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INDIRA GANDHI NATIONAL CENTRE FOR THE ARTS www.ignca.gov.in बृहदी�र �कल राजराज चोल �ारा वष1010 . म� िन�मत बृहदी�र मं�दर चोल कला एवं सापत का ावसपकृ उदाहरण है। इाके अि�तीत � एवं अनुम ाौनदतर के चलते तनेसको ने इाे िव� दात समारक ाोिषत �कता है। मं�दर के भीतरी भाग का साप, म�तकला, िच�कला, ाषाण एवं कांसत �ितमाएए ता बादीवार� का उपककणर लकर इाके अंग-�पतंग ता ामम� अनुसतत ामानुात, इाके कलापमक नदतर कक अिभवृि करता है। मं�दर म� उलब िवुल अिभले िवगत तुग के �क, मािजक, सकृ ितक, �शाािनक एवं ांरचनापमक ां�� र तार �काश शालते ह। इाीिलए तह मं�दर हमेशा ाे ुरात�ववे�ा, िलि वैजािनक�, लोचक�, गीतज�, नतरक�, िशिलत�, माज वैजािनक� ता नृ - त�वशाि�त� के अधततन का के न रहा है। त�ि िवशेषज� एवं ांसा� ने इा मं�दर र उपकृ काम �कता है र इा र �ए अिकांश अधततन� का दृिकोण एकतरा रहा है कर एक ामम � म� इाकअधततन होना अभी शेष है। अने के�-मदा कातर�म के अनतगरत, इिनदरा गाएी रा�ीत कला के नने इा मं�दर के भौितक एवं ांकलनापमक एवं रचना को के न बनाते �ए, इा मं�दर का ब� तामी एवं ब�सतरीत गहन अधततन �ारमभ �कता। इाकक ाबाे बड़ी चुनौती ुरात�वशा, िलिशा�, सापत, सकृ त, मं�दर िवान, ोटोमाक ता कमतटर िवजान के िवशेषज� को एक मंच र लाकर उनम� ांवाद साित करना। ा ही रा�ीत कर अनतरार�ीत ांसान� एवं िविभि िवषत� के िवशेषज� का ाहतोग भी �ार �कता गता। इा �रतोजना कक मल ां कलना शा. (�ीमती) किला वापसतातन ने की ता अधततन एवं मनवातन का कातर शा. . नागासवामी ने �कता। इाकामम ामादन कातर इिनदरा गाएी रा�ीत कला के नन के ाांसकृितक ांतंि�क ांचार िवभाग �ारा �कता गता। इाके कु क मुमत रसर ांब ाटक ुराले, सापतरक एवं ोटोमा�क अिभले, ाठरक अधततन, म�तत�, कांसत �ितमा� ता िच�� का म�तलकणरक अधततन, जीवनत रमरा� के वासतु एवं िशलरक अधततन, गीत एवं नृपरमरा� का ाववकण एवं �लेन, ता मं�दर के ामािजक एवं राजनैितक इितहाा का अधततन।

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    बहृदी�र �कल् राजराज चोल �ारा वषर 1010 ई. म� िन�मत बृहदी�र मं�दर चोल कला एवं स्ा्पत का ावसपकृ् उदाहरण ह।ै इाके अि�तीत �् एवं अनु्म ाौनदतर के चलते त नेसको ने इाे िव� दात समारक ाोिषत �कता ह।ै मं�दर के भीतरी भाग का स्ा्पत, म �तकला, िच�कला, ्ाषाण एवं कांसत �ितमाएए त्ा बाा दीवार� का उपककणर ्लक कर इाके अंग-�पतंग त्ा ामम म� अनुसत त ामानु्ात, इाके कलापमक ाौनदतर कक अिभवृिृ करता ह।ै मं�दर म� उ्लब् िव्ुल अिभलेे िवगत तुग के �्क, ाामािजक, ाांसकृितक, �शाािनक एवं ांरचनापमक ां�्� ्र ्तारर �काश शालते ह । इाीिलए तह मं�दर हमेशा ा े्ुरात�ववे�ा�, िलि् वैजािनक�, लोचक�, ांगीतज�, नतरक�, िशिल्त�, ामाज वैजािनक� त्ा नृ-त�वशाि�त� के अधततन का केनन रहा ह।ै त�ि् िवशेषज� एवं ांस्ा� ने इा मं�दर ्र उपकृ् काम �कता ह ै्र इा ्र �ए अि्कांश अधततन� का दिृ्कोण एकतर्ा रहा ह ैकर एक ामम �् म� इाका अधततन होना अभी शेष ह।ै

