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    :: प्रश्नपत्र - I (Paper - I) ::

    भाग-क (Part - A)

    याांत्रत्रक इांजीत्रियर ांग, पदार्थ-सामर्थयथ तर्ा सां चिात्मक त्रिशे्लषण याांत्रत्रकी इांजीत्रियर ांगः

    मात्रक तथा विमाए,ं एस आई मात्रक, सविश, बल की संकल्पना, कण तथा दृढ़ वपण्ड संकल्पना, संगामी, असंगामी तथा समतल पर

    समान्तर बल, बल आघणूण तथा िरैरगनोन प्रमये, मकु्त वपण्ड आरेख, संप्रवतबन्ध साम्यािस्था, कवल्पत कायण का वसद्धान्त, समतलु्य

    बल प्रणाली।

    प्रथम तथा वितीय के्षत्र आघणूण, द्रव्यमान जड़त्ि आघणूण, स्पैवतक घर्णण, आनत तल तथा बेयररंग। शदु्धगवतकी तथा गवतकः कातीय

    शदु्धगवतकी तथा ध्रिुीय वनिशेांक, समान तथा असमान त्िरण के अधीन गवत, गरुुत्िाधीन गवत, गवतक कणः संिगे तथा ऊजाण वसद्धान्त,

    डी एल्मबर्णस वसद्धान्त, प्रत्यास्थ वपण्डों का संघर्न, दृढ़ वपण्डों का घणूणन, सरल आितण गवत, गवत पालक चक्र।

    पदार्थ-सामर्थयथः

    सरल प्रवतबल तथा विकृवत, प्रत्यास्थ वस्थरांक, अक्षीतः भाररत संपीडांग, अपरूपण बल तथा बंकन आघणूण, सरल बंकन का वसद्धान्त,

    अनंपु्रस्थ कार् का अपरूपण, प्रवतबल वितरण, समसामर्थयण धरण, पत्तीिार कमानी, प्रत्यक्ष प्रवतबल में विकृवत ऊजाण, बंकन तथा

    अपरूपण।

    ध ि त्रिके्षपः मकैाले विवधः मोर की आघणूण के्षत्र विवध, अनरुूप धरण विवध, एकांक भार विवध, शाफ्र् की ऐठंन, संचरण क्षमता,

    सघन कुण्डवलत कमानी, स्तम्भों का प्रत्यास्थ स्थावयत्ि। ऑयलर, रेनकाईन तथा सीकें र् सतू्र, िो विमाओ ंमें प्रमखु प्रवतबल तथा

    विकृवत, मोर का ितृ्त, प्रत्यास्थ भगं के वसद्धान्त, स्थलू तथा तन ुवसवलंडरः आंतररक तथा बाह्य िाब के कारण प्रवतबल-लामें समीकरण।

    सां चिात्मक त्रिशे्लषणः कावस्र्वलयानोस प्रमये I तथा II एकांक भार विवध, धरण और कील संवधयकु्त कैं ची (ट्रस) में प्रयकु्त संगत

    विकृवत की विवध। ढाल विके्षप, आघणूण वितरण, अपररवमत धरण तथा दृढ़ ढाचंों में प्रयकु्त कवन की विशे्लर्ण विवध तथा स्तम्भ सादृश्य

    विवध।

    िेलि भा औ प्रभाि ेखाएां: धरण के खण्ड पर अपरूपण बल तथा बंकन आघणूण के वलए प्रभाि रेखाए,ं गवतशील भार प्रणाली

    िारा धरण चक्रमण में अवधकतम अपरूपण बल तथा बंकन आघणूण हते ुमानिण्ड, सरल आलवम्बत समतल कील संवधयकु्त कैं ची

    (टॅ्रस) हते ुप्रभाि रेखाएं।

    डाटः वत्रकील, विकील तथा आबद्ध डार्, पशुणका लघीयन तथा तापमान प्रभाि डार् में प्रभाि रेखाएं। विशे्लर्ण की मवैट्रक्स विवधः

