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हहन्दी व्माकयण
Dr. Kamraj Sindhu
Assistant Professor (Hindi)
Directorate of Distance Education
Kurukshetra University,
Kurukshetra
DDEProgramme
B.A. General
Class:
B.A. Part -I
Subject:
Hindi
१ वाक्म २ सॊऻा २.१ जातिवाचक सॊऻा २.२ बाववाचक सॊऻा
1 क्रिमा 2 ववशषेण 3 सववनाभ 4 लरॊग 5 वचन 6 कायक
नीचे लरखे वाक्मों को ऩढो- अशोक बटु्टा खा यहा है। यीिा दधू ऩी यही है। दो फैर हर चरा यहे हैं। बफल्री धऩू भें फैठी है। क ख
1. बुट्टा अशोक यहा है खा। अशोक बटु्टा खा यहा है।2. दधू यही ऩी यीिा है। यीिा दधू ऩी यही है।3. दो हैं यहे चरा फैर हर। दो फैर हर चरा यहे हैं।4. है भें फैठी बफल्री धूऩ। बफल्री धूऩ भें फैठी है।
क के नीचे जो शब्दों के सभूह हैं, उनसे क्रकसी अर्व का ऩिा नहीॊ चरिा। ख के नीचे जो शब्दों के सभूह हैं, उनसे ऩूये अर्व का ऩिा चरिा है।
हभने जाना- दो मा अधधक शब्दों के सभूह को वाक्म कहि ेहैं, जजससे ठीक अर्व ऩिा चरे।
1. वाक्म भें कभ से कभ दो शब्द अवश्म होने चाहहए।
2. उससे ऩूया ठीक अर्व ऩिा चरना चाहहए।
इन शब्दों को देखखए-
1. ऩशु 2. ऩऺी 3. अशोक 4. भोय ऊऩय के शब्दों से कोई ऩूया अर्व नहीॊ प्रकट होिा। इनसे हभें ऩिा नहीॊ चरिा क्रक उनके फाये भें क्मा कहा जा यहा है। इसलरए मे वाक्म नहीॊ। इन्हें वाक्म फनाने के लरए हभें कहना होगा-
1. ऩशु घास चय यहे हैं। 2. ऩऺी उड़ि ेहैं। 3. अशोक हॉसिा है। 4. भोय नाचिा है।
कुछ अन्म वाक्म देखखए (इनसे ऩूये अर्व का ऩिा चरिा है।) 1. हभाया देश बायि है। 2. बायि की याजधानी हदल्री है। 3. अिुर ऩुस्िक नहीॊ ऩढ यहा। 4. याधा चिुय फालरका है।
कबी-कबी एक-एक शब्द का बी वाक्म देखने भें आिा है। जैसे-
1. आइए। 5. आई। 2. चुऩ। 6. फैहठए। 3. कहहए। 7. फोरो। 4. चरो। 8. रीजजए।
भौके ऩय इनसे ऩूया अर्व ऩिा चरिा है। ऩयन्िु असर भें इनभेंसे कुछ शब्द छोड़ हदमे होिे हैं। जसेै-
1. (आऩ) आइए। 5. (भैं) आई। 2. (अये) चुऩ। 6. (आऩ) फैहठए। 3. (आऩ) कहहए। 7. (िुभ) फोरो। 4. (आओ) चरो। 8. (आऩ) रीजजए।
नीचे लरखी ऩॊजक्िमों भें से जो वाक्म हैं उन ऩय धचह्न रगाइए। जो वाक्म नहीॊ हैं, उन ऩय धचह्न रगाइए :
1. भेये ऩास एक ऩुस्िक है। 2. नयेश दधू। 3. फारक देय से उठिा है। 4. हभ सफ बाई-
बाई हैं। 5. भािा वऩिा की सेवा। 6. गारी फकना फहुि।
नीचे लरखे शब्दों से अऩने वाक्म फनाइए :
पर, दधू, भािा, अध्माऩक, ऩाठ, ववद्मारम।
नीचे लरखे वाक्मों को िभ ठीक कयके लरखखए :
