, Sociology-Meaning, Defintions & Nature · समाजशा - एक प रचय baso101...

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समाजशा - एक परचय BASO101 उराख ड मु िविवालय 1 01- , Sociology-Meaning, Defintions & Nature इकाई क परेखा 1.0 तावना 1.1 उेय 1.2 समाजशा का अथ व परभाषा 1.2.1 समाजशा समाज का अययन 1.2.2 समाजशा सामािजक स का अययन 1.2.3 समाजशा सामािजक जीवन,घटनाओ , यवहार एव काय का अययन है 1.3 समाजशा क कित 1.3.1 समाजशा िवान के प म 1.4 सारा 1.5 पारभािषक शदावली 1.6 अयासाथ न के उर 1.7 दभ 1.8 सहायक उपयोगी पाठ्य सामी 1.9 िनब धामक न

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  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 1

    ���� 01- �������� – �,������ � �� �� Sociology-Meaning, Defintions & Nature

    इकाई क� �परेखा

    1.0 ��तावना

    1.1 उ��ेय

    1.2 समाजशा! का अथ$ व प&रभाषा

    1.2.1 समाजशा! समाज का अ)ययन

    1.2.2 समाजशा! सामािजक संबंध, का अ)ययन

    1.2.3 समाजशा! सामािजक जीवन,घटनाओ,ं .यवहार एव ंकाय1 का अ)ययन ह ै

    1.3 समाजशा! क� �कित

    1.3.1 समाजशा! िव2ान के �प म3

    1.4 सारांश

    1.5 पा&रभािषक श4 दावली

    1.6 अ6यासाथ$ �� न के उ�र

    1.7 संदभ$ 7ंथ

    1.8 सहायक उपयोगी पाठ्य साम7ी

    1.9 िनबंधा

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 2

    1.0 ��तावना

    समाजशा! समाज का िव2ान ह ैयह एक ऐसा िवषय ह,ै िजसम3 मानव समाज के िविभ=न

    �व�प, संरचना व �ि?याओ का ?मबA तरीके से अ)ययन िकया जाता ह।ै अग�त कॉCटे �थम

    िवचारक हE, िज=ह,ने एक .यवि�थत िव2ान के �प म3 समाजशा! िवषय का िनमा$ण उ=नीसवG

    शता4दी के पवूा$A$ म3 िकया। उनको मानवीय तथा सामािजक एकता पर बल दनेा वाला �थम

    समाजशा!ी माना जाता ह।ै उनका िवचार था िक कोई भी ऐसा नहG ह ै िजसने िक समाज के

    िविभ=न पहलओु ंका सम7 �प म3 अ)ययन िकया हो। इस कमी को दरू करने के िलए उ=ह,ने इस

    नवीन िवषय का िनमा$ण िकया। इसीिलए कॉCटे को समाजशा! िवषय का जनक या ज=मदाता माना

    जाता ह।ै समाजशा! िवषय का जनक माL इसीिलए नहG िक उ=ह,ने इस नवीन िवषय को �थमतः

    नाम �दान िकया अिपत ुइसीिलए भी िक उ=ह,ने इस िव2ान को ‘िव2ान, के सं�तरण’ म3 तािक$ व व

    उिचत �थान िदलवाने म3 तथा सामािजक घटनाओ ं के अ)ययन म3 व2ैािनक पAित के �योग क�

    संभावना को जोरदार श4दो म3 .यO त करने म3 भी सफलता �ाQ त क�। इस इकाई का उद�ेय

    समाजशा! के अथ$, �कृित, िवषय SेL क� िववचेना करना ह।ै

    समाजशा! क� कोई सव$मा=य प&रभाषा दनेा एक किठन काय$ ह।ै िविभ=न िवTान, ने इसक� प&रभाषा

    िभ=न-िभ=न UिVकोण, से दी ह।ै समाजशाि!य, Tारा दी गई प&रभाषाओ ंको हम िनCनिलिखत पांच

    �मखु Wेिणय, म3 िवभO त कर सकते हE-

    1.1 उ�ेय

    इस इकाई के अ)ययन के बाद आप समाजशा! का अथ$ , समाजशा! क� �कित व समाजशा! व

    िव2ान के बीच संबंध को िव�ततृ �प से जान सक3 ग े।

    1.2 समाजशा�� का अथ� व प�रभाषा

    समाजशा! श4द क� .य

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 3

    Oय,िक सामािजक जीवन उसका �वाभािवक उ��ेय ह।ै समाजशा! को एक नवीन िव2ान के �प म3

    �थािपत करने का Wेय Yांस के �िसA िवTान आग�त काँCटे को ह,ै आपने ही 1838 म3 इस नवीन

    शा! को समाजशा! (Sociology) नाम िदया । अतएव आपको समाजशा! के जनक के �प

    म3 भी जाना जाता ह।ै कालांतर म3 दखु[म, सप3सर, मOैस वबेर एव ंअ=य िवTान, ने समाजशा! को

    एक अकादिमक िव2ान के �प म3 िवकिसत करने हते ुअपने मह

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    समाजशाि!य, का भी रहा ह ै िज=ह,ने समाज का सम7 के �प म3 अथा$त ् इसे एक संपूण$ इकाई

    मानकर अ)ययन करने पर बल िदया ह।ै ओडम के अनसुार “समाजशा! वह िव2ान ह ैजो समाज

    का अ)ययन करता ह।ै’’ वाड$ के अनसुार, “समाजशा! समाज का िव2ान ह।ै’’ िजसबट$ के

    अनसुार, “समाजशा! सामा=यतः समाज के िव2ान के �प म3 प&रभािषत िकया जाता ह।ै’’ इसी

    भांित िगिडंस के अनसुार, “समाजशा! सम7 के �प से समाज का ?मबA वण$न तथा .याaया

    ह।ै’’

    समाज के अ)ययन के �प म3 दी गई समाजशा! क� उपयु$O त प&रभाषाओ ंसे �पV हो जाता ह ैिक

    केवल ‘ समाजशा! ’ का शाि4दक अथ$ ही ‘समाज का अ)ययन’ या ‘समाज का िव2ान’ नहG ह ै

    अिपत ुओडम, वाड$, िजसबट$ तथा िगिडंस आिद िवTान, ने इसक� प&रभाषा दतेे समय भी समाज

    को इस िवषय का मaुय अ)ययन िबंद ु बताया ह।ै समाज का अथ$ सामािजक संबंध, क� एक

    .यव�था, जाल अथवा ताने -बाने से ह ै इससे िकसी समहू के सद�य, के बीच पाए जाने वाले

    पार�प&रक अतं$संबंध, क� जिटलता का बोध होता ह।ै अ=य श4द, म3 जब सामािजक संबंध, क� एक

    .यव�था पनपती ह ैतभी हम उसे समाज कहते हE। िव2ान ?मबA 2ान या िकसी तdय अथवा घटना

    से सं बंिधत व�तिुनe �प स े जानकारी �ाf करने का एक तरीका ह।ै इसम3 अवलोकन, परीSा,

    �योग, वग[करण तथा िव� लेषण Tारा वा�तिवकता को समझने का �यास िकया जाता ह।ै यह

    �घटना के पीछे िछपे तdय अथवा वा�विवकता को �ाf करने का एक माग$ ह।ै इस �कार, जब हम

    समाजशा! को समाज का िव2ान कहते हE तो हमारा ता

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    सकते हE-�थम, O;fDr तथा O;fDr के बीच, िTतीय O;fDr तथा समहू के बीच तथा ततृीय एक

    समहू और दसूरे समहू के बीच। पित, प

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    .यवहार का अथ$ ऐसा .यवहार ह ैजो अ=य O;fDrय, के .यवहार या उनक� �

