पाठ्यचया िवकास Curriculum Development MAED-205 · 2018-06-02 ·...

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पाठ यचया िवकास Curriculum Development MAED-205 इकाई स इकाई का नाम पृ स 1 पाठ्यचया : कपना , अथ , कृ ित, े एव िवशेषताए , पाठ्यचया का अिधगमकता के साथ सबध Curriculum : Concept, Meaning, Nature, Scope and Objectives of curriculum, Curriculum and its relation with learners personality 1-14 2 पाठ्यचया के कार Types of Curriculum 15- 29 3 पाठ्यचया िवकास - िया एव िसा Curriculum Development-the Process and Principles 30-50 4 पाठ्यचया िवकास के िनधारक Determinants of Curriculum Development 51-63 5 पाठ्यचया रचना के दाशिनक आधार Philosophical Bases of Curriculum Construction 64-89 6 पाठ्यचया रचना के मनोवैािनक आधार Psychological Bases of Curriculum Construction - 7 पाठ्यचया रचना के समाजशाीय आधार Sociological Bases of Curriculum Construction 90-102 08 पाठ्यचया ाप, पाठ्यचया िनमाण के िसा एव पाठ्यचया के स दभ म पाठ्यचया को गिठत करने क िविधयाँ Meaning of Curriculum Design, Components and Sources of Curriculum Design, Principles of Curriculum Construction, Methods of Organization of Syllabus in Formulating Curriculum Operations 103-118 09 पाठ्यचया ाप : इसके कार Curriculum Design: Its Categories 119-134 10 पाठ्यचया िनमाण के िविभन ितमान Different Models and Principles of Curriculum Construction 135-148 11 पाठ्यचया मूया कन Curriculum Evaluation 149-167 12 पाठ्यम मूया कन के मॉडल, पाठ्यम मूया कन म वृिया Models of Curriculum Evaluation 168-175 13 पाठ्यचया धी शोध के े Scope of Curriculum Research 176-186 14 भारत म पाठ्यचया धी शोध Curriculum Research in India 187-198 15 पाठ्यचया िवकास से सब िधत िविभन आयोग / सिमितय के सुझाव Suggestions/Recommendation Related to Curriculum Development According to Different Education Commissions 199-218

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  • पाठ्यचया� िवकास Curriculum Development MAED-205

    इकाई स०ं इकाई का नाम पृ� स०ं

    1 पाठ्यचया� :संक�पना, अथ�, �कृित, �े� एवं िवशेषताएं ,पाठ्यचया� का अिधगमकता� के साथ

    स�ब ध

    Curriculum : Concept, Meaning, Nature, Scope and Objectives of

    curriculum, Curriculum and its relation with learners personality

    1-14

    2 पाठ्यचया� के �कार Types of Curriculum

    15- 29

    3 पाठ्यचया� िवकास - �ि"या एवं िस#ांत Curriculum Development-the Process and Principles

    30-50

    4 पाठ्यचया� िवकास के िनधा�रक Determinants of Curriculum Development

    51-63

    5 पाठ्यचया� संरचना के दाश�िनक आधार Philosophical Bases of Curriculum Construction

    64-89

    6 पाठ्यचया� संरचना के मनोवै(ािनक आधार Psychological Bases of Curriculum Construction

    -

    7 पाठ्यचया� संरचना के समाजशा*ीय आधार Sociological Bases of Curriculum Construction

    90-102

    08 पाठ्यचया� �ा,प, पाठ्यचया� िनमा�ण के िस#ांत एवं पाठ्यचया� के संदभ� म/ पाठ्यचया� को

    संगिठत करन ेक0 िविधयाँ Meaning of Curriculum Design, Components and Sources of Curriculum Design, Principles of Curriculum Construction, Methods of Organization of Syllabus in Formulating

    Curriculum Operations

    103-118

    09 पाठ्यचया� �ा,प : इसके �कार Curriculum Design: Its Categories

    119-134

    10 पाठ्यचया� िनमा�ण के िविभ न �ितमान Different Models and Principles of Curriculum Construction

    135-148

    11 पाठ्यचया� म�ूयांकन Curriculum Evaluation

    149-167

    12 पाठ्य"म म�ूयांकन के मॉडल, पाठ्य"म म�ूयांकन म/ �विृ4यां Models of Curriculum Evaluation

    168-175

    13 पाठ्यचया� संबंधी शोध के �े� Scope of Curriculum Research

    176-186

    14 भारत म/ पाठ्यचया� संबंधी शोध Curriculum Research in India

    187-198

    15 पाठ्यचया� िवकास से स�बंिधत िविभ न आयोग /सिमितय5 के सझुाव Suggestions/Recommendation Related to Curriculum Development

    According to Different Education Commissions

    199-218

  • पाठ्यचया� िनमा�ण MAED 205

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 1

    ���� 1- ������: �����,��,�� ��,��� ���

    �������, ������ � ������� � �� �����

    1.1 ��तावना 1.2 उ�ेय 1.3 पाठ्यचया�: संक�पना, अथ�, �कृित 1.4 पाठ्यचया�: �े� एवं िवशेषताएं 1.5 पाठ्यचया� का अिधगमकता� के साथ स ब"ध 1.6 सारांश 1.7 अ#यास �$% के उ&र 1.8 संदभ�-*"थ 1.9 िनब"धा+मक �$

    1.1 ��तावना हम सभी जानते ह� िक बचपन से आज तक हमने जो भी िश"ा #ा$ क% ह ै इस िश"ा #ाि$ क% #ि(या के दौरान हम सभी ने कई तरह क% संप,न होने वाली #ि(याए ंिव�ालय. म/ देखी ह�, जसैे- 0कूल. म/ सुबह क% #ाथ3नाए,ं िफर िनि5त समय सारणी के अनसुार सभी क"ाओ ंका संचालन, #ायोिगक ि(या-कलाप, वष3 म/ कई बार परी"ाओ ंका आयोजन एव ंसाथ ही वष3 भर िव�ालय म/ कई #कार क% अ,य गितिविधय. `का आयोजन होना जैसे- खलेकूद #ितयोिगता, सां0कृितक काय3(म, प0ुतक मलेा, िव=ान #दश3नी, 0काउट्स गाइड,एन०सी०सी०, रा@Aीय पवB का आयोजन आिद । आज हम सभी िमलकर इस िवषय को समझ/ग ेक% िव�ालय. म/ संप,न होने वाले इन सभी इस #कार के ि(लाप. के Dया शिै"क िनिहताथ3 ह� ? िव�ालय म/ आयोिजत होने वाले ये सभी काय3(म िकसी न िकसी िनि5त उEFेय को लेकर ही आयोिजत िकये जाते ह�. इस इकाई म/ हम इनके 0वGप, महHव एव ंउEFेय. क% चचा3 कर/ग े।

    पाठ्यचया3 एक ऐसी धरुी के Gप म/ ह ैिजसके चारो ओर क"ा के िविवध काय3 तथा िव�ालय के सम0त ि(याकलाप िवकिसत िकये जाते ह� । आप अपने बचपन के िदन. म/ 0कूल. म/ िकये जाने वाले िविवध काय3कलाप. के बारे म/ सोिचये और यह सोचने का #यास क%िजये िक हम ऐसा Dय.

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय

    करते थे । इन काय3कलाप. के िविवध #कार. के बारे म/ भी सोिचये िक वह एक दसूरे से िकस #कार सLबंिधत थे। आपको याद होगा िक आपके िव�ालय म/ भाषा िव=ान, गिणत तथा सामािजक िव=ान पढ़ाने वाले अNयापक अपने िव�ािथ3य. के साथ अ,य कौन-कौन सी ि(याए ंकराते थे। इस #कार यह इकाई आपके यह समझने म/ सहायक होगी िक क"ा म/ अNयापक जो भी करता ह ैवह Dय. करता ह ैतथा िश"ा को यह अिधक उEFेयपणू3 तथा जीवन के िलए उपयोगी कैसे बनाता ह।ै इसके साथ ही पाठ्यचया3 क% संकOपना को भली भांित समझ लेने से िश"ा के मनोवांिछत लQय. एव ंउEFेय. को #ा$ करने म/ भी सहायता िमलेगी।

    1.2 उ�ेय इस इकाई का अNययन करने के प5ात ्आप -

    1. पाठ्यचया3 क% पRरभाषा तथा उसक% संकOपना समझ सक/ ग।े 2. पाठ्यचया3 क% िविवध पRरभाषाए ंबता सक/ ग।े 3. पाठ्यचया3 एव ंपाठयचया3 म/ अतंर बता सक/ ग।े 4. पाठ्यचया3 के "ेS एव ंिवशषेताओ ंको बता सक/ ग।े 5. पाठ्यचया3 के महHव को समझ सक/ ग े। 6. पाठ्यचया3 क% #ि(या तथा इसके िविवध सोपान. क% TयाUया कर सक/ ग।े 7. पाठ्यचया3 अNयापक और िव�ािथ3य. के िलए िकस #कार महHवपूण3 ह ैयह समझ सक/ ग।े