1. गई आज बफल्री यसोईघय भें। 2. खामा पर योज कयो। 3. कयो माद ऩाठ सदा। 4. न फोरो झूठ। 5. आग चरी, वामु जरी। 6. ऩववि है धगयिी फपव ऩय। 7. सुखी ऩयभात्भा यखें आऩको।संज्ञा कभरा ऩढ यही है। फन्दय नाच यहा
जो शब्द क्रकसी भनुष्म, जीव, स्र्ान मा वस्िु का नाभ फिाएॉ उन्हें सॊऻा कहिे हैं।
1. हय एक भनुष्म का कोई न कोई नाभ है। जसेै- हरय, अशोक,अकफय, एॊर्नी, यीटा, रिा, आशा, नजभा आहद।
2. हय एक ऩशु का कोई नाभ है। जसेै- गाम, घोड़ा, फन्दय,यीछ, हार्ी, फकयी आहद।
3. हय एक स्र्ान का कोई नाभ है। जसेै- बायि, इॊग्रैंड,हदल्री, भैसूय, चाॉदनी चौक, स्कूर आहद।
4. हय एक वस्िु का कोई न कोई नाभ है। जसेै-ऩेंलसर,कागज, ऩुस्िक, ऩेड़, ऩत्िा,
जातिवाचक संज्ञा भैं अिुर हूॉ। हभ फारक हैं। मह हैयी है। मे कुत्िे हैं।
भाववाचक संज्ञा मह िो हभने जान लरमा क्रक क्रकसी भनुष्म, ऩश,ु ऩऺी, जीव,
स्र्ानऔय वस्िु के नाभ को सॊऻा कहिे हैं। क्रकसी सजीव मा तनजीव(फेजान) को हभ उसके नाभ से ही ऩहचानिे हैं। सफ ठोस चीजों काकोई न कोई नाभ होिा- मह फाि हभने सभझ री।ऩयन्िु क्मा आऩ जानिे हैं कई नाभ ऐसे हैं जो ठोस प्राखणमों मा ऩदार्ों के नहीॊ? ऐसे नाभ अर्ावि ्सॊऻा शब्द क्रकसी व्मजक्ि, वस्िु मास्र्ान के गणु, दोष, धभव, दशा,आदि मा काभ को फिरािे हैं।
1. रार क्रकरे की सुन्दयिा देखि ेही फनिी है। 2. वऩकतनक ऩय न जाने से रिा के भुॉह ऩय उदासी छा
गई। 3. अिरु की भुस्कयाहट क्रकिनी प्मायी है। 4. अशोक की अतनर से लभत्रिा हो गई है।
क्रिया नीचे लरखे वाक्मों को ऩहढए -
सूमव आकाश भें चभक यहा है.
फारक हॉस यहा है.
रिा नाच यही है.
फस खड़ी है.
ववशेषण इन वाक्मों को ऩहढए :
1. मह भोटा आदभी है। 2. वह ऩिरा आदभी है। 3. मह ऊॉ चा ऩेड़ है। 4. वह छोटा ऩौधा
1. ऩहरे वाक्म भें भोटा शब्द आदभी की ववशषेिा है। 2. दसूये वाक्म भें ऩिरा शब्द फारक की ववशषेिा है। 3. िीसये वाक्म भें ऊॉ चा शब्द ऩेड़ की ववशषेिा है। सववनाम नीचे लरखे वाक्मों को ऩहढए :
1. याभ ने कहा- याभ कऺा भें प्रर्भ आएगा। याभ ने कहा- भैं कऺा भें प्रर्भ आऊॉ गा। 2. सुनीति की भािा ने कहा- सुनीति अच्छी रड़की है। सुनीति की भािा ने कहा- िू अच्छी रड़की है। 3. हभ हभाये घय जा यहे हैं।ऊऩय जो वाक्म लरखे हैं, उनभें- भैं, िू, अऩने, वह, उसने, वह, - शब्द सववनाभ हैं। इन्हें सववनाभ इसलरए कहिे हैं क्रक मे सफ सॊऻाओॊ के स्र्ान ऩय काभ आ जािे हैं।
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