    अ्ने क�े-ाम्दा कातर�म के अनतगरत, इिनदरा गाए् ी रा�ीत कला केनन ने इा मं�दर के भौितक एवं ांकल्नापमक �् एवं ांरचना को केनन बनाते �ए, इा मं�दर का ब� तामी एवं ब�सतरीत गहन अधततन �ारमभ �कता। इाकक ाबा े बड़ी चुनौती ्ी ्ुरात�वशा�, िलि्शा�, स्ा्पत, ांसकृत, मं�दर िव्ान, ्ोटोमा्क त्ा कम्त टर िवजान के िवशेषज� को एक मंच ्र लाकर

    उनम� ांवाद स्ाि्त करना। ाा् ही रा�ीत कर अनतरार�ीत ांस्ान� एवं िविभि िवषत� के िवशेषज� का ाहतोग भी �ार �कता गता। इा ्�रतोजना कक म ल ाकंल्ना शा. (�ीमती) कि्ला वापसतातन ने कक ्ी त्ा अधततन एवं ामनवातन का कातर शा. र. नागासवामी ने �कता। इाका ामम ाम्ादन कातर इिनदरा गाए्ी रा�ीत कला केनन के ाांसकृितक ाांतंि�क ांचार िवभाग �ारा �कता गता। इाके कुक मुमत ्रस्र ाबंृ ाटक ह – ्ुरालेे, स्ा्पत्रक एवं ्ोटोमा�्क अिभलेे , ्ाठ्रक अधततन, म �तत�, कांसत �ितमा� त्ा िच�� का म �तलकण्रक अधततन, जीवनत ्रम्रा� के वासतु एवं िशल््रक अधततन, ांगीत एवं नृपत ्रम्रा� का ाववकण एवं �लेे न, त्ा मं�दर के ाामािजक एवं राजनैितक इितहाा का अधततन।

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    अनतत�तापमक ब�माधतिमक शी वी शी

    �सतुत अनतत�तापमक ब�माधतिमक शी वी शी, बृहदी�र मं�दर के गहन ाांसकृितक अधततन के िलए िवषतगत �ामता �णाली �सतुत करता ह।ै इा शी वी शी के माधतम ा ेमं�दर कक स्ा्पत्रक ारंचना को कैितज एवं ंधवरगामी दोन� तरह ा ेदेे ा जा ाकता ह।ै बीच कक ाभी �ितमाएए एवं उनका ांिकर वणरन भी �दता गता ह।ै

    बृहदी�र मं�दर म �तलकण्रक �सतुितत� का एक अतुलत भ्शार ह।ै इाका मुमत वैिशय इाका बृहदाकार िशव�लग ह।ै शी वी शी म� मं�दर के िवमान के भ तल कर ं्री तल म� िव�मान ाभी म �तत� के ्ाठगत वणरन, धतान ोक त्ा धतान ोक� का वातायवर (धविन) भी �दते गए ह । गभरगृह के ठीक ं्र िवमान के भीतरी भाग के �्म तल म� भरतमुिन के ना शा� म� व�णत 108 नृपत-करण� के िलए जगह बनी ह ै ्र केवल 81 नृपत करण� का काम ्रा हो ्ाता ्ा। शी वी शी म� ् ते नृपत-करण ना शा� के ामबृ ोक� ािहत देे ाकते ह । ाा् ही गभरगृह के �ाकार म� िभि�िच� अं�कत ह जो चोल कलाकृितत� के एकमा� अवशेष ह । इनह� भी ाुिव्ा कक दिृ् ा ेअलग-अलग िवभाग� म� वग�कृत �कता गता ह।ै इा मं�दर म� अनेक स्ल� ्र मं�दर के िनमारण, �बं्न, �शाान त्ा भ िम अनुदान �द अं�कत ह िजनका �मबृ अनुवाद शी वी शी म� �दता गता ह।ै इिनदरा गाए्ी रा�ीत कला केनन �ारा इा मं�दर के िनपत, नैिमि�क एवं नु�ािनक कृपत� का गहन �लेेन �कता गता ह ैकर तह ामसत �लेे न शी वी शी म� ांबृ ह।ै शी वी शी म� ्रम्रागत नतािात� त्ा �िाृ ांगीतज �ी �कट््ा ि्ललै के ााकापकार भी �दते गए ह । मं�दर म� ामत-ामत ्र अनेक ांरचनागत ्�रवतरन होते ए जो �िमक िवकाा को दशारते ह । ते ाभी इा शी वी शी म� एक ामतरेेा के माधतम ाे �देाए गए ह । दशरक� कक ाुिव्ा के िलए अ�तन तकनीकक उ्करण� का इसतेमाल � ह।ै ् 360 िशमी म� मं�दर का िवहगंम दशृत भी देे ाकते ह । अ्ने अतीत को ामझने का त्ा अ्ने ्ारम्�रक जान एवं उ्लिब्त� को ्िुनक ब�माधतिमक ्लेट्ामर के माधतम ाे जानने का अ्नी तरह का तह अन ठा �ताा ह।ै