    1.3 पायचया�: सकं�पना, अथ�, �कृ�त पाठ्यचया�: संक�पना

    पाठ्यचया3 िव�ालय क% िश"ा Tयव0था का क/ V िबंद ुह।ै िव�ालय म/ उपलWध सभी संसाधन जसै-े िव�ालय भवन, िव�ालय के अ,य उपकरण, प0ुतकालय क% प0ुतक/ तथा अ,य िश"ण सामXी का एक माS उEFेय पाठ्यचया3 के #भावी ि(या,वयन म/ सहयोग दनेा ह ै । क"ा क% सम0त ि(याए,ं पठ्यसहगामी ि(याकलाप तथा मOूयांकन क% सम0त #ि(या िव�ालयी पाठ्यचया3 के पRरणाम0वYप ही िनयोिजत क% जाती ह� । #Hयेक सZय समाज अपनी यवुा पीढ़ी के समाजीकरण हतेु एक िनि5त शिै"क काय3(म का िनयोजन करता ह ै । इसका ि(या,वयन िव�ालय के माNयम से िकया जाता ह ैइस #ि(या म/ िकन बात. का समावशे हो तथा इ,ह/ शिै"क Tयवहार और ि(याओ ंके Gप म/ कैसे पRरवित3त िकया जाय,े इस सLब,ध म/ काफ% मतभदे ह� बह[त पहले अर0त ूने कहा था िक- “जो ि0थितयां ह.ै.....मानव समाज इनके िश"ण के #ित न तो एकमत ह ैऔर न िश"ण के िलए अपनाये जाने वाले साधन. के #ित ही ।” वत3मान समय म/ भी यह मतभदे िव�मान ह� िक पाठ्यचया3

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    म/ Dया समािहत िकया जाये तथा इसे कैसे संगिठत तथा (मब\ करके पढ़ाया जाये । इस मतभदे के कारण ही पाठ्यचया3 क% संकOपना तथा इसके िवकास के #ित हमारे Vि]कोण म/ एकGपता नह^ आ सक% ह ै। पाठ्यचया3 िश"ा का आधार ह ै। पाठ्यचया3 _ारा िश"ा के उEFेय. क% पिूत3 होती ह ै। यह एक ऐसा साधन ह ै जो छाS तथा अNयापक को जोड़ता ह ै । अNयापक पाठ्यचया3 के माNयम से छाS. के मानिसक, शारीRरक, नैितक, सां0कृितक, संवगेाHमक, आNयािHमक तथा सामािजक िवकास के िलए #यास करता ह ै। पाठ्यचया3 _ारा छाS को जीवन जीने क% िश"ा #ा$ होती ह ै। इससे अNयापक. को िदशा-िनदaश #ा$ होते ह� । छाS. के िलए लQय िनधा3Rरत होने से उनम े एकाXता आती ह ै । व ेिनयिमत रहकर काय3 करते ह� । पाठ्यचया3 एक #कार से अNयापक के प5ात ्छाS. के िलए दसूरा पथ #दश3क ह ै । पाठ्यचया3 म/ िकसी भी क"ा के िनिहत िवषय. के साथ-साथ 0कूल के सम0त काय3(म आते ह� । पाठ्यचया3 के स,दभ3 म/ सबसे लोकि#य पRरभाषा किनंघम क% मानी जाती ह ै। किनंघम के अनसुार– “पाठ्यचया3 अNयापक Yपी कलाकार (artist) के हाथ म/ वह साधन (too।) ह ैिजसके माNयम से वह अपने पदाथ3 Yपी िश@य (materia।) को अपने कलागहृ Yपी 0कूल (studio) म/ अपने आदश3 (उEFेय) के अनसुार िवकिसत अथवा Gप (mou।d) #दान करता ह।ै” इसम/ संदहे नह^ िक कलाकार को अपने पदाथ3 को अपने आदशB के अनुGप ढालने क% बह[त 0वतंSता ह,ै Dय. िक कलाकार का पदाथ3 िनजdव ह,ै पर,त ु 0कूल म/ अNयापक का पदाथ3 अथा3त ्छाS सजीव ह ै । परुाने समय म/ जब आवFयकताए ँसीिमत थ^, साधन सीिमत थे, तब अNयापक. को अपने पदाथ3 यािन िक छाS. को नया Gप दनेे म/ परूी 0वतंSता थी, पर,त ु अब बदलती ह[ई पRरि0थितय. म/ अNयापक क% यह भिूमका भी बदल गयी ह ै । िफर भी िन5य ही अNयापक के हाथ म/ पाठ्यचया3 बह[त ही महHवपूण3 साधन ह ै।

    पाठ्यचया�: अथ�

    पाठ्यचया3 शिै"क Tयव0था का अिनवाय3 एव ं महHवपूण3 अगं ह ै । पाठ्यचया3 क% अवधारणा के स,दभ3 म/ #ायः िव_ान. म/ एकमत राय नह^ ह ै । पाठ्यचया3 को लोग पाठयचया3 (sy।।abus) या िवषय व0त ु (course of study) या जसैे नाम. से भी संबोिधत करते ह� । पाठ्यचया3 के िलए #चिलत ये शWद अलग-अलग अथ3 और स,दभB को #कट करते ह� । अतः पाठ्यचया3 को शािWदक, संकुिचत और Tयापक तीन. अथB म/ समझने क% जYरत ह ै । तब इसके सही 0वGप को हम समझ सकते ह� । पाठ्यचया3 शWद दो शWद. से िमलकर बना ह–ै पाठ्य एव ंचया3 । पाठ्य का अथ3 ह-ै पढ़ने योgय अथवा पढ़ाने योgय और चया3 का अथ3 ह ै– िनयम पवू3क अनसुरण । इस #कार पाठ्यचया3 का अथ3 ह[आ पढ़ने योgय (सीखने योgय) अथवा पढ़ाने योgय (िसखाने योgय) । िवषय व0त ुऔर ि(याओ ंका िनयम पवू3क अनसुरण । पाठ्यचया3 के िलए अXंेजी म/ करीकुलम (Curricu।um)शWद का #योग िकया जाता ह ै । यह शWद लैिटन भाषा के Dयरेूरे (Currere) से बना ह ै िजसका अथ3 ह-ै रनव े(Runway) या रेस कोस3 (Race Course) अथा3त ्दौड़ का रा0ता या दौड़ का "ेS अथा3त ्िकसी

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय

    िनि5त लQय तक पह[चँने के िलए माग3 पर दौड़ना या ऐसे भी कह सकते ह� िक -Curricu।um means a course to be run for reaching a certain goa।. इस #कार शािWदक अथ3 म/ पाठ्यचया3 छाS. के िलए दौड़ का रा0ता या दौड़ के मदैान के समान ह ै िजस पर चलते ह[ए छाS अपने वांिछत शिै"क उEFेय. को परूा करता ह ै। राबट3 यिूलच (Robert U।ich) ने िलखा ह ैिक- “िश"ा के लQय तक पह[चँने के िलए िजन अNययन पRरि0थितय. म/ (िमक Yपरेखा बनायी जाती ह ैउसे पाठ्यचया3 कहते ह� । पाठ्यचया3 म/ िश"ण के =ानाHमक, भावाHमक एव ंि(याHमक तीन. प" शािमल होते ह� ।” संकुिचत अथ3 म/ पाठ्यचया3 के िलए एक अ,य शWद िसलेबस (sy।।abus) या पाठयचया3 शWद भी#योग िकया जाता ह,ै िजसका अथ3 कोस3 ऑफ 0टडी या कोस3 ऑफ टीिचंग भी ह ै। इसे पाठ्य िववरण या पाठ्य सामXी या अतंव30त ुआिद भी कहते ह� । पाठयचया3 दो शWद. से िमलकर बना ह ै। पाठ्य + (म अथा3त ् िकसी िवषय या अNययन क% वह िवषयव0त ु जो (म से Tयवि0थत हो

    पाठयचया3 कहलाता ह ै । पहले पाठ्यचया3 के िलए पाठयचया3 शWद का #योग िकया जाता था, लेिकन अब इसके संकुिचत मा,यता पर आधाRरत होने के कारण अब पाठ्यचया3 शWद का #योग िकया जाता ह ै । पाठयचया3 म/ केवल =ानाHमक प" से सLबंिधत तiय ही (मब\ होते ह� । पाठ्यचया3 तथा पाठयचया3 म/ सामा,य लोग भदे नह^ करते और उ,ह ेपया3यवाची शWद. के Gप म/ #योग करते ह� पर,त ुइनम ेपणू3 और अशं का भदे ह ै। पाठ्यचया3 तथा पाठयचया3 म/ #मखु अतंर इस #कार ह� –

    1. पाठ्यचया3 जहाँ Tयापक संकOपना ह,ै वह^ पाठयचया3 सीिमत संकOपना ह।ै 2. पाठ्यचया3 म/ िनयोिजत िश"ा के उEFेय. क% #ाि$ हते ुिव�ालय और िव�ालय से बाहर,

