-+नवा8ह करना

    o *वय ं(मZ) = चतैYय; शर�र = जड़

    • आज क) गलत माYयता: *वय(ंमZ) = शर�र | स�ुवधा= सखु | सामान = स.मान

    • मानव के अ�ययन के �लए दोनc पRc को समझना पड़गेा: *वय(ंमZ) और शर�र

    o (काय8_म: 1) Iयिfत मD, जोड़ना: 1a) *वय(ंमZ) , 1b) शर�र

    • chart 2: *वय(ंमZ) और शर�र मD काय8_म

    • घर म8 अhयास: *वय ंके ^_याओं पर �यान दD: कौनसा मZ मD, मZ+शर�र, केवल शर�र मD हो रहे हZ...

    • इस भाग का सारांश

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    1) Uयि:त esa O;oLFkk

    1.1) अhयास – २: मानव क) आवLयकताएँ Ekkuo dh vko’;drk,W D;k gS \ lwph cuk,W ekufld@eu dh vko’;drk 'kkjhfjd@’kjhj dh vko’;drk lEeku Lusg fo'okl izse --------------

    diM+k edku Hkkstu Ikkuh --------------

    चचा8 से: 'kkjhfjd vkSj ekufld vko’;drkvksa es varj Ø- ekufld@eu dh vko’;drk 'kkjhfjd@’kjhj dh vko’;drk 1- 2- 3- 4- 5-

    HkkoukRed vewY; fujarj lc ds fy, ,d vkW[kks ls ut+j ugh vkrh

    HkkSfrd [kjhn ldrs gS {kf.kd vko';drk lcds fy, vyx vkW[kkas ls ut+j vkrh gS

    'kkjhfjd vko’;drkvksa ls eqDr gks ldrsa हZS D;k \

    • D;k ekufld vko’;drkvksa ds fcuk py ik,xk \ • अत: मानव को समझना ह,ै तो इन दोनc पRc को समझना पड़गेा:

  • �ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंह)ै

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    • blds fy, izLrko gS%&

    (+) Ekkuo ¾ Lo;a ¼eSa½ 'kjhj

    lwpuk

    • vki tc jlxqYyk [kkrs gSa rks vkidks D;k feyk \ 'kjhj dks D;k feyk \ • 'kjhj ds lkFk dqN Hkh djrs gS mls Hkksxus okyk मZ gh gWwA • blfy, ‘मZ’ dks Hkh le>uk gksxk

    mnkgj.k

    • vr% 'kjhj vkSj *eS* esa lwpuk dk vknku iznku gSA

    1.2) अhयास -३: अपनी इjछाओं क) सचूी बनाएँ

    � bPNkvksa dh fyLV esa dkSu lh bPNk “मZ” ds fy, gS dkSu lh “'kjhj” ds fy,:

    bPNk eS ds fy, 'kjhj ds fy, 1- cM+k /kj 2- ------------- 3- -------------

    cM+k ------------- -------------

    ?kj ------------- -------------

    'kjhj dh vko’;drkvksa dks Hkh *मZS* gh igpkurk gS

    fØ;k 'kjhj esa Aवयं(*eS)* esa nqdku dh feBkbZ [kk;h iks"k.k Lokn vxj irk pyk fd feBkbZ ekW us cukbZ gS rks iks"k.k Lokn $ Hkko@LohÑfr

    bPNk 1- cM+k ?kj 2- xkM+h 3- iSlk 4- ?kweuk 5- ------------ 6- ------------

    Q

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    fy[kus ds ckn voyksdu

    1- bPNk,W vlhfer ugha gSA

    2- Lo;a (मZ) ls lacaa/kh bPNk,W vf/kd gS] 'kjhj laca/kh de gSA

    3- ge viuh gh bPNkvksa ds ckjs esa vLi"V gS

    4- iSls ls vf/kd ls vf/kd 'kjhj dk LokLF; cuk,a j[k ldrs gS

    5- मZ@Lo;a dh bPNk,a lacaf/kr gS:

    • le> & Lo;a ls vfLrRo rd

    • laca/k & Lo;a ls vfLrRo rd

    6- सार� इjछाएँ सखुी होने के अथ8 मD ह� ह.ै यह� हमारा लVय ह ै

    • blesa miyfC/k uk

    & gj fLFkfr] ifjfLFkfr&O;oLFkk dks le>uk] O;oLFkk esa thuk

    & ;gh lq[k gSA

  • �ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंह)ै

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    1.3) chart #1: Lo;a(eS) – शर'र आव!यकताए ं

    Ø- vk/kkj Lo;a(eS) 'kjhj

    1 vko';drk lq[k] lEeku] fo’okl] le`f) Hkkstu] diM+k] edku lqfo/kk

    2 vko';drk dh vof/k +नरंतर साम+यक

    3 vko';drk dh ek=k ek=k ugha, xq.kkRed सीfer, मा�ा9मक

    4 vko';drk iwjh dSls gksxh

    lgh le>] Hkko HkkSfrd jklk;fud oLrq

    5 fofHkUUkrk,a lcds fy, ,d tSlk lcds fy, vyx vyx

    6 भार भारह�न, आखँc, इिY·यc मे

    आता नह�ं

    भारयfुत, आखँc मे, इिY·यc

    मे आता ह ै

    [ _: १ से ५ तक पहले बताया ]