    अपररवमत धरण तथा दृढ़ ढांचों का बल विवध तथा विस्थापन विवध से विशे्लर्ण, धरण और ढांचों का प्लावर्क विशे्लर्णः प्लावर्क

    बंकन वसद्धान्त, प्लावस्र्क विशे्लर्ण, स्थैवतक प्रणाली, यांवत्रकी विवध।

    असमत्रमत बांकिः जडत्ि आघणूण, जड़त्ि उत्पाि, उिासीन अक्ष और मखु्य अक्ष की वस्थवत बंकन प्रवतबल की पररगणना।

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    भाग-ख (Part - B)

    सां चिा अत्रभकल्पः इस्पात, कंक्रीर् तथा वचनाई संरचना

    सां चिात्मक इस्पात अत्रभकल्पः संरचनात्मक इस्पातः सरुक्षा गणुक और भार गणुक, किवचत, कािला तथा िवेल्डत जोड़ तथा

    संयोजन, तनाि तथा संपीडांग इकाइयों का अवभकल्प, संघवर्त पररच्छेि का धरण, किवचत तथा िवेल्डत प्लेर् गडणर, गैंद्री गडणर, बत्ता

    और बन्धक, स्लैब एि ंगसेवर्ड (स्तम्भ आधार) कालम बेस सवहत स्रं्वचयन्स।

    ाजमागथ तर्ा ेलिे पुलों का अत्रभकल्पः थ्र ूएडं डेक र्ाइप प्लेर् गडेर, िारेन गडणर, प्रांर् कैं ची।

    कां क्रीट तर्ा त्रचिाई सां चिा का अत्रभकल्पः वमश्र अवभकल्प की संकल्पना, प्रबवलक कंक्रीर्ः कायणकारी प्रवतबल तथा सीमा

    अिस्था विवध से अवभकल्प- आईएस पवुस्तकाओ ं की वसफाररशें/िन ि े एि ं रू् ि े स्लैब का वडजाइन, सोपान-स्लैब, सरल तथा

    आयताकार सतत धरन, र्ी, एि ंएल कार् के सरल एि ंसतत धरण, उत्केन्द्रता सवहत अथिा रवहत प्रत्यक्ष भार के अन्तगणत संपीडांग

    इकाइयां, विलवगत एि ंसंयकु्त नीब, केन्र्ीवलिर एि ंपशुणका यकु्त पवतणधारक वभत्ती।

    जल टांकीः परृ्थिी पर रख ेआयताकार एि ंगोलाकार रं्वकयों के अवभकल्पन के वलए शतें।

    पूिथ प्रत्रतबत्रलत कां क्रीटः पिूणप्रवतबवलत के वलए विवधयां और प्रणावलयां आनवत आधाररत पररच्छेि पर विशे्लर्ण और अवभकल्प

    के िारा कायणकारी प्रवतबल, पिूण प्रवतबवलत हावन।

    आई एस (पवुस्तकाओ)ं कोड के अनसुार ईरं् की वचनाई का अवभकल्पन।

    वचनाई प्रवतधारक वभवत्त अवभकल्पन।

    भाग-ग (Part - C)

    त ल याांत्रत्रकी, मुक्त िात्रिका प्रिाि एिां द्रिचात्रलत मशीिें त ल याांत्रत्रकीः तरल गणुधमण तथा तरल गवत में उनकी भवूमका,

    तरल स्थैवतकी वजसमें समतल तथा िक्र सतह पर कायण करने िाले बल भी शावमल हैं। तरल प्रिाह की शदु्धगवतकी एि ंगवतकः िगे

    और त्िरण, सररता रेखाए,ं सांतत्य समीकरण, आघणूी तथा घणूी प्रिाह, िगे विभि एि ंसररता अवभलक्षक, प्रिाह जाल, आरेखण

    प्रिाह जाल विवध, स्रोत और वनग्मन, प्रिाह पथृक्करण, मकु्त तथा प्रवतबवलत भंिर।

    आयतन वनयंत्रण समीकरण, सांतत्य, संिगे, आयतन वनयंत्रण समीकरण से ऊजाण तथा संिगे आघणूण।