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    ii) िकसके अनसुार, ‘समाजशा! मानवीय अतंसjबंध, के �व�प, का िव2ान ह’ै

    i) िसमले ii) वाड$

    iii) 7ीन iv) काँC टे

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    1.3 समाजशा�� क� �कृ�त

    Oया समाजशा! म3 वै2ािनक पAित का �योग िकया जा सकता ह ै या नहG? यह �� न

    समाजशा! क� ि�थित या �कृित से संबंिधत �� न ह,ै अथा$त ्इसका संबंध इस तdय का पता लगाना

    ह ै िक Oया समाजशा! िव2ान ह ैया नहG? तो इसम3 वै2ािनक पAित क� कौन सी िवशेषताए ंपाई

    जाती हE और यिद यह िव2ान नहG ह ैतो इसम3 कौन सी ऐसी आपि�यां हE िजनके आधार पर इसे

    िव2ान नहG कहा जा सकता ह।ै इस �� न के बारे म3 िवTान, म3 मतैOय का अभाव पाया जाता ह।ै

    �मखु �प से हमारे सामने दो UिVकोण रखे गए हE- समाजशा! एक िव2ान ह ै तथा समाजशा!

    िव2ान नहG ह।ै

    �थम UिVकोण म3 इस बात पर बल िदया जाता ह ै िक समाजशा! अ=य िव2ान, क� तरह ही एक

    िव2ान ह ैतथा समाज, सामािजक �घटनाओ ंएव ंसामािजक पहलओु ंका व2ैािनक अ)ययन िकया

    जा सकता ह।ै दसूरे UिVकोण के समथ$क इस बात पर बल दतेे हE िक सामािजक घटनाओ ंक� �कृित

    एव ं सामािजक .यवहार इतना जिटल ह ै िक इनका वै2ािनक अ)ययन संभव नहG ह।ै अतः

    समाजशा! को एक िव2ान नहG कहा जा सकता । इन दोन, UिVकोण, के समथ$क, ने अपने -अपने

    UिVकोण, क� पिुV करने के िलए अनेक तक$ िदए हE िजनका संिSf िववचेन िनCनिलिखत �कार स े

    िकया जा सकता ह-ै

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    1.3.1 समाजशा�� �व�ान के �प म

    समाजशा! म3 िव2ान क� िनCनिलिखत िवशेषताए ंपाई जाती हE-

    1. समाजशा! म3 सामािजक संबंध, सामािजक अतंि?$ याओ,ं सामािजक .यवहार एव ंसमाज

    का अ)ययन कmपना के आधार पर नहG िकया जाता अिपत ु इनको वा�तिवक �प से व2ैािनक

    पAित Tारा समझने का �यास िकया जाता ह।ै व2ैािनक पAित के Tारा ही उपकmपनाओ ं का

    परीSण एव ंसामािजक िनयम, या िसAांत, का िनमा$ण िकया जाता ह।ै

    2. समाजशा!ीय 2ान �माण पर आधा&रत ह ैOय,िक समाजशा!ी िकसी बात को बलपूव$क

    मानने के िलए नहG कहते अिपत ुतक$ एव ं�माण, के आधार पर इसक� .याaया करते हE।

    3. समाजशा! तdय, का यथाथ$ �प से वण$न ही नहG करता अिपत ुइनक� .याaया भी करता

    ह।ै इसम3 �ाf तdय, का बढ़ा-चढ़ाकर या आदश$ एव ंकmपना से िमिWत करने ��ततु नहG िकया

    जाता अिपत ुवा�तिवक घटनाओ ं(िजस �प म3 वह िव�मान ह)ै का व2ैािनक अ)ययन िकया जाता

    ह।ै

    4. समाजशा! म3 वै2ािनक पAित Tारा एकL आकंड़, को .यवि�थत करने के िलए उनका

    व2ैािनक वग[करण िकया जाता ह ैतथा तक$ के आधार पर िनव$चन करके िनhकष$ िनकाले जाते हE।

    Oय,िक तdय, का वग[रकण, उनके ?म का 2ान व सापेिSत मह

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    करने के �यास भी िकए गए हE, य�िप एक आधिुनक िवषय होने के कारण इनम3 अिधक सफलता

    नहG िमल पाई ह।ै

    रोबट� बीर!टीड (Robert Bierstedt) का कहना ह ैसमाजशा! क� वा�तिवक �कृित व2ैािनक

    ह।ै इसे उ=ह,ने िनCनांिकत िवशेषताओ ंTारा �पV िकया ह-ै

    1. समाजशा� एक सामािजक िव#ान है, $ाकृितक िव#ान नह' - समाजशा! एक

    सामािजक िव2ान ह ैOय,िक इसक� िवषयव�तु मौिलक �प से सामािजक ह ैअथा$त ्इनम3 समाज,

    सामािजक घटनाओ ंसामािजक �ि?याओ,ं सामािजक संबंध, तथा अ=य सामािजक पहलओु ं एव ं

    तdय, का अ)ययन िकया जाता ह।ै �

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 10

    सामा=य होने के साथ-साथ तािक$ क तथा अनभुवािWत भी ह।ै यह �ाकृितक िव2ान, िवशषे िव2ान,

    .यावहा&रक िव2ान, आदशा$

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 11

    Bierstedt, Robert, The Social Order, New York:McGraw Hill, 1957

    Bottomore, T.B., Sociology:A Guide to Problems and Literature, London:Allen

    and Unwin, 1969

    Johnson, Harry M..,Sociology:A Systematic Introduction, London:Routledge &

    Kegan Paul, 1961

    1.8 सहायक उपयोगी पा+य साम&ी

    Lumley, F.E., Principles of Sociology, New York: MacGraw-Hill Book

    Company, 1935.

    Johnson, Harry M.,Sociology : A Systematic Introduction, London : Routledge

    & Kegan Paul,1961.

    Gisbert,P.,Fundamentals of Sociology, New Delhi:Prentice-Hall of India,1965.

    1.9 �नबंधा$मक � न

    1.समाजशा! िकया ह ैकुछ �मखु प&रभाषाओ ंके संदभ$ म3 िववचेना क�िजए?

    2. समाजशा! क� �कित क� िववचेना क�िजए ?

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    ���� 02- ������� � ���� ��� �� ����-���� Scope & Subject Matter of Sociology

    इकाई क� �परेखा

    2.0 ��तावना

    2.1 mn~ns';

    2.2 समाजशा! का िवषय SेL

    2.2.1 �व�पा

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 13

    िविभ=न घटनाओ ंको अपने - अपने UिVकोण से दखेने का �यास करता ह।ै उदाहरणाथ$, अथ$शा!