    • *eS* dh vko’;drk iwjh gksus ds fy, iSlk@/ku dh vko’;drk ugha gSA dsoy le> ls gh gks ldrk gS@gksxkA

    • nksuks gh vko’;d gS] vfuok;Z gS & lq[k Hkh] lqfo/kk Hkh • nksuks pkfg,

    o vkidks [kkus पर cqyk;k & lEeku fn;k] [kkuk ughaA X & [kkuk fn;k] lEeku ughaA X

    • vny cny gksrk ugha & Lo;a esa lEeku can gqvk &fujarj u gksus ls leL;k & ’kjhj को Hkkstu nsrs jgs &fujarj gksus ls leL;k • bu nksuks izdkj dh vko’;drkvkas dks igpku dj] mUgs iwjk djuk gSA • vkt dh leL;k *वय ं(मZ) dh vko’;drkvksa dks 'kjhj ls iwjk djus dk iz;kl djrs gSA

    ;g laHko ugha gSA

    • अवलोकन: • स�ुवधा के अलावा आवLयकताएं (अ¯यास-१ मD जो बनाया था), और मान�सक

    आवLयकताएं, (अ¯यास -२), दोनc एक ह� ह ै|

    • अत: स�ुवधा के अलावा आवLयकताएं = मान�सक आवLयकताएं = *वय(ंमZ) क)

    आवLयकताएं|

    • आज इसक) अनदेखी क) ह ै

    • y{; esa dsoy lqfo/kk gh gSA

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    fu"d"kZ% & vkt ds fnu geu s मZ dh vkSj 'kjhj dh vko’;drk dk xksyk cuk fy;k gS D;ksfd Lo;a dks 'kjhj ekudj th jgas gSA blfy, thus esa lqfo/kk ls vf/kd dqN fn[krk ughA

    1.4) vH;kl- ४%& Ekkuo esa gksus okyh fØ;kW,a& lwph cuk,a

    Tkku cw> dj gksus okyh fØ;k,a vius vki gksus okyh fØ;k,a

    1- lkspuk 2- le>uk 3- xqLLkk gksuk 4- cksyuk

    Ikkpu lkal ysuk fny /kM+duk cky c* vkSj 'kjhj nksuks 'kkfey gS

    1- lkspuk 2- bPNk djuk 3- lius ns[kuk 4- --------------

    cksyuk pyuk dke djuk ------------------

    dsoy ‘मZ’ मD gks jgk gS ‘मZ’ es fu.kZ;] 'kjhj }kjk Iयfत

    मानव म8 होने वाल' ePयाओ ंको rhu Izkdkj ls ns[k ldrs gSa:

    1- dsoy Lo;a esa gksus okyh fØ;ka,a 2- fØ;ka,a ftlesa *eS* vkSj 'kjhj nksuks 'kkfey gS 3- 'kjhj esa Lor% gksus okyh fØ;ka, *मZ* dh LohÑfr ds lkFk

    eS ls lwpuk 'kjhj dks जाती gSA 'kjhj ls lwpuk ‘मZ’ ysrk gSA

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    उदाहरण:

    1- [ksyrs le; pksV yxuk, irk ugha pyrk ckn esa /;ku जाता है |

    2- miokl j[kuk& 'kjhj ij ‘e’ S gkoh gks x;k

    3- ekdsZV esa मा ँdks gh cPps dh vkokt+ lqukbZ nsrh gSA

    4- tc chekj gksrs gS rks D;k अपने fopkj djus dh {kerk de gks tkrh gS \

    5- D;k vkidks अपने �वचारc dk dksbZ Hkkj yxrk gS ?

    कौन सोता ह?ै

    सोत ेसमय: Lo; (*म>*) सोत ेसमय: 'kjhj lkspuk@dYiuk djuk Mjuk ;k [kq’k gksuk

    'olu&iz’olu ;Fkkor cuk jgrk gS

    *eS* vkjke esa ugha gSA vkjke djrk gS नीदं मD Response ysuk@ 'kjhj ls ‘मZ’ esa lwpuk tkuk

    - gekjk uke ysus ij | “vkx” fpYykus ij | VkW;ysV yxus ij • Ukhan खुलने पर ‘bl nqfu;k’ esa ykSVus ds fy, le; yxrk gSA

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    1.5) अhयास ५: *वय(ंमZ) शर�र मD अतंर: मानना उदाहरण: र*सी को सांप मान लेना; दकूान मD हमारे मानने के अनुसार चीजD Gदखती