    नेवियर स्र्ोक्स समीकरण, ऑयलर आघणूण समीकरण, तरल प्रिाह समस्याओ ंका अनपु्रयोग, पाइप प्रिाह, समतल, बक्र, अचल एिं

    चल िने, स्लइूस गरे्, वियर, आस्यमापी तथा िेंरु्री मापी।

    त्रिमीय त्रिशे्लषण एिां समरूपताः बवकण गहम पी-प्रमये विमारवहत प्राचल, समस्या वसद्धान्त, वनिशण वनयम, अविकृत एि ं विकृत

    प्रवतरूप।

    स्त ीय प्रिािः समान्तर, अचल एि ंचल प्लेर्ों के बीच स्तरीय प्रिाह, रू्यबू िारा प्रिाह।

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    पर सीमा प तः चपर्ी प्लेर् पर स्तरीय एि ंविक्षबु्ध पररसीमा परत, स्तरीय उप-परत, मसणृ एि ंरुक्ष पररसीमाए,ं विकर्ण एिं वलफ्र्।

    पाइपों द्वा ा त्रिक्षुब्ध प्रिािः विक्षबु्ध प्रिाह के अवभलक्षण, िगे वितरण एि ंपाइप घर्णण गणुक की विविधता, जलिाब प्रिणता

    रेखा तथा पणूण ऊजाण रेखा, साइफन, पाइप प्रसारण और संकुचन, पाइप जालकायण, पाइपों और उल्लोल कुण्डों में जलाघात।

    मुक्त िात्रिका प्रिािः समान एि ंअसमान प्रिाह, आघणूण एि ंऊजाण संशवुद्ध गणुक, विवशष्ट ऊजाण तथा विवशष्ट बल, क्रावन्तक गहराई,

    प्रवतरोध समीकरण तथा रुक्षता गणुांक की विविधता, तीव्र पररिती प्रिाह, संकुचन में प्रिाह, अपवच्छन्न अिपात प्रिाह, जलोच्छाल

    और इसके अनपु्रयोग, प्रोत्कर्ण एि ंतरंग, क्रमशः पररिती प्रिाह, पषृ्ठ पररच्छविका िगीकरण, वनयंत्रण कार्, पररिती प्रिाह समीकरण

    के समाकलन की सोपान विवध, चल प्रोत्कर्ण एि ंद्रिचावलत बोर।

    द्रिचात्रलत यांत्र तर्ा जल शत्रक्तः अपकेन्द्री पम्प- प्रकार, अवभलक्षण, नेर् पावजवर्ि सक्शन हाइर् (एन पी एस एच), विवशष्ट गवत,

    समान्तर पम्प।

    प्रत्यगामी पम्प, िाय ुभांड, द्रिचावलत रैग, िक्षता प्राचल, घणूी एि ंधनात्मक विस्थापन पम्प, डायाफ्राम तथा जरे् पम्प।

    द्रिचावलत र्रबाइन, प्रारूप िगीकरण, र्रबाइन चयन, वनष्पािन प्राचल, वनयंत्रण, अवभलक्षण, विवशष्ट गवत। जल शवक्त विकास के

    वसद्धान्त, प्रकार, अवभन्यास तथा घर्क कायण, प्रोत्कर्ण र्ैंक, प्रकार और चयन, प्रिाह

    अिवध िक्र तथा आवश्रत प्रिाह; भण्डारण तथा जल संचयन, पम्पन भण्डारण संयंत्र, लघ,ु सकू्ष्म-जल िदै्यतु संयंत्र के विशेर् लक्षण।

    भाग-घ (Part - D)

    भू-तकिीकी इांजीत्रियर ांग

    मिृा के प्रकार, कला सम्बन्ध, गाढ़ता सीमाए,ं कण आकार वितरण, मिृा िगीकरण, संरचना तथा मवृत्तका खवनज विज्ञान। कोवशकीय