    आिथ$क UिVकोण से, राजनीितशा! राजनीितक UिVकोण स,े मनोिव2ान मनोवै2ािनक UिVकोण से

    तथा समाजशा! सामािजक UिVकोण से घटनाओ ंका अ)ययन करते हE। िविभ=न UिVकोण होने के

    बावजदू िकसी भी सामािजक िव2ान का िवषय SेL िनधा$&रत करना एक किठन काय$ ह ै । ��ततु

    इकाई म3 समाजशा! के िवषय SेL व िवषय व�त ुपर िव� ततृ चचा$ क� गई ह ै।

    2.1 mn~ns';

    इस इकाई का मaुय उ��ेय-

    i) समाजशाL क� िवषय व�त ुव िवषय SेL क� पणू$ जानकारी �दान करना ह ै,व�ततु: िवषय व�त ु

    व िवषय SेL को एक क� समझ िलया जाता ह ैलेिकन जबिक दोन, म3 �या$Q त अतंर ह ैइस इकाई के

    अ)ययन के बाद आप दोन, म3 अतंर �पV कर सक3 ग े।

    2.2 समाजशा�� का �वषय-.े�

    �ायः कुछ लोग िवषय SेL (Scope) तथा िवषय व�त ु(Subject-Matter) को एक ही समझ लेते

    हE जबिक दोन, म3 पया$Q त अतंर ह।ै िवषय SेL का ता

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 14

    िसAा=त बन जाता ह।ै समाजशा! के िवषय SेL के बारे म3 �मखु िवTान एकमत नहG हE। इसके बारे

    म3 हमारे सामने िनCनांिकत दो �मखु प&र�ेkय, UिVकोण (या सं�दाय) ��ततु िकए गए हE-

    2.2.1 �व�पा�मक अथवा �वश�टवाद� सं�दाय

    इस सं�दाय के �मखु �णतेा तथा समथ$क जॉज$ िसमले, �माल, वीरकांत, मOैस वबेर, वॉन वीज

    आिद िवTान हE। इन िवTान, के UिVकोण म3 समाजशा! �वतंL, िविशV तथा शAु िव2ान ह।ै इसका

    �मखु लkय मानवीय संबंध, के �व�प, का अ)ययन करना ह ै। इस सं�दाय के अनसुार समाजशा!

    अ=य सामािजक िव2ान, क� तलुना म3 पथृक् अि�त

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 15

    2.2.2 सम�वया�मक सं�दाय

    इस समदुाय के �मखु समथ$क दखु[म, ले�टर वाड$, सारोिकन, हॉबहाउस आिद हE। इस सं�दाय के

    अनसुार समाजशा! िविशV िव2ान न होकर एक सामा=य िव2ान ह।ै समाज का �

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 16

    उपयु$O त दोन, िवचारधाराए ं पर�पर िवरोधी हE तथा दोन, का समान मह

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 17

    व�त ुह,ै परंत ुएक नवीन िवषय होने के कारण समाजशा! क� िवषय व�त ुके संदभ$ म3 िवTान, म3

    मतभदे पाए जाते हE।

    दखु[म के अनसुार समाजशा! को िनCन तीन भाग, से िवभO त कर अ)ययन िकया जाना चािहए-

    1. सामािजक !प3पशा� -इसके अतंग$त सामािजक संगठन बनाए रखने म3 सहायता करने

    वाली शि�य, का अ)ययन िकया जाता ह।ै इसम3 मaुयतः भौगौिलक प&रि�थितयां, जसैे जनसंaया

    का घन

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 18

    सामािजक ग

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 19

    �कािशत 24 पाठ्यप�ुतक, का िव� लेषण करके 12 ऐसे पहलओु ंया बात, का पता लगाया िज=ह3

    कम से कम 20 पाठ्य प�ुतक, म3 सिCमिलत िकया गया था।

    ये पहल ूिनCनिलिखत हE-

    1. समाजशा! म3 व2ैािनक पAित

    2. समाजशा! म3 O;fDrRo

    3. सं�कृित

    4. मानव समहू

    5. जनसंaया

    6. जाित तथा वग$

    7. �जाित

    8. सामािजक प&रवत$न

    9. आिथ$क सं�थाए ं

    10. प&रवार

    11. िशSा

    12. धम$

    3. िवशलेषण िविध - इकंिलस का कहना ह ै िक समाजशा! के ज=मदाताओ ंके िवचार

    तथा समकालीन समाजशाि!य, के अ)ययन क� �िच के िवषय समाजशा! क� िवषय व�त ुको

    िनधा$&रत करने म3 पया$f नहG हE। अतः समाजशा! क� िवषयव�त ु को तािक$ क िव� लेषण Tारा

    िनधा$&रत करना अिनवाय$ ह।ै अ=य श4द, म3 इस िविध Tारा इकंिलस ने समाजशा! क� वहृद िवषय

    व�त ुको तािक$ क UिV से प&रसीिमत करने का �यास िकया ह।ै इकंिलस के अनसुार समाजशा! क�

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 20

    िविशV िवषयव�त ु म3 तीन पहलओु ं म3 घटते ?म म3 सिCमिलत िकया जा सकता ह।ै ये पहल ू

    िनCनिलिखत हE-

    अ- समाजशा� समाज का अ�ययन है - समाजशा! एक ऐसा िविशV िव2ान ह,ै िजसम3

    समाज को सम7 के �प म3 िव� लेषण क� एक इकाई माना जाता ह।ै इस पहल ूम3 िवशषे समाज, के

    आतं&रक िवभदेीकरण तथा उनक� बाहरी िवशेषताओ ं से संबंिधत समाज के िवकास तथा

    सम�याओ ं के अ)ययन, को सिCमिलत िकया जा सकता ह।ै मOैस वबेर तथा िकंcसल डेिवस के

    अ)ययन इस Wेणी के अ)ययन, के उदारहण हE।

    ब- समाजशा� सामािजक सं!थाओ ं का अ�ययन है- समाजशा! क� िवषय व�त ु का

    दसूरा िविशV पहल ूसामािजक सं�थाओ ंका अ)ययन ह।ै समाज का िनमा$ण करने वाले िविभ=न

    अगं, तथा सामािजक सं�थाओ ंजसैे प&रवार, चच$, �कूल, तथा राजनीितक दल आिद के अ)ययन

    पर बल िदया जाता ह।ै सं�थाओ ंक� सामा=य िवशषेताओ,ं इनके पर�पर एव ंसंबंध, एव ंकाय1 के

    अ)ययन भी इस पहल ूम3 सिCमिलत िकए जा सकते ह।ै इकंिलस के अनसुार इस पहल ूम3 अिधक

    अ)ययन नहG ह]ए हE तथा आज बड़ी सं�थाओ ंक� अपेSा छोटी सं�थाओ ं के अ)ययन म3 �िच

    बढ़ती जा रही ह।ै

    स- समाजशा� सामािजक संबंध� का अ�ययन है- इकंिलस ने इस पहल ूम3 सामािजक

    संबंध, के अ)ययन पर बल िदया ह।ै सामािजक संबंध तीन �कार के हो सकते हE- O;fDr- O;fDr के

    बीच O;fDr समहू के बीच तथा एक समहू और दसूरे समहू के बीच मOेस वबेर, वॉन वीज, जॉज$

    िसमले तथा टॉलकट पारसंस ने इस पहल ूम3 मह

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 21

    अपने UिVकोण से दखेने का �यास करता ह ैइसके अ)ययन का एक पथृक UिVकोण ह ैतथा इसका

    मaुय उ��ेय सामािजक संबंधो एव ंसामािजक संरचना क� .यवि�थत .याaया करना ह ै

    2.5 पा�रभा�षक श� दावल"

    सामािजक �व�ान – व े िव2ान जो समाज के िविभ=न पS, का अ)ययन करते हE, सामािजक

    िव2ान कह ेजाते हE

    समाजशा�� – समाजशा! वह िवषय ह ैजो समाज का ?मsA अ)ययन करता ह ै

    सामािजक अतं र!्"या– दो या दो से अिधक O;fDrय, के बीच होने वाली अथ$पणू$ ि?या को

    सामािजक अंति?$ या कहते हE

    2.6 अ#यासाथ� � न के उ$तर

    बोध �� न

    i) उ�र के िलए दिेखए 2.2.1

    ii) दखु[म

    2.7 सदंभ� &ंथ

    Lumley, F.E., Principles of Sociology, New York: MacGraw-Hill Book

    Company, 1935.

    Johnson, Harry M.,Sociology : A Systematic Introduction, London : Routledge

    & Kegan Paul,1961.

    Gisbert,P.,Fundamentals of Sociology, New Delhi:Prentice-Hall of India,1965.