    हZ

    Aवय(ंम>) शर'र उदाहरण: वातावरण म8

    भाषा अनसुार पहचानना-+नवा8ह करना

    दो*त – अनजान Iयिfत अनसुार

    (शnद) : �व+न ग*ुसा ^कया, त�मल,

    Gहदं� मD

    *वय ंमD दद8 | डॉfटर को सहयोगी के Jप मD

    माना |

    दसूरे ^कसी के साथ ऐसा नह�ं है | शर�र से

    दोनc ि*थ+तयc मD खनू +नकलेगा

    (*पश8): खनू डॉfटर ने सईु लगाई

    पहचान के Iयिfत के �लए जगह बनाना,

    अYयथा नह�ं

    (Jप) : �+त@ब.ब ´ेन मD ^कसी को देखा

    *वाद | अगर माँ ने बनाया हो तो भाव भी |

    दसूरे को केवल *वाद, भाव नह�ं

    (रस) : पोषण �मठाई खाये

    अगर क)मती मानत ेहै, तो वाह वाह करना |

    नह�ं मानत ेहै तो उसे अगरबªी कहना

    (गधं): नाक मD पर¶यमू

    �न%कष�:

    *वय(ंमZ) मD मानने के आधार पर पहचानना –

    +नवा8ह करना बदलता है |

    �नण�य *वय(ंमZ) मD होता है

    पहचानना – +नवा8ह

    हमेशा एक सामान

    शर�र से परूा होता

    है

    एक ह� input से,

    • उदाहरण: यGद मZने आपका अपमान ^कया: शर�र मD fया होता है? *वय(ंमZ) के *तर पर fया होता है? दखुी कौन होता है?

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    1.6) जोड़8: chart 1: Aवय(ंम>)-शर'र आव!यकता मD 6th और 7th @बदं ु

    Ø- vk/kkj Lo;a(eS) 'kjhj

    1 vko';drk lq[k] lEeku] fo’okl] le`f) Hkkstu] diM+k] edku lqfo/kk

    2 vko';drk dh vof/k +नरंतर साम+यक

    3 vko';drk dh ek=k ek=k ugha, xq.kkRed Lhfer, मा�ा9मक

    4 vko';drk iwjh dSls gksxh lgh le>] Hkko HkkSfrd jklk;fud oLrq

    5 fofHkUUkrk,a lcds fy, ,d tSlk lcds fy, vyx vyx

    6 ePया (जानना*) – मानना –

    पहचानना – �नवा�ह करना

    पहचानना-�नवा�ह करना

    7 �कार चतैXय जड़ (भौ�तक –रासाय�नक)

    *tkuuk vHkh iwjk gqvk ugh gSA ;g iwjk gksuk gS | *** मानने क) ^_या जहा ँGदखती है, उसे “चतैXय” कहत ेहै ***

    • gedks vius gh ckjs esa igyh pht irk ugh vkSj brus lkyks ls th jgs gS ! आज xyr ekU;rk,a :या मानव एक ससंाधन ह?ै

    • Lo;a dks 'kjhj eku fy;k | lqfo/kk HkkSfrd oLrq gS] | blfy, Ekkuo dks lalk/ku eku fy;k

    • Lo;a ¾ 'kjhj blfy, lqfo/kk ¾ lq[k | blfy, केवल स�ुवधा ls lq[kh gksus dk iz;kl gSA

    • 'kjhj ¾a Aवय ं XXXX • lqfo/kk ¾ lq[k XXXX • lkeku ¾ lEeku XXXX

  • �ाथ�मक परचय �श�वर may 2012 (नो�स मा� परचय �श�वर हेत ु| अ�ययन के �लए नह� ंहै)

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    अत: Ekkuo ds v/;;u ds fy, Lo;a vkSj 'kjhj दोन2 dks le>uk iM+sxkA

    जोड़ना: काय8_म मD 1)Iयिfत मD 1a) *वय(ंमZ) और 1b)शर�र जोड़ना

    1- *वयं

    2- मानव संबंध (ifjokj, lekt)

    3- izÑfr संबंध

    4- अि*त9व

    1.7) chart2:Aवय(ंम>) – शर'र काय�Pम

    Aवय(ंम>) 'kjhj

    1- eS gWw | 1- essjk 'kjhj gS |

    2- eS thuk pkgrk gWw | 2-'kjhj dk lk/ku dh rjg iz;ksx djrk gWwA

    3- eS lq[kiwoZd thuk pkgrk gWw | 3- 'kjhj ds iks"k.k] laj{k.k lnqi;ksx ds fy, lqfo/kk vko’;d gSA

    4- ‘4 Lrj ij Iयव*था’* को le>uk] O;oLFkk esa thuk gh esjk dk;ZØe gSA

    4- lqfo/kk dk mRiknu] laj{k.k] lnqi;ksx esjs dk;ZØe dk ,d Hkkx gSA

    * चार *तर पर Iयव*था =

    1. *वय ंको समझना (*वय ंमD Iयव*था)

    2. मानव-मानव स.बYध समझना (परवार, समाज मD Iयव*था)

    3. मानव-�कृ+त स.बYध समझना (�कृ+त मD Iयव*था)

    4. अि*त9व को समझना • mnkgj.k%&