    जो कुछ भी संपािदत से िकया जाता ह,ै वह सब समािहत होता ह,ै जबिक पाठयचया3 केवल िव�ालय क% सीमा म/ क"ा के भीतर िवकिसत िकये जाने वाले िविभ,न िवषय. के =ान क% Gपरेखा माS होता ह ै।

    3. पाठ्यचया3 शWद का #योग क"ा िवशेष के स,दभ3 म/ #योग िकया जाता ह;ै जसैे- क"ा 8 के िलए िहदंी का पाठ्यचया3; पर,त ु पाठयचया3 शWद का #योग क"ा िवशषे के िकसी िवषय िवशषे तक सीिमत होता ह;ै जसैे- क"ा 8 के िलए िहदंी का पाठयचया3 ।

    4. पाठ्यचया3 संपणू3 िव�ालयी जीवन क% चया3 ह ैजबिक पाठयचया3 पठनीय व0त ुका केवल एक (म माS होता ह ै।

    5. पाठ्यचया3 अपने आप म/ सLपणू3 ह,ै जबिक पाठयचया3 पाठ्यचया3 का एक अगं माS ह ै। 6. पाठ्यचया3 से सLपणू3 Tयि�Hव का िवकास संभव ह,ै जबिक पाठयचया3 स े Tयि�Hव के

    िकसी एक प" या िकसी एक अगं का ही िवकास संभव ह ै।

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 5

    दसूरे शWद. म/ हम यह कह सकते ह� िक िकसी 0तर क% पाठ्यचया3 का वह भाग िजसम/ उस 0तर के िलए सै\ांितक िवषय. के =ान क% सीमा िनि5त क% जाती ह,ै पाठयचया3 होता ह ै । 0प] ह ै िक पाठ्यचया3 और पाठयचया3 म/ पणू3 और अशं का भदे होता ह।ै Tयापक अथ3 म/ पाठ्यचया3 (Curricu।um) से आशय बालक के बह[आयामी िवकास करने तथा िश"ा के उEFेय. क% पिूत3 के िलए िश"क _ारा अपनायी गयी व ेतमाम पRरि0थितयां होती ह� िजनसे बालक =ान, अनभुव, ि(या का अज3न तथा आदत एव ंTयवहार म/ पRरमाज3न करता ह ै। इस #कार पाठ्यचया3 म/ िश"क _ारा पढ़ाये जाने वाले िवषय व0त ुया पाठयचया3 क% ि(याए,ं #योगशाला के काय3, सामदुाियक काय3, लेखन, वाचन, प0ुतकालय आिद सभी के ि(या-कलाप शािमल होते ह� । यनेू0को क% Rरपोट3 के अनसुार-“ पाठ्यचया3 म/ िवषय सामXी का िव0ततृ वण3न (पाठयचया3 ) और कुछ हद तक अNययन िविधय. (Methodo।ogy) को भी शािमल िकया जाता ह ै जो क"ा म/ सामXी को ठीक ढंग से #0ततु करने के िलए #य�ु क% जाती ह�” ।अतः 0प] ह ैिक पाठ्यचया3 अपने Tयापक अथ3 म/ िव�ालय म/ तथा िव�ालय के बाहर अपनायी जाने वाली उन सभी सै\ांितक, TयवहाRरक, ि(याHमक पहलुओ ंका संगठन ह ैजो िव�ािथ3य. का बह[प"ीय िवकास के िलए #य�ु िकये जाते ह� ।Tयापक अथ3 म/ पाठ्यचया3 शWद का #योग अनेक Gप. म/ िकया गया ह ै। सामा,य Gप से इसका आशय इस #कार से समझा जा सकता ह-ै

    • िव�ालय म/ अNययन के िलए िनिद3] पाठ्यचया3 तथा अ,य सLबंिधत सामXी । • िव�ािथ3य. को पढ़ाये जाने वाली सम0त िवषय सामXी । • िकसी िव�ालय म/ िकसी िनि5त िवषय का पाठयचया3 । • िव�ालय म/ िव�ािथ3य. को िदए जाने वाले िनयोिजत अिधगम अनभुव. का सिLमिलत Gप ।

    पाठ्यचया3 के Tयापक अथ3 को #कट करते ह[ए माNयिमक िश"ा आयोग (1952-1953 ई०) म/ िलखा ह ैिक– “पाठ्यचया3 का अथ3 केवल उन सै\ांितक िवषय. से नह^ ह ैजो िव�ालय म/ परंपरागत Gप से पढ़ाय ेजाते ह� अिपत ुइसम/ अनभुव. क% वह सLपणू3ता भी िनिहत ह ैिजसम/ बालक िव�ालय, क"ा, प0ुतकालय, #योगशाला, काय3शाला तथा खले के मदैान एव ं िश"क और िश"ािथ3य. के अनिगनत संपकB से #ा$ करता ह,ै इस #कार िव�ालय का सLपणू3 जीवन पाठ्यचया3 बन जाता ह,ै जो छाS. के सभी प". को #मािणत कर सकता ह ैतथा िवकास म/ सहायता द ेसकता ह ै।” पाठ्यचया3 के स,दभ3 म/ कितपय िव_ान. ने इसे िनLन #कार से पRरभािषत करने का #यास िकया ह ै– �ो और �ो के अनसुार– “पाठ्यचया3 म/ िव�ािथ3य. के िव�ालय या उसके बाहर के व े सभी

    अनभुव शािमल ह� जो अNययन काय3(म म/ रख ेजाते ह� िजसका आयोजन बालक. के मानिसक, शारीRरक, संवगेाHमक, सामािजक, आNयािHमक और नैितक 0तर पर िवकास म/ सहायता करते ह� ।”

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय

    के० जी० सैयेदेन के अनसुार- “पाठ्यचया3 वह सहायक सामXी ह ैिजसके _ारा बjचा अपने आप

    को उस वातावरण के अनकूुल ढालता ह,ै िजसम/ वह अपना दिैनक काय3-Tयवहार करता ह ैतथा िजसम/ उसके भिव@य क% योजनाय/ और ि(याशीलता िनिहत ह� ।”

    डकंन ि�जेल के अनसुार– “िव�ालयी पाठ्यचया3 समाज क% परLपराओ,ं पया3वरण एव ंआदशB का

    #ितGप ह ै ।” (The schoo। curricu।um is the ref।ection of the traditiona। environment and ideas of the society)

    ब�ट तथा को बेग� के अनसुार– “पाठ्यचया3के अतंग3त छाS. के िलए #0ततु क% गयी िव�ालयीय

    वातावरण क% वह सम0त सामXी आती ह ै िजसम/ सारी पाठ्य-व0त,ु पठन ि(याए ं एव ं िवषय सिLमिलत ह� ।”

    कैसवेल के अनसुार- “बालक. एव ं उनके माता-िपता तथा अNयापक. के जीवन म/ आने वाली

    सम0त ि(याओ ंको पाठ्यचया3 कहा जाता ह ै। बालक. के काय3 करने के समय जो कुछ भी काय3 होता ह ैउस सबसे पाठ्यचया3 का िनमा3ण होता ह ै । व0ततुः पाठ्यचया3 को गितय�ु (dynamic) वातावरण कहा गया ह ै।”

    रडयाड� तथा हेनरी के अनुसार- “िव0ततृ अथ3 म/ पाठ्यचया3 के अतंग3त सम0त िव�ालय का

    वातावरण आता ह,ै िजसम/ िव�ालय म/ #ा$ सभी #कार के संपक3 , पठन ि(याए ँ एव ं िवषय सिLमिलत ह� ।”

    "ुवेकर के अनसुार– “पाठ्यचया3 एक ऐसा (म ह ैजो िकसी Tयि� को 0थान पर पह[चँने के िलए

    तय करना पड़ता ह ै।”

    ड्यूवी के अनसुार- “पाठ्यचया3 केवल अNययन क% योजना या िवषय सचूी ही नह^ बिOक काय3

    और अनभुव क% संपणू3 kंखला ह ै । पाठ्यचया3 समाज म/ कलाHमक ढंग से पर0पर रहने के िलए बjच. के #िश"ण का िश"क. के पास एक साधन ह,ै सारांशतः पाठ्यचया3 सिुनि5त जीवन का दप3ण ह ैजो िव�ालय म/ #0ततु िकया जाता ह।ै”

    %ोबेल के अनुसार– “पाठ्यचया3 को मानव जाित के सम0त =ान और अनभुव का सार समझना

    चािहये ।”

    इस #कार पाठ्यचया3 का सLब,ध सीखने वाले एव ं िसखाने वाले से होता ह ै । यह सीखने और िसखाने वाले को जोड़ने वाली एक अिनयाय3 कड़ी ह ै।