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 22

    2.8 सहायक उपयोगी पा+य साम&ी

    Cuber,J.F., Sociology,Mishawaka:Addison-Welsey, 1983.

    Bottomore, T.B., Sociology: A Guide to Problems & Literature, London:Allen

    & Unwin,1969.

    2.9 �नबंधा$मक � न

    1. समाजशा! क� िवषय व�तु व िवषय SेL पर चचा$ क�िजए?

    2. “समाजशा! सामिूहक �ितिनिध

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 23

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    Emergence of Sociology as a Scientific Discipline इकाई क� �परेखा

    3.0 ��तावना

    3.1 mn~ns';

    3.2 समाजशा! क� प&रभाषा

    3.3 समाजशा! क� �कृित

    3.4 िव2ान का अथ$

    3.5 िव2ान के �मखु त

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 24

    3.0 ��तावना

    समाजशा! श4द क� .यु

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 25

    3.2 समाजशा�� क� प�रभाषा

    िविभ=न िवTान, ने समाजशा! को एक समाज-व2ैािनक िवषय व सामािजक िवषय के �प म3 अपने

    - अपने तरीक, से प&रभािषत करने के �यास िकए । िवषयांतग$त सार को समझने हते ु कुछ

    प&रभाषाए ंिनCनवत हE:-

    वाड� के अनसुार – ‘समाजशा! समाज का िव2ान ह।ै’

    िगिड=ंस के अनसुार – ‘समाजशा! समाज का वै2ािनक अ)ययन ह।ै’

    मै/स बेवर के अनसुार –‘समाजशा! वह िव2ान ह ैजो िक सामािजक ि?या के .याaया

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 26

    3.4 �व0ान का अथ�

    िव2ान अथा$त ्यथाथ$ को कैसे प&रभािषत िकया जाए । वा�तव म3, िव2ान अपने आप म3 कोई िवषय

    साम7ी नहG होकर व2ैािनक पAित से �ाf िकया गया .यवि�थत 2ान ह ै । राबट$ बीर�टीट ने सन

    1960 म3 अम&ेरकन सोिशयोलािजकल एसोिसएशन के सभापित पद स ेभाषण दतेे ह]ए कहा था िक

    समाजशा! का �थान न केवल िव2ान, म3 ह,ै बिmक उन कलाओ ं म3 भी ह ै जो िक मनhुय के

    मि�तhक को अ2ानता से म�ु करती हE। सी राइट िमmस ने तो समाजशा! को एक िशmप कहा और

    इस बात पर िचंता . यO त क� िक समाजशा� Lी सधुार क� �विृत से परे हटते चले गए हE ।

    चच�मैन व एकोफ के अनुसार, ‘िव2ान 2ान �ाf करने का .यवि�थत तरीका ह’ै । .हाइट के श4द,

    म3 ‘साइसं इज साइिंसंग’ अथा$त ्िव2ान का अथ$ व2ैािनकता ह।ै लEिडस क� मा=यता ह ैिक िव2ान

    िव2ान ही ह,ै चाह ेवह भौितकशा! म3 या समाजशा! म3 ।

    उपयु$O त कथन, से �पV ह ै िक िव2ान कोई िवषय व�तु नहG बिmक अ)ययन क� पAित ह ै िजसम3

    घटनाओ ंको उनक� ?मबAता के आधार पर जानने का �यास िकया जाता ह।ै व2ैािनक पAित का

    िनमा$ण तdय, के संकलन के िलए अ

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 27

    (vii) जांच या परीSण

    (viii) िनhकष$ के आधार पर भिवhयवाणी ।

    जोबग$ एव ंनेट ने िव2ान के मलूभतू आधार, क� चचा$ करते ह]ए कहा ह ैिक व2ैािनक अ)ययन म3

    हम3 िनCनिलिखत बात3 �वीकार करनी पड़3गी:

    (अ) घटनाओ ंक� िनरंतरता एक िनिtत ?म पर िनभ$र करती ह।ै

    (ब) 2ान का उ��ेय अ2ानता का िनराकरण ह।ै अतः वह बल�दायक व Wेe ह।ै

    (स) वै2ािनक एव ंवाu स�ा के म)य अवलोकन के मा)यम सांचा&रक संबंध बनते हE। अतः

    अवलोकन िव2ान क� मह

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 28

    3.5.5. वै�ा1नक �विृ)त - िगिलन व िगिलन ने व2ैािनक �विृ� को अ< यंत मह

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 29

    3.6.2. समाजशा�� 1नर78ण 9वारा त:य; का सं

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 30

    उपरोO त िववचेना से यह �पV हो जाता ह ैिक समाजशा! म3 भी िव2ान के सम�त आव�यक त

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 31

    3.7.4. समाज म काय�-कारण संबंध का अभाव है - व2ैािनक घटनाए ंकाय$ - कारण संबंध

    पर िनभ$र होकर यथाथ$ता को .यO त करती हE। इसके िवपरीत सामािजक घटनाएं जिटल मानवीय

    .यवहार का िनमा$ण कर दशे व ि�थित के आधार पर िभ=नता को दशा$ती ह।ै समाजशा! क�

    व2ैािनक �कृित के िव�A आपि� यह उठाई जाती ह ैिक इसम3 काय$-कारण संबंध का अभाव पाया

    जाता ह ै। �वयं आग�त कॉC टे ने समाजशा� L म3 �घटन के अतंरंग कारण, क� खोज को अ�वीकार

    िकया ह।ै

    3.7.5. समाजशा�� म �योगशाला नह7ं है - समाजशा! के पास �ाकृितक िव2ान, क�

    भांित �योगशालाए ंनहG हE। फल�व�प तdय, के अधार पर �ाf िनhकष$ अनमुान, पर आधा&रत होते

    हE और इसी कारण समाजशा! को िव2ान नहG माना जा सकता । गान$र इस बात को �पV करते ह]ए

    िलखते हE िक हम समदुाय के एक भाग को हाथ म3 नहG ले सकते और न ही उसके िविभ=न पहलओु ं

    को टे�ट ट्यबू म3 डालकर या िविभ=न ि�थितय, म3 रखकर, सामािजक सम�याओ ंका हल करने या

    अपनी िवचारवान िज2ासा को संतhु ट करने हते,ु उसका िनरीSण परीSण कर सकते हE ।

    3.7.6. समाजशा�� भ�व0यवाणी करने म असमथ� है - इसके िनयम साव$भौिमक �प से

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 32

    3.8. समाजशा�� क� �कृ�त क� �वशषेताए ँ-

    राबट$ बीर�टीड ने अपनी प�ुतक ‘The Social Order’ म3 समाजशा! क� व2ैािनक �कृित क�

    कुछ िवशषेताओ ं पर �काश डाला ह ैजो इस �कार ह:ै

    3.8.1 समाजशा�� एक सामािजक, न !क �ाकृ1तक �व�ान है – समाजशा!