    जल तथा संरचनात्मक जल, प्रभािी प्रवतबल तथा रंध्र जल िाब, डारसी वनयम, पारगम्यता को प्रभावित करने िाले कारक, पारगम्यता

    का वनधाणरण, स्तररत मिृा वनके्षपों की पारगम्यता।

    ररसन िाब, बाल ूपंक अिस्था, संपीडयता तथा संहनन, रे्रजाघी का एक विमीय वसद्धान्त, संहनन परीक्षण।

    मिृा संहनन, संहनन के्षत्र वनयंत्रण, कुल प्रवतबल तथा प्रभािी प्रवतबल पारगम्यता, रंध्र िाब गणुांक। मिृा का सामर्थयण अपरूपण, मोर

    कूलांब भगंता वसद्धान्त, अपरूपण परीक्षण, भ ूिाब वबराम, सवक्रय तथा वनवष्क्रय िाब, रेनकाइन वसद्धान्त, कूलांब का फन्नी वसद्धान्त,

    प्रवतधारक वभवत्त पर भ ूिाब, चारिी स्थणूा वभवत्त, बंधनयकु्त खनन। विक्मान धाररता, रे्रजाघी तथा अन्य महत्िपणूण वसद्धान्त, शदु्ध तथा

    कुल विक्मान िाब। आसन्न तथा संघनन प्रबन्ध। ढाल, स्थावयत्ि, कुल प्रवतबल तथा प्रभािी प्रवतबल विवध, स्लाइसों की रूढ़ विवध,

    स्थावयत्ि अकं। अधं स्तल अन्िरे्ण, प्रबंधन विवध, प्रवतचयन, अन्तिशेन परीक्षण, िाब मापी परीक्षण।

    नींि के महत्िपणूण लक्षण, नींि के प्रकार, अवभकल्पन मापिण्ड, नींि के प्रकार का चयन, मिृा में प्रवतबल वितरण, बावसनस्क वसद्धान्त,

    न्यमूाकण चार्ण, िाब बल्क, संस्पशण िाब, विवभन्न विक्मान धाररता वसद्धान्तों की अनपु्रयोज्यता, के्षत्र परीक्षण से विक्मान धाररता का

    मलू्यांकन अनुज्ञये विक्मान धाररता, वनर्िन विशे्लर्ण, अनजु्ञये वनर्िन।

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    पाि अनपुालन, विलवगत तथा संयकु्त पाि, रैफ्र्स, उत्प्लािक्ता रैप्र्स, स्थणूा नींि, स्थणूा के प्रकार, स्थणूा धाररता, स्थैवतक तथा

    गवतक विशे्लर्ण, स्थणूा समहूों के अवभकल्प, स्थणूा भारत पररक्षण, स्थणूा वनर्िन, पाविक धाररता, पलुों हते ु नींि, भवूम सधुार

    तकनीक-पिूण भारण, बाल ूनाली, पत्थर-स्तम्भ, अवभपरूण, मिृा स्थायीकरण।

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    :: प्रश्न पत्र - 2 (Paper - II) ::

    भाग-क (Part - A)

    त्रिमाथण तकिीक, उपक ण, योजिा औ प्रबन्ध

    1. त्रिमाथण तकिीकः इजंीवनयररंग सामग्ीः वनमाणण सामग्ी के भौवतक गणुधमणः पत्थर, ईरं् तथा र्ाइल, चनूा, सीमेंर् तथा सरुखी

    मसाला, चनूा कंक्रीर् तथा सीमेंर् कंक्रीर्, ताजा वमवश्रत तथा कठोररत कंक्रीर् के गणुधमण, फशण की र्ाइलें, प्रबवलत सीमेंर्, तंत ुप्रबवलत

    तथा पावलमर कंक्रीर्, उच्च सामर्थयण कंक्रीर् तथा हल्की कंक्रीर्, प्रकाष्ठ का प्रयोग, इमारती लकड़ीः गणुधमण एि ंप्रयोग, इमारती लकड़ी