  • पाठ्यचया� िनमा�ण MAED 205

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 7

    पाठ्यचया�: &कृित,

    lांिसस ज०े mाउन ने अपनी प0ुतक “शिै"क समाज िव=ान” म/ िलखा ह ै िक– “पाठ्यचया3 उन समX पRरि0थितय. का समहू ह ैिजसक% सहायता से िश"क तथा िव�ालय उन सभी बालक. तथा नवयवुक. के Tयवहार म/ पRरवत3न लाते ह� जो िव�ालय से होकर गजुरते ह� ।” इससे यह 0प] होता ह ैिक पाठ्यचया3 िव�ालय क% Tयव0था का मलू आधार होती ह ै । िश"ा क% सLपणू3 Tयव0था पाठ्यचया3 पर केि,Vत होती ह।ै पाठ्यचया3 _ारा िश"ा के उEFेय. क% #ाि$ क% जाती ह ै । िश"क और िश"ाथd पाठ्यचया3 को क/ V म/ रख कर िवचार. के आदान-#दान _ारा िकसी चीज को सीखते ह� तथा Tयवहार म/ पRरवत3न लाते ह� । पाठ्यचया3 स ेही छाS जीवन जीने क% कला(Art of ।iving) सीखते ह� । पाठ्यचया3 क% #कृित को िनLनिलिखत तiय. से हम इस #कार से समझ सकते ह�-

    • पाठ्यचया3 सदवै पणू3 िनयोिजत होती ह ैइसम/ िनिहत ि(याओ ंको आवFयकतानसुार एकाएक िवकिसत नह^ िकया जा सकता ह ै।

    • पाठ्यचया3 के चार मUुय आधार होते ह� –सामािजक शि�यां, 0वीकृत िस\ांत. _ारा #ा$ मानव िवकास का =ान, अिधगम का 0वYप, तथा =ान और सं=ान का 0वGप। इस #कार पाठ्यचया3 िकसी िविश] समाज के एक िविश] आय ुवग3 के बjच. क% िश"ा के िलए िनिम3त होती ह।ै िकसी िविश] Tयवसाय हते ु क"ा आठ क% बािलकाओ ं के िलए िवकिसत पाठ्यचया3 इसी क"ा के लड़क. के िलए परूी तरह िनरथ3क भी हो सकती ह ै।

    • पाठ्यचया3 के लQय या #योजन उससे सLबंिधत शिै"क उEेFय. से िनिद3] होते ह� । ये उEFेय ही साNय ह� तथा 0वीकृत पाठ्यचया3 इ,ह/ #ा$ करने का साधन ह ै । पाठ्यचया3 अNयापक के अनदुशे. को िनयोिजत करने म/ सहायक होती ह ै। अिधगम अनभुव. क% गणुव�ा तथा साथ3कता ही पाठ्यचया3 के ि(या,वयन के #भाव का िनधा3रण करती ह ै।

    • अNयापक अपनी क"ा के सभी िव�ािथ3य. के िलए एक ही #कार के अिधगम अनभुव. का िनयोजन करता ह ैिफर भी अपने अिधगम अनभुव. तथा अपनी सहभािगता के 0तर एव ंगणुव�ा के कारण छाS. म/ िभ,नता िदखाई दतेी ह ै उनम/ Tयि�गत भदे तथा सामािजक #oभिूम क% िविभ,नता एक #कार के पRरणाम के िलए उ�रदायी ह ै यही कारण ह ै िक एक ही क"ा के #Hयेक छाS क% वा0तिवक पाठ्यचया3 उसी क"ा के अ,य छाS. क% पाठ्यचया3 िक अपेछा िभ,न होती ह ै।

    • #Hयेक अिधगमकता3 क% अपनी वा0तिवक पाठ्यचया3 के अि0तHव के पRरणाम0वYप िनिद3] पाठ्यचया3 तथा ि(याि,वत पाठ्यचया3 के बीच पाए जाने वाले अतंर के कारण अNयापक क% भिूमका अHयिधक महHवपणू3 हो जाती ह� उसे क"ा म/ न केवल लचीली Tयव0था #दान करनी होती ह ैवरन अिधगम के साथ3क िवकOप भी खोजने पड़ते ह� । िकसी दी गयी पाठ्यचया3 के

  • पाठ्यचया� िनमा�ण MAED 205

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय

    उEFेय, आधार तथा मापदडं क% p]ी से अNयापक म/ उपय�ु Tयावसाियक िनण3य लेने िक "मता िनिहत होनी चािहए ।

    अ(यास &)

    1. पाठ्यचया3 िव�ालय क% िश"ा Tयव0था का क/ V िबंद ुह।ै (सHय/असHय) 2. ------------ ने कहा था िक- “जो ि0थितयां ह.ै.....मानव समाज इनके िश"ण के #ित न तो

    एकमत ह ैऔर न िश"ण के िलए अपनाये जाने वाले साधन. के #ित ही ।” 3. ------------ने िलखा ह ैिक- “िश"ा के लQय तक पह[चँने के िलए िजन अNययन

    पRरि0थितय. म/ (िमक Yपरेखा बनायी जाती ह ैउसे पाठ्यचया3 कहते ह� । पाठ्यचया3 म/

    िश"ण के =ानाHमक, भावाHमक एव ंि(याHमक तीन. प" शािमल होते ह� ।”

    4. ------------ जहाँ Tयापक संकOपना ह,ै वह^ ------------ सीिमत संकOपना ह।ै 5. ------------ के अनसुार-“ पाठ्यचया3 म/ िवषय सामXी का िव0ततृ वण3न (पाठयचया3 )

    और कुछ हद तक अNययन िविधय. (Methodo।ogy) को भी शािमल िकया जाता ह ैजो

    क"ा म/ सामXी को ठीक ढंग से #0ततु करने के िलए #य�ु क% जाती ह�”

    6. िकसके के अनसुार– “पाठ्यचया3 म/ िव�ािथ3य. के िव�ालय या उसके बाहर के व ेसभी अनभुव शािमल ह� जो अNययन काय3(म म/ रख ेजाते ह� िजसका आयोजन बालक. के

    मानिसक, शारीRरक, संवगेाHमक, सामािजक, आNयािHमक और नैितक 0तर पर िवकास म/

    सहायता करते ह� ।”

    7. “शिै"क समाज िव=ान” नामक प0ुतक के लेखक कौन ह� ?

    1.4 पायचया�: �े� एवं �वशषेताए ं

    पाठ्यचया�: *े+

    हर समाज राqय अथवा रा@A क% अपनी मा,यताए,ं िव�ास, आदश3, मOूय और आवFयकताए ंहोती ह�, इनक% पिूत3 के िलए वह िश"ा का िवधान करता ह ैऔर िश"ा के उEFेय िनि5त करता ह।ै इन उEFेय. क% #ाि$ के िलए िजन िवषय. का =ान एव ंि(याओ ंका #िश"ण आवFयक समझा जाता ह ैउ,ह/ पाठ्यचया3 म/ 0थान िदया जाता ह ै।इस #कार पाठ्यचया3 िश"क और छाS. के सामने 0प] एव ंिनि5त लQय रखती ह ैऔर उनक% #ाि$ के िलए उनके काय3 िनि5त करती ह ै। िनयोिजत िश"ा के िलए पाठ्यचया3 क% बह[त आवFयकता होती ह ै। यह सव3िविदत ह ैिक जो आवFयक ह ैवह उपयोगी

  • पाठ्यचया� िनमा�ण MAED 205

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 9

    होगा और साथ ही उसका एक िनि5त महHव होगा । यही बात पाठ्यचया3 पर भी लाग ूहोती ह ै । पाठ्यचया3 के "ेS को िनLन #कार से समझा जा सकता ह-ै

    1. पाठ्यचया3 के माNयम से िश"ा क% #ि(या सचुाG Gप से चलती ह ै। िश"ा के िकस 0तर (पवू3 #ाथिमक, #ाथिमक, माNयिमक, उjच) पर िकन पाठ्य िवषय. को पढ़ाना ह,ै िकन ि(याओ ंको िसखाना ह ैऔर िकन अनभुव. को दनेा ह ैये सभी बात/ पाठ्यचया3 म/ 0प] Gप से दी जाती ह� । इस #कार से िव�ालयी जीवन के काय3(म क% परूी Gपरेखा पाठ्यचया3 म/ िमलती ह ै।

    2. पाठ्यचया3 के उपलWध हो जाने से आवFयक एव ं वांिछत पाठ्य सामXी को प0ुतक क% रचना के समय Nयान म/ रखा जाता ह ै। इससे उपय�ु एव ं0तरानकूुल प0ुतक. का िनमा3ण हो पता ह ैिजनसे बालक के िवकास म/ सहायता िमलती ह ै।

    3. पाठ्यचया3 छाS एव ंअNयापक दोन. को सही िदशा बोध कराती ह ैइससे समय और शि� का अपTयय नह^ होता ह ै। दोन. िनि5त लQय क% ओर बढ़ते ह� और समय पर वहां पह[चँ जाते ह� । इस #कार पाठ्यचया3 _ारा लQय क% #ाि$ संभव हो पाती ह ै।

    4. एक िनि5त 0तर के िलए एक िनि5त पाठ्यचया3 होने से परेू #दशे अथवा दशे म/ शिै"क 0तर क% समानता और एकGपता बनी रहती ह ैजब िकसी नए िवषय क% पढ़ाई िकसी िश"ा सं0था म/ #ारंभ हो जाती ह ैअथवा कोई नयी योजना लाग ूक% जाती ह ैतब सबसे पहले पाठ्यचया3 को ही िनधा3Rरत करना पड़ता ह ै।