    सामािजक घटनाओ,ं सामािजक संबंध,, सामािजक �ि?याओ ं एव ं सामािजक सम�याओ ं का

    अ)ययन करता ह,ै अतः इसक� �कृित सामािजक िव2ान क� ह।ै ओडम िलखते हE िक समाजशा!ी

    केवल व2ैािनक ही नहG, सामािजक व2ैािनक भी होना चािहए । �ाकृितक घटनाओ ंके सामािजक

    जीवन पर पड़ने वाले �भाव, का भी अ)ययन एक समाजशा!ी Tारा िकया जाता ह।ै

    3.8.2 समाजशा�� एक 1नरपे8 या वा�त�वक �व�ान है न !क आदशा�)मक -

    समाजशा!ी तट�थ भाव से सामािजक घटनाओ ंको यथाि�थित �व�प म3 बताने का �यास करता ह ै

    एक िनरपेS िव2ान के �प म3 इसका काय$ वा�तिवक तdय, के आधार पर पSपात रिहत होकर

    घटनाओ ं क� वा�तिवकताओ ं का अ)ययन, िव� लेषण तथा िन�पण करना ह,ै न िक उिचत -

    अनिुचत, सही-गलत या भले व बरेु आदश1 को ��ततु करना ।

    3.8.3 समाजशा�� एक �वशु5 �व�ान है न !क Oयावहा$रक �व�ान -समाजशा!ी

    नीित िनधा$रक का काय$ नहG करते हE । इस अथ$ म3 यह एक िवशAु िव2ान ह ैजबिक सामािजक

    काय$ (Social Work) को .यावहा&रक िव2ान माना जाता ह।ै मािट$नडाल और मोनाकेसी के

    अनसुार िवशAु िव2ान, का �मखु काय$ तdय, के अतं$िनिहत िसAांत, को िवकिसत और ?मबA

    करना, परुाने िसAांत, को नए तौर पर परीSा करना तथा मौजदूा िसAांत, को िनयमबA और सरल

    करना ह।ै �िसA दाश$िनक कांत ने �पV िलखा ह,ै “तdय िसAांत के िबना अधंा और िसAांत तdय

    के िबना खोखला ह।ै’’

    3.8.4 समाजशा�� एक अमूत� �व�ान है ना !क मूत� �व�ान -समाजशा! सामािजक

    घटनाओ ं व सामािजक संबंध, को O;fDr;ksa या समहू, के बीच होने वाले .यवहार, अथा$त

    सामािजक संबंध, के प&र�ेkय म3 अ)ययन करता ह ैिजनका �व�प अमतू$ होता ह ै। उदाहरणाथ$ यह

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 33

    यAु जसैी ऐितहािसक घटना को एक सामा=य �ि?या मान कर, जो िक सामािजक संघष$ के �प म3

    �गिटत ह,ै अ)ययन करता ह।ै

    3.8.5 समाजशा�� एक सामा-यीकरण �व�ान है न !क �वशषेीकरण �व�ान -

    समाजशा! सामािजक घटनाओ ंको उनक� संपणू$ता के प&र�ेkय म3 अ)ययन करता ह ै । िकसी भी

    सामािजक घटना के घिटत होने का कारण कोई एक न होकर, अनेक कारक, क� पर�पर अतंिक$ या

    होती ह ै। इसिलए समाजशा! को एक सामा=यीकरण, न िक िवशषेीकरण िव2ान कहा गया ह।ै

    3.8.6 समाजशा�� एक ता!क� क और साथ ह7 अनुभवा)मक �व�ान है -समाजशा!

    िकसी भी सामािजक समहू व सामािजक घटनाओ ं का अ)ययन व2ैािनक पAित व �णाली के

    आधार पर करता ह।ै तािक$ कता के आधार पर सामािजक िसAांत, क� वा�तिवक �प म3 परीSा और

    पनुप$रीSा कर समाजशा!ी िनयम, का �ितपादन करता ह।ै

    3.8.7 समाजशा�� एक सामा-य �व�ान है, ना !क �वशषे �व�ान - समाजशा! क�

    इस �कृित के संदभ$ म3 समाज िवचारक, म3 मतभदे ह,ै िकंत ुअिधकांश समाजशा!ी समाजशा! को

    एक सामा=य िव2ान मानते हE । इनके अनसुार समाजशा! म3 उन घटनाओ ंके अ)ययन पर जोर िदया

    जाता ह ैजो सभी मानवीय अतंिक$ याओ ंसे सामा=य ह।ै

    3.9 सारांश

    उपयु$O त िववचेना से यह �पV ह ैिक समाजशा! क� व2ैािनक �कित व समाजशा! को एक िव2ान

    समझने म3 िवTान, म3 मतभदे हो सकता ह ै िकंत ु इस बात पर सभी एक मत हो सकते हE िक

    समाजशा!ीय अ)ययन, म3 व2ैािनक पAितय, का �योग होता ह।ै इस �कार समाजशा! एक

    िव2ान ह।ै काल$ िपयस$न ने इस पS पर और भी बल दतेे ह]ए िलखा ह ैिक वह O;fDr जो तdय,

    का, चाह ेव ेिकसी भी तरह के Oय, न ह,, वग[करण करता ह,ै जो उनके पार�प&रक संबंध, को दखेता

    और उनके अन?ुम, का वण$न करता ह ैवह वै2ािनक पAित का �योग कर रहा ह ैऔर एक व2ैािनक

    ह ै। ये सभी गणु समाजशा! म3 होते हE ।

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 34

    3.10 पा�रभा�षक श9दावल"

    िव#ान- व2ैािनक पAित से �ाf िकया गया .यवि�थत 2ान, िव2ान ह ै

    3.11 अ#यास � न

    1- िव2ान Oया ह ै?

    2- Oया समाजशा! एक िव2ान ह ै?

    3- समाजशा! क� वा�तिवक �कृित पर �काश डािलए ।

    4- समाजशा! क� वै2ािनक �कृित का िव� लेषण क�िजए ।

    5- व2ैािनक पAित के �मखु त

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 35

    3. मकुज[, रवGpनाथ, 1994, समकालीन उvचतर समाजशा!ीय िसAांत, िदmली : िववके

    �काशन

    3.14 �नबंधा$मक � न

    समाजशा! और िव2ान पर एक लेख िलिखए?

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 36

    ����-4- �������� �� !� ������ ����� Sociology & Other Social Sciences

    इकाई क� �परेखा

    4.0 ��तावना

    4.1 उ��ेय

    4.2 समाजशा! एक सामािजक िव2ान

    4.3 समाजशा! और मानवशा!

    4.4 समाजशा! और मनोिव2ान

    4.5 समाजशा! और इितहास

    4.6 समाजशा! और अथ$शा!

    4.7 समाजशा! और राजनीितशा!

    4.8 सारांश

    4.9 बोध �� न, के उ�र

    4.10 संदभ$ 7ंथ सचूी

    4.11 सहायक उपयोगी पाठ्य साम7ी

    4.12 िनबंधा

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 37

    4.0 ��तावना

    मानव जीवन के सभी पहलुओ ंको समझने के िलए उसके िकसी एक नहG वरन सभी पS,

    का अ)ययन आव�यक होता ह।ै मनhुय के जीवन को �ाकृितक और सामािजक दोन, ही �कार के

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 38

    सोरोिकन के कथनानसुार ,“समाजशा! अ=य सामािजक िव2ान, का जनक नहG ह ैअिपत ुउसी

    �कार एक �वतंL िव2ान ह ैिजस �कार दसूरे सामािजक िव2ान, का एक �वतंL अि�त

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 39

    क� आधारभतू िज2ासाओ ंको तVु करने के िलए एव ं �ाकृितक िव� व को भलीभांित समझने के

    िलए ही मनhुय ने िव2ान एव ंव2ैािनक िविधय, का िनमा$ण िकया। इसी आव�यकता ने समाजशा!