    में िोर्, इमारती लकड़ी का संशोर्ण एि ंसंरक्षण, प्लावस्र्क, रबड़ एि ंआद्रतारोधी सामग्ी, अतंस्थ रोधी, कम लागत के आिास हते ु

    सामग्ी।

    त्रिमाथणः भिन के घर्क और उनके कायण, ईरं्-वचनाई, बन्धन, जोड़, पत्थर वचनाई। आईएस कोडों (पवुस्तकाओ)ं के अनुसार िीिार

    की ईरं्-वचनाई का वडजाइन, सुरक्षा गणुक, उपयकु्तता तथा सामर्थयण आिश्यकताए,ं प्लास्र्र, र्ीप, फशों एि ंछतों के प्रकार, संिातन,

    भिनों की मरम्मत।

    भिि की कायथमूलक योजिाः भिन अवभन्यास, पररसंचरण, के्षत्रों का समहून, गपु्त संकल्पना तथा ऊजाण िक्ष भिन का वडजाइन,

    राष्ट्रीय भिन कोड व्यिस्था, भिन आकलन एि ंविवनिशेन, कायण की लागत, मलू्यांकन।

    2. त्रिमाथण उपक णः मानक एि ंविशरे् प्रकार के उपकरण, वनरोधक अनरुक्षण एि ंमरम्मत, उपकरण के चयन को प्रभावित करने

    िाले कारक, संतवुलत आय,ु समय एि ंगवत अध्ययन, पंूूजी एि ंअनरुक्षण लागत।

    कां क्रीट उपक णः तौल बैचर, वमश्रक, कम्पन, बैवचंग संयंत्र, कंक्रीर् पम्प।

    त्रमट्टी कायथ के उपक णः विद्यतु, फािड़ा, कुिाल, बलुडोजर, डम्पर, टे्रलर और टै्रक्र्र, रोलर, मरे् पाि िले्लन।

    3. त्रिमाथण योजिा औ प्रबन्धः वनमाणण सवक्रयता, कायणक्रम, कायण अवभन्यास, बार चार्ण संवििा करने िाले फमों का संगठन,

    पररयोजना वनयंत्रण एि ंपयणिके्षण। लागत कम करने के उपाय।

    िि कायथ त्रिशे्लषणः सीपीएम एि ंपीईआरर्ी विशे्लर्ण, प्लिी समय, सवक्रयता ध्िसं लागत, इष्टतमीकरण आधवुनकीकरण हते ुनेर्िकण

    संकुचन, लागत विशे्लर्ण और साधन वनयतन, इजंीवनयरी अथणशास्त्र के तत्ि, मलू्य वनधाणरण की विवधयां, ितणमान मलू्य, िावर्णक

    लागत, लाभ लागत, िावधणक विशे्लर्ण, अनुमाप एि ंआकार की अथण व्यिस्था, वनिेश स्तर सवहत विकल्पों को चनुना, पररयोजना

    लाभिावयकता।

    भाग-ख (Part - B)

    सिेक्षण एिां पर ििि इांजीत्रियर ांग

    सिेक्षणः िरूी एि ं कोण मापने की सामान्य विवध, प्लेन रे्बल सि,े समतलन, चक्रम सिके्षण, वत्रकोणन सिके्षण, संशोधन एिं

    समायोजना, रूपरेखण, स्थलाकृवतक मानवचत्र, उपयुणक्त उद्दशे्यों के वलए सिके्षण उपकरण, र्कीवमवत, ितृ्ताकार एि ं संक्रमण चक्र

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    फोर्ोग्ावमवत के वसद्धान्त।रेलिःे रेलपथ, स्लीपर, रेल आबन्धन, वगट्टी, कांरे् तथा क्रावसंग, उत्क्राम अवभकल्प, स्रे्शन तथा याडण,

    (र्नणरे्बल) भवूमपर्ल, वसग्नल तथा अन्तःपाशन, समतल पारक। रेलपथ का वनमाणण एि ंअनरुक्षण, बाह्योत्थान, रेल का विसपणण,