    5. पाठ्यचया3 से मOूयांकन सरल और संभव होता ह ै । िबना पाठ्यचया3 के मOूयांकन करना संभव नह^ होता ह ै। अतः मOूयांकन के िलए पाठ्यचया3 एक िनि5त आधार #दान करती ह।ै

    6. पाठ्यचया3 से उEFेय. क% #ाि$ संभव होती ह ै। 7. पाठ्यचया3 से समय और शि� का सदपुयोग होता ह ै।

    पाठ्यचया3 के मUुय Gप से िनLन भदे िदखाई पड़ते ह� - 1. िवषय केि,Vत पाठ्यचया3 2. बाल केि,Vत पाठ्यचया3 3. िमिkत पाठ्यचया3 4. आधारभतू पाठ्यचया3 5. ि(या केि,Vत पाठ्यचया3 6. अनभुव केि,Vत पाठ्यचया3 7. समाकिलत केि,Vत पाठ्यचया3 8. रा@Aीय पाठ्यचया3

  • पाठ्यचया� िनमा�ण MAED 205

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय

    9. कोर पाठ्यचया3

    पाठ्यचया�: िवशेषताए ं

    हर Tयि� क% अपनी कुछ आवFयकताए ंहोती ह� Tयि� क% भांित समाज और दशे क% भी अपनी-अपनी आवFयकताए ंहोती ह� । आवFयकता के पRर"ेS म/ िश"ा के उEFेय िनधा3Rरत िकये जाते ह� इन उEFेय. क% #ाि$ िवषय. के =ान और ि(याओ ंके माNयम से होती ह ैइन िवषय. और ि(याओ ंको पाठ्यचया3 म/ 0थान िदया जाता ह ै। पाठ्यचया3 स ेपता लगता ह ैिक Dया पढ़ना और Dया पढ़ाना ह ै? िकन ि(याओ ंम/ भाग लेना ह ै? इसिलए छाS और अNयापक दोन. के िलए पाठ्यचया3 क% आवFयकता होती ह ै। छाS के Tयि�Hव िवकास के िलए िश"ा एक साधन ह ै। Tयि�Hव िवकास के उEFेय से पाठ्यचया3 म/ अनेक बौि\क िवषय. को सिLमिलत िकया जाता ह ैअनेक ि(याओ ंऔर खले-कूद. का आयोजन होता ह ै अनेक कौशल. को िसखाया जाता ह ै प0ुतकालय, वाचनालय, #योगशाला आिद क% समिुचत Tयव0था क% जाती ह ै। इस #कार बालक क% स$ु शि�य. को जगाने और उनके िवकास के िनिम� पाठ्यचया3 आवFयक #तीत होती ह ै।

    जब बालक िविभ,न िवषय. को पढ़ता ह,ै िविभ,न ि(याओ ं म/ भाग लेता ह,ै िविभ,न तरह के अनभुव #ा$ करता ह ैतब इन सबके _ारा उसे अपने समाज क%, अपने दशे क% परLपरा और सं0कृित से पRरचय होता ह ै । सं0कृित क% र"ा के साथ-साथ बालक अपनी सजृनाHमक शि�य. _ारा उस सं0कृित म/ आवFयक पRरवत3न, पRरव\3न एव ंपRर@कार करता ह ै। समाजीकरण क% इस #ि(या म/ #भावी ढंग से भाग लेने के िलए पाठ्यचया3 क% बह[त आवFयकता होती ह ै। पाठ्यचया3 िव�ालयीय काय3(म क% एक िनि5त योजना #0ततु करती ह ै । िविभ,न 0तर. के िव�ालय. म/ बालक. के मानिसक 0तारानकूुल िकन ि(याओ ंको िसखाया जायेगा और िकन िवषय. को पढ़ाया जायेगा यह पाठ्यचया3 _ारा ही िनि5त हो पाता ह ै। पाठ्यचया3 िक सहायता से प0ुतक/ िनधा3Rरत िक जाती ह� । पाठ्यचया3 के आधार पर मOूयांकन काय3 सरल हो जाता ह ै। पाठ्यचया3 िवशेष कर #ाथिमक और माNयिमक 0तर. पर समाजोपयोगी उHपादन काय3 एव ंकाया3नभुव पर बल दकेर िश"ा को जीवन से जोड़ती ह ै। इन सब कारण. से पाठ्यचया3 आवFयक ह ै। पाठ्यचया3 क% िवशषेताओ ंया महHव को इस #कार से समझा जा सकता ह ै।

    1. िश*क के िलए मह/व - पाठ्यचया3 से िश"क को अपने िश"णके 0वYप का िनधा3Rरत

    करने, िश"ण का संचालन करने तथा छाS. क% उपलिWधय. को जानने का अवसर #ा$ होता ह ै। पाठ्यचया3 से िश"क अपनी िश"ण िविध का चयन करने म/ समथ3 होता ह ैऔर छाS. का उिचत #कार से माग3दश3न करने म/ समथ3 होता ह ै।

  • पाठ्यचया� िनमा�ण MAED 205

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 11

    2. िश*ािथ�य0 के िलए मह/व – िश"ाथd को इससे अपने िश"ा के उदFेय. को परूा करने म/ मदद िमलती ह ै । छाS. को पाठ्यचया3 स े पवू3 तैयारी का अवसर िमलता ह ै तथा व े यह जानने म/ समथ3 होते ह� िक अमखु िवषय. म/ िकतना तiय पढ़ना ह?ै अथा3त ्पाठ्यचया3 के आधार पर िश"ाथd अपनी अNययन योजना बनाते ह� तथा उस पर चलकर सफलता क% #ाि$ करते ह� ।

    3. समाज के िलए मह/व- पाठ्यचया3 से समाज को भी लाभ पह[चँता ह ै। समाज पाठ्यचया3 _ारा नवीन मतंTय. को जानता ह ैतथा उसके अनGुप अपनी जीवन शलैी एव ंमा,यताओ ंको समय के साथ बदलता जाता ह ै। पाठ्यचया3 से ही समाज म/ पार0पRरक मा,यताओ ंके 0थान पर पRरवित3त मा,यताओ ंका िदgदश3न होता ह ै। कारण यह ह ैिक िव�ालयी जीवन म/ पाठ्यचया3 म/ िनिहत नवीन मा,यताओ ंएव ंतiय. को सीखने के बाद जब बालक िव�ालयी जीवन से िनकलकर सामािजक जीवन म/ पदाप3ण करता ह ैतो वह समाज को कुछ नवीनता य�ु मतंTय दतेा ह ै जब इसका Tयापक 0तर पर #चार #सार हो जाता ह ै तो वह नवीन आयाम, तiय, िवचार, मा,यता, मOूय के साथ िमलकर उस आदश3 समाज का अिभ,न अगं बन जाता ह ै। इस #कार पाठ्यचया3 समाज के िलए भी उपयोगी ह।ै

    4. सां1कृितक उ नयन हेतु मह/व- समाज एव ंसं0कृित के उ,नायक तHव. को पाठ्यचया3 म/ 0थान िदया जाता ह ै । यह तHव िश"ा एव ंसमाज दोन. के उ,नयन म/ महHवपणू3 भिूमका अदा करते ह� । पाठ्यचया3 के सां0कृितक मOूय. क% सीख #ा$ करके िव�ाथd अपनी सं0कृित एव ंसZयता क% िविश]ता, उसक% मौिलकता, करणीय एव ं अकरणीय कत3Tय., जीवनदशB का =ान #ा$ करते ह� । काला,तर म/ ऐसे बालक ही िव�ालय से िनकलकर अपनी सजृनाHमक #ितभा _ारा सां0कृितक िवरासत क% र"ा तथा उसके उ,नयन हते ुसमिप3त होकर काय3 करते ह� ।

    5. अवबोध के िवकास हेतु मह/व- िव�ालय म/ बालक िविवध िवषय. का जब अNययन

    करता ह ै एव ं िविवध पाठ्य सहगामी ि(याओ ंम/ िह0सा लेता ह ै तथा अNययन के _ारा पाठ्यचया3 से तरह-तरह के अनभुव अिज3त करता ह ैतो इससे उसक% अतंp3ि] (बोध) #खर बनती ह ैऔर उसम/ अवबोध (समझदारी) का #कटन होता ह ै।

    1.5 पायचया� का अ�धगमकता� के साथ स"ब$ध

    पाठ्यचया3 छाS और अNयापक दोन. के िलए अित मह�वपणू3 अगं होती ह ै। यह छाS के Tयि�Hव िवकास के िलए आवFयक होती ह ै। इससे छाS समाजीकरण क% #ि(या म/ भाग लेने के िलए तैयार