    म3 वै2ािनक िविधय, का �योग समाज एवं मानवीय .यवहार, के अ)ययन के िलए िकया जसैे

    अवलोकन एवं सांिaयक�य, गणना आिद। समाजशा! का अ=य िव2ान, स े संबंध को हम इस

    �कार समझ सकते ह ै िक यिद समाजशा! को हम मनोिव2ान से जोड़कर देखते हE तो पाते हE िक

    इसके अतंग$त हम सामािजक सीख, मानव .यि�

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 40

    अतः जहां तक समाजशा! का अ=य समाज िव2ान, के साथ संबंध का �� न ह,ै तो यह इन सभी म3

    पार�प&रक आदान-�दान ह।ै समाजशा! अ=य समाज िव2ान, से और अ=य समाज िव2ान

    समाजशा! से बह]त कुछ 7हण करते हE। िविभ=न समाज िव2ान, के साथ घिनe �प से संबंिधत होने

    के बावजदू समाजशा! का अपना �वतंL अि�त

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 41

    के साथ समझने म3 योग दतेा ह।ै दसूरी ओर समाजशा!ी भी आधिुनक जिटल समाज, म3 िविशV

    सम�याओ ंका अ)ययन कर मानवशा!ी के िलए अनेक उपकmपनाए ं��ततु करता ह।ै

    समाजशा! तथा मानवशा! क� दो शाखाओ-ंसां�कृितक एव ं सामािजक मानवशा! Tारा

    सामािजक संरचना, सामािजक संगठन, सामािजक सं�थाए,ं धम$ आिद का अ)ययन िकया जाता ह।ै

    अथा$त दोन, क� िवषय व�त ुसामा=य ह ैलेिकन प&र�ेkय अलग-अलग हE। सं�कृित के िव2ान के �प

    म3 मानवशा! समाजशा! के काफ� िनकट ह।ै िकसी भी समाज के संबंध म3 यथाथ$ जानकारी �ाf

    करने के िलए उस समाज क� सं�कृित को समझना अ< यंत आव�यक ह।ै

    मानवशा!ीय अ)ययन समाजशा!ीय अनसंुधानकता$ के िलए अनसंुधान काय$ क� पeृभिूम तैयार

    करता ह।ै यही कारण ह ैिक इन दोन, िवषय, का िनकट का संबंध अनसंुधान क� UिV स ेभी अिधक

    लाभ�द ह।ै बोटोमोर ने भारत के संदभ$ म3 समाजशा! एव ंमानवशा! के बीच पाए जाने वाले घिनe

    संबंध को �पV करते ह]ए िलखा ह ै िक भारतीय समाज न तो आिदम समाज, के समान परूी तरह

    िपछड़ा ह]आ ह ै और न ही औ�ोिगक समाज, के समान पणू$तः िवकिसत। ऐसे समाज, म3

    समाजशा! व मानवशा! के म)य अिधक अंतर कोई अथ$ नहG रखता। अतः fuf'pr �प से

    समाजशा! और मानवशा! घिनe�प से पर�पर एक-दसूरे से संबंिधत हE। हॉबल कहते हE िक

    ‘िव�ततृ अथ1 म3 समाजशा! और सामािजक मानवशा! एक ही हE, समान हE।’

    समाजशा! और सामािजक मानवशा! म3 य�िप घिनe संबंध पाया जाता ह,ै परंत ुदोन, एक नहG हE,

    दोन, म3 कुछ मह

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 42

    अ6यास के िलए आप यहां एक ि�थित का अ)ययन कर दखे सकते हE िजसम3 आिदम समाज के

    अ)ययन म3 समाज क� �ासंिगकता को भी शािमल िकया जाए तो आप यह दखे सक3 ग ेिक िकस

    �कार समाजशा! एव ंमानवशा! का अ=त$संबंध ह।ै

    4.4 समाजशा�� और मनो�व0ान

    समाज का िनमा$ण करने वाले पर�पर सामािजक संबंध .यि�, क� मानिसकता से �भािवत

    होते हE। इस �कार .यि� का मनोिव2ान सामािजक जीवन से �भािवत ह]ए िबना नहG रह सकता। यह

    सामािजक दशाओ ंTारा िनधा$&रत होता ह।ै इसका ता

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 43

    समाज को �भािवत करते हE और उन भौितक दशाओ ंजो िवकास म3 सहायक या असहायक हE, का

    संकलन या &रकाड$ ह।ै िकसी भी समाज का वत$मान चाह ेउसके अतीत क� �ितिलिप भले ही न हो

    परंत ुअतीत क� छाप उस पर अव�य ही छोड़ता ह।ै वत$मान भिवhय का इितहास ह ैलेिकन वत$मान

    ही भिवhय का िनमा$ण भी करता ह।ै समाजशा! समाज के ऐितहािसक िवकास के अ)ययन से

    संबंिधत ह।ै इन दोन, िवषय, के बीच कुछ मह

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 44

    बीयर!टीड के अनसुार ‘अगर अतीत को शताि4दय, से लढ़ुकता ह]आ एक व! मान िलया जाए तो

    इितहास क� �िच उन िविशV धाग, और िकनार, म3 होगी जो उस व! को बनाता ह,ै जबिक

    समाजशा! क� �िच उस व! से िदखने वाले �ितमान, म3 होगी’। अतः इितहास और समाजशा!

    एक-दसूरे से संबंिधत हE। इितहास का अ)ययन समाजशा! के अ)ययन के िबना और समाजशा!

    का अ)ययन इितहास के अ)ययन के िबना पणू$ नहG हो सकता। जहां समाजशा! म3 वत$मान का

    तानाबाना होता ह ैवहG इितहास म3 अतीत क� सvचाई होती ह ैजो fuf'pr �प से आधार �दान

    करता ह।ै जी. ई. हावड$ के अनसुार ‘इितहास भतूकाल का समाजशा! ह ैऔर समाजशा! वत$मान

    का इितहास’

    समाजशा! और इितहास म3 समानता होने पर भी कुछ असमानता हःै

    • इितहास . यि�करण का िव2ान ह ैजबिक समाजशा! एक सामा=यीकरण का िव2ान ह।ै इितहास और समाजशा! म3 अतंर काल का ह।ै इितहास अतीत का अ)ययन करता ह ैतो

    समाजशा! वत$मान का। समाजशा! का अ)ययन SेL इितहास क� पeृभिूम का अ)ययन

    ह।ै जहां समाजशा! सामािजक �ि?या के अतं$गत घटने वाली कुछ घटनाओ ं का

    अ)ययन ह।ै समाजशा! भिवhय क� ओर संकेत करने क� Sमता रखता ह ैजबिक इितहास

    केवल अतीत के यथाथ$ का िन�पण करता ह।ै समाजशा! साम7ी संकलन म3 ऐितहािसक

    साम7ी तथा ऐितहािसक पAित को एक पAित के �प म3 अपनाता ह ै जबिक अ=य

    पAितयां भी उपयोग म3 लाई जाती हE। इितहास म3 अ=य पAितय, के �योग क� संभावनाए ं

    नहG हE।

    • समाजशा! .यापक ह ैजबिक इितहास संकुिचत। समाजशा!ी का मaुय लkय समाज के सामा=य िनयम, क� खोज करना होता ह,ै वहG इितहासकार का मaुय लkय ऐितहािसक

    घटनाओ ंका ?मबA तरीके से िववरण दनेा ह।ै िविशV समाजशा!ीय अ)ययन म3 �योग

    क� संभावना रहती ह ैजबिक इितहास के अ)ययन म3 �योग संभव नहG होता Oय,िक जो

    ऐितहािसक घटना घिटत हो चकु� ह।ै उसे पनुः नहG दोहराया जा सकता। इितहास

    मह

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 45

    के हर पहल ूका अ)ययन कर3ग ेजबिक समाजशा!ी यAु का एक सामािजक घटना के �प

    म3 अ)ययन कर3ग।े व ेलोग, पर यAु के �भाव आिद का अ)ययन कर3ग।े

    बोध �� न - 1

    i) ‘ समाजशा! और सामािजक मानवशा! दोन, जड़ुवा बहन3 हE’ िकसने कहा ह ै?