    वनयंत्रक प्रिणता, टै्रक प्रवतरोध, संकर्णण प्रयास, टै्रक ररलेकरण (प्रविसारण)

    ाजमागथ इांजीत्रियर ांगः राजमागण योजना के वसद्धान्त, राजमागण सरेखन, ज्यावमवतक अवभकल्प, अनपु्रस्थ कार्, उभार (कैम्बर),

    बाह्योत्थान, कै्षवतज एि ंउध्िाणकार िक्र, मागों का िगीकरण, कम लागत मागण, नम्य कुवर्र्म, दृढ़ कुवर्र्म, कुवर्र्म (पेिमेंर्) वडजाइन

    एि ंउनका वनमाणण, कुवर्र्म मंगला और मजबतूी का मलू्यांकन।

    सड़क अपिािः बवहस्तल एि ंअघस्तल अपिाह।

    यातायात इांजीत्रिय ीः पिूाणनमुान तकनीक, उिगम एि ंगन्तव्य सिके्षण राजमागण क्षमता, सरणीकृत एि ंअसरणीकृत पररच्छेि, घणूी

    अवभकल्पन अियि, अकंन, वचह्न वसग्नल, मागण प्रकाश व्यिस्थाः यातायात सिके्षण, राजमागण वित्त व्यिस्था के वसद्धान्त।

    भाग-ग (Part - C)

    जल त्रिज्ञाि, जल सांसाधि एिां इांजीत्रियर ांग

    जल विज्ञान, जल चक्र, अिक्षण, िाष्पीकरण, िाष्पोत्सजणन, अिनमन संचयन, अन्तःस्पन्िन, अवधभार प्रिाह, जलारेख, बाढ़ आिवृत्त

    विशे्लर्ण, बाढ़ आिकलन, जलाशय िारा बाढ़ अनसुीलन, िावहका प्रिाह मागाणवभगमन- मवस्कंग्म विवध।

    भू जल प्रिाि: विवशष्ट लवब्ध, संचयन गणुांक, पारगम्यता गणुांक, परररुद्ध तथा अपरररुद्ध जलिाही स्तर, स्रािी जलरोधी स्तर,

    परररुद्ध तथा अपरररुद्ध वस्थवतयों के अन्तगणत एक कूप के भीतर अरीय प्रिाह, नलकूप, पम्पन तथा पनुज्ञावप्त, परीक्षण, भजूल विभि।

    जल सांसाधि इांजीत्रियर ांगः भ ूतथा धरातल जल संसाधन, एकल तथा बहुउद्दशेीय पररयोजनाए,ं जलाशय की संचयन क्षमता,

    जलाशय हावनयााँ, जलाशय अिसाधन, जल संसाधन पररयोजना का अथणशास्त्र।

    त्रसांचाई इांजीत्रियर ांगः फसलों के वलए जल की आिश्यकताः जल का क्षयी उपयोग, वसंचाई के वलए जल की गणुित्ता, कृवत्त तथा

    डैल्र्ा, वसंचाई के तरीके तथा उनकी िक्षताए।ं

    िि ें: नहर वसंचाई के वलए आिरं्न पद्धवत, नहर क्षमता नहर की हावनयां, मखु्य तथा वितररका नहरों का सरेखन-अत्यवधक िक्ष कार्,

    अस्तररत नहरें, उनके वडजाइन, ररजीम वसद्धान्त, क्रावन्तक अपरूपण प्रवतबल, तलभार, स्थानीय तथा वनलवम्बत भार पररिहन,

    अस्तररत तथा अनास्तररत नहरों की लागत का विशे्लर्ण, अस्तर के पीछे जल वनकास, जल ग्स्तताः कारण तथा वनयंत्रण, जल वनकास

    पद्धवत का वडजाइन, लिणता।

    िि सां चिाः क्रास वनयंत्रक का वडजाइन, मखु्य वनयामक, नहर प्रपात, जलिाही सेत,ु अिनवलका का नहर वनकास में मापन।