  • पाठ्यचया� िनमा�ण MAED 205

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय

    हो जाते ह� । पाठ्यचया3 यह िनि5त करने के िलए भी मह�वपणू3 ह ै िक िविभ,न मानिसक 0तर के िव�ालय. म/ पढ़ने वाले बालक. के उनके मानिसक 0तर के अनकूुल कौन सी ि(याए ँिसखाना ह ैऔर कौन सी नह^ ? यह छाS. को समिुचत प0ुतक. के िनधा3रण एव ंचयन म/ सहायक होती ह ै । इससे छाS. को अपना मOूयांकन काय3 करने म/ सरलता होती ह ै । यह छाS. को समाजोपयोगी उHपादन काय3 और काया3नभुव पर बल दकेर िश"ा को जीवन से जोड़ने के िलए #ेRरत करती ह ै। इससे Dया पढ़ाना ह?ै Dया िसखाना ह?ै Dया काया3नभुव दनेा ह?ै यह िश"क =ात कर सकते ह� । इससे छाS और अNयापक दोन. को सही िदशा बोध कराने से समय और शि� क% बचत हो जाती ह ैयह अिधगम हते ुसही समय का िनधा3रण करने म/ उपयोगी होती ह ै। इससे बालक. क% मनोव=ैािनक आवFकता क% पिूत3 होती ह।ै पाठ्यचया3 के िनमा3ण एव ंि(या,वयन म/ अNयापक का िवशषे महHव ह ै। पाठ्यचया3 िश"ा #ि(या का महHवपूण3 अगं ह ै । िश"ा के उEFेय तभी परेू होते ह� जबिक पाठ्यचया3 का िनमा3ण तथा ि(या,वयन #भावपणू3 ढंग से होता ह ैऔर यह िनमा3ण तथा ि(या,वयन #भावपणू3 ढंग से तभी हो सकता ह ैजबिक अNयापक और छाS सजग एव ंजागGक ह. और उHसाह तथा लगन के साथ इस काय3 म/ भाग ल/ । आदश3 पाठ्यचया3 तो वह ह ैजो #Hयेक छाS का सवाrगीण िवकास कर सके पर,त ुऐसे पाठयचया3 का िनमा3ण अभी तो कोरी कOपना ह ै। यह काय3 तभी संभव ह ैजबिक #Hयेक अNयापक #Hयेक छाS के िलए अलग-अलग पाठयचया3 का िनमा3ण करे । वसै ेिवकिसत दशे. म/ इस #कार के #यास िकये जा रह ेह�, िजनम ेिश"ा तथा पाठयचया3 बाल केि,Vत हो। कहने का आशय यह ह ैिक बालक क% Yिचय., अिभYिचय. तथा शि�य. के िवकास के िलए अिधक से अिधक अवसर #ा$ ह. । हम ेइस #कार क% पाठ्यचया3 के िनमा3ण एव ं ि(या,वयन के #ित सजग रहना होगा ।

    1.6 सारांश पाठ्यचया3 के िनमा3ण एवं ि(या,वयन म/ सLपणू3 िश"ा Tयव0था का अभतूपवू3 योगदान रहता ह ै । पाठ्यचया3 एक ऐसी धरुी के Gप म/ ह ै िजसके चारो ओर क"ा के िविवध काय3 तथा िव�ालय के सम0त ि(याकलाप िवकिसत िकये जाते ह� ।पाठ्यचया3 िव�ालय क% िश"ा Tयव0था का क/ V िबंद ुह ै । िव�ालय म/ उपलWध सभी संसाधन जसै-े िव�ालय भवन, िव�ालय के अ,य उपकरण, प0ुतकालय क% प0ुतक/ तथा अ,य िश"ण सामXी का एक माS उEFेय पाठ्यचया3 के #भावी ि(या,वयन म/ सहयोग दनेा ह ै। क"ा क% सम0त ि(याए,ं पठ्यसहगामी ि(याकलाप तथा मOूयांकन क% सम0त #ि(या िव�ालयी पाठ्यचया3 के पRरणाम0वYप ही िनयोिजत क% जाती ह� । पाठ्यचया3िश"ा का आधार ह ै। पाठ्यचया3 _ारा िश"ा के उEFेय. क% पिूत3 होती ह ै। यह एक ऐसा साधन ह ै जो छाS तथा अNयापक को जोड़ता ह ै । अNयापक पाठ्यचया3 के माNयम से छाS. के मानिसक, शारीRरक, नैितक, सां0कृितक, संवगेाHमक, आNयािHमक तथा सामािजक िवकास के िलए #यास करता ह ै। पाठ्यचया3 _ारा छाS को जीवन जीने क% िश"ा #ा$ होती ह ै। इससे अNयापक. को िदशा-िनदaश #ा$ होते ह� । छाS. के िलए लQय िनधा3Rरत होने से उनम े एकाXता आती ह ै । व े

  • पाठ्यचया� िनमा�ण MAED 205

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 13

    िनयिमत रहकर काय3 करते ह� । पाठ्यचया3 एक #कार से अNयापक के प5ात ्छाS. के िलए दसूरा पथ #दश3क ह ै । पाठ्यचया3 म/ िकसी भी क"ा के िनिहत िवषय. के साथ-साथ 0कूल के सम0त काय3(म आते ह� । पाठ्यचया3 म/ िश"ण के =ानाHमक, भावाHमक एव ंि(याHमक तीन. प" शािमल होते ह� । िश"ा क% सLपणू3 Tयव0था पाठ्यचया3 पर केि,Vत होती ह ै । पाठ्यचया3 _ारा िश"ा के उEFेय. क% #ाि$ क% जाती ह ै । िश"क और िश"ाथd पाठ्यचया3 को क/ V म/ रख कर िवचार. के आदान-#दान _ारा िकसी चीज को सीखते ह� तथा Tयवहार म/ पRरवत3न लाते ह� । अतं म/ हम कह सकते ह� िक पाठ्यचया3 िकसी भी िव�ालय क% Tयव0था का मलू आधार होती ह ै।

    1.7 अ%यास �न& के उ'तर 1. सHय 2. अर0त ू 3. राबट3 यिूलच 4. पाठ्यचया3 ,पाठयचया3 5. यनेू0को क% Rरपोट3 6. (ो और (ो 7. lांिसस ज०े mाउन

    1.8 सदंभ�-*$थ 1. Crow, ।.D, A।ice Crow (1962), Introduction of Education,

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    4. माथरु, एस०.एस० (1981), िश"ण कला, िवनोद प0ुतक मिंदर, आगरा । 5. िमk, आHमान,द(1985), िश"ण कला, यिूनविस3टी पिWलकेश,स, नई िदOली । 6. पाल एस० के० एव ं अXवाल, के० एल० (1995), िश"ा के सामा,य िस\ांत,वसुंधरा

    #काशन, गोरखपरु ।

    1.9 �नबंधा'मक �न 1. पाठ्यचया3 िक संकOपना से आप Dया समझते ह�?

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय

    2. पाठ्यचया3 और पाठयचया3 म/ Dया अतंर ह?ै 3. आपके अनसुार पाठ्यचया3 िक सबसे अjछी पRरभाषा िकसक% ह ैऔर Dय.? 4. िव�ालय के िलए पाठ्यचया3 का Dया महHव ह?ै यह िव�ालय को िकस #कार अिधगम

    अनभुव आयोिजत करने म/ सहायता #दान करती ह ै,चचा3 क%िजए । 5. पाठ्यचया3 का छाS. के िलए Dया महHव ह?ै िव0तार से चचा3 क%िजए ।

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    ���� 2 ������� � ��

    2.1 ��तावना 2.2 उ�ेय 2.3 पाठयचया� का अथ� 2.4 पाठयचया� के उ�ेय 2.5 पाठयचया� के �कार 2.6 सारांश 2.7 अ#यास �$% के उ&र 2.8 स"दभ�*"थ 2.9 िनबंधा+मक �$

    2.1 ��तावना पाठयचया3 क% #ाचीन अवधारणा म/ तiय. के =ान क% सीमा िनि5त करना सिLमिलत था। समाज क% भौितक तथा सां0कृितक आवFयकताओ ंको Nयान म/ रखते ह[ए िश"ा शाsी िव�ालयी िवषय. म/ दशे, काल, समय क% आवFयकता के अनसुार सामािजक, आिथ3क, राजनैितक और सां0कृितक पoृभिूम म/ िश"ा के लQय िनधा3Rरत करते ह�। िश"क िश"ा शाsी _ारा िनधा3Rरत लQय. को पाठयचया3 के माNयम से मतू3 Gप दतेा ह।ै िनधा3Rरत लQय. क% #ाि$ के िलए सिुनयोिजत Tयव0था को पाठयचया3 कहा जा सकता ह।ै पाठयचया3 लQय. को #ा$ करने का एक साधन माS ह।ै िनि5त पाठयचया3 के अभाव म/ लQय. क% #ाि$ असLभव ह।ै िकसी भी पाठयचया3 क% व=ैािनकता एव ंउसके उEFेय. को जानने के प5ात हम/ यह िनण3य करना होता ह ै िक उसके उEFेय. को #ा$ करने के िलए कौन सी और िकतनी िवषय व0त ु पढ़ाई जानीचािहए, साथ ही इस िवषय व0त ुका चयन एव ंसंगठन िकस #कार िकया जाए िजससे हमारे लQय क% #ाि$ हो सके। पाठयचया3 _ारा िश"ा के उEFेय. क% पिूत3 होती ह।ै यह एक ऐसा साधन ह ैजो छाS तथा अNयापक को जोड़ता ह।ै अNयापक पाठयचया3 के माNयम से छाS. के मानिसक, शारीRरक, नैितक, सां0कृितक, संवगेाHमक, आNयािHमक तथा सामािजक िवकास के िलए #यास करता ह।ै पाठयचया3 _ारा छाS. को “जीवन” कला म/ #िश"ण के अवसर िमलते ह� अNयापक. को िदशा िनद(श #ा$ होता ह।ै छाS. के िलए लQय िनधा3Rरत होने से उनम/ एकाXता आती ह।ै व ेिनयिमत रहकर काय3 करत े