    ------------------------------------------------------------------------------------------------

    ------------------------------------------------------------------------------------------------

    ii) समाजशा!-सामािजक मानवशा! म3 कोई दो अतंर बताइए।

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    ------------------------------------------------------------------------------------------------

    ------------------------------------------------------------------------------------------------

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    iii) समाजशा! व इितहास के बीच कोई दो अतंर बताइए।

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    ------------------------------------------------------------------------------------------------

    ---------------------------------------------------------------------------------------------

    4.6 समाजशा�� और अथ�शा��

    समाजशा! का अथ$शा! से संबंध को समझने से पहले हम अथ$शा! को समझ ल3ग,े तो

    िवषय-व�त ुको समझने म3 आसानी होगी। अथ$शा! के अतंग$त मनhुय क� आिथ$क ि?याओ ंया

    आिथ$क .यवहार, का अ)ययन िकया जाता ह।ै अथ$शा! का अ)ययन भौितक व�तओु ंया सेवाओ ं

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 46

    के उ

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 47

    (3) .यावहा&रक जीवन म3 .यि� क� .यय-Sमता सामािजक ि�थित को �भािवत करती ह।ै भौितक

    आव�यकताओ ं के अित&रO त कई सामािजक आव�यकताए ं जसैे fuf'pr तथा िवशेष �तर क�

    वशेभषूा, शादी-िववाह तथा उ

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 48

    समाजशा! और अथ$शा! म3 िनCनिलिखत अंतर भी पाए जाते हE-

    • समाजशा! मानव जीवन का सामा=य सव$पSीय अ)ययन ह ै जबिक अथ$शा! केवल आिथ$क पS का िविशV अ)ययन ह।ै

    • समाजशा! म3 �मखुतः सामािजक संबंध, का जबिक अथ$शा! म3 आिथ$क संबंध, का अ)ययन िकया जाता ह।ै

    • समाजशा! म3 सामािजक जीवन के सभी पS, का जबिक अथ$शा! म3 मानव जीवन के केवल आिथ$क पS, का अ)ययन िकया जाता ह।ै

    • समाजशा! का UिVकोण समाजशा!ीय, बह]कारक�य और काफ� .यापक ह ै जबिक अथ$शा! का UिVकोण आिथ$क और तलुना

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 49

    ऐितहािसक UिV से राजनीितशा! और समाजशा! का घिनh ट संबंध ह।ै इन िव2ान, के संबंध को

    िनCनिलिखत िबंद ुदशा$ते हE -

    (1) पवू$ काल म3 सामािजक िवषय, पर मaुय प�ुतक3 थG - Qलेटो क� &रपि4लक, अर�त ू क�

    पॉिलिटOस और अ=य �ितिeत प�ुतक3 जो िक पवू[ और पिtमी राजनीितशा! म3 पणू$ मानी जाती

    थG।

    (2) राजनीितशा! मनhुय को एक राजनीितक �ाणी मानता ह ै पर वह राजनीितक �ाणी Oय,

    और कैसे बना, यह जानकारी समाजशा! ही �दान करता ह।ै इस �कार समाजशा! क� नGव पर

    राजनीितशा! के भवन का िनमा$ण होता ह।ै

    (3) राजनीितशा! मानव संबंध, का अ)ययन करता ह ैजो िक सामािजक संबंध, का अगं ह।ै

    िगल?ाइ�ट के अनसुार ‘राजनीितशा! मानव संबंध, के तdय, और िसAांतो को 7हण करता ह,ै

    िजन िसAांतो और तdय, का अ)ययन तथा �ितपादन करना समाजशा! का कत$.य ह।ै’

    (4) वत$मान म3 दोन, शा!, का संबंध इतना बढ़ गया ह ैिक प&रणाम�व�प राजनीित का जीवन

    पर �भाव अ)ययन करने के िलए समाजशा! क� एक नवीन शाखा ‘राजनीितक समाजशा!’ का

    िवकास ह]आ ह।ै

    (5) राyय क� सद�यता भी �ायः ज=म से िनधा&र$त होती ह।ै राyय िकस �कार का ह,ै इसका

    सामािजक, धािम$क, आिथ$क तथा अ=य बात, पर �भाव पड़ता ह।ै पा&रवा&रक �कार, िशSा,

    आ�थाए,ं परCपराए ंएव ंरीित-&रवाज इ

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 50

    (6) समाजशा!ीय िसAांत, एव ंपAितय, का राजनीितशा! म3 काफ� �योग होने लगा ह।ै

    (7) राजनीितक .यवहार को समझने के िलए, उदाहरण के �प म3 मतदान-.यवहार को जानने के

    िलए सामािजक तdय,, िविभ=न सामािजक सं�थाओ ंजसैे जाित �णाली, संयOु त प&रवार �णाली,

    वग$-भदे, ि!य, क� ि�थित आिद के संबंध म3 जानकारी आव�यक ह।ै �ामािणक आधार पर यह

    जानकारी समाजशा! से ही िमल सकती ह।ै

    राजनीितशा! और समाजशा! के बीच कुछ �पV अतंर हE जो िनCनिलिखत हE-

    (1) राजनीितशा! मानव के राyय, राजनीितक दल, नीित, आिद का अ)ययन करता ह ै

    राजनीित शा! जहां भी शि� ह ैउसका अ)ययन करता ह ैजाित म3 शि� ह,ै राजनीित शा!ी इसका

    भी अ)ययन करता ह।ै जबिक समाजशा! मानव के संपणू$ संगठन, का अ)ययन करता ह।ै

    (2) समाजशा! एक सामा=य िव2ान ह ै जबिक राजनीितशा! एक िवशेष िव2ान ह।ै

    राजनीितशा! जीवन के एक िविशV पS का अ)ययन करता ह ै जबिक समाजशा! जीवन के

    सामा=य पS, का अ)ययन करता ह।ै

    (3) समाजशा! सभी �कार, के सामािजक संबंध, का अ)ययन करता ह ैजबिक राजनीितशा!

    सामािजक संबंध, के एक भाग संगिठत संबंध, िवशेषतः राजनीितक संबंध, का अ)ययन करता ह ै

    (4) समाजशा! िविभ=न सं�थाओ,ं िजनम3 सरकार भी शािमल हE, के पर�पर-संबंध पर जोर दतेा ह ै

    जबिक राजनीितशा! सरकार के भीतर चलने वाली �ि?याओ ंपर।

    (5) राजनीितशा! का UिVकोण एकांगी या एक पSीय ह ैजबिक समाजशा! का UिVकोण सम7

    अथवा समिVमलूक ह।ै इस भांित राजनीितशा! का UिVकोण संकुिचत ह ैजबिक समाजशा! का

    .यापक।

    (6) समाजशा! सामािजक िनयंLण के औपचा&रक एव ंअनौपचा&रक सभी �कार के साधन,

    के अ)ययन म3, जबिक राजनीितशा! उन औपचा&रक साधन, के अ)ययन म3 िज=ह3 राyय क�

    अिभमित �ाf ह,ै जसैे काननू म3 �िच रखता ह।ै

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 51

    (7) समाजशा! राyय को मह

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 52

    िव2ान, के एक�करण से ही िकसी सामािजक घटना का पणू$ �प से अ)ययन िकया जा सकता ह।ै

    यिद िकसी घटना का गहन अ)ययन करना ह ैतो यह आव�यक होगा िक इसके िविभ=न पS, का

    अलग-अलग िवTान, Tारा अ)ययन िकया जाए तथा अंत म3 इनका एक�करण करके संपणू$ के

    आधार पर िनhकष$ िनकाला जाए। इस �कार ‘सामािजक िव2ान, म3 एकता ह,ै यह एकता काmपिनक

    एकता नहG ह,ै यह िविभ=न भाग, क� एक गितशील एकता ह ैऔर एक भाग दसूरे भाग के िलए तथा

    अ=य भाग, के िलए अिनवाय$ ह।ै’