    त्रद्वपर िती शीषथ कायथः पारगम्य तथा अपरागम्य नींिों पर बावधका के वसद्धान्त और वडजाइन, खोसला-वसद्धान्त, ऊजाण क्षय, समन

    द्रोणी, अिसाि अपिजणन।

    सांचयि कायथः बांधों की वकस्में, वडजाइन, दृढ़ गरुुत्ि तथा भ-ूबांधों के वसद्धान्त, स्थावयत्ि विशे्लर्ण, नींिों का (ट्रीर्मेंर्) उपचार,

    जोड़ तथा िीघाणए,ं वनस्पंिन का वनयंत्रण।

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    उत्पलि मागथः उत्पलि मागण की वकस्में, (वशखर िार) के्रस्र् गरे्, ऊजाण क्षय।

    िदी प्रत्रशक्षणः निी प्रवशक्षण के उद्दशे्य, निी प्रवशक्षण की विवधयां।

    भाग-घ (Part - D)

    पयाथि ण इांजीत्रियर ांग

    जल पूत्रतथः भ-ूपषृ्ठ तथा उप भ-ूपषृ्ठ जल स्रोतों का आकलन, जल मांग की प्रागवुक्त, जल की अशदु्धता तथा उसका महत्ि, भौवतक,

    रासायवनक तथा जीिाण ुविज्ञान सम्बन्धी विशे्लर्ण, जल से होने िाली बीमाररयां, पेयजल के वलए मानक।

    जल का अांतथग्रिणः पंपन तथा गरुुत्ि योजनाए।ं जल उपचारः स्कंिन के वसद्धान्त, ऊणणन तथा सािन, मिं-दु्रत, िाब वफल्र्र,

    क्लोरीनीकरण, मदृृकरण, स्िाि, गधं तथा लिणता को िरू करना।

    जल सांग्रिण तर्ा त्रित णः संग्हण एि ंसंतुलन जलाशय-प्रकार, स्थान और क्षमता।

    त्रित ण प्रणात्रलयाां: अवभन्यास पाइप लाईनों की द्रि इजंीवनयरी, पाइप वफवरं्ग, रोधक तथा िाब कम करन ेिाले िाल्िों सवहत अन्य

    िाल्ि, मीर्र, वितरण प्रणावलयों का विशे्लर्ण, क्षरण अवभज्ञान, वितरण प्रणावलयों का अनुरक्षण, पंपन केन्द्र तथा उनका पररचालन।

    िात्रितमल व्यिस्र्ाः घरेल ूतथा औद्योवगक अपवशष्ट, झंझाित िावहतमल-पथृक और संयकु्त प्रणावलयां, सीिरों िारा बहाि, सीिरों

    का वडजाइन, सीिर उपस्कर, मनैहोल, अतंगणम जकं्शन, साइफन, सािणजवनक भिनों में प्लवम्बंग।

    सीिेज लक्षणः बी ओ डी, सी ओ डी, ठोस पिाथण, विलीन ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और र्ी ओ सी, सामान्य जल मागण तथा भवूम पर

    वनष्कासन के मानक।

    सीिेज उपचा ः कायणकारी वनयम, इकाइयां, कोष्ठ अिसािन र्ैंक, च्िाशी वफल्र्र, आक्सीकरण पोखर, उत्प्रेररत अिपंक प्रवक्रया,

    सैवप्र्क र्ैंक, अिपंक वनस्तारण, अिवशष्ट जल का पनुः चालन।

    ठोस अपत्रशष्टः गािों और शहरों में संग्हण एि ंवनस्तारण, िीघणकालीन कुप्रभािों का प्रबन्ध।

    पयाथि णीय प्रदूषणः अिलवम्बत विकास, रेवडयोएवक्र्ि अपवशष्ट एि ं वनष्कासन, उश्मीय शवक्त संयंत्रों, खानों, निी घार्ी

    पररयोजनाओ ंके वलए पयाणिरण सम्बन्धी प्रभाि मलू्यांकन, िाय ुप्रिरू्ण, िाय ुप्रिरू्ण वनयंत्रण अवधवनयम।

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