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय

    ह�। पाठयचया3 एक #कार से अNयापक के प5ात छाS. के िलए दसूरा पथ-#दश3क ह।ै पाठयचया3 म/ पाठयचया3 िवषय. के साथ-साथ 0कूल के सारे काय3(म आते ह�।

    2.2 उ�ेय इस इकाई के अNययन के प5ात आप -

    1. पाठयचया3 के अथ3 को समझ सक/ ग।े 2. पाठयचया3 के उEFेय. को जान पाएग/। 3. पाठयचया3 के #कार. क% TयाUया कर पाएग/।

    2.3 पाठयचया� का अथ� (Meaning Of Curriculum) कुरीकुलम शWद क% उHपि� लैिटन भाषा के एक शWद Dयरूरे Currere से ह[ई ह ै िजसका अथ3 ह ैRace Course दौड़ का मदैान । इस #कार पाठयचया3 वह दौड़ का मदैान ह,ै िजस पर िव�ाथd लQय को #ा$ करने के िलए दौड़ता ह।ै पाठयचया3 क% आधिुनक अवधारणा के अ,तग3त हम कह सकते ह� िक िकसी भी क"ा िश"ण के अ,तग3त सै\ाि,तक और ि(याHमक दोन. #कार का =ान एक िनि5त सीमा म/ छाS. को िदया जाता ह।ै उसे पाठयचया3 कहते ह�।

    मुनरो के अनुसार-‘‘ पाठयचया3 म/ व ेसम0त अनभुव िनिहत ह ैिजनको िव�ालय _ारा िश"ा के

    उEFेय. क% #ाि$ के िलए उपयोग म/ िलया जाता ह”ै

    “Curricu।um embodies a।। the experiences which are uti।ized by the schoo। to attain the aim of education.” Munroe माNयिमक िश"ा आयोग- ‘‘ पाठयचया3 का अथ3 केवल उन सै\ाि,तक िवषय. से नह^ ह ै जो िव�ालय म/ परLपरागत ढंग से पढ़ाए जाते ह�, वरन ् इसम/ अनभुव. क% वह सLपणू3ता िनिहत ह ैिजसको छाS िव�ालय, क"ा, प0ुतकालय, व(शाप, #योगशाला और खले के मदैान तथा िश"क. एव ं िश@य. के अगिणत अनौपचाRरक सLपका3 स े #ा$ करता ह।ै इस #कार िव�ालय का सLपणू3 जीवन पाठयचया3 हो जाता ह।ै जो छाS. के जीवन के सभी प". को #भािवत कर सकता ह।ै और उनके स,तिुलत Tयि�Hव के िवकास म/ सहायता दतेा ह।ै माNयिमक िश"ा आयोग _ारा बताई गई पRरभाषा से आपको 0प] हो गया होगा िक पाठयचया3 का अथ3 माS क"ा िश"ण से नह^ ह ैअिपत ुइसका सLब,ध सLपणू3 ि(याकलाप. से ह।ै

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    2.4 पाठयचया� के उ�ेय Objectives िव�ालय म/ िवभ,न 0तरो के िलए पथृक पथृक पाठयचया3 का िनमा3ण िकया जाता ह।ै पाठयचया3 िनधा3रण के समय कुछ िवशषे उEFेय. को Nयान म/ रखना अHयंत आवFयक ह।ै पाठयचया3 बनाते समय छाS. केजीवन से सLबंिधत िविभ,न िब,दओु ंको Nयान म/ रखा जाना अित आवFयक ह।ै एक अjछे और आदश3 पाठयचया3 म/ कुछ उEFेय. का होना अित आवFयक ह।ै जसैे- 1. पाठयचया3 ऐसा हो जो िक छाS. का बह[मखुी िवकास कर सके। 2. पाठयचया3 का उEFेय छाS. क% Yिचय., "मताओ ंतथा योgयताओ ंको जागतृ करना हो। 3. पाठयचया3 छाS. क% अ,तिन3िहत शि�य. का िवकास कर सके। 4. पाठयचया3 का उEFेय छाS. म/ सामािजक गणु. का िवकास करना हो। 5. पाठयचया3 ऐसा होना चािहए िजससे छाS. म/ कत3Tय पालन क% भावना का िवकास हो सके। 6. पाठयचया3 का एक मUुय उEFेय िव�ािथ3य. म/ #जात,S क% भावना का िवकास करना हो।

    िजससे वह भिव@य म/ एक आदश3 नागRरक बन सके। 7. पाठयचया3 का उEFेय छाS. क% कOपना शि�, िच,तन, िनण3यन तथा त( शि� का िवकास

    करना होना चािहए। 8. पाठयचया3 ऐसा हो िजससे छाS अपने जीवन के मOूय. का िनमा3ण करना 0वयं सीख सक/ ।

    अतः उपरो� के स,दभ3 म/ कह सकते ह� िक पाठयचया3 का उEFेय िव�ाथd का सवाrगीण िवकास करना ह।ै

    अ(यास &)

    1. करीकुलम शWद क% उHपि� ________ भाषा के शWद________ से ह[ई ह।ै 2. Currere शWद का अथ3 ह ै________ । 3. ________ के अनसुार - ‘‘ पाठयचया3 म/ व ेसम0त अनभुव िनिहत ह ैिजनको िव�ालय _ारा

    िश"ा के उEFेय. क% #ाि$ के िलए उपयोग म/ िलया जाता ह ै“ 4. पाठयचया3 का उEFेय िव�ाथd का सवाrगीण िवकास करना ह।ै )सHय/असHय( 5. एक अjछे और आदश3 पाठयचया3 के कोई दो उEFेय िलिखए

    2.5 पाठयचया� के �कार Types Of Curricu।um पाठयचया3 वह िश"ा धरुी ह ै िजसके _ारा बालक को िनयोिजत तरीके से िश"क _ारा अनसुरण िकया जाता ह।ै िव�ालय म/ शिै"क अनभुव. को चनुने एव ं काया3ि,वत Gप म/ लाने के िलए योजनाब\ तरीके से उन सीखने क% ि(याओ ंको िश"क _ारा अनसुरण िकया जाता ह।ै पाठयचया3

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय

    आयोजन वह संरचना एव ंढांचा ह ैिजसको अपनाकर अनभुव. के आधार पर िनिम3त िकया जाता ह।ै पाठयचया3 को िनLन #मखु #कार. के _ारा #0ततु िकया जा सकता ह।ै- 1. कोर पाठयचया3 2. समिेकत पाठयचया3 3. सै\ाि,तक पाठयचया3 4. ि(या केि,Vत पाठयचया3 5. पनुसrरचनाHमक पाठयचया3