    अतः यह कहा जा सकता ह ै िक सम�त सामािजक िव2ान एक-दसूरे पर िनभ$र हE। हर

    सामािजक िव2ान िकसी घटना का िविशV अ)ययन भी करता ह ै और सामािजक िव2ान, के

    एक�करण के Tारा संपणू$ अ)ययन करने का �यास भी िकया जाता ह।ै

    4.9 बोध �न< के उ$तर

    बोध �� न-1

    1. दखे3 4.4

    2. दखे3 4.4

    3. दखे3 4.6

    बोध �� न-2

    1 समाजशा! व इितहास

    2 मानव संबंध, (राजनीितक संबंध,)

    3 .यवहारा

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 53

    2. Berger, Peter, Invitation to Sociology, Doubleday, New York, 1963.

    3. Mills, C.k., Wright, Sociological Imagination, Oxford, New York, 1959.

    4. Forands, Abraham, Sociological Thoughts, Macmillan India, Delhi, 1985.

    4.11 सहायक उपयोगी पा+य साम&ी

    • Berger, Peter, Invitation to Sociology, Doubleday, New York, 1963. • Mills, C.k., Wright, Sociological Imagination, Oxford, New York,

    1959.

    • Forands, Abraham, Sociological Thoughts, Macmillan India, Delhi, 1985.

    4.12 �नबंधा$मक � न

    1.समाजशाL और इितहास के बीच अतंर �पV क�िजए ?

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 54

    ���� 5- ./�0 Society

    इकाई क� �परेखा

    5.0 ��तावना

    5.1 उ��ेय

    5.2 समाज का अथ$ व िवशषेताए ं

    5.3 समाज क� िवशषेताएं

    5.4 समाज और एक समाज

    5.5 मानव और पश ुसमाज

    5.6 सारांश

    5.7 पा&रभािषक श4 दावली

    5.8 अ6यासाथ$ �� न के उ�र

    5.9 संदभ$ 7ंथ सचूी

    5.10 सहायक उपयोगी पाठ्य साम7ी

    5.11 िनबंधा

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 55

    Oय,िक व ेभी अपने जीवन को बेहद .यवि�थत तरीके से जीते हE। इस आधार पर यह कहना गलत

    नहG होगा िक समाज हर उस जगह पर ह ैजहां-जहां जीवन पाया जाता ह।ै आज मानव-जाित िवकास

    के कई चरण, को पार करके स6यता के उvच-�तर पर पह]चँ गई ह।ै अ=य जीव जगत से अलग

    मानव ने अनेक सं�थाओ ंको बनाकर ऐसे सkूम एव ंकिठन सामािजक संबंध िवकिसत िकए जो िक,

    केवल मनhुय Tारा संभव ह।ै इसी कारण हम समाजशा! के अतंग$त केवल मानव-समाज का ही

    अ)ययन और िववचेन करते हE।

    5.1 उ�ेय

    इस इकाई को पढ़ने के बाद आप –

    • समाज O या ह ैजान सक3 ग े• समाज क� िवशषेताओ ंके बारे म3 2ान अिज$त कर सक3 ग े

    5.2 समाज का अथ� एव ंप�रभाषा

    साधारण बोलचाल क� भाषा म3 ‘समाज’ श4द को O;fDr;ksa के समहू के अथ$ म3 �योग

    िकया जाता ह।ै हालांिक ‘समाज’ क� कोई ऐसी प&रभाषा अभी तक नहG िमल पाई ह ैिजस ेसभी ने

    एक मत से मान िलया हो। िविभ=न समाजशाि!य, Tारा ‘समाज’ श4द के कई अथ$ लगाए गए हE।

    िकसी के िलए ‘समाज’ O;fDr;ksa का समहू ह ैतो िकसी के िलए समदुाय, िकसी के िलए वह परूी

    मानव-जाित भी रहा ह।ै कोई समाज को अमतू$ मानता ह ैतो कोई उसे मतू$ भी मानता ह।ै अतः हम

    दखे सकते हE िक ‘समाज’ को अलग-अलग अथ$ दनेे के कारण इसक� कोई एक fuf'pr प&रभाषा

    नहG िमल पाती ह।ै

    समाजशा! के अतंग$त ‘समाज’ श4द का एक िवशषे अथ$ म3 �योग िकया गया ह।ै समाज एक ऐसी

    .यव�था ह ैिजसका आधार O;fDr;ksa के बीच म3 बनने वाले सामािजक संबंध होते हE। जब अनेक

    O;fDr;ksa के बीच होने वाला .यवहार अथ$पणू$ हो तथा एक-दसूरे क� ि?याओ ंको �भािवत करता

    हो तब यह अथ$पणू$ .यवहार ‘सामािजक-संबंध’ को �कट करता ह।ै जसैे अगर एक O;fDr दसूरे

    O;fDr के साथ अपनी जिैवक आव�यकताओ ंको परूा करने का उ��ेय से कोई ि?या कर रहा ह,ै

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 56

    िजसके कारण दोन, के बीच िकसी तरह का कोई संबंध बन रहा हो तो यह सामािजक संबंध कहा

    जाएगा।

    सामािजक संबंध, तथा भौितक संबंध, के म)य एक �मखु अतंर पाया जाता ह ै -पार� प&रक

    जाग�कता । जहां भौितक सCबध, म3 पार� प&रक जाग�कता का अभाव होता ह ैअथा$त एक व�त ु

    को दसूरी व�त ु के बारे म3 2ान नहG होता ह,ै वहG दसूरी ओर पार� प&रक जाग�कता सामािजक

    संबंध, का �मखु आधार ह।ै भौितक संबंध भौितक व�तओु ंम3 पाया जाता हE जसै-ेक�-बोड$ के ज&रए

    सारी सचूनाए ंकCQयटूर म3 डाली जाती हE क�-बोड$ और कंQ यटूर के बीच भौितक संबंध ह,ै िकंतु

    कंQ यटूर को क�-बोड$ के बारे म3 2ान नहG हE।

    सामािजक संबंध का �मखु त

  • समाजशा� - एक प�रचय BASO101

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 57

    मैकाइवर एवं पेज के अनसुार - ‘समाज रीितय, एव ंकाय$-�णािलय,, अिधस�ा एव ंपार�प&रक

    सहयोग, अनेक समहू, एव ंिवभाजन,, मानव-.यवहार के िनयंLण, एव ं� वतंLताओ ंक� .यव�था ह।ै

    यह सतत प&रवत$नशील जिटल .यव�था ह ै िजसे हम समाज कहते हE। यह सामािजक संबंध, का

    जाल ह ैऔर यह िनरंतर प&रवत$शील ह’ै’ ।

    िगिड=ंस ने समाज को औपचा&रक �प से बने संबंध, का �ितफल बताते ह]ए कहा ह ै‘समाज �वयं

    संघ ह,ै संगठन ह,ै औपचा&रक संबंध, का योग ह,ै िजसम3 सहयोग दनेे वाले O;fDr एक-दसूरे के साथ

    जड़ेु ह]ए या संबA हE।'

    िगंसबग� ने समाज म3 O;fDrय, के बीच .यवहार क� समानता को मह}व दतेे ह]ए समाज को इस

    �कार प&रभािषत िकया ह ै-‘ऐसे O;fDrय, के समदुाय को समाज कहा जाता ह ैजो कितपय संबंध,

    या बता$व क� िविधय, Tारा पर�पर एक�भतू �