    कोर पाठयचया�

    कोर पाठयचया3 वह ह ैिजसम/ बालक को कुछ िवषय अिनवाय3 Gप से पढ़ने होते ह�। तो कुछ िवषय. का िविवध िवषय. म/ से चनुाव करना पड़ता ह ैरा@Aीय िश"ा नीित 1986 म/ कोर पाठयचया3 को अिधक महHव िदया ह।ै पाठयचया3 इस बात पर बल दतेा ह ै िक िव�ालय अिधक सामािजक दाियHव. को Xहण करे और सामािजक Gप से कुशल "मतावान कत3Tयपरायण Tयि�य. का िनमा3ण कर/। रा@Aीय िश"ा नीित 1986 म/ विण3त ह ै िक हमारा भारतीय समाज अनेक वगा(ं, सL#दाय., जाितय., सं0कृितय., सZयताओ,ं #थाओ,ं मा,यताओ,ंभौगोिलक ि0थितय. तथा िविवध भाषाओ ंम/ बटा ह[आ ह।ै इसिलए पाठयचया3 का सजृन 0थानीय भाषायी आवFयकताओ ं को Nयान म/ रखकर िकया जाना चािहए। कुछ िवषय अिनवाय3 एव ं कुछ "ेSीयता या भाषायी िवषय. ऐिjछक Gप म/ होना चािहए। िजससे हम अपने भारतीय समाज म/ कत3Tयिनo एव ंपRरkमी Tयि�य. का िनमा3ण कर सके। इसके _ारा हमारे समाज म/ Tयि�गत एव ं सामािजक सम0याओ ं का अ,त हो सके। कोर पाठयचया3 Tयि� को सामािजक जीवनयापन करने पर जोर दतेा ह।ै कोर पाठयचया3 बालक के सामा,य िवकास पर केि,Vत ह।ै इसिलए भारतीय समाज क% आवFयकताओ ं क% पिूत3 हते ु कुछ िवषय. को Nयान म/ रखना जGरी ह।ै जसैे लोकतंS, भारतीय 0वतंSता का इितहासS सभी वगा(ं म/ समानता, 0थानीय भाषाओ ंका =ान, सामािजक समता, धम3 िनरपे"ता, पया3वरण संर"ण,जनसंUया, मानवािधकार, सं0कृित एव ं सZयता, रा@Aीयता क% भावना को Nयान म/ रखकर अिनवाय3 एवं ऐिjछक िवषय का चयन िकया जाना चािहए। Dय.िक कोर पाठयचया3 उपयोिगता क% pि] स ेपाठयचया3 का एक अहम िह0सा बन चकुा ह।ै इसका #मखु कारण आधिुनक यगु क% सामािजक अTयव0था ह।ै हम/ बालक को िव�ालय म/ सामािजक दाियHव. को Xहण कराना ह,ै िजससे वह कुशल Tयि�य. का िनमा3ण कर/। िश"ण म/ एक मUुय पाठयचया3 अथवा अNययन का कोस3 होता ह।ै िजसक% भिूमका को के,Vीय माना जाता ह ैतथा िजसे आमतौर पर एक 0कूल या 0कूल प\ित के सभी छाS. के िलए अिनवाय3 Gप ् से लाग ू िकया जाता ह।ै हालांिक हमेशा ऐसा नह^ होता ह।ै उदाहरण के िलए कोई 0कूल संगीत संबंधी क"ा को अिनवाय3 कर सकता ह।ै लेिकन छाS यिद आक(0टा, ब�ड, कोरस जसैे िकसी #दश3न करने वाले समहू म/ भाग लेते ह� तो इससे बाहर रहने का चनुाव कर सकते ह�। #मखु कोर पाठयचया3 को अDसर #ाथिमक तथा माNयिमक सतर पर 0कूली

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    बोड3, िश"ा िवभाग या िश"ा का काय3 दखेने वाली अ,य #शासिनक सं0थाओ ं_ारा 0थािपत कर िदया जाता ह।ै

    &ाथिमक और मा4यिमक िश*ा म5 कोर पाठयचया�

    संय�ु राqय अमRेरका म/ कॉमन कोर 0टेट 0ट�डड3 इनीिशएिटव एक सरकार पहल राqय. को एक #मखु पाठयचया3 अपनाने और उसका िव0तार करने के िलए #ोHसािहत करती ह।ै इस सम,वय का उEFेय राqय. समान पाठ्यप0ुHक. के अिधक उपयोग और ,यनूतम 0तर क% िश"ा #ाि$ म/ और अिधक समानता को बढ़ावा दनेा ह।ै 2009-2010 म/ राqय. को इन मानक. को अपनाने के िलए #ोHसाहन के Gप ्म/ संघ के रेस टू दी टॉप काय3(म से धन महुयैा करवाने क% संभावना का आ�ासन िदया गया।

    उjच िश"ा म/ कोर पाठयचया3 - कई कॉलेज और िव�िव�ालय #शासन एव ंफैकOटी कभी-कभी 0नातक 0तर पर कोर पाठयचया3 को अिनवाय3 कर दतेे ह�। िवशेष Gप ्से िलबरल आट्3स म/ छाS. _ारा अNययन िकए जा रह े#मखु िवषय. क% गहराई तथा अिधक िवशेष=ता के कारण उjच िश"ा के एक सामा,य कोर पाठयचया3 म/ हाई0कूल अथवा #ाथिमक 0कूल क% अपे"ा छाS. के अNययन संबंधी कायB को काफ% कम माSा म/ िनधा3Rरत िकया जाता ह।ै

    इसके अलावा जसैे -जसैे बीसव^ सदी म/ कई अमRेरक% 0कूल. के कोर पाठयचया3 म/ कमी आने लगी, कई छोटी सं0थाय/ ऐसे कोर पाठ्यकम अपनाने के िलए तैयार हो गई ंिजनम/ छाS. क% लगभग परूी 0नातक िश"ा को समािहत िकया जाता था। संय�ु राqय अमRेरका का स/ट जॉन कॉलेज इस pि]कोण का एक उदाहरण ह।ै

    उ6े7य

    1. कोर पाठयचया� का परम उ6े7य (Ultimate goal of Core Curricu।um) Tयि�गत गणना और नागRरक जीवन म/ शािमल होने के िलए तैयारी के Gप म/, उदार कला िश"ा के शाsीय आदश3 म/ एक संबंध. के साथ अ,य आधिुनक "ेS. के िलए #िश"ण के आदश3 और अिधक बाल केि,Vत ह.। िवषय. म/ कोर पाठयचया3 के #ाथिमक उEFेय के िवषय. के िलए एक सामा,य पRरचय नह^ होना चािहए। लेिकन एक पRरचय का #0ताव िवषय. क% सहuिलयत अकं-दिुनया म/ जो हमारे छाS. को सेवा के िलए कहा जाता ह।ै इितहास म/ कोर पाठयचया3 का मUुय उEFेय ह ैअपने पRरणाम िविधय. और pि]कोण जो छाS. को ऐितहािसक एज/ट के Gप म/ भाग लेने के िलए कहा जाता ह।ैवत3मान गठन क% जांच उन िवचारां, िवषय., सं0थाओ ं और #थाओ ंिक दोन. क% पहचान और समाज क% िनवास के आकार का ह।ै

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय

    यिद दश3न म/ एक कोर पाठयचया3 दखे/ तो दाश3िनक. का मन लग ेह[ए िमkण म/ जा सकते ह�। एक सेम0ेटर के दश3न म/ पRरचयाHमक पाठयचया3 भाषाई संदभ3, Aांस दिुनया पहचान के मॉडल सम0या, अवधारणाHमक चेतना क% #ारंिभक आधिुनक िस\ा,त. के कारण िस\ा,त. को उEFेय बनाया जा सकता ह।ै

    मUुय पाठयचया3 के उEFेय के Gप म/ यह एक िश"ा के Tयापक लQय तथा लोग. को #भावी ढंग से समकालीन समाज म/ रहने के िलए स"म होने के लQय से सLबि,धत ह।ै एक #मखु उEFेय हमारे छाS. को अपने चनेु ह[ए पेश ेम/ जीवन जीने के िलए स"म होना चािहए। यह उ,ह/ इितहास, संरचना, िवषय., मE. और भीतर और TयावहाRरक जीवन के इन िविभ,न लोग. के बीच बातचीत क% एक बिुनयादी सम" के साथ #दान करना होना चािहए। यह छाS. म/ Tयापक #सार तथा #िति(या करने के िलए तैयार करना सुिनि5त करता ह।ै

    2. पाठयचया� का आस न उ6े7य (Proximate Purpose of Core Curriculum) अjछी तरह से िडजाइन एक कोर पाठयचया3 के िलए संरचनाHमक #योजन. के अNययन का एक अनशुासनाHमक #साद का एक संXह TयावहाRरक #ासंिगकता क% कसौटी _ारा ही #भावी हो सकता ह।ै

    कोर पाठयचया3 के आस,न #योजन. के उEFेय िनLनिलिखत ह�- 1. श"ैिणक काय3 के #ारंिभक दौर म/ आ�0त करना िक छाS. को उनके बाद के अNययन. म/

    #गित बनाने के िलए अjछी तरह तैयार कर रह े ह।ै इस अथ3 म/ मUुय पाठयचया3 मलूभतू होगा।

    2. एक%कृत मानदvड 0थािपत करना िक िवषय. से #ा$ =ान को िवशेष Gप ्से सLबि,धत कर सक/ । इस अथ3 म/ मUुय पाठयचया3 #ासंिगक होगा।

    3. एक श"ैिणक समदुाय ह ैिक िवभाग के #मखु या काय3(म के दायरे से परे फैली शता( को बनाने के िलए इस अथ3 म/ मUुय पाठयचया3 के,Vीय होगा।

    4. यह कोर के अNययन के (म म/ अन(ुमण #दान करते ह�। िक यह महHवपणू3 िवषय. और कौशल िवकास म/ छाS. के 0तर के अनसुार बौि\क पRरपDवता के िनमा3ण पाठ्य(म. के साथ मUुय पाठयचया3 सLब\ हो जाएगा।

    हम =ान, कौशल और गणु के Tयापक "ेS. म/ कोर पाठयचया3 क% सामXी िवभािजत करते ह�। श"ैिणक समदुाय बनाने के िलए और बड़े पैमाने पर पाठयचया3 को कोर पाठयचया3 क% सLप,नता के िलए कोर पाठयचया3 म/ इन तHव. क% भिूमका पर मUुय पाठयचया3 के #0ताव म/ काम